** *संस्कृतं व्यावहारिकी भाषा भवेत्***
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प्रातःकाले एकः श्रेष्ठी *( सेठ )* एकम् जनं ताडयन् आसीत् ।
एतद् दृष्ट्वा बहवः जनाः एकत्रिताः, ताडयन्तं जनं च पृष्टवन्तः --- *(यह देखकर बहुत लोग इकट्ठे हो गये और पीटने वाले व्यक्ति से उन्होंने पूछा---)*
श्रेष्ठिन् ! भवान् किमर्थम् एनं वराकम् एवं निर्दयीभूय ताडयति ? *(सेठ जी ! इस बेचारे को निर्दयतापूर्वक ऐसे क्यों पीट रहे हो ?)*
श्रेष्ठी उक्तवान् --- अनेन दुष्टेन द्विवर्षपूर्वं मत्तः दशसहस्ररूप्यकाणि ऋणरूपेण गृहीतानि आसन् । *(दो वर्ष पहले इस दुष्ट ने मुझसे दस हजार रुपये उधार लिये थे )* मया एकवर्षपर्यन्तं पुनरपि पुनः एषः ऋणराशिं प्रतिदानार्थम् अभिहितः । *(मैंने एक वर्ष तक बार बार इसे कर्ज का पैसा लौटने के लिए कहता रहा । )*
परं प्रतिवारम् एषः कथयति स्म --- मम पत्नी चिकित्सालये अस्ति । *(परन्तु हर बार यह कहता रहा कि मेरी पत्नी हस्पताल में है।)*
अधुना ज्ञातम् अस्य पत्नी तु चिकित्सालये नर्स- *(nurse = उपचारिका )* -रूपेण कार्यरता अस्ति इति ।
अधुना भवन्तः एव ज्ञापयन्तु एतादृशेन जनेन सह कथं व्यावहर्तव्यम् इति *(अब आप ही बतायें ऐसे आदमी के साथ कैसा बर्ताव किया जाय ।)* ------KSG
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#hasya
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प्रातःकाले एकः श्रेष्ठी *( सेठ )* एकम् जनं ताडयन् आसीत् ।
एतद् दृष्ट्वा बहवः जनाः एकत्रिताः, ताडयन्तं जनं च पृष्टवन्तः --- *(यह देखकर बहुत लोग इकट्ठे हो गये और पीटने वाले व्यक्ति से उन्होंने पूछा---)*
श्रेष्ठिन् ! भवान् किमर्थम् एनं वराकम् एवं निर्दयीभूय ताडयति ? *(सेठ जी ! इस बेचारे को निर्दयतापूर्वक ऐसे क्यों पीट रहे हो ?)*
श्रेष्ठी उक्तवान् --- अनेन दुष्टेन द्विवर्षपूर्वं मत्तः दशसहस्ररूप्यकाणि ऋणरूपेण गृहीतानि आसन् । *(दो वर्ष पहले इस दुष्ट ने मुझसे दस हजार रुपये उधार लिये थे )* मया एकवर्षपर्यन्तं पुनरपि पुनः एषः ऋणराशिं प्रतिदानार्थम् अभिहितः । *(मैंने एक वर्ष तक बार बार इसे कर्ज का पैसा लौटने के लिए कहता रहा । )*
परं प्रतिवारम् एषः कथयति स्म --- मम पत्नी चिकित्सालये अस्ति । *(परन्तु हर बार यह कहता रहा कि मेरी पत्नी हस्पताल में है।)*
अधुना ज्ञातम् अस्य पत्नी तु चिकित्सालये नर्स- *(nurse = उपचारिका )* -रूपेण कार्यरता अस्ति इति ।
अधुना भवन्तः एव ज्ञापयन्तु एतादृशेन जनेन सह कथं व्यावहर्तव्यम् इति *(अब आप ही बतायें ऐसे आदमी के साथ कैसा बर्ताव किया जाय ।)* ------KSG
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#hasya
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-79
तत: सुग्रीवसहितो गत्वा तीरं महोदधे:।
समुद्रं क्षोभयामास शरैरादित्यसन्निभै:।।79।।
श्लोकान्वयः -
तत: सुग्रीवसहित: (राम:) महोदधे: तीरं गत्वा
आदित्यसन्निभै: शरै: समुद्रं क्षोभयामास।।79।।
हिन्दी-अनुवाद -
हनुमान् की बातों को सुनने के बाद श्री राम सुग्रीव के साथ समुद्र के तट पर गए।
पर लङ्का जाने के लिए मार्ग देने में समुद्र तत्पर नहीं था।
इससे क्रुद्ध होकर श्रीराम ने सूर्यप्रकाश के समान तेजस्वी बाणों से
समुद्र को पाताल लोक तक व्याकुल कर दिया।।79।।
English Meaning
तत: thereafter, सुग्रीवसहित: together with Sugriva, महोदधे: तीरम् shore of mighty ocean, गत्वा having reached, आदित्यसन्निभै: resembling sharp and hot rays of sun, शरै: with shafts, समुद्रम् Samudra, lord of the waters, क्षोभयामास agitated.
