संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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*संस्कृत गीतम्💫*

संस्कृतस्य रक्षणाय बद्धपरिकरा वयम् ।
संस्कृतेः प्रवर्धनाय दृढनिधिर्भवेदिदम् ॥

संस्कृतस्य महिमवर्णनेन नास्ति साधितं
सततसम्भाषणेन तस्य जीवनं स्थिरम् ।
जनमुखेन भाषितं ननु जगति जीवितं
राजते चिरं समस्तराष्ट्रमान्यतास्पदम् ॥

संस्कृतस्य सेवनं मातृसेवासमं
तेन सम्भाषणं वाङ्मातृपूजनम् ।
मातृभिः प्रवर्तनेन मातृभाषा परं
सरलसम्भाषणेन लसति बालादृतम् ॥

राजपोषणात् पुरा नीतमिदं वैभवं
लोकशक्तिकेन्द्रितं स्थास्यतीह केवलम् ।
शिक्षकास्तदर्थमेव त्यागशालिनः स्युः
संस्कृतोज्जीवनाय प्राप्तजीवना ध्रुवम् ॥

- गु. गणपय्यहोळ्ळः
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ।।1।।

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानान्तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।।2।।



दानं भागो नाशस्तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य।
यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ।।3।।

काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।।
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ।।4।।

विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ।।5।।

रूप-यौवन-सम्पन्नाः विशाल-कुल-सम्भवाः।।
विद्या-हीनाः न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः ।।6।।
गुरु-शुश्रूषया विद्या प्रभूतेन धनेन वा।
अथवा विद्यया विद्या चतुर्थं नैव साधनम् ।।7।।

परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थमिदं शरीरम् ।।8।।

येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मृत्युलोकं भुवि भारभूताः मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ।।9।।

साहित्य-संगीत कलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः।
तृणं न खादन्नपि जीवमानः तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ।।10।।
विद्या ददाति विनयं
विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रताद्धनमाप्नोति
धनाद्धर्मं ततस्सुखम्।


अन्वयः:

विद्या विनयं ददाति। विनयात् पात्रतां याति। पात्रत्वाद् धनं धनात् धर्मं ततः सुखम् आप्नोति।

अन्वयार्थ: (प्रतिपदार्थ)

- विद्या - विद्या या ज्ञान
- विनयम् - विनम्रता
- ददाति - प्रदान करती है
- विनयात् - विनम्रता से
- पात्रताम् - योग्यता
- याति - प्राप्त होती है
- पात्रत्वात् - योग्यता से
- धनम् - धन या संपत्ति
- धनात् - उस संपत्ति से
- धर्मम् - धर्म
- ततः - उस धर्म के पालन से
- सुखम् - सुख
- आप्नोति - प्राप्त करता है

विवरण:

जब कोई व्यक्ति पूरी तरह से विद्या को ग्रहण करता है, तो वह विनम्र बनता है। इस विनम्रता के कारण, वह किसी भी कार्य के लिए सक्षम हो जाता है। इस क्षमता से उसे धन प्राप्त होता है। यदि वह धन का उपयोग धर्म के पालन में करता है, तो उसे सुख और आनंद प्राप्त होता है, और उसकी संपत्ति बढ़ती है। यदि वह धन का सही उपयोग नहीं करता और इसे केवल संचित या व्यय करता है, तो यह संपत्ति नष्ट हो सकती है या चोरी हो सकती है। इसलिए, ज्ञान प्राप्त करने के बाद, व्यक्ति को उस ज्ञान के माध्यम से प्राप्त धन का कुछ भाग धर्म के लिए समर्पित करना चाहिए।

Translation:

Knowledge cultivates humility, humility fosters capability, capability generates wealth, and wealth, when applied to righteous purposes, results in happiness.

Explanation:

Education fosters courtesy, courtesy leads to capability, capability generates wealth, wealth supports dharma, and dharma brings happiness.

The previous verses of this book have mentioned that education or knowledge leads to wealth. This verse details the process of achieving prosperity through education. However, simply amassing wealth is insufficient; it must be used for virtuous purposes to ensure lasting prosperity. Without such utilization, wealth may be lost or stolen. Therefore, a wise person should allocate a portion of their income to righteous deeds.

