संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
पाठ (७) द्वितीया विभक्तिः (४) December 21, 2019 By Arun Aryaveer संस्कृतं वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ (७) द्वितीया विभक्तिः (४) (अधि + शीङ्, अधि + स्था, अधि + आस्, अधि + वस्, आङ् + वस्, अनु + वस्, उप + वस्, अभि+नि+विश् इन धातुओं के आधार…
(क्रुध् व द्रुह् अर्थवाली सोपसर्ग धातुओं के प्रयोग में जिस पर क्रोध व द्रोह किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होती है और उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)

जाल्मोऽयं पितरौ अभिक्रुध्यति = जालीम यह मां-बाप पर गुस्सा करता है।
स्नुषा श्वश्रुम् अभिक्रुध्यत् = बहु ने सास पर गुस्सा किया।
चण्डा भर्त्तारम् अभिचण्डेत् = क्रोधी महिला अपने पति पर गुस्सा कर सकती है।
कान्ता कान्तं प्रतिकोपिष्यति = पत्नी पति पर गुस्सा करेगी।
भामिनी पतिम् अभ्यभामिष्ट = गुस्सैल पत्नी ने अपने पति पर गुस्सा किया।
दुष्टः भ्रातरम् अभिद्रुह्यति = दुष्ट व्यक्ति भाई से द्रोह करता है।
राष्ट्रद्रोहिणः राष्ट्रम् अभिद्रोहिष्यन्ति = राष्ट्रद्रोही लोग राष्ट्र के प्रति द्रोह करेंगे।
विधर्मी धर्मम् अभ्यद्रुहत् = विधर्मी (अधार्मिक) ने धर्म से द्रोह किया।
कौरवाः पाण्डवान् अभिदुद्रुहुः = कौरवों ने पाण्डवों से द्रोह किया।
ननान्दा भ्रातृजायाम् अभिद्रुह्येत् = ननन्द भाभी से द्रोह कर सकती है।

(गत्यर्थक, ज्ञानार्थक, भक्षणार्थक, शब्दकर्मार्थक एवं अकर्मक धातुओं के अण्यन्तावस्था में जो कर्त्ता है, वह धातुओं की ण्यन्तावस्था में कर्मसंज्ञक होता है, अतः उससे द्वितीया विभक्ति होती है।)

गत्यर्थक

पुत्रः पाठशालां गच्छति = पुत्र पाठशाला जाता है।
पिता पुत्रं पाठशालां गमयति = बाप बेटे को पाठशाला भेज रहा है।

दुहिता विश्वविद्यालयं गमिष्यति = पुत्री कॉलेज जाएगी।
माता दुहितरं विश्वविद्यालयं गमयिष्यति = मां बेटी को कॉलेज भेजेगी।

औरसः पुत्रः विदेशम् अगमत् = सगा बेटा विदेश गया।
जननी औरसं पुत्रं विदेशम् अजीगमत् = माता ने सगे बेटे को विदेश भेजा।

पौत्री महाविद्यालयं गच्छेत् = पोती को उच्च विद्यालय में जाना चाहिए।
पितामहः पौत्रीं महाविद्यालयं गमयेत् = दादा को पोती महाविद्यालय में भेजनी चाहिए।

सेवकः आपणं प्रेष्यति = सेवक दुकान पर जाता है।
स्वामी सेवकं आपणं प्रेषयति = स्वामी सेवक को दुकान पर भेजता है।

वत्सा व्रजं व्रजति = बछड़ी गोशाला में जा रही है।
वत्सां व्रजं व्राजयति = बछड़ी को गोशाला में भेज रहा है।

अजा अजिरम् अजति = बकरी बाड़े में जा रही है।
अजां अजिरम् आजयति = बकरी को बाड़े में भेज रहा है।

जामाता प्रकोष्ठं प्रविशति = दामाद कमरे में प्रवेश करता है।
जामातरं प्रकोष्ठं प्रवेशयति = दामाद को कमरे में प्रवेश करवाता है।

यतिः मठं याति = यति मठ में जा रहा है।
यतिं मठं यापयन्ति = यति को मठ की ओर भेज रहे हैं।

वानप्रस्थी वनम् आगच्छति = वानप्रस्थी वन में आ रहा है।
वानप्रस्थिनं वनम् आगमयति = वानप्रस्थी को वन में भेज रहा है।

