संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ : (२०) पञ्चमी विभक्ति (४) (दूर और समीपवाची शब्दों के साथ जिससे दूर या समीप की चर्चा हो उसमें पञ्चमी और षष्ठी दोनों विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है तथा दूर और समीपवाची शब्दों में द्वितीया, तृतीया, पञ्चमी…
अभिषेकम् अभिषेकेण अभिषेकाद्वा स्वपराक्रमेणैव सिंहो राजा उच्यते
= बिना अभिषेक के हि सिंह अपने पराक्रम के कारण राजा कहाता है।
गृहिणीं विना कुतो गृहम् ?
= गृहिणी के बिना घर कैसा ?
जगतां यदि नो कर्त्ता, कुलालेन विना घटः। चित्रकारं विना चित्रं, स्वतः एव भवेत्तथा।।
= यदि जगत् का बनानेवाला कोई नहीं है, तो जैसे बिना बनानेवाले के जगत् बन गया वैसे ही बिना कुम्हार के घड़ा तथा बिना चित्रकार के चित्र बन जाने की बात भी मान लेनी चाहिए।
पानीयं प्राणिनां प्राणा विश्वमेव च तन्मयम्। न हि तोयाद् विना वृत्तिः स्वस्थस्य व्याधितस्य वा।।
= जल जीवसृष्टि का प्राण है और सारा विश्व जलमय ही है। स्वस्थ हो या रोगी, जल के बिना किसी का जीवन सम्भव नहीं है।
सुखार्थाः सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः। सुखं च न विना धर्मात्तस्माद् धर्मपरो भवेत्।।
= सभी प्राणियों की किसी भी कार्य को करने की जितनी प्रवृत्तियां हैं, वे सभी आत्मसुख की प्राप्ति के लिए होती हैं। सुख धर्म के बिना नहीं मिलता, अतः मनुष्य को धर्म परायण होना चाहिए।
न हि कारणं विना कार्योत्पत्तिः सम्भविनी
= कारण के बिना कार्योत्पत्ति सम्भव नहीं है।
कुलेन कुलाद् वा नानाभूय गतः
= कुल से अलग होकर चला गया।
अन्यकुलाद् ऊढ्वा आगतस्तस्मात् कुलेन कुलाद् वा नानाकृतः
= भिन्न कुल से विवाह कर लिया अतः कुल से अलग कर दिया।
गुणाः मनुष्यान् दुर्जनैः दुर्जनाद् वा नानाकुर्वन्ति
= गुण मनुष्यों को दुर्जनों से अलग कर देते हैं।
प्रतिदिनं कलहेण पित्रा अनुजः अग्रजेन अग्रजाद् वा नानाकृतः
= प्रतिदिन के झगड़ों के कारण पिता ने छोटे भार्ई को बड़े भाई से अलग कर दिया।
(‘ऋते’ के साथ भी द्वितीया, तृतीया
व पञ्चमी का प्रयोग देखा जाता है।)
ऋते ज्ञानान्न मुक्तिः
= ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं।
पालकादृते शिशवः कथं पाल्यन्ते ?
= पालक के बिना बच्चे कैसे पल सकते हैं ?
यत् प्रज्ञानमुत चेतो धृतिश्च यज्ज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु।
यस्मान्न ऋते किं चन कर्म क्रियते तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।।
= जो प्रकृष्ट ज्ञान का साधन है, चेतना का आधार है, धैर्यादि का साधक है, भीतर विद्यमान ज्ञान का प्रकाशक, उत्पन्न समस्त पदार्थों में अमृत अर्थात् अविनाशी है, जिसके बिना कोई भी कर्म नहीं किया जाता, ऐसा वह मेरा मन शुभ विचारोंवाला होवे।
न स्याद् वनमृते व्याघ्रान् व्याघ्रा न स्युर्ऋते वनम्। वनं हि रक्ष्यते व्याघ्रैर्व्याघ्रान् रक्षति काननम्।।
= व्याघ्रों के बिना वन नहीं है और वन के बिना व्याघ्र नहीं। क्योंकि व्याघ्रों के कारण वन की रक्षा होती है और वन से व्याघ्र की।
वनं राजंस्तव पुत्रोऽम्बिकेय सिंहान् वने पाण्डवांस्तात विद्धि। सिंहैर्विहीनं हि वनं विनश्येद् सिंहा विनश्येयुर्ऋते वनेन।।
= हे अम्बिकापुत्र राजन् (धृतराष्ट्र) ! तुम्हारे पुत्र वन सदृश् हैं और पाण्डवों को सिंह सदृश् जानो। सिंहों के बिना वन नष्ट हो जाते हैं और वन के बिना सिंह।
#vakyabhyas
= बिना अभिषेक के हि सिंह अपने पराक्रम के कारण राजा कहाता है।
गृहिणीं विना कुतो गृहम् ?
