संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(सं + वद् तथा अनु + हृ के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।) अस्याः मुखं मातुः मुखेन संवदति = चेहरे से अपनी मांपर गया है। मुखेन मातरम् अनुहरति = मां के जैसा ही इसका भी चेहरा है। प्रद्युम्नः दर्शनेन कृष्णम् अनुहरति स्म = प्रद्युम्न दिखने में हूबहू कृष्ण…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (१४) चतुर्थी विभक्ति (१)
(जिसको लक्षित करके क्रिया की जाए, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है। सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है।)
माता माणवकाय मोदकं यच्छति।
• माता बच्चे को लड्डू देती है।
राता राङ्कवेभ्यः रातिं राति।
• दाता कम्बलों के लिए दान दे रहा है।
रैपतिः रोगिभ्यः रुप्यकाणि अरात्।
• धनपति ने रोगियों को पैसे दिए।
गालिवन्तः सर्वेभ्यः गालिं ददति।
• गाली बकनेवाले सभी को गाली देते हैं।
सुदामा कृष्णाय तण्डुलान् ददे।
• सुदामा ने कृष्ण को चावल दिए।
दिव्या दरिद्राय द्रविणं ददते।
• दिव्या गरीब को धन देती है।
द्रुपदः अर्जुनाय द्रौपदीम् अददत्।
• द्रुपद ने अर्जुन को द्रौपदी दी।
संन्यसितुकामः सर्ववेदसं सर्वेभ्यः ददिष्यते।
• संन्यास की कामनावाला सकल धनसम्पत्ति सभी को देगा।
नचिकेता पितरं होवाच कस्मै मां दास्यति।
• नचिकेता ने पिता से पूछा मुझे (आप) किसे दोगे?
स होवाच मृत्यवे त्वा ददामि।
• उसने कहा मैं तुझे मृत्यु को देता हूं।
वाजश्रवसः ब्राह्मणाय पीतोदकाः जग्धतृणाः दुग्धदोहाः निरिन्द्रियाः गाः ररौ।
• वाजश्रवस् ने ब्राह्मणों को जो पानी पी चुकी हैं, घास खा चुकी हैं, जिनका दूध दुहा जा चुका है, जो शिथिल इन्द्रियोंवाली हैं एसी बूढी गाएं दान में दीं।
श्वः भरतः रामाय राज्यं रास्यति।
• कल भरत राम को राज्य देगा।
चाणक्यः चन्द्रगुप्ताय नन्दराज्यम् अरासीत्।
• चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को नन्दराज्य दिया।
दुर्योधनः पाण्डवेभ्यः सूचिकाग्रम् अपि राज्यं न अददिष्ट।
• दुर्योधन ने पाण्डवों को सुई की नोक जितना भी राज्य नहीं दिया।
विश्पतिः विशे वेदान् सनोति।
• प्रजाओं का स्वामी प्रजाओं के लिए वेदज्ञान देता है।
श्रीमान् स्वर्गाय श्रियं सनिष्यति।
• धनवान् स्वर्ग के लिए श्री को देगा।
जातवेदसे सुनवाम सोमम्।
• उत्पन्न हुए समस्त पदार्थों को प्राप्त ईश्वर के लिए श्रेष्ठ पदार्थ समर्पित करें।
श्रीकामः पात्राय सातिं सनुयात् सर्वदा।
• धन की कामनावाला पात्र व्यक्ति को सदा दान देवे।
ईश्वरः ऋषिभ्यः वेदान् उपदिशति।
• ईश्वर ऋषियों को वेदों का उपदेश देता है।
कथिकः अस्मभ्यं कथाः कथयति।
• कथाकार हमें कथाएं सुनाता है।
कथाकारः बालकेभ्यः लघुकथाः अचीकथत्।
• कथाकार ने बच्चों के लिए लघुकथाएं कहीं।
सृष्ट्यादावीश्वरः अन्तःप्रेरणया ऋषिभ्यः ज्ञानं ददाति।
• आदि सृष्टि में ईश्वर ऋषियों को अन्तःप्रेरणा से ज्ञान देता है।
रामः सुग्रीवाय कपिराज्यम् अयच्छत्।
