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Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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संस्कृत भाषा में देखिए सुबह की तमाम अहम ख़बरें बुलेटिन वार्ता में 02-03-2022
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News has made a name for itself to…
"अर्थानामर्जने दुःखम्, अर्जितानां च रक्षणे।
नाशे दुःखं व्यये दुःखं, धिगर्थदुःखभाजनम्।।"
अर्थात- "धन को अर्जित करने में दुख होता है। अर्जित धन की रक्षा करने में भी कष्ट होता है। धन के नष्ट होने या खर्च होने पर भी कष्ट होता है। दुख के पात्र इस धन को धिक्कार है।"
संस्कृतभावार्थः -
धनस्य अर्जनं करणे दुःखं भवति, अर्जितस्य धनस्य रक्षाकरणे दुःखं भवति, धनस्य व्ययकरणे अथवा तस्य नाशे अपि दुःखं भवति।
तस्मात् दुःखमूलं धनं धिक् ।
#Subhashitam
नाशे दुःखं व्यये दुःखं, धिगर्थदुःखभाजनम्।।"
अर्थात- "धन को अर्जित करने में दुख होता है। अर्जित धन की रक्षा करने में भी कष्ट होता है। धन के नष्ट होने या खर्च होने पर भी कष्ट होता है। दुख के पात्र इस धन को धिक्कार है।"
संस्कृतभावार्थः -
धनस्य अर्जनं करणे दुःखं भवति, अर्जितस्य धनस्य रक्षाकरणे दुःखं भवति, धनस्य व्ययकरणे अथवा तस्य नाशे अपि दुःखं भवति।
तस्मात् दुःखमूलं धनं धिक् ।
#Subhashitam
(रक्तवर्णीयानि) पुष्पाणि सन्ति।
प्रश्ननिर्माणं कर्तव्यम्।
प्रश्ननिर्माणं कर्तव्यम्।
Anonymous Quiz
10%
कीदृशः पुष्पाणि सन्ति।
9%
कीदृशम् पुष्पाणि सन्ति।
76%
कीदृशानि पुष्पाणि सन्ति।
6%
कीदृशाः पुष्पाणि सन्ति।
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(नियमपूर्वक अध्ययन करने में जिससे पढ़ा जाए उसकी अपादान संज्ञा होती है और उसमें पंचमी विभक्ति होती है।) अन्तेवासी अध्यापकात् विद्यां पठति = विद्यार्थी अध्यापक से विद्या पढ़ता है। नर्तकी नृत्यनिष्णातात् नृत्यं शिक्षति = नर्तकी नाच में दक्ष से नाचना…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१९) पञ्चमी विभक्ति (३)
(जिससे कोई वस्तु बनती है / उत्पन्न होती है उसकी अपादान संज्ञा होने से उसमें पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
बीजेभ्यः अङ्कुराः जायन्ते
= बीजों से अंकुर उत्पन्न होते हैं।
मृगशृङ्गात् शरो जायते
= हिरण के सींग से बाण बनता है।
रामात् लवकुशावजायताम्
= राम से लवकुश पैदा हुए।
भूमेः वनस्पतयः प्ररोहन्ति
= भूमि से वनस्पतियां उगती हैं।
तण्डुलात् भक्तं निर्मापयति निर्माति वा
= चावल से भात बनाती है (पकाती है)।
शीनकेन दुग्धाद् दधि न्यर्मापयत् न्यर्माद् वा
= जमावन डालकर (जमावन के द्वारा) दूध से दही बनाया।
अवकराद् दुर्गन्धः उद्गच्छति
= कूड़े से दुर्गन्ध उठ रही है (उठती है)।
पूतिकात् शाकादपि दुर्गन्धः उद्भवति
= सड़े-गले शाक से भी दुर्गन्ध उठ रही है।
नगरनाल्याः पूतिगन्धः प्रभवति
= गटर से दुर्गन्ध उठ रही है।
फाणितात् गुडम् उत्पद्यते
= राब से गुड़ बनता है।
हिमालयात् गङ्गा प्रभवति
= हिमालय से गंगा निकलती है।
स्वर्णकारः स्वर्णाद् आभूषणानि रचयति
= सुनार सोने से आभूषण बनाता है।
