चिकित्सकः (रोगिणं प्रति)- बहुः कृशकायः असि त्वम् ...
फलानि खाद आवरणेन सह।
(अग्रिमे दिवसे)
रोगी - भोः चिकित्सकवर्य!
बहुः उदरवेदना भवति कृपया किमपि करोतु।
चिकित्सकः - किम् खादितवान् त्वम्?
रोगी - नारिकेलम् आवरणेन सह।
😂😝😆
#hasya
फलानि खाद आवरणेन सह।
(अग्रिमे दिवसे)
रोगी - भोः चिकित्सकवर्य!
बहुः उदरवेदना भवति कृपया किमपि करोतु।
चिकित्सकः - किम् खादितवान् त्वम्?
रोगी - नारिकेलम् आवरणेन सह।
😂😝😆
#hasya
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सदा सर्वगतोऽप्यात्मा न सर्वत्रावभासते।
बुद्धावेवावभासेत स्वच्छेषु प्रतिबिम्बवत्।।17।।
17. The Atman does not shine in everything although He is All-pervading. He is manifest only in the inner equipment, the intellect (Buddhi): just as the reflection in a clean mirror.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 17 :
आत्म-बोध के 17th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में हमें आचार्यश्री बता रहे हैं की यद्यपि हम सब की आत्मा सर्वव्यापी ब्रह्म है लेकिन ये हमें हर जगह दिखाई नहीं दे सकती है। जैसे हम सबका प्रतिबिम्ब यद्यपि हर जगह मंद रूप से होने के बावजूद हमें हर जगह दिखाई नहीं देता है, लेकिन दर्पण जैसे उपकरण में दिखाई दे जाता है। उसी तरह से आत्मा का साक्षात्कार केवल एक शुद्ध अंतःकरण में ही दिखाई देता है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
सदा सर्वगतोऽप्यात्मा न सर्वत्रावभासते।
बुद्धावेवावभासेत स्वच्छेषु प्रतिबिम्बवत्।।17।।
17. The Atman does not shine in everything although He is All-pervading. He is manifest only in the inner equipment, the intellect (Buddhi): just as the reflection in a clean mirror.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 17 :
आत्म-बोध के 17th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में हमें आचार्यश्री बता रहे हैं की यद्यपि हम सब की आत्मा सर्वव्यापी ब्रह्म है लेकिन ये हमें हर जगह दिखाई नहीं दे सकती है। जैसे हम सबका प्रतिबिम्ब यद्यपि हर जगह मंद रूप से होने के बावजूद हमें हर जगह दिखाई नहीं देता है, लेकिन दर्पण जैसे उपकरण में दिखाई दे जाता है। उसी तरह से आत्मा का साक्षात्कार केवल एक शुद्ध अंतःकरण में ही दिखाई देता है।
#Atmabodha
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 18th February 2022,
शुक्रवासरः
Please Join the voicechat on time.
😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु। ) इत्यस्मिन् चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु⏰
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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🍃
♦️agnirjyotirahaH shuklaH ShaNmaasaa uttaraayaNam|
tatra prayaataa gachChanti brahma brahmavido janaaH8.24
⚜️Fire, light daytime, the bright fortnight, the six months of the northern path of the sun (the northern solstice) departing then (by these) men who know brahman go to brahman. 8.24
⚜️जो ब्रह्मविद् साधकजन मरणोपरान्त अग्नि ज्योति दिन शुक्लपक्ष और उत्तरायण के छः मास वाले मार्ग से जाते हैं वे ब्रह्म को प्राप्त होते हैं।। ८.२४ ।।
#geeta
अग्निर्ज्योतिरहः शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम्।
तत्र प्रयाता गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्मविदो जनाः
।। ८.२४ ।।♦️agnirjyotirahaH shuklaH ShaNmaasaa uttaraayaNam|
tatra prayaataa gachChanti brahma brahmavido janaaH
⚜️जो ब्रह्मविद् साधकजन मरणोपरान्त अग्नि ज्योति दिन शुक्लपक्ष और उत्तरायण के छः मास वाले मार्ग से जाते हैं वे ब्रह्म को प्राप्त होते हैं।। ८.२४ ।।
#geeta
🍃
♦️dhuumo raatristathaa kRRiShNaH ShaNmaasaa dakShiNaayanam|
tatra chaandramasaM jyotiryogii praapya nivartate8.25
⚜Attaining to the lunar light by smoke, night time, the dark fortnight also, the six months of the southern path of the sun (the southern solstice), the Yogi returns. 8.25
⚜धूम रात्रि कृष्णपक्ष और दक्षिणायन के छः मास वाले मार्ग से चन्द्रमा की ज्योति को प्राप्त कर योगी (संसार को) लौटता है।। ८.२५ ।।
#geeta
धूमो रात्रिस्तथा कृष्णः षण्मासा दक्षिणायनम्।
तत्र चान्द्रमसं ज्योतिर्योगी प्राप्य निवर्तते
।। ८.२५ ।।♦️dhuumo raatristathaa kRRiShNaH ShaNmaasaa dakShiNaayanam|
tatra chaandramasaM jyotiryogii praapya nivartate