Thereafter, Rama reached the shore of the ocean together with Sugriva and saw the ocean agitated with shafts burning like the Sun.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-79
तत: सुग्रीवसहितो गत्वा तीरं महोदधे:।
समुद्रं क्षोभयामास शरैरादित्यसन्निभै:।।79।।
श्लोकान्वयः -
तत: सुग्रीवसहित: (राम:) महोदधे: तीरं गत्वा
आदित्यसन्निभै: शरै: समुद्रं क्षोभयामास।।79।।
हिन्दी-अनुवाद -
हनुमान् की बातों को सुनने के बाद श्री राम सुग्रीव के साथ समुद्र के तट पर गए।
पर लङ्का जाने के लिए मार्ग देने में समुद्र तत्पर नहीं था।
इससे क्रुद्ध होकर श्रीराम ने सूर्यप्रकाश के समान तेजस्वी बाणों से
समुद्र को पाताल लोक तक व्याकुल कर दिया।।79।।
English Meaning
तत: thereafter, सुग्रीवसहित: together with Sugriva, महोदधे: तीरम् shore of mighty ocean, गत्वा having reached, आदित्यसन्निभै: resembling sharp and hot rays of sun, शरै: with shafts, समुद्रम् Samudra, lord of the waters, क्षोभयामास agitated.
Thereafter, Rama reached the shore of the ocean together with Sugriva and saw the ocean agitated with shafts burning like the Sun.
#SankshepaRamayanam
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : मकरसंक्रांतिः
Date : 14thJanuary 2022,
Friday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (भवतां प्रदेशे मकरसंक्रांतिः पर्व कथम् आचर्यते। ) in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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🍃
♦️sarvabhuutasthitaM yo maaM bhajatyekatvamaasthitaH|
sarvathaa vartamaano'pi sa yogii mayi vartate||6.31||
⚜6.31 He who, being established in unity, worships Me; Who dwells in all beings, that Yogi abides in Me, whatever may be his mode of living.
⚜।।6.31।। जो पुरुष एकत्वभाव मंे स्थित हुआ सम्पूर्ण भूतों में स्थित मुझे भजता है वह योगी सब प्रकार से वर्तता हुआ (रहता हुआ) मुझमें स्थित रहता है।।
#geeta
सर्वभूतस्थितं यो मां भजत्येकत्वमास्थितः।
सर्वथा वर्तमानोऽपि स योगी मयि वर्तते
।।6.31।। ♦️sarvabhuutasthitaM yo maaM bhajatyekatvamaasthitaH|
sarvathaa vartamaano'pi sa yogii mayi vartate||6.31||
⚜6.31 He who, being established in unity, worships Me; Who dwells in all beings, that Yogi abides in Me, whatever may be his mode of living.
⚜।।6.31।। जो पुरुष एकत्वभाव मंे स्थित हुआ सम्पूर्ण भूतों में स्थित मुझे भजता है वह योगी सब प्रकार से वर्तता हुआ (रहता हुआ) मुझमें स्थित रहता है।।
#geeta
🍃
♦️aatmaupamyena sarvatra samaM pashyati yo'rjuna|
sukhaM vaa yadi vaa duHkhaM saH yogii paramo mataH6.32
⚜6.32 He who, through the likeness of the Self, O Arjuna, sees Reality everywhere, be it pleasure or pain, he is regarded as the highest Yogi.
⚜।।6.32।। हे अर्जुन जो पुरुष अपने समान सर्वत्र सम देखता है चाहे वह सुख हो या दुख वह परम योगी माना गया है।।
#geeta
आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुन।
सुखं वा यदि वा दुःखं सः योगी परमो मतः
।।6.32।। ♦️aatmaupamyena sarvatra samaM pashyati yo'rjuna|
sukhaM vaa yadi vaa duHkhaM saH yogii paramo mataH
⚜6.32 He who, through the likeness of the Self, O Arjuna, sees Reality everywhere, be it pleasure or pain, he is regarded as the highest Yogi.
⚜।।6.32।। हे अर्जुन जो पुरुष अपने समान सर्वत्र सम देखता है चाहे वह सुख हो या दुख वह परम योगी माना गया है।।
#geeta
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि १०:२२ तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅ दिनांक - १४ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रोहिणी रात्रि ०८:१८ तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅ योग - शुक्ल दोपहर ०१:३६ तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२६ से दोपहर १२:४८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१५
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
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⛅ 🚩तिथि - द्वादशी रात्रि १०:२२ तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅ दिनांक - १४ जनवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रोहिणी रात्रि ०८:१८ तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅ योग - शुक्ल दोपहर ०१:३६ तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - सुबह ११:२६ से दोपहर १२:४८ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१५
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
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Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
१२. मथ् भ्रातृव्या दधि नवनीतं मथ्नाति। • भतीजी दही बिलोके मक्खन निकालती है। ऋषयः वेदान् यज्ञं ममाथुः। • ऋषियों ने वेद से यज्ञ को मथा। क्रान्तदर्शिणः प्रकृतिं नवीनान् आविष्कारान् अमथिषुः। • क्रान्तदर्शियों ने प्रकृति का मन्थन कर नयी-नयी खोजें कीं।…
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शिक्षकः - अहं वाक्यद्वयं वदामि तयोः मध्ये कः भेदः अस्ति इति वदतु।
छात्रः - अस्तु।
शिक्षकः -
प्रथमं वाक्यं " सः पात्राणि प्रक्षालितवान्"।
द्वितीयं वाक्यं "तेन पात्राणि प्रक्षालितव्यानि आसन्"।
छात्रः - प्रथमे वाक्ये कर्ता "अविवाहितः" अस्ति।
द्वितीये वाक्ये कर्ता "विवाहितः" अस्ति।
😂😁😜
#hasya
छात्रः - अस्तु।
शिक्षकः -
प्रथमं वाक्यं " सः पात्राणि प्रक्षालितवान्"।
द्वितीयं वाक्यं "तेन पात्राणि प्रक्षालितव्यानि आसन्"।
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द्वितीये वाक्ये कर्ता "विवाहितः" अस्ति।
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