कुम्भकारः मृत्तिकायाः मृण्मयानि वस्तूनि विदधाति
= कुम्हार मिट्टी से मिट्टि की चीजें बनाता है।
तन्तुवायः तन्तुभ्यः वस्त्रं स्त्रं वयति
= जुलाहा धागों से कपड़ा बुनता है।
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः। यज्ञाद् भवति पर्जन्यो यज्ञकर्मसमुद्भवः।
= अन्न से भूत = प्राणी उत्पन्न होते हैं, वर्षा से अन्न, यज्ञ से वर्षा और मानवों के कर्मों से यज्ञ उत्पन्न होता है।
प्रकृतेः सृष्टिः प्रादुर्भवति
= सत्त्व-रजस्-तमस् रूप प्रकृति से सृष्टि बनती है।
अभावद् भावो न जायते
= शून्य से सृजन नहीं होता।
न शशशृङ्गात् वस्तूनि निर्मीयन्ते
= खरगोश के सींग से वस्तुएं नहीं बनतीं।
कटिजाद् धानाः व्रीहिभ्यः भिस्सटाः यवेभ्यश्च लाजाः जायन्ते
= मक्के से मक्के का फूला (पापकार्न), चावल (छिलके सहित) से ममरा और जौ से लाजा (खील) बनते हैं।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१९) पञ्चमी विभक्ति (३)
(जिससे कोई वस्तु बनती है / उत्पन्न होती है उसकी अपादान संज्ञा होने से उसमें पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
बीजेभ्यः अङ्कुराः जायन्ते
= बीजों से अंकुर उत्पन्न होते हैं।
मृगशृङ्गात् शरो जायते
= हिरण के सींग से बाण बनता है।
रामात् लवकुशावजायताम्
= राम से लवकुश पैदा हुए।
भूमेः वनस्पतयः प्ररोहन्ति
= भूमि से वनस्पतियां उगती हैं।
तण्डुलात् भक्तं निर्मापयति निर्माति वा
= चावल से भात बनाती है (पकाती है)।
शीनकेन दुग्धाद् दधि न्यर्मापयत् न्यर्माद् वा
= जमावन डालकर (जमावन के द्वारा) दूध से दही बनाया।
अवकराद् दुर्गन्धः उद्गच्छति
= कूड़े से दुर्गन्ध उठ रही है (उठती है)।
पूतिकात् शाकादपि दुर्गन्धः उद्भवति
= सड़े-गले शाक से भी दुर्गन्ध उठ रही है।
नगरनाल्याः पूतिगन्धः प्रभवति
= गटर से दुर्गन्ध उठ रही है।
फाणितात् गुडम् उत्पद्यते
= राब से गुड़ बनता है।
हिमालयात् गङ्गा प्रभवति
= हिमालय से गंगा निकलती है।
स्वर्णकारः स्वर्णाद् आभूषणानि रचयति
= सुनार सोने से आभूषण बनाता है।
कुम्भकारः मृत्तिकायाः मृण्मयानि वस्तूनि विदधाति
= कुम्हार मिट्टी से मिट्टि की चीजें बनाता है।
तन्तुवायः तन्तुभ्यः वस्त्रं स्त्रं वयति
= जुलाहा धागों से कपड़ा बुनता है।
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः। यज्ञाद् भवति पर्जन्यो यज्ञकर्मसमुद्भवः।
= अन्न से भूत = प्राणी उत्पन्न होते हैं, वर्षा से अन्न, यज्ञ से वर्षा और मानवों के कर्मों से यज्ञ उत्पन्न होता है।
प्रकृतेः सृष्टिः प्रादुर्भवति
= सत्त्व-रजस्-तमस् रूप प्रकृति से सृष्टि बनती है।
अभावद् भावो न जायते
= शून्य से सृजन नहीं होता।
न शशशृङ्गात् वस्तूनि निर्मीयन्ते
= खरगोश के सींग से वस्तुएं नहीं बनतीं।
कटिजाद् धानाः व्रीहिभ्यः भिस्सटाः यवेभ्यश्च लाजाः जायन्ते
= मक्के से मक्के का फूला (पापकार्न), चावल (छिलके सहित) से ममरा और जौ से लाजा (खील) बनते हैं।
#vakyabhyas
Admission Ad AY 2022-23.pdf
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Admission Ad AY 2022-23.pdf
. ॐ
पिता - अद्यतन-धावनस्पर्धायां भवता विजयः प्राप्तः किम् ?