⚜Attaining to the lunar light by smoke, night time, the dark fortnight also, the six months of the southern path of the sun (the southern solstice), the Yogi returns. 8.25
⚜धूम रात्रि कृष्णपक्ष और दक्षिणायन के छः मास वाले मार्ग से चन्द्रमा की ज्योति को प्राप्त कर योगी (संसार को) लौटता है।। ८.२५ ।।
#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि १०:२९ तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ दिनांक - १८ फरवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत ऋतु
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी शाम ०४:४२ तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅ योग - सुकर्मा शाम ०६:३१ तक तत्पश्चात धृति
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२६ से दोपहर १२:५३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०८
⛅ सूर्यास्त - १८:३६
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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⛅ योग - सुकर्मा शाम ०६:३१ तक तत्पश्चात धृति
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२६ से दोपहर १२:५३ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०८
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⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
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हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 18th February 2022,
शुक्रवासरः
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Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/r95DP-2f-6A
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | विदेश मंत्री एस जयशंकर जर्मनी और फ्रांस के दौरे पर
उदारस्य तृणं वित्तं शूरस्य मरणं तृणं |
विरक्तस्य तृणं भार्या निस्पृहस्य तृणं जगत् ||
For a generous person money or wealth is insignificant (like a blade of grass), for a warrior the prospect of facing death is immaterial. Likewise , a person unattached to family life has no interest in his wife, and for a person having no desires this living Earth is immaterial.
उदारस्य - for a generous person
शूरस्य - for a warrior, a brave person
तृणं - a blade of grass (insignificant,immaterial and having no value)
मरणं - death
विरक्तस्य - for a person unattached to family life
भार्या - wife
निस्पृहस्य - for a person having no desire
जगत् - this living Earth, World
#Subhashitam
विरक्तस्य तृणं भार्या निस्पृहस्य तृणं जगत् ||
For a generous person money or wealth is insignificant (like a blade of grass), for a warrior the prospect of facing death is immaterial. Likewise , a person unattached to family life has no interest in his wife, and for a person having no desires this living Earth is immaterial.
उदारस्य - for a generous person
शूरस्य - for a warrior, a brave person
तृणं - a blade of grass (insignificant,immaterial and having no value)
मरणं - death
विरक्तस्य - for a person unattached to family life
भार्या - wife
निस्पृहस्य - for a person having no desire
जगत् - this living Earth, World
#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(यदि उपसर्गपूर्वक क्रुध् या द्रुह् धातु का प्रयोग किया गया हो तो जिसके प्रति क्रोध या द्रोह किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होती है, अतः उसमें द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।) मन्थरया प्रेरिता कैकेयी दशरथम् अभ्यक्रुध्यत् = मन्थरा से प्रेरित कैकेयी ने दशरथ…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१६) चतुर्थी विभक्ति (३)
(स्पृह् धातु के साथ इष्ट वस्तु की सम्प्रदान संज्ञा होती है, अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
सुधा सुधायै स्पृहयति = सुधा अमृत को चाहती है।
यशस्वी यशसे स्पृहयति
= यशस्वी यश को चाहता है।
न जातुचित् धनाय अस्पृहम् अहम्
= मैंने कभी धन को नहीं चाहा।
महाकुलेभ्यः स्पृहयन्ति देवाः धर्मार्थनित्याश्च बहुश्रुताश्च
= धर्म अर्थ में नित्य प्रवृत्त और बहुज्ञानी विद्वान् लोग श्रेष्ठ कुलों को चाहते हैं।
न दुरुक्ताय स्पृहयेत्
= दुष्ट वचन कहनेवाले को न चाहें।
इच्छन्ति देवाः सुन्वन्तं न स्वप्नाय स्पृहयन्ति
= देव लोग यज्ञ करनेवालों को चाहते हैं, आलसी याने सुस्तों को नहीं।
कस्यचिद् धनं भो..? कथं धनाय स्पृहयति ?
= धन किसका है भाई..? क्यों धन को चाहते हो ?