= गृहिणी के बिना घर कैसा ?
जगतां यदि नो कर्त्ता, कुलालेन विना घटः। चित्रकारं विना चित्रं, स्वतः एव भवेत्तथा।।
= यदि जगत् का बनानेवाला कोई नहीं है, तो जैसे बिना बनानेवाले के जगत् बन गया वैसे ही बिना कुम्हार के घड़ा तथा बिना चित्रकार के चित्र बन जाने की बात भी मान लेनी चाहिए।
पानीयं प्राणिनां प्राणा विश्वमेव च तन्मयम्। न हि तोयाद् विना वृत्तिः स्वस्थस्य व्याधितस्य वा।।
= जल जीवसृष्टि का प्राण है और सारा विश्व जलमय ही है। स्वस्थ हो या रोगी, जल के बिना किसी का जीवन सम्भव नहीं है।
सुखार्थाः सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः। सुखं च न विना धर्मात्तस्माद् धर्मपरो भवेत्।।
= सभी प्राणियों की किसी भी कार्य को करने की जितनी प्रवृत्तियां हैं, वे सभी आत्मसुख की प्राप्ति के लिए होती हैं। सुख धर्म के बिना नहीं मिलता, अतः मनुष्य को धर्म परायण होना चाहिए।
न हि कारणं विना कार्योत्पत्तिः सम्भविनी
= कारण के बिना कार्योत्पत्ति सम्भव नहीं है।
कुलेन कुलाद् वा नानाभूय गतः
= कुल से अलग होकर चला गया।
अन्यकुलाद् ऊढ्वा आगतस्तस्मात् कुलेन कुलाद् वा नानाकृतः
= भिन्न कुल से विवाह कर लिया अतः कुल से अलग कर दिया।
गुणाः मनुष्यान् दुर्जनैः दुर्जनाद् वा नानाकुर्वन्ति
= गुण मनुष्यों को दुर्जनों से अलग कर देते हैं।
प्रतिदिनं कलहेण पित्रा अनुजः अग्रजेन अग्रजाद् वा नानाकृतः
= प्रतिदिन के झगड़ों के कारण पिता ने छोटे भार्ई को बड़े भाई से अलग कर दिया।
(‘ऋते’ के साथ भी द्वितीया, तृतीया
व पञ्चमी का प्रयोग देखा जाता है।)
ऋते ज्ञानान्न मुक्तिः
= ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं।
पालकादृते शिशवः कथं पाल्यन्ते ?
= पालक के बिना बच्चे कैसे पल सकते हैं ?
