संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(दो की तुलना में जिससे तुलना की जाए उसमें पञ्मी विभक्ति होती है।) रामात्कृष्णः पटुतरोऽस्ति = राम की अपेक्षा से कृष्ण चतुर है। पठने मालायाः रमा पट्वी वर्तते किन्तु कार्ये रमायाः माला = पढ़ाई में माला की अपेक्षा रमा पटु याने चतुर है, किन्तु काम में…
अज्ञेभ्यो ग्रन्थिनः श्रेष्ठाः ग्रन्थिभ्यो धारिणो वराः। धारिभ्यो ज्ञानिनः श्रेष्ठाः ज्ञानिभ्यो व्यवसायिनः।।
= अज्ञ अर्थात् मूर्ख से ग्रन्थ पढ़नेवाले श्रेष्ठ हैं, ग्रन्थ पढ़नेवालों से उसे स्मरण करनेवाले (=रटनेवाले) श्रेष्ठ हैं। रटनेवालों से ग्रन्थस्थ ज्ञान को समझनेवाले और समझने वालों से भी तदनुकूल आचरणकर्ता श्रेष्ठ होते हैं।

शान्तितुल्यं तपो नास्ति न सन्तोषात्परं सुखम्। न तृष्णयाः परो व्याधिर्न च धर्मो दयापरः।।
= शान्ति के समान कोई तप नहीं है और सन्तोष से बढ़कर कोई सुख नहीं। तृष्णा से बढ़कर कोर्ई रोग नहीं और दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं है।

विषाद् विषं किं ? विषयाः समस्ताः
= विष से भी अधिक विषाक्त क्या है ? समस्त विषयभोग।

वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि।
लोकोत्तराणां चेतांसि को नु विज्ञातुमर्हसि।।
= महापुरुषों का हृदय वज्र से भी कठोर और फूल से भी कोमल होता है। उसे जानने में कौन समर्थ हो सकता है ?

तृणं लघु तृणात्तूलं तूलादपि च याचकः।
वायुना किं न नीतोऽसौ मामयं याचयिष्यति।।
= तिनका अत्यन्त हलका होता है, तिनके से भी रुई अधिक हल्की होती है और रुई से भी याचक अधिक हल्का होता है। (प्रश्न होता है यदि रुई से भी याचक हल्का है तो..) वायु उसे उड़ा क्यों नहीं ले जाती ? (उत्तर है कि वायु को भी यह डर है कि..) कहीं यह याचक मुझसे भी न मांग ले।

वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गेन जीवनात्।
प्राणत्यागे क्षणं दुःखं मानभङ्गे दिने-दिने।।
= अपमानित होकर जीने की अपेक्षा मर जाना अधिक श्रेष्ठ है। क्योंकि मरने के समय तो क्षणभर के लिए कष्ट होता है, परन्तु अपमानित होने पर तो प्रतिदिन दुःख भोगना पड़ता है।

प्रक्षालनाद्धि पङ्कस्य दूरादस्पर्शनं वरम्
= पैर कीचड़ में डालकर धोने की अपेक्षा कीचड़ में न डालना ही अच्छा है।

संन्यासः कर्मयोगश्च निःश्रेयसकरावुभौ।
तयोस्तु कर्मसंन्यासात् कर्मयोगो विशिष्यते।।
= संन्यास अर्थात् सकाम कर्मों का त्याग तथा कर्मयोग अर्थात् निष्काम कर्मों का करना दोनों ही परम कल्याण याने मोक्ष को करनेवाले हैं। परन्तु इन दोनों में सकाम कर्म के त्याग की अपेक्षा निष्काम कर्म का करना अधिक अच्छा है।

तपस्विभ्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपि मतोऽधिकः। कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जुन।।
= योगी तपस्वियों से बड़ा है, ज्ञानियों अनुभवरहितों से भी बड़ा है, कर्मकाण्डियों से भी बड़ा है। इसलिए हे अर्जुन तू योगी बन।

#vakyabhyas
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।

Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.

विविक्तदेश आसीनो विरागो विजितेन्द्रियः।
भावयेदेकमात्मानं तमनन्तमनन्यधीः।।38।।

38. Sitting in a solitary place, freeing the mind from desires and controlling the senses, meditate with unswerving attention on the Atman which is One without-a-second.


आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 38:

आत्म-बोध के 38th श्लोक में आचार्यश्री हमें आत्म-अभ्यास के लिए एक नया आयाम प्रदान कर रहे हैं - वो है ध्यान और समाधी का अभ्यास। ध्यान रहे की हमें यह साधना पहले नहीं प्रदान करी गयी, बल्कि जब हमें अहम् ब्रहास्मि का स्पष्ट ज्ञान हो गया तब ही प्रदान करी जा रही है। जब ज्ञान हुआ ही नहीं है तो किसपे ध्यान करें? इसलिए लोग ध्यान के नाम पर केवल मन को शांत करने का प्रयास करते हैं, वो वस्तुतः ठीक ध्यान नहीं है। ध्यान परमात्मा का, आत्मा का, सत्य का करना चाहिए। एकान्त में बैठकर अंतर्मुख होकर आत्मा के तरफ ध्यान मोड़ें और इसे अनंत और एक, अखंड देखें। अर्थात आत्मा को स्पष्ट रूप से ब्रह्म देखें - और इसके प्रति प्रगाढ़ महत्त्व की बुद्धि उत्पन्न करें। जिसके प्रति महत्त्व की बुद्धि होती है उसके प्रति ही भावना जगती है।

#Atmabodha
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : निर्वाचनपरिणामाः
(Election Results)

दिनाङ्कः : 11th March 2022,
शुक्रवासरः

Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.

😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( सम्प्रति पञ्चराज्येषु निर्वाचनप्रक्रिया सम्पन्ना जाता तत्र किं दलं किमर्थं जयं प्राप्तवान् अथवा न प्राप्तवान्।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇

स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु


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BVGch10vs04
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.04]
🍃बुद्धिर्ज्ञानमसंमोहः क्षमा सत्यं दमः शमः।
सुखं दुःखं भवोऽभावो भयं चाभयमेव च
।।10.4।।

♦️buddhirj~naanamasaMmohaH kShamaa satyaM damaH shamaH|
sukhaM duHkhaM bhavo'bhaavo bhayaM chaabhayameva cha10.4

Discrimination, knowledge, non-delusion, forgiveness, truthfulness,control over the mind and senses, pleasure, pain, birth, death, fear, fearlessness; (10.04).

बुद्धि ज्ञान मोह का अभाव क्षमा सत्य दम (इन्द्रिय संयम) शम (मन संयम) सुख दुख जन्म और मृत्यु भय और अभय।।10.4।।

#geeta
 
BVGch10vs05
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.05]
🍃अहिंसा समता तुष्टिस्तपो दानं यशोऽयशः।
भवन्ति भावा भूतानां मत्त एव पृथग्विधाः
।।10.5।।

♦️ahiMsaa samataa tuShTistapo daanaM yasho'yashaH|
bhavanti bhaavaa bhuutaanaaM matta eva pRRithagvidhaaH10.5

Nonviolence, equanimity, contentment, austerity, charity, fame, and ill fame; all these diverse qualities in human beings arise from Me alone. (10.05)

अहिंसा समता सन्तोष तप दान यश और अपयश ऐसे ये प्राणियों के नानाविध भाव मुझ से ही प्रकट होते हैं।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - नवमी पूर्णरात्री तक

⛅️ दिनांक 11 मार्च 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ शक संवत - 1943
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - वसंत
⛅️ मास - फाल्गुन
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - मृगशिरा 2:36 पी. एम तक तपश्चात आर्द्रा
⛅️ योग - आयुष्मान 3:11 ए. एम मार्च 12 तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल -11:20 ए.एम से 12:50 पी.एम तक
⛅️ सर्योदय - 06:53
⛅️ सर्यास्त - 18:47
⛅️ चन्द्रोदय - 12:35 पी.एम.
⛅️ चन्द्रोस्त - 2:41 ए.एम मार्च 12
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : निर्वाचनपरिणामाः
(Election Results)

दिनाङ्कः : 11th March 2022,
शुक्रवासरः

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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( सम्प्रति पञ्चराज्येषु निर्वाचनप्रक्रिया सम्पन्ना जाता तत्र किं दलं किमर्थं जयं प्राप्तवान् अथवा न प्राप्तवान्।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

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स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु


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Live stream scheduled for
Arsha Seva Kendram, a non-profit organization, is pleased to announce Samskrutam courses starting at the end of March, 2022.

ASK is about to begin a new set of classes. Although teaching for the Samskrita Bharati Distance Learning Program Exams (Pravesha, Parichaya, Shiksha and Kovida) is not the primary goal of these courses, they will be guided in broad terms by them. Emphasis will be on learning the concepts, sambhaashaNa, written skills in Samskrutam. Concepts will be instilled firmly with the help of regular weekly homeworks similar to what one finds in a college/university environment. All courses are taught by experienced Samskrutam teachers.

COURSE BEGINS: Last week of March, 2022
COURSE ENDS: January 2023
FEES: Free; a token dakshina (Rs.101/USD 25) will be asked at the time of registration
TEACHING METHOD: Online, via Zoom

LAST DATE TO REGISTER: March 20, 2022

Please see the attached poster for deciding your current skill level and register for the
appropriate course.

DhanyavaadaH,
BhanuH