पुत्रः - न पितृवर्य !
पिता - कियत् शोच्यं रे ! ( how pitiable !) अरे भोः! शिवाजि-महाराजः भवत्समवयस्कः ( of your age ) आसीत् तदा तेन दुर्गद्वयं प्राप्तम् आसीत् !
पुत्रः - सत्यम् एव पितृवर्य ! किन्तु यदा महाराजः भवत्समवयस्कः आसीत् तदा सः छत्रपति-नृपः अभवत् खलु !
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
पिता - अद्यतन-धावनस्पर्धायां भवता विजयः प्राप्तः किम् ?
पुत्रः - न पितृवर्य !
पिता - कियत् शोच्यं रे ! ( how pitiable !) अरे भोः! शिवाजि-महाराजः भवत्समवयस्कः ( of your age ) आसीत् तदा तेन दुर्गद्वयं प्राप्तम् आसीत् !
पुत्रः - सत्यम् एव पितृवर्य ! किन्तु यदा महाराजः भवत्समवयस्कः आसीत् तदा सः छत्रपति-नृपः अभवत् खलु !
-------- संस्कृतानन्दः ।
#hasya
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
निषिध्य निखिलोपाधीन्नेति नेतीति वाक्यतः।
विद्यादैक्यं महावाक्यैर्जीवात्मपरमात्मनोः।।30।।
30. By a process of negation of the conditionings (Upadhis) through the help of the scriptural statement’It is not this, It is not this’, the oneness of the individual soul and the Supreme Soul, as indicated by the great Mahavakyas, has to be realised.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 30:
आत्म-बोध के 30th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की आत्मा को स्वप्रकाश जानने के बाद एवं उसको अन्य किसी प्रकाशक से प्रकाशित करने की अनावश्यकता देखने के बाद - हमें अपनी उपाधियों के साथ तादात्म्य को शनैः-शनैः बाधित करना चाहिए। इसको ही उपनिषदों में नेति-नेति की प्रक्रिया कहते हैं। रस्सी को रस्सी जानने के लिए पहले सर्प-बुद्धि समाप्त होनी चाहिए, उसी तरह से आत्मा को आत्मा जानने के लिए अनात्म के साथ अभिमान समाप्त होना परम आवश्यक होता है। उसके बाद अपने परमात्मा के साथ ऐक्य देखना चाहिए।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
निषिध्य निखिलोपाधीन्नेति नेतीति वाक्यतः।
विद्यादैक्यं महावाक्यैर्जीवात्मपरमात्मनोः।।30।।
30. By a process of negation of the conditionings (Upadhis) through the help of the scriptural statement’It is not this, It is not this’, the oneness of the individual soul and the Supreme Soul, as indicated by the great Mahavakyas, has to be realised.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 30:
आत्म-बोध के 30th श्लोक में आचार्यश्री हमें बता रहे हैं की आत्मा को स्वप्रकाश जानने के बाद एवं उसको अन्य किसी प्रकाशक से प्रकाशित करने की अनावश्यकता देखने के बाद - हमें अपनी उपाधियों के साथ तादात्म्य को शनैः-शनैः बाधित करना चाहिए। इसको ही उपनिषदों में नेति-नेति की प्रक्रिया कहते हैं। रस्सी को रस्सी जानने के लिए पहले सर्प-बुद्धि समाप्त होनी चाहिए, उसी तरह से आत्मा को आत्मा जानने के लिए अनात्म के साथ अभिमान समाप्त होना परम आवश्यक होता है। उसके बाद अपने परमात्मा के साथ ऐक्य देखना चाहिए।
#Atmabodha
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : भारतीयसेना
(Bhartiya military)
दिनाङ्कः : 03rd March 2022,
गुरुवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(भारतीयसैन्यस्य पराक्रमं सैन्याभियानं युद्धविवरणं वा वदन्तु।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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(Bhartiya military)