• राम ने सुग्रीव को वानरराज्य प्रदान किया।
वीराः स्वमातृभूमये स्वजीवनं ददुः।
• वीरों ने मातृभूमि को जीवनदान किया।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ (१४) चतुर्थी विभक्ति (१)
(जिसको लक्षित करके क्रिया की जाए, उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है। सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है।)
माता माणवकाय मोदकं यच्छति।
• माता बच्चे को लड्डू देती है।
राता राङ्कवेभ्यः रातिं राति।
• दाता कम्बलों के लिए दान दे रहा है।
रैपतिः रोगिभ्यः रुप्यकाणि अरात्।
• धनपति ने रोगियों को पैसे दिए।
गालिवन्तः सर्वेभ्यः गालिं ददति।
• गाली बकनेवाले सभी को गाली देते हैं।
सुदामा कृष्णाय तण्डुलान् ददे।
• सुदामा ने कृष्ण को चावल दिए।
दिव्या दरिद्राय द्रविणं ददते।
• दिव्या गरीब को धन देती है।
द्रुपदः अर्जुनाय द्रौपदीम् अददत्।
• द्रुपद ने अर्जुन को द्रौपदी दी।
संन्यसितुकामः सर्ववेदसं सर्वेभ्यः ददिष्यते।
• संन्यास की कामनावाला सकल धनसम्पत्ति सभी को देगा।
नचिकेता पितरं होवाच कस्मै मां दास्यति।
• नचिकेता ने पिता से पूछा मुझे (आप) किसे दोगे?
स होवाच मृत्यवे त्वा ददामि।
• उसने कहा मैं तुझे मृत्यु को देता हूं।
वाजश्रवसः ब्राह्मणाय पीतोदकाः जग्धतृणाः दुग्धदोहाः निरिन्द्रियाः गाः ररौ।
• वाजश्रवस् ने ब्राह्मणों को जो पानी पी चुकी हैं, घास खा चुकी हैं, जिनका दूध दुहा जा चुका है, जो शिथिल इन्द्रियोंवाली हैं एसी बूढी गाएं दान में दीं।
श्वः भरतः रामाय राज्यं रास्यति।
• कल भरत राम को राज्य देगा।
चाणक्यः चन्द्रगुप्ताय नन्दराज्यम् अरासीत्।
• चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को नन्दराज्य दिया।
दुर्योधनः पाण्डवेभ्यः सूचिकाग्रम् अपि राज्यं न अददिष्ट।
• दुर्योधन ने पाण्डवों को सुई की नोक जितना भी राज्य नहीं दिया।
विश्पतिः विशे वेदान् सनोति।
• प्रजाओं का स्वामी प्रजाओं के लिए वेदज्ञान देता है।
श्रीमान् स्वर्गाय श्रियं सनिष्यति।
• धनवान् स्वर्ग के लिए श्री को देगा।
जातवेदसे सुनवाम सोमम्।
• उत्पन्न हुए समस्त पदार्थों को प्राप्त ईश्वर के लिए श्रेष्ठ पदार्थ समर्पित करें।
श्रीकामः पात्राय सातिं सनुयात् सर्वदा।
• धन की कामनावाला पात्र व्यक्ति को सदा दान देवे।
ईश्वरः ऋषिभ्यः वेदान् उपदिशति।
• ईश्वर ऋषियों को वेदों का उपदेश देता है।
कथिकः अस्मभ्यं कथाः कथयति।
• कथाकार हमें कथाएं सुनाता है।
कथाकारः बालकेभ्यः लघुकथाः अचीकथत्।
• कथाकार ने बच्चों के लिए लघुकथाएं कहीं।
सृष्ट्यादावीश्वरः अन्तःप्रेरणया ऋषिभ्यः ज्ञानं ददाति।
• आदि सृष्टि में ईश्वर ऋषियों को अन्तःप्रेरणा से ज्ञान देता है।
रामः सुग्रीवाय कपिराज्यम् अयच्छत्।
• राम ने सुग्रीव को वानरराज्य प्रदान किया।
वीराः स्वमातृभूमये स्वजीवनं ददुः।
• वीरों ने मातृभूमि को जीवनदान किया।
#vakyabhyas
(चिकित्सकः कोरोनारोगिणं पृच्छति)
चिकित्सकः - तव अन्तिमा इच्छा का अस्ति ?