Source: Hitopadesha, Prastavana Verse 6 
Poet: Narayanapandita (11th century AD)

©Sanjeev GN #Subhashitam
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।।चतुर्दशः सर्गः।।


🍃खलंकृताश्च पुरुषा ब्राह्मणान्पर्यवेषयन् ।
उपासते च तानन्ये सुसृष्टमणिकुण्डलाः ॥१६॥

⚜️वस्त्रों और गहनों से सजे हुए अन्य राजाओं के नौकर चाकर ब्राह्मणों की सब प्रकार सेवा करते और उन लोगों की परिचर्या के लिये मणि जटित कुण्डलधारी अन्य लोग थे॥१६॥

🍃कर्मान्तरे तदा विभा हेतुवादान्बहूनपि।
माहुः स्म वाग्मिनो धीराः परस्पर जिगीषया॥१७॥

⚜️एक सवन समाप्त होने पर और दूसरा सवन आरम्भ होने के वीच जो समय बचता उसमें एक दूसरे को पाण्डित्य में हरा देने की इच्छा से विद्वान् ब्राह्मण परस्पर शास्त्रार्थ करते थे॥१७॥
सूक्त-२३, प्रथम मंडल,
मंत्र-११ देवता-वायु आदि

🍃जयतामिव तन्यतुर्मरुतामेति धृष्णुया. यच्छुभं याथना नरः.. (११)

⚜️विजयी लोग जिस प्रकार हर्षनाद करते हैं, उसी प्रकार हे शोभन मरुद्गणो! आप भी दर्प के साथ गर्जन करते हो. (११)
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
🚩तिथि - दशमी 07 अप्रैल रात्रि 02:09 तक तत्पश्चात एकादशी

दिनांक - 06 अप्रैल 2021
दिन - मंगलवार
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - चैत्र
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - श्रवण 07 अप्रैल रात्रि 02:35 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग - सिद्ध शाम 03:30 तक तत्पश्चात साध्य
राहुकाल - शाम 03:48 से शाम 05:21 तक
सूर्योदय - 06:28
सूर्यास्त - 18:53
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण - ब्रह्मलीन भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज का प्राकट्य दिवस
हरिःॐ। भौमवासर-सुप्रभातम्।

आकाशवाण्या अद्यतनप्रातःकालवार्ताः।

जयतु संस्कृतम्॥
🍃शैले शैले न माणिक्यं मौतिकं न गजे गजे ।
साधवो नहि सर्वत्र चन्दनं न वने वने ॥


हर पर्वत पर माणिक्य नहीं होता, हर हाथी में मोती नहीं होता।
भजन सब जगह नहीं मिलते। चंदन का पेड़ हर जंगल में नहीं होता।

#subhashitam
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संस्कृत सीखने के तरीकें
(Methods of Learning Sanskrit)

⭐️ पुस्तक(Available at nearby bookstores) :–
१.संस्कृत स्वयं शिक्षक(Best Book)
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२. गीतासोपान (संस्कृत भारती)
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३.NCERT BOOKS
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४. A Rapid Sanskrit Method
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⭐️ Videos :–
१.Video Series by Knowledgelogy (हिंदी माध्यम)
https://youtube.com/playlist?list=PLNKc9XA6KRsPiNk9grlpwJwnnfY5dr2dN

२. Video series by Sanskrit.Today (English medium)
https://youtube.com/playlist?list=PL8hlzSD3smGgf8BA3XcWMUlgB1tsoYyD-

३. Learn through Sanskrit medium
https://youtube.com/playlist?list=PL_42MlDxCNJ33pHgemylp6NcEKEiwerbW

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⭐️ Mobile Apps
१.Language Curry(Live Sessions available) :–
→Android – https://play.google.com/store/apps/details?id=com.languagecurry
→IOS – https://apps.apple.com/us/app/language-curry-speak-indian/id1411209756

२. Sanskrit Safalyam (Android only)
https://play.google.com/store/apps/details?id=co.stan.sanskrit

३. Samskrit Tutorial(Android Only)
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.samskrit.samskrittutorial


⭐️ Websites
१. संस्कृत भारती
पत्राचार द्वारा —
http://samskritabharati.in/correspondence_courses.php

चलचित्र द्वारा
http://samskritabharati.in/correspondence_courses.php

२. Practical Sanskrit (English medium)
https://learn.practicalsanskrit.com/courses

३. Samskrit Tutorial(Good for Students)
https://www.samskrittutorial.in/

४. अमरहासम्
https://en.amarahasa.com/

५. Acharya (English medium)
http://www.acharya.gen.in:8080/sanskrit/new-lessons.php

६. Good for foreigners
https://learnsanskrit.org/sounds/vowels/

७. Udemy (English medium)
https://www.udemy.com/course/sanskrit-for-beginners/

८. Vyoma Labs
https://www.sanskritfromhome.in/


Others (अन्य)
Email this for guidance
vidyadhar@learnsanskritonline.com

संस्कृत भारती संवादशाला( Delhi & Kashi Only)
https://www.samskritabharati.in/spoken_samskrit_class

संस्कृत संभाषण शिविर
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हितोपदेशः - HITOPADESHAH

स्तब्धस्य नश्यति यशो विषमस्य मैत्री
नष्टेन्द्रियस्य कुलमर्थपरस्य धर्मः।।
विद्याफलं व्यसनिनः कृपणस्य सौख्यं
राज्यं प्रमत्तसचिवस्य नराधिपस्य।।

अर्थः:

क्रियारहित या आलसी व्यक्ति की कीर्ती, चंचल मन वाले की मित्रता, इंद्रियों पर निग्रह न रखनेवाले का कुल, धन का लोभ करनेवाले का धर्म, बुरे व्यसनों से विद्या का लाभ, कंजूस या कृपण का सुख और गर्व से भरे मंत्री युक्त राजा का राज्य नाश हो जाता है।

MEANING:

The reputation of a lazy person, the friendship of someone with a restless mind, the family of a person who cannot control his senses, the dharma of a person who is greedy for wealth, the benefits of education for a person with bad habits, the happiness of a miser, and the kingdom of a king with a proud minister are all destined for destruction.