यत् प्रज्ञानमुत चेतो धृतिश्च यज्ज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु।
यस्मान्न ऋते किं चन कर्म क्रियते तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।।
= जो प्रकृष्ट ज्ञान का साधन है, चेतना का आधार है, धैर्यादि का साधक है, भीतर विद्यमान ज्ञान का प्रकाशक, उत्पन्न समस्त पदार्थों में अमृत अर्थात् अविनाशी है, जिसके बिना कोई भी कर्म नहीं किया जाता, ऐसा वह मेरा मन शुभ विचारोंवाला होवे।
न स्याद् वनमृते व्याघ्रान् व्याघ्रा न स्युर्ऋते वनम्। वनं हि रक्ष्यते व्याघ्रैर्व्याघ्रान् रक्षति काननम्।।
= व्याघ्रों के बिना वन नहीं है और वन के बिना व्याघ्र नहीं। क्योंकि व्याघ्रों के कारण वन की रक्षा होती है और वन से व्याघ्र की।
वनं राजंस्तव पुत्रोऽम्बिकेय सिंहान् वने पाण्डवांस्तात विद्धि। सिंहैर्विहीनं हि वनं विनश्येद् सिंहा विनश्येयुर्ऋते वनेन।।
= हे अम्बिकापुत्र राजन् (धृतराष्ट्र) ! तुम्हारे पुत्र वन सदृश् हैं और पाण्डवों को सिंह सदृश् जानो। सिंहों के बिना वन नष्ट हो जाते हैं और वन के बिना सिंह।
#vakyabhyas
सुमन्तकनामा कश्चन निर्धनः अस्ति ।
एकदा सः कुतश्चित् भूरि धनं💰 लभते ।
तेन सः सन्तुष्टः😌 भवति ।
तथापि सः इतोऽपि अधिकं धनं कामयते ।🤑
कथमपि दैवात् सः तदपि प्राप्नोति ।
तथापि सः न मोदते ।
तस्य आशा वर्धते ।
सः चिन्तयति🤔- "यदि इतो ऽपि अधिक धन लभे🤑 तर्हि एव अहं शोभे☺️" इति।
एवमेव चिन्तयन् सः रात्रौ शेते।
परन्तु चिन्ताग्रस्तः😔 सः बहुकालानन्तरं निद्रां लभते निद्रायां स्थितः😴 सः एकं स्वप्नम्💭 ईक्षते ।
देवाः🙏 स्वप्ने प्रत्यक्षाः भूत्वा भाषन्ते🗣- "हे सुमन्तक ! एवम् आचरितुं कुतो न लज्जसे ?
यदि एवमेव कामयसे तर्हि त्वं दुराशाग्रस्तः अचिरं प्रियसे ।
अतः दुराशां मा कुरु।
अल्पेन तृप्तः😌 भव ।
तेन त्वं जीवनस्य सर्वेषु क्षेत्रेषु एधसे सुखं च लभसे अन्यथा असमये नश्यसि" इति ।
ततः सुमन्तकः निद्रातः😪 जागरितः😲 अभवत् ।
स्व-स्वभावस्य कृते तस्य लज्जा😓 अजायत् ।
एकदा सः कुतश्चित् भूरि धनं💰 लभते ।
तेन सः सन्तुष्टः😌 भवति ।
तथापि सः इतोऽपि अधिकं धनं कामयते ।🤑
कथमपि दैवात् सः तदपि प्राप्नोति ।
तथापि सः न मोदते ।
तस्य आशा वर्धते ।
सः चिन्तयति🤔- "यदि इतो ऽपि अधिक धन लभे🤑 तर्हि एव अहं शोभे☺️" इति।
एवमेव चिन्तयन् सः रात्रौ शेते।
परन्तु चिन्ताग्रस्तः😔 सः बहुकालानन्तरं निद्रां लभते निद्रायां स्थितः😴 सः एकं स्वप्नम्💭 ईक्षते ।
देवाः🙏 स्वप्ने प्रत्यक्षाः भूत्वा भाषन्ते🗣- "हे सुमन्तक ! एवम् आचरितुं कुतो न लज्जसे ?