रोगी - जीवने यैः जनैः सह मम क्लेशः अस्ति तान् आलिङ्ग्य क्षमायाचनं कर्तुम् इच्छामि।😷
#hasya
चिकित्सकः - तव अन्तिमा इच्छा का अस्ति ?
रोगी - जीवने यैः जनैः सह मम क्लेशः अस्ति तान् आलिङ्ग्य क्षमायाचनं कर्तुम् इच्छामि।😷
#hasya
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
नानोपाधिवशादेव जातिनामाश्रमादयः।
आत्मन्यारोपितास्तोये रसवर्णादिभेदवत्।।11।।
11. Because of Its association with different conditionings (Upadhis) such ideas as caste, colour and position are super-imposed upon the Atman, as flavour, colour, etc., are super-imposed on water.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 11 :
आत्म-बोध के 11th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें यह बता रहे हैं की मनुष्यों का व्यावहारिक भेद एक सच्चाई है लेकिन गहराई में सब दिव्य हैं, और अगर वे चाहें तो अपनी प्रकृति को सुन्दर बनाकर अपने दिव्य स्वरुप का साक्षात्कार कर सकते हैं। व्यवहार में भेद के आधार से ही कर्तव्यताओं का निर्धारण होता है। उपाधि हमारी कैसी हो यह हम सब जैसी भी चाहे वो बना सकते हैं। समस्त औपाधिक भेद आत्मा पर आरोपित होते हैं अर्थातृ उपाधि आत्मा को स्पर्श तक नहीं करती है।
#Atmabodha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
नानोपाधिवशादेव जातिनामाश्रमादयः।
आत्मन्यारोपितास्तोये रसवर्णादिभेदवत्।।11।।
11. Because of Its association with different conditionings (Upadhis) such ideas as caste, colour and position are super-imposed upon the Atman, as flavour, colour, etc., are super-imposed on water.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 11 :
आत्म-बोध के 11th श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी ने बताया की इस श्लोक में भी आचार्य हमें यह बता रहे हैं की मनुष्यों का व्यावहारिक भेद एक सच्चाई है लेकिन गहराई में सब दिव्य हैं, और अगर वे चाहें तो अपनी प्रकृति को सुन्दर बनाकर अपने दिव्य स्वरुप का साक्षात्कार कर सकते हैं। व्यवहार में भेद के आधार से ही कर्तव्यताओं का निर्धारण होता है। उपाधि हमारी कैसी हो यह हम सब जैसी भी चाहे वो बना सकते हैं। समस्त औपाधिक भेद आत्मा पर आरोपित होते हैं अर्थातृ उपाधि आत्मा को स्पर्श तक नहीं करती है।
#Atmabodha
https://youtu.be/xbmfEvoAvGs
#SanskritCarnaticMusic
Pallavi
हिमगिरि तनये हेम लते अम्ब
ईश्र्वरि स्रिललिते मामव
Oh my mother who is daughter of the ice mountain,
Who is a golden climber, who is goddess Lalitha
Anupallavi
राम वनि संसेवित सकले
राज राज्स्वरि राम सहोदरी
Goddess who is served by Saraswathi and Lakshmi,
Goddess Rajarajeswari , Goddess who is sister of Rama.
Charanam
पसन्कुस दण्ड करे अम्ब
परात्परे निज भक्त परे
एकंबर हरिकेस विलासे
आनन्द रूपे अमित प्रतापे ||
Oh mother who holds rope , goad and a stick in her hands,
Who is most divine , Who helps real devotees cross the ocean of birth,
Who is dressed in desire , who lives in Harikesava Nallur
Who has an endless form and who is famous as deathless one.
#SanskritCarnaticMusic
Pallavi
हिमगिरि तनये हेम लते अम्ब
ईश्र्वरि स्रिललिते मामव
Oh my mother who is daughter of the ice mountain,
Who is a golden climber, who is goddess Lalitha
Anupallavi
राम वनि संसेवित सकले
राज राज्स्वरि राम सहोदरी
Goddess who is served by Saraswathi and Lakshmi,
Goddess Rajarajeswari , Goddess who is sister of Rama.