ॐ नमो भगवते हयास्याय।

©Sanju GN #Subhashitam
हितोपदेशः - HITOPADESHAH

आदित्यचन्द्रावनलानिलौ च
द्यौर्भूमिरापो हृदयं यमश्च।।
अहश्च रात्रिश्च उभे च सन्ध्ये
धर्मश्च जानाति नरस्य वृत्तम्।।

अर्थः:

सूरज, चंद्रमा, अग्नि, वायु, आकाश या स्वर्ग, भूमि, जल, हृदय या मन, यम, दिन, रात्रि, दोनों संध्या काल तथा धर्म - ये सब मनुष्य के आचरण को जानते हैं।

MEANING:

The sun, moon, fire, wind, sky/heaven, earth, water, mind, lord Yama, day, night, both Sandhyas (dawn and dusk), and Dharma are all aware of human conduct.

ॐ नमो भगवते हयास्याय।

©Sanju GN #Subhashitam
हितोपदेशः - HITOPADESHAH

अतथ्यान्यपि तथ्यानि
दर्शयन्त्यतिपेशलः।
समे निम्नोन्नतानीव
चित्रकर्मविदो जनाः।। 353/106।।

अर्थः:

चित्रकला को जाननेवाले लोग जैसे एक समान पत्र या कागज़ पर घर तथा पहाड का चित्र बना कर ऊंच नीच दोनों दिखाते हैं, वैसे ही अत्यंत चतुर लोग मिथ्या या झूठ को भी सत्य कर के दिखाते हैं।

MEANING:

Just as skilled artists can depict mountains and houses on the same flat surface, showing elevation and depth, so do highly clever people present falsehood as truth.

ॐ नमो भगवते हयास्याय।

© Sanju GN #Subhashitam
हितोपदेशः - HITOPADESHAH

यौवनं धनसम्पत्तिः
प्रभुत्वमविवेकिता।।
एकैकमप्यनर्थाय
किमु तत्र चतुष्टयम्।।

मूल: हितोपदेश प्रास्ताविका श्लोक ११
कवि: नारायणपंडितः (११ वीं सदी)

अर्थः:

यौवन, धन की संपत्ति, प्रभुता (अधिकार) और विवेकहीनता इन चार में से कोई एक किसी व्यक्ति में भी रहें तो वह व्यक्ति बरबाद हो जाता है। यदि चारों अनर्थ एक ही व्यक्ति में रहें तो क्या होगा..??

MEANING:

Youth, wealth, authority, and lack of wisdom are all detrimental. If a person has any one of these qualities, it can lead to their downfall. Imagine the consequences if all four are present in a single individual.

ॐ नमो भगवते नृतुरगाय।

© Sanju GN #Subhashitam
*कोरोनाकाले विनोद:*

साहित्यप्रिय आपणिकस्य आपणे टिप्पणीफलके लिखितम् अस्ति स्म। केङपि शुद्ध भाषायाम् वदिष्यन्ति तान् १०% न्यूनीकरणं दाष्यामि इति।
*ग्राहक:* — द्वे सुक्ष्मातिसूक्ष्म मुखविषाणु आगमन-निगमन अवरोधक मुखोष्टनासिकादी रक्षणार्थं कर्णद्वय समर्थित वस्त्रपट्टीके ददातु ……!
*आपणिक:* —कृपया सरलभाषायाम् वदतु तदा २५% न्यूनीकरणं दाष्यामि 🙏🏻
*ग्राहक:* — तर्हि द्वे मुखआवराणे ददातु ……!
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चाणक्य नीति ⚔️
✒️द्वादशः अध्याय

♦️श्लोक:-३

दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने,
प्रीतिः साधुजने स्मय खलजने विद्वज्जने चार्जवम्।
शौर्य शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारीजने धूर्तताः।
इत्यं ये पुरुषा कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः।।३।।

♦️भावार्थ-- अपने बन्धु बान्धवों के साथ शालीनता, दूसरों के ऊपर दया, दुर्जनों के प्रति शठता, सज्जनों के प्रति प्रीति, बुद्धिमानों के साथ सरलता शत्रुओं के प्रति वीरता, माता पिता, आचार्य आदि बड़े लोगों के लिए सहिष्णुता, सहनशीलता, - जो व्यक्ति इस प्रकार व्यवहार-कुशल होता है,वही संसार में सूखी रहते है।।