यदि एवमेव कामयसे तर्हि त्वं दुराशाग्रस्तः अचिरं प्रियसे ।
अतः दुराशां मा कुरु।
अल्पेन तृप्तः😌 भव ।
तेन त्वं जीवनस्य सर्वेषु क्षेत्रेषु एधसे सुखं च लभसे अन्यथा असमये नश्यसि" इति ।
ततः सुमन्तकः निद्रातः😪 जागरितः😲 अभवत् ।
स्व-स्वभावस्य कृते तस्य लज्जा😓 अजायत् ।
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
नित्यशुद्धविमुक्तैकमखण्डानन्दमद्वयम्।
सत्यं ज्ञानमनन्तं यत्परं ब्रह्माहमेव तत्।।36।।
36. I am verily that Supreme Brahman alone which is Eternal, Pure and Free, One, indivisible and non-dual and of the nature of Changeless-Knowledge-Infinite.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 36:
आत्म-बोध के 36th श्लोक में भी आचार्यश्री हमें आत्म-अभ्यास के लिए कुछ और लक्षण प्रदान कर रहे हैं। ध्यान रहे ये लक्षण उन्ही साधकों के लिए हैं जिन्होंने अपने जीव-भाव को बाधित कर दिया है। सर्प के निषेध के बाद ही रज्जु का ज्ञान होता है, और ज्ञान के बाद उस ज्ञान में निष्ठा की साधना होती है। इस श्लोक में आचार्य कह रहे हैं दृढ़ता से इस बात को देखो और उसके प्रति भावना उत्पन्न करो की हम नित्यमुक्त हैं, नित्यशुद्ध हैं, एक हैं, अखण्डानन्द हैं अद्वय हैं। हम सत्यम, ज्ञानं, अनन्तं ब्रह्म हैं।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
नित्यशुद्धविमुक्तैकमखण्डानन्दमद्वयम्।
सत्यं ज्ञानमनन्तं यत्परं ब्रह्माहमेव तत्।।36।।
36. I am verily that Supreme Brahman alone which is Eternal, Pure and Free, One, indivisible and non-dual and of the nature of Changeless-Knowledge-Infinite.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 36:
आत्म-बोध के 36th श्लोक में भी आचार्यश्री हमें आत्म-अभ्यास के लिए कुछ और लक्षण प्रदान कर रहे हैं। ध्यान रहे ये लक्षण उन्ही साधकों के लिए हैं जिन्होंने अपने जीव-भाव को बाधित कर दिया है। सर्प के निषेध के बाद ही रज्जु का ज्ञान होता है, और ज्ञान के बाद उस ज्ञान में निष्ठा की साधना होती है। इस श्लोक में आचार्य कह रहे हैं दृढ़ता से इस बात को देखो और उसके प्रति भावना उत्पन्न करो की हम नित्यमुक्त हैं, नित्यशुद्ध हैं, एक हैं, अखण्डानन्द हैं अद्वय हैं। हम सत्यम, ज्ञानं, अनन्तं ब्रह्म हैं।
#Atmabodha
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 09th March 2022,
बुधवासरः
Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.⏺
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(चित्राणि दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 09th March 2022,
बुधवासरः
Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.⏺
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(चित्राणि दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
🍃
♦️manmanaa bhava madbhakto madyaajii maaM namaskuru|
maamevaiShyasi yuktvaivamaatmaanaM matparaayaNaH9.34
⚜Fix your mind on Me, be devoted to Me, worship Me, and bow down to Me. Thus uniting yourself with Me, and setting Me as the supreme goal and sole refuge, you shall certainly realize (or come to) Me. (9.34)
⚜(तुम) मुझमें स्थिर मन वाले बनो मेरे भक्त और मेरे पूजन करने वाले बनो मुझे नमस्कार करो इस प्रकार मत्परायण (अर्थात् मैं ही जिसका परम लक्ष्य हूँ ऐसे) होकर आत्मा को मुझसे युक्त करके तुम मुझे ही प्राप्त होओगे।।9.34।।
#geeta
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायणः
।।9.34।।♦️manmanaa bhava madbhakto madyaajii maaM namaskuru|
maamevaiShyasi yuktvaivamaatmaanaM matparaayaNaH
⚜Fix your mind on Me, be devoted to Me, worship Me, and bow down to Me. Thus uniting yourself with Me, and setting Me as the supreme goal and sole refuge, you shall certainly realize (or come to) Me. (9.34)
⚜(तुम) मुझमें स्थिर मन वाले बनो मेरे भक्त और मेरे पूजन करने वाले बनो मुझे नमस्कार करो इस प्रकार मत्परायण (अर्थात् मैं ही जिसका परम लक्ष्य हूँ ऐसे) होकर आत्मा को मुझसे युक्त करके तुम मुझे ही प्राप्त होओगे।।9.34।।
#geeta