Charanam
पसन्कुस दण्ड करे अम्ब
परात्परे निज भक्त परे
एकंबर हरिकेस विलासे
आनन्द रूपे अमित प्रतापे ||
Oh mother who holds rope , goad and a stick in her hands,
Who is most divine , Who helps real devotees cross the ocean of birth,
Who is dressed in desire , who lives in Harikesava Nallur
Who has an endless form and who is famous as deathless one.
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Himagiri thanaye Hemalathe- Shuddha dhanyasi- Aditala- Muttaiyya Bhagavata
Sung by Nandini Rao Gujar
Violin- Pradesh C R
Mridangam- Aniruddh Bhat
Ghatam- Raghunandan
Raaga: Shudda dhanyaasi
22 kharaharapriya janya
Aa: S G2 M1 P N2 P S
Av: S N2 P M1 G2 S
taaLam: aadi
Composer: H.N. Muthiah Bhaagavatar
Language: Sanskrit
pallavi…
Violin- Pradesh C R
Mridangam- Aniruddh Bhat
Ghatam- Raghunandan
Raaga: Shudda dhanyaasi
22 kharaharapriya janya
Aa: S G2 M1 P N2 P S
Av: S N2 P M1 G2 S
taaLam: aadi
Composer: H.N. Muthiah Bhaagavatar
Language: Sanskrit
pallavi…
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : जल्पनम्।
(Gossip.)
दिनाङ्कः : 12th February 2022,
Saturday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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🍃
♦️sarvadvaaraaNi saMyamya mano hRRidi nirudhya cha|
muurdhnyaadhaayaatmanaH praaNamaasthito yogadhaaraNaam8.12
⚜Controlling all the (nine) doors of the body, the abode of consciousness; focusing the mind on the heart and Prana in the cerebrum, and engaged in yogic practice; (8.12)
⚜सब (इन्द्रियों के) द्वारों को संयमित कर मन को हृदय में स्थिर करके और प्राण को मस्तक में स्थापित करके योगधारणा में स्थित हुआ।।8.12।।
#geeta
सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च।
मूर्ध्न्याधायात्मनः प्राणमास्थितो योगधारणाम्
।।8.12।।♦️sarvadvaaraaNi saMyamya mano hRRidi nirudhya cha|
muurdhnyaadhaayaatmanaH praaNamaasthito yogadhaaraNaam
⚜Controlling all the (nine) doors of the body, the abode of consciousness; focusing the mind on the heart and Prana in the cerebrum, and engaged in yogic practice; (8.12)
⚜सब (इन्द्रियों के) द्वारों को संयमित कर मन को हृदय में स्थिर करके और प्राण को मस्तक में स्थापित करके योगधारणा में स्थित हुआ।।8.12।।
#geeta
🍃
♦️omityekaakSharaM brahma vyaaharanmaamanusmaran|
yaH prayaati tyajandehaM sa yaati paramaaM gatim8.13
⚜One who leaves the body while meditating on Brahman and uttering OM, the sacred monosyllable sound of Brahman, attains the Supreme goal. (8.13)
⚜जो पुरुष ओऽम् इस एक अक्षर ब्रह्म का उच्चारण करता हुआ और मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है वह परम गति को प्राप्त होता है।। 8.13 ।।
#geeta
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्
।। 8.13 ।।♦️omityekaakSharaM brahma vyaaharanmaamanusmaran|
yaH prayaati tyajandehaM sa yaati paramaaM gatim
⚜One who leaves the body while meditating on Brahman and uttering OM, the sacred monosyllable sound of Brahman, attains the Supreme goal. (8.13)
⚜जो पुरुष ओऽम् इस एक अक्षर ब्रह्म का उच्चारण करता हुआ और मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है वह परम गति को प्राप्त होता है।। 8.13 ।।
#geeta
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी शाम 04:27 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक - 12 फरवरी 2022
⛅ दिन - शनिवार
⛅ विक्रम संवत - 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - आर्द्रा पूर्ण रात्रि तक
⛅ योग - विष्कम्भ रात्रि 08:41 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅ राहुकाल - सुबह 10:02 से सुबह 11:28 तक
⛅ सूर्योदय - 07:12
⛅ सूर्यास्त - 18:33
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - एकादशी शाम 04:27 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक - 12 फरवरी 2022
⛅ दिन - शनिवार
⛅ विक्रम संवत - 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - आर्द्रा पूर्ण रात्रि तक
⛅ योग - विष्कम्भ रात्रि 08:41 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅ राहुकाल - सुबह 10:02 से सुबह 11:28 तक
⛅ सूर्योदय - 07:12
⛅ सूर्यास्त - 18:33
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
https://youtu.be/PrWL2N4uqy0
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s onl...