#vakyabhyas
शीतकालः
****
हेमन्तस्य हिमेन तेन विपुलं कृत्वा स्वमत्या हिमं
शीतर्तुः सकलक्षितौ क्षिपति तच्छीतं ततो वर्धते।
लब्ध्वा ज्ञानकणं हि शिष्यपरमः शक्त्या यथा व्यापकं
तत् संपाद्य विकाशते निजधिया सर्वत्र भूमण्डलम्।।
(व्रजकिशोरः)
कश्चित् उन्मत्तः आत्मानं दर्पणे दृष्ट्वा चिन्तयति।
एषः तु मया कुत्रचित् दृष्टः एव...
(सः तथैव बहुकालपर्यन्तं चिन्तितवान् अनन्तरं वदति)
अरे एषः तु सः एव अस्ति यः परह्यः मया सह केशान् कर्तयितुम् उपविष्टः आसीत्।

#hasya
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-81
तेन गत्वा पुरीं लङ्कां हत्वा रावणमाहवे ।
राम: सीतामनुप्राप्य परां व्रीडामुपागमत्‌।।81।।

श्लोकान्वयः -
राम: तेन (सेतुना) लङ्कां पुरीं गत्वा आहवे
रावणं हत्वा सीताम्‌ अनुप्राप्य परां व्रीडाम्‌ उपागमत्‌।।81।।

हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम समुद्र सेतु से लङ्कापुरी जाकर युद्ध में रावण का वध करने के पश्चात्‌
सीता को भलीभाँति प्राप्त कर परम लज्जित हुए (क्याोंकि राक्षस निवास में बहुत दिनों तक रखी गई सीता को पुन: स्वीकार किया,
इस लोकापवाद की शङ्का हृदय में थी।।81।।

English Meaning

राम: Rama, तेन through that bridge, लङ्कापुरीं city of Lanka, गत्वा having reached, आहवे in the battle, रावणम् Ravana, हत्वा after slaying, सीताम् Sita, प्राप्य having recovered, अनु thereafter, पराम् great, व्रीडाम् embarassment, उपागमत् experienced (pursuant to her stay in others' house for a long time).

Rama entered the city of Lanka by means of that bridge, killed Ravana in the battle and recovered Sita. Thereafter he felt greatly embarassed (for accepting his wife who had stayed in an others.

#SankshepaRamayanam
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
जल्पनम्
Date : 16thJanuary 2022,
Sunday.
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Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [06.35]
🍃श्री भगवानुवाचअसंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलं। 
अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते
।।6.35।। 

♦️shrii bhagavaanuvaacha
asaMshayaM mahaabaaho mano durnigrahaM chalaM|
abhyaasena tu kaunteya vairaagyeNa cha gRRihyate6.35

6.35 The Blessed Lord --said Undoubtedly, O mighty-armed Arjuna, the mind is difficult to control and restless; but by practice and by dispassion it may be restrained. 

।।6.35।। श्रीभगवान् कहते हैं -- 
हे महबाहो निसन्देह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है परन्तु हे कुन्तीपुत्र उसे अभ्यास और वैराग्य के द्वारा वश में किया जा सकता है।। 

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [06.36]
🍃असंयतात्मना योगो दुष्प्राप इति मे मतिः। 
वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायतः
।।6.36।। 

♦️asaMyataatmanaa yogo duShpraapa iti me matiH|
vashyaatmanaa tu yatataa shakyo'vaaptumupaayataH6.36

6.36 I think Yoga is hard to be attained by one of uncontrolled self, but the self-controlled and striving one can attain to it by the (proper) means. 