🪔सर्वेभ्यः सदस्येभ्यः संस्कृतसंवादस्य १५०० सदस्यानां संगस्य नैकाः शुभकामनाः। आशास्महे अस्माकम् ऐक्यं दृढ़तरं विस्तृततरं भवेत्।🐘
🌻 सभी सदस्यों को संस्कृत संवादः के १५०० सदस्य पूरे होने पर अनेकों शुभकामनाएं। आशा करते हैं हमारी एकता और अधिक दृढ़ और विस्तृत हो🌼
🐚Congratulations everyone for achievement of 1500 members in संस्कृत संवादः । May Our unity be more firm and extensive.🦚
🌻 सभी सदस्यों को संस्कृत संवादः के १५०० सदस्य पूरे होने पर अनेकों शुभकामनाएं। आशा करते हैं हमारी एकता और अधिक दृढ़ और विस्तृत हो🌼
🐚Congratulations everyone for achievement of 1500 members in संस्कृत संवादः । May Our unity be more firm and extensive.🦚
BVGch10vs01
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.01]
🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
bhuuya eva mahaabaaho shrRRiNu me paramaM vachaH|
yatte'haM priiyamaaNaaya vakShyaami hitakaamyayaa10.1
⚜The Supreme Lord said:
O Arjuna, listen once again to My supreme word that I shall speak to you, who are dear, for your welfare. (10.01)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हे महाबाहो पुन तुम मेरे परम वचनों का श्रवण करो जो मैं तुझ अतिशय प्रेम रखने वाले के लिये हित की इच्छा से कहूँगा।।10.1।।
#geeta
श्री भगवानुवाच
भूय एव महाबाहो शृणु मे परमं वचः।
यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया
।।10.1।।♦️shrii bhagavaanuvaacha
bhuuya eva mahaabaaho shrRRiNu me paramaM vachaH|
yatte'haM priiyamaaNaaya vakShyaami hitakaamyayaa
⚜The Supreme Lord said:
O Arjuna, listen once again to My supreme word that I shall speak to you, who are dear, for your welfare. (10.01)
⚜श्रीभगवान् ने कहा --
हे महाबाहो पुन तुम मेरे परम वचनों का श्रवण करो जो मैं तुझ अतिशय प्रेम रखने वाले के लिये हित की इच्छा से कहूँगा।।10.1।।
#geeta
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩 युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩 विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩 तिथि - सप्तमी 2:56 ए. एम मार्च 10 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक 09 मार्च 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका 8:31ए. एम तक तपश्चात रोहिणी
⛅ योग - विष्कम्भ 1:16 ए. एम मार्च 10 तत्पश्चात प्रीती
⛅ राहुकाल -12:50 पी.एम से 2:19 पी.एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:54
⛅ सूर्यास्त - 18:46
⛅ चन्द्रोदय - 11:06 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 12:55 ए.एम मार्च 10
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩 युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩 विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩 तिथि - सप्तमी 2:56 ए. एम मार्च 10 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक 09 मार्च 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका 8:31ए. एम तक तपश्चात रोहिणी
⛅ योग - विष्कम्भ 1:16 ए. एम मार्च 10 तत्पश्चात प्रीती
⛅ राहुकाल -12:50 पी.एम से 2:19 पी.एम तक
⛅ सूर्योदय - 06:54
⛅ सूर्यास्त - 18:46
⛅ चन्द्रोदय - 11:06 ए.एम.
⛅ चन्द्रोस्त - 12:55 ए.एम मार्च 10
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 09th March 2022,
बुधवासरः
Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.⏺
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(चित्राणि दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वाक्याभ्यासः
दिनाङ्कः : 09th March 2022,
बुधवासरः
Please Join the voicechat on time.
Voicechat would be recorded and shared on this channel.⏺
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(चित्राणि दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयन्तु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/Ype35dzJa94
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | कृषि विज्ञान मेला आज से होगा शुरू
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News has made a name for itself to…