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*अमर्त्यवाणीविलासः*
(हिन्दी द्वारा बच्चों के संस्कृतिवर्धन पाठमाला)
*[अवधान-केवल बच्चों के लिये, कोई संस्कृतभाषाज्ञान की आवश्यकता नहीं]
अध्यापिका- सङ्का उषाराणी
प्रारंभ- 12 दिसेम्बर् 2021 (रविवार) से
पाठ्यांश- श्लोक, स्तोत्र, भजन, गीत, शिशुगीत
समयः- सप्ताह के 1 दिन, रविवार
प्रातः 11:00 से 12:00 तक
पूर्वपाठ-
https://www.youtube.com/c/SvarvaniPrakashaTheLightofSamskrtam/videos
माध्यम- ज़ूम् माध्यम द्वारा
प्रवेश सङ्केत- https://indicacademy.zoom.us/j/95467353855
प्रवेशसंख्या- 954 6735 3855
अधिक जानकारी हेतु- samskrta.usha@gmail.com
-स्वर्वाणीप्रकाशसेवानिकुञ्जम्
(यह पाठावली केवल अध्ययन करने हेतु है। यथोचित समय व श्रद्धा हो तभी प्रवेश करें)
(हिन्दी द्वारा बच्चों के संस्कृतिवर्धन पाठमाला)
*[अवधान-केवल बच्चों के लिये, कोई संस्कृतभाषाज्ञान की आवश्यकता नहीं]
अध्यापिका- सङ्का उषाराणी
प्रारंभ- 12 दिसेम्बर् 2021 (रविवार) से
पाठ्यांश- श्लोक, स्तोत्र, भजन, गीत, शिशुगीत
समयः- सप्ताह के 1 दिन, रविवार
प्रातः 11:00 से 12:00 तक
पूर्वपाठ-
https://www.youtube.com/c/SvarvaniPrakashaTheLightofSamskrtam/videos
माध्यम- ज़ूम् माध्यम द्वारा
प्रवेश सङ्केत- https://indicacademy.zoom.us/j/95467353855
प्रवेशसंख्या- 954 6735 3855
अधिक जानकारी हेतु- samskrta.usha@gmail.com
-स्वर्वाणीप्रकाशसेवानिकुञ्जम्
(यह पाठावली केवल अध्ययन करने हेतु है। यथोचित समय व श्रद्धा हो तभी प्रवेश करें)
Zoom Video
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सर्वमन्यत् परित्यज्य, शरीरमनुपालयेत्।
तदभावे हि भावानां , सर्वाभावः शरीरिणाम्।।
भावार्थः - मनुष्यः सर्वं कार्यं विहाय प्रथमं शरीरस्य रक्षणं कुर्यात् , यतः शरीरं सुदृढं भवति चेत् एव सः धर्मादिपुरुषार्थान् प्राप्तुं शक्नोति, शरीरस्य विनाशे सति सर्वेषां कार्याणाम् अभावः एव भवति।
#Subhashitam
तदभावे हि भावानां , सर्वाभावः शरीरिणाम्।।
भावार्थः - मनुष्यः सर्वं कार्यं विहाय प्रथमं शरीरस्य रक्षणं कुर्यात् , यतः शरीरं सुदृढं भवति चेत् एव सः धर्मादिपुरुषार्थान् प्राप्तुं शक्नोति, शरीरस्य विनाशे सति सर्वेषां कार्याणाम् अभावः एव भवति।
#Subhashitam