।।6.36।। असंयत मन के पुरुष द्वारा योग प्राप्त होना कठिन है परन्तु स्वाधीन मन वाले प्रयत्नशील पुरुष द्वारा उपाय से योग प्राप्त होना संभव है यह मेरा मत है।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️🚩विक्रम संवत - २०७८
🚩तिथि - चतुर्दशी 17 जनवरी रात्रि 03:18 तक तत्पश्चात पूर्णिमा

दिनांक - 16 जनवरी 2022
दिन - रविवार
विक्रम संवत - 2078
शक संवत -1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - पौष
पक्ष - शुक्ल नक्षत्र - आर्द्रा 17 जनवरी रात्रि 02:09 तक तत्पश्चात पुनर्वस
योग - इन्द्र शाम 03:21 तक तत्पश्चात वैधृति
राहुकाल - शाम 04:56 से शाम 06:18 तक
सूर्योदय - 07:19
सूर्यास्त - 18:17
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
Live stream scheduled for
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जल्पनम्
Date : 16thJanuary 2022,
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. ॐ
अद्य भारतीय-सैन्य-दिवसः ।
तन्निमित्तम् अस्माकं शूर-सैनिकानां कृते कोटिशः वन्दनानि ।

ते तत्र शैत्ये उष्णतायां च अहोरात्रं तिष्ठन्ति अतः वयम् अत्र गृहे उपविश्य संस्कृतकार्यं कर्तुं शक्नुमः ।

युध्यन्ते तत्र धैर्येण ये
रिपुभिः सह रणाङ्गणे ।
अभिवाद्य आरत्या तान्
कृतज्ञतया वन्दामहे ।।

👆 👆 👆
कस्यचन प्रचलितस्य मराठी-गीतस्य ध्रुवपदस्य स्वैरः संस्कृतानुवादः एषः । तस्य गायनं कर्तुं मम अनार्हस्य एषः धृष्ट-प्रयत्नः ।

ये सङ्गीतं जानन्ति ते सुस्वर-नादेन कर्णमाधुर्ययुतं गानं कर्तुं शक्नुवन्ति ।
------ संस्कृतानन्दः ।
👇 👇 👇
शिशुः कया सह क्रीडति।
Anonymous Quiz
12%
धेनुभ्याम्
53%
धेन्वा
17%
धेनवा
18%
धेनोः
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(क्रुध् व द्रुह् अर्थवाली सोपसर्ग धातुओं के प्रयोग में जिस पर क्रोध व द्रोह किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होती है और उससे द्वितीया विभक्ति होती है।) जाल्मोऽयं पितरौ अभिक्रुध्यति = जालीम यह मां-बाप पर गुस्सा करता है। स्नुषा श्वश्रुम् अभिक्रुध्यत् = बहु ने…
ज्ञानार्थक

समित्पाणिः शिष्यः शास्त्राणि जानाति = समर्पित शिष्य शास्त्रों को जानता है।
समित्पाणिं शिष्यं शास्त्राणि ज्ञापयति = समर्पित शिष्य को शास्त्र जना रहा है।

छात्रः धर्म बुध्यते = छात्र धर्म को जानता है।
छात्रवत्सलः गुरुः छात्रं धर्म बोधयति = छात्रवत्सल गुरु छात्र को धर्म का बोध कराता है।

छात्रा सदाचारं वेत्ति = छात्रा सदाचार को जानती है।
छात्रप्रिया आचार्या छात्रां सदाचारं वेदयति = छात्रप्रिया आचार्या छात्राओं को सदाचार का बोध करवा रही है।

प्राकृतः जनः न्यायं बोधति = आम इन्सान उचित व्यवहार को जानता है।
बुधः प्राकृतं जनं न्यायं बोधयति = विद्वान् आम इन्सान को उचित व्यवहार का बोध कराता है।

श्रोता व्याख्यानम् अवगच्छति = श्रोता व्याख्यान को समझ रहा है।
वक्ता श्रोतारं व्याख्यानम् अवगमयति = वक्ता श्रोता को व्याख्यान समझा रहा है।

दयानन्दः व्याकरणम् अज्ञासीत् = दयानन्द जी ने व्याकरण को जाना (समझा)।
विरजान्दः दयानन्दं व्याकरणम् अजिज्ञपत् = विरजानन्द जी ने दयानन्द जी को व्याकरण समझाया।

छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञास्यन्ति = छात्राएं ऋषिकृत ग्रन्थों को जानेंगी।
आचार्या छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञापयिष्यति = आचार्या छात्राओं को आर्षग्रन्थों को जनाएंगी।

सर्वे दर्शनानि जानीयुः = सभी को दर्शनविद्या जाननी चाहिए।
विद्वांसः सर्वान् दर्शनानि ज्ञापयेयुः = विद्वान् लोग सभी को दर्शनशास्त्र स्त्र जनाएं।

#vakyabhyas