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गुरुवासरः
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🍃
♦️ananyaashchintayanto maaM ye janaaH paryupaasate|
teShaaM nityaabhiyuktaanaaM yogakShemaM vahaamyaham9.22
⚜To those ever steadfast devotees, who always remember or worship Me with single-minded contemplation, I personally take responsibility for their welfare. (9.22)
⚜अनन्य भाव से मेरा चिन्तन करते हुए जो भक्तजन मेरी ही उपासना करते हैं? उन नित्ययुक्त पुरुषों का योगक्षेम मैं वहन करता हूँ।।9.22।।
#geeta
अनन्याश्िचन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्
।।9.22।।♦️ananyaashchintayanto maaM ye janaaH paryupaasate|
teShaaM nityaabhiyuktaanaaM yogakShemaM vahaamyaham
⚜To those ever steadfast devotees, who always remember or worship Me with single-minded contemplation, I personally take responsibility for their welfare. (9.22)
⚜अनन्य भाव से मेरा चिन्तन करते हुए जो भक्तजन मेरी ही उपासना करते हैं? उन नित्ययुक्त पुरुषों का योगक्षेम मैं वहन करता हूँ।।9.22।।
#geeta
🍃
♦️ye'pyanyadevataa bhaktaa yajante shraddhayaa'nvitaaH|
te'pi maameva kaunteya yajantyavidhipuurvakam9.23
⚜O Arjuna, even those devotees who worship demigods with faith, they too worship Me, but in an improper way. (9.23)
⚜हे कौन्तेय श्रद्धा से युक्त जो भक्त अन्य देवताओं को पूजते हैं वे भी मुझे ही अविधिपूर्वक पूजते हैं।।9.23।।
#geeta
येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयाऽन्विताः।
तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम्
।।9.23।।♦️ye'pyanyadevataa bhaktaa yajante shraddhayaa'nvitaaH|
te'pi maameva kaunteya yajantyavidhipuurvakam
⚜O Arjuna, even those devotees who worship demigods with faith, they too worship Me, but in an improper way. (9.23)
⚜हे कौन्तेय श्रद्धा से युक्त जो भक्त अन्य देवताओं को पूजते हैं वे भी मुझे ही अविधिपूर्वक पूजते हैं।।9.23।।
#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि 09:36 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅ दिनांक - 03 मार्च 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद 04 मार्च रात्रि 01:56 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - साध्य 04 मार्च रात्रि 03:29 तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:19 से शाम 03:57 तक
⛅ सूर्योदय - 06:58
⛅ सूर्यास्त - 18:42
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
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⛅ मास - फाल्गुन
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⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद 04 मार्च रात्रि 01:56 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - साध्य 04 मार्च रात्रि 03:29 तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:19 से शाम 03:57 तक
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⛅ सूर्यास्त - 18:42
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : भारतीयसेना
(Bhartiya military)
दिनाङ्कः : 03rd March 2022,
गुरुवासरः
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वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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