ज्ञानाय स्पृहय, तदेव सन्मित्रम्
= ज्ञान को चाहो, वही सच्चा साथी है।
गर्धी सदैव परकीयाय धनाय स्पृहयिष्यति = लोभी सदैव पराए धन को चाहेगा।
भरतः रामाय राज्यम् अपीस्पृहत्
= भरत ने राम के लिए राज्य चाहा।
दुर्योधनः आत्मने राज्यं स्पृहयाञ्चकार
= दुर्योधन ने अपने लिए राज्य चाहा।
परिक्षीणः कश्चित् स्पृहयति यवानां प्रसृतये
= कोई क्षीण पुरुष तो मुट्ठीभर जौ के लिए तरसता है।
स पश्चात् सम्पूर्णो गणयति धरित्रीं तृणसमाम्
= परन्तु सम्पन्न होने पर वही व्यक्ति सारे संसार को तिनके के समान तुच्छ समझता है।
(धारि = ऋण लेना धातु के प्रयोग में ऋण देनेवाले की सम्प्रदान संज्ञा होती है अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
यज्ञदत्तः देवदत्ताय शतं धारयति
= यज्ञदत्त देवदत्त से सौ रुपए ऋण लेता है।
अन्तेवासी गुरवे विद्यां धारयति
= शिष्य गुरु से विद्या का ऋणी है।
पुत्रः पित्रे पालनं धारयति
= पुत्र पिता से पालन-पोषण का ऋणी है।
सर्वे धात्रे सर्वं धारयति
= सब धाता से सब चीजों के लिए ऋणी हैं।
(प्रति+श्रु तथा आ+श्रु धातु के साथ किसी के द्वारा मांगने पर देने की प्रतिज्ञा करने अर्थ में जिससे प्रतिज्ञा करता है उसकी सम्प्रज्ञान संज्ञा होती है तथा उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
विप्राय गां प्रतिशृणोति
= ब्राह्मण को गाय देने की प्रतिज्ञा करता है।
जनकः आत्मजायै चाकलेहम् आशृणोति
= (बेटी के द्वारा मांगने पर) पिता बेटी को चॉकलेट देने की प्रतिज्ञा करता है।
सर्वे सर्वकाराय न्याय्यान् कारान् प्रतिशृणुयुः / आशृणुयुः
= सरकार को उचित कर देने की सब प्रतिज्ञा करें / करनी चाहिए।
यमः नचिकेतसे उपनिषद्विद्यां प्रत्याशृणोत् / आशृणोत्
= यम ने नचिकेता को उपनिषद विद्या देने की प्रतिज्ञा की।
श्रेष्ठी आजीवनं व्ययभारं वोढुं गुरुकुलछात्राय प्रतिश्रोष्यति / आश्रोष्यति
= धनी सेठ ने गुरुकुल के छात्र का आजीवन व्ययभार वहन करने की प्रतिज्ञा ली।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ : (१६) चतुर्थी विभक्ति (३)
(स्पृह् धातु के साथ इष्ट वस्तु की सम्प्रदान संज्ञा होती है, अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
सुधा सुधायै स्पृहयति = सुधा अमृत को चाहती है।
यशस्वी यशसे स्पृहयति
= यशस्वी यश को चाहता है।
न जातुचित् धनाय अस्पृहम् अहम्
= मैंने कभी धन को नहीं चाहा।
महाकुलेभ्यः स्पृहयन्ति देवाः धर्मार्थनित्याश्च बहुश्रुताश्च
= धर्म अर्थ में नित्य प्रवृत्त और बहुज्ञानी विद्वान् लोग श्रेष्ठ कुलों को चाहते हैं।
न दुरुक्ताय स्पृहयेत्
= दुष्ट वचन कहनेवाले को न चाहें।
इच्छन्ति देवाः सुन्वन्तं न स्वप्नाय स्पृहयन्ति
= देव लोग यज्ञ करनेवालों को चाहते हैं, आलसी याने सुस्तों को नहीं।
कस्यचिद् धनं भो..? कथं धनाय स्पृहयति ?
= धन किसका है भाई..? क्यों धन को चाहते हो ?
ज्ञानाय स्पृहय, तदेव सन्मित्रम्
= ज्ञान को चाहो, वही सच्चा साथी है।
गर्धी सदैव परकीयाय धनाय स्पृहयिष्यति = लोभी सदैव पराए धन को चाहेगा।
भरतः रामाय राज्यम् अपीस्पृहत्
= भरत ने राम के लिए राज्य चाहा।
दुर्योधनः आत्मने राज्यं स्पृहयाञ्चकार
= दुर्योधन ने अपने लिए राज्य चाहा।
परिक्षीणः कश्चित् स्पृहयति यवानां प्रसृतये
= कोई क्षीण पुरुष तो मुट्ठीभर जौ के लिए तरसता है।
स पश्चात् सम्पूर्णो गणयति धरित्रीं तृणसमाम्
= परन्तु सम्पन्न होने पर वही व्यक्ति सारे संसार को तिनके के समान तुच्छ समझता है।
(धारि = ऋण लेना धातु के प्रयोग में ऋण देनेवाले की सम्प्रदान संज्ञा होती है अतः उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
यज्ञदत्तः देवदत्ताय शतं धारयति
= यज्ञदत्त देवदत्त से सौ रुपए ऋण लेता है।
अन्तेवासी गुरवे विद्यां धारयति
= शिष्य गुरु से विद्या का ऋणी है।
पुत्रः पित्रे पालनं धारयति
= पुत्र पिता से पालन-पोषण का ऋणी है।
सर्वे धात्रे सर्वं धारयति
= सब धाता से सब चीजों के लिए ऋणी हैं।
(प्रति+श्रु तथा आ+श्रु धातु के साथ किसी के द्वारा मांगने पर देने की प्रतिज्ञा करने अर्थ में जिससे प्रतिज्ञा करता है उसकी सम्प्रज्ञान संज्ञा होती है तथा उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।)
विप्राय गां प्रतिशृणोति
= ब्राह्मण को गाय देने की प्रतिज्ञा करता है।
जनकः आत्मजायै चाकलेहम् आशृणोति
= (बेटी के द्वारा मांगने पर) पिता बेटी को चॉकलेट देने की प्रतिज्ञा करता है।
सर्वे सर्वकाराय न्याय्यान् कारान् प्रतिशृणुयुः / आशृणुयुः
= सरकार को उचित कर देने की सब प्रतिज्ञा करें / करनी चाहिए।
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= यम ने नचिकेता को उपनिषद विद्या देने की प्रतिज्ञा की।
श्रेष्ठी आजीवनं व्ययभारं वोढुं गुरुकुलछात्राय प्रतिश्रोष्यति / आश्रोष्यति
= धनी सेठ ने गुरुकुल के छात्र का आजीवन व्ययभार वहन करने की प्रतिज्ञा ली।
#vakyabhyas
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (Markdown)
By Telegram Channel @samskrt_samvadah
संस्कृत सीखने के तरीकें—
(Methods of Learning Sanskrit)
⭐️ पुस्तक(Available at nearby bookstores) :–
१.संस्कृत स्वयं शिक्षक — Best Book
Buy —https://www.amazon.in/dp/8170285747/ref=cmswrcpapaglcfabc64GJHK9QRS23B3ZWK8KJ
PDF
२. गीतासोपान — संस्कृत भारती
३.NCERT BOOKS
आपको इस एप में सभी संस्कृत के NCERT पुस्तके मिल जायेंगी
४. A Rapid Sanskrit Method
Buy
PDF
५. Medha Michika
६. Learn Sanskrit in 30 days
Buy
PDF
७. SamskrutaShri Patamala — Tamil Medium
⭐️ Videos :–
१.Video Series by Knowledgelogy — हिंदी माध्यम
२. Video series by Sanskrit.Today — English medium
३. Central Sanskrit University — Sanskrit Medium
४. IIT Kharagpur — Prof. Anuradha Chaudhary
५. Samskrita Bharati USA — Dr.K.N. Padma Kumar
६. कैलाश शर्मा — हिंदी माध्यम
७. Sanskrit Bhasha Bodha
→Go to playlists
⭐️ Mobile Apps
१.Language Curry — Live Sessions available
→Android
→IOS
२. Sanskrit Safalyam
३. Samskrit Tutorial
४. Little Guru — Under Development
५. Samskrit Bharati Kerela
⭐️ Websites
१. संस्कृत भारती
•पत्राचार
•चलचित्र
२. Practical Sanskrit — English medium
३. अमरहासम्
४.Acharya — English medium
५. Good for foreigners
६. Udemy — English medium
७. Vyoma Labs
८. Memrise
९. Learn Sanskrit through Ramayan
१०. Open Pathshala
११. स्वयंप्रभा
→ Search🔍 Sanskrit in the box there.
१२. Agastya gurukulam — Good for foreigner kids
→ Jignasa — For 6-11 years old
→ Pragnyaa — For 12-18 years old
१३. Sanskrit Guide — English medium
⭐ Others (अन्य)
१. Email this for guidance
vidyadhar@learnsanskritonline.com
२. संस्कृत संभाषण शिविर
३. Get a home tutor
४. एक संस्कृत विद्यालय में दाखिला लें (Admission)
५. Sanskrit TV Channel — Available on Jio TV
💥Comment down If you know other good methods or need help with any method
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८. Memrise
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१३. Sanskrit Guide — English medium
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