संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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This post posted earlier on 19.12.2021 is posted again today as the course is to begin by 10th Jan 2022.
Introductory Sanskrit: Grammar To join click here

Course layout
सप्ताह 1 :
संस्कृतभाषा का महत्त्व ( Importance of Sanskrit Language )

सप्ताह 2 :
संस्कृत शास्त्रों का परिचय ( Introduction of Sanskrit Shastras )

सप्ताह 3 :
सन्धि, स्वादिसन्धि ( Combination, Swadi Combination )

सप्ताह 4 :
सन्धि अनुवर्तित ( Continioue Combination )

सप्ताह 5 :
स्त्री प्रत्यय ( Stri Suffixes)

सप्ताह 6 :
समास ( Compounds)

सप्ताह 7 :
तद्धित प्रत्यय ( Taddhit Suffixes)

सप्ताह 8 :
Assignments

सप्ताह 9 :
तिङन्त ( Tiganta )

सप्ताह 10 :
तिङन्त अनुवर्तित ( Tigant Anuvartit )

सप्ताह 11 :
सनाद्यन्तधातु ( Sanadhyant Dhatu)

सप्ताह 12 : ( Process of Atmanepada- Parasmaipada )
आत्मनेपद-परस्मैपदप्रक्रिया

सप्ताह 13 :
लकारार्थप्रक्रिया ( Process of Lakarartha )

सप्ताह 14 :
कृदन्त ( Kridanta )

सप्ताह 15 :
Assignments

1. यह सर्व विदित है कि जैसे लोकव्यवहार का प्रमुख साधन भाषा है वैसे यह भी स्थापित सत्य है कि विश्व की प्रायः सभी भाषाओं में संस्कृत प्राचीन एवं संरचना की दृष्टि से वैज्ञानिक भाषा है। जिसकी शब्द सम्पन्नता एवं अभिव्यञ्जन सामर्थ्य अद्भुत है।
2. व्याकरण संस्कार से युक्त होने का कारण यह संस्कृत के नाम से जानी जाती है।
3. भारतीय ऋषियों ने इसके ज्ञानपूर्वक प्रयोग में भी पुण्योत्पादकता स्वीकार की है।
4. भाषा का संस्कृतत्त्व तपःपूत महर्षियों के वैज्ञानिक व्याकरण की अनुशासन भित्ति पर आधारित है। प्रयोगार्ह पद दो प्रकार के होते है – सुबन्त एवं तिङन्त। सामान्यतः वाक्यों में सुबन्त अधिक एवं तिङन्त कम उपलब्ध होते है।
5. सुप्-प्रत्ययों की प्रकृति प्रातिपदिक भी दो प्रकार के होते है – कुछ आधुनिक नाम जैसे व्युत्पन्न और कुछ अव्युत्पन्न। व्युत्पन्नों में कुछ धातुप्रकृतिक कृदन्त होते हैं।
6. कृत्प्रत्ययों में कुछ ण्वुल्, तृच् आदि सार्वकालिक प्रत्यय; शतृ, शानच् जैसे वर्तमानकालिक प्रत्यय; क्त, क्तवतु जैसे भूतकालिक प्रत्यय तथा कुछ भविष्यत्कालिक प्रत्यय होते है।
7. ‘सर्वं वाक्यं क्रियया परिसमाप्यते’ यह उक्ति वाक्य में तिङन्त पद की महिमा स्पष्ट करती है।
8. इसके यथार्थ परिज्ञानार्थ गणों के अनुसार विभक्त विविध धातुओं के अर्थाधारित सकर्मकाकर्मक स्वरूप को जानना, उसके आत्मनेपदी परस्मैपदी तथा उभयपदी होने का निर्धारण करना अपेक्षित होता है।
9. भाषा दक्षता के वाच्यप्रबोधार्थ कर्ता कर्म एवं भाव में लकारों का प्रयोग प्रशिक्षण आवश्यक होता है।
10. इस प्रकार व्याकरण संस्कार से पुष्ट संस्कृत भाषा का परिचय कराने हेतु यह पाठ्यक्रम ‘परिचयात्मकसंस्कृतं व्याकरणं च’ को प्रस्तुत किया जा रहा है॥

Reference Books:

वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी - चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (हिन्दी व्याख्या - गोपाल दत्त पाण्डेय) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी ( तत्त्वबोधिनी ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (बालमनोरमा टीका - आचार्य वासुदेव दीक्षित ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
व्याकरणशास्त्र का इतिहास ( आचार्य बलदेव उपाध्याय ), उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान , लखनऊ .
व्याकरणशास्त्रस्येतिहसः ( आचार्यलोकमणिदहालः ), चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वेदाङ्गस्येतिहसः ( डॉ. नरेश झा) ,चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .


Web links:
https://archive.org/details/VaiyakaranaSiddhantaKaumudiOfBhattojiDikshitaPt.GopalaShastriNene
https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.283755
https://ashtadhyayi.com/sutraani/
https://en.wikipedia.org/wiki/Vy%C4%81kara%E1%B9%87a
https://epustakalay.com/book/16700-vyakaran-shastra-ka-itihas-by-yudhishthir-mimansak/

Course certificate
“30 Marks will be allocated for Internal Assessment and 70 Marks will be allocated for external proctored examination”

Duration : 15 weeks
Start Date : 10 Jan 2022
End Date : 30 Apr 2022
Exam Date : 10 May 2022 IST
Enrollment Ends : 28 Feb 2022

Note:This post posted earlier on 19.12.2021 is posted again today as the course is to begin by 10th Jan 2022.

#SanskritEducation
मदान्धः पुरुषः ।
'मदान्धस्य' विग्रहं कुर्वन्तु।
Anonymous Quiz
30%
मदात् अन्धः
16%
मदस्य अन्धः
6%
मदम् अन्धः
44%
मदेन अन्धः
3%
मदे अन्धः
[युध् धातुः (लड़ना) दिवादिगण]

युध्यते युध्येते युध्यन्ते
युध्यसे युध्येथे युध्वध्वे
युध्ये युध्यावहे युध्यामहे
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

१) सा युध्यते ।
(वह लड़ती है ।)
२) सिंहौ युध्येते ।
( दो शेर लड़ते हैं ।)
३) दुर्जनाः मिथः युध्यन्ते ।
( बुरे लोग आपस में लड़ते हैं ।)
🌴🌴

४) त्वं न युध्यसे ।
(तुम नहीं लड़ते हो ।)
५) युवां कथं युध्येथे ?
(तुम दोनों क्यों लड़ते हो ?)
६) यूयम् अकारणमेव युध्यध्वे ।
(तुम सब अकारण ही लड़ते हो।)
🌴🌴

७) अहम् अकारणं न युध्ये ।
( मैं बिना कारण के नहीं लड़ता हूँ ।)
८) आवां यदा-कदा युध्यावहे अपि ।
(हम दोनों कभी-कभी लड़ते भी हैं।)
९) वयं देशहिताय युध्यामहे ।
(हम सब देशहित के लिये लड़ते हैं ।)


प्रश्नवाचकानि सप्तमीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

🌻कस्मिन् माता स्निह्यति?
=मां किस से स्नेह करती है?

🌻कस्मिन् श्रीरामः स्निह्यति?
=श्रीराम किससे स्नेह करते हैं ?

🌻कस्मिन् काले भवान् आगतः?
=किस समय आप आए?

🌻कस्मिन् स्यूते फलानि सन्ति?
= किस थैले में फल हैं ?

🌻कस्मिन् विद्यालये पठसि?
तुम किस विद्यालय में पढ़ते हो?


👇क्त प्रत्यय👇
★अधि+इ--अधीतः★
•रामेण पुस्तकम् अधीतम्।
(राम के द्वारा पुस्तक पढ़ी गयी)

•कृष्णेन ग्रन्थः अधीतः।
(कृष्ण के द्वारा ग्रन्थ पढ़ा गया)

•मया भगवद्गीता अधीता।
(मेरे द्वारा भगवद्गीता पढ़ी गयी)

★अर्च्--अर्चितः★
•मात्रा भगवान् अर्चितः।
(माँ के द्वारा भगवान् की अर्चना की गयी)

•श्रीरामेण भगवती दुर्गा अर्चिता।
(श्रीराम के द्वारा भगवती दुर्गाजी की अर्चना की गयी)

•तेन शिवलिङ्गम् अर्चितम्।
(उसके द्वारा शिवलिङ्ग की अर्चना की गयी)

#vakyabhyas
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-67
तत: प्रीतमनास्ते न विश्वस्त: स: महाकपि:।
किष्किन्धां रामसहितो जगाम च गुहां तदा।। 67।।

श्लोकान्वयः -
तत: स महाकपि: तेन प्रीतमना: विश्वस्त:
च तदा रामसहित: किष्किधां गुहां जगाम।।67।।

हिन्दी-अनुवाद -
तब राम के बल से प्रसन्न तथा विश्वस्त सुग्रीव राम के साथ
अपनी राजधानी किष्किन्धा गुफा पर गया।।67।।

English Meaning

तत: thereafter, तेन by that act, प्रीतमना: well pleased, स महाकपि: that mighty monkey Sugriva, विश्वस्त: च was convinced, रामसहित: together with Rama, तदा then, गुहाम् a cave, किष्किन्धाम् city of Kishkindha, जगाम approached.

Pleased with Rama's action and convinced of his prowess he left thereafter with Rama he left for Kishkindha which was like a cave.

#SankshepaRamayanam
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Truth.
(सत्यम्)
Date :3rd January 2022,
Monday
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss(कदा सत्यं वक्तव्यं कदा न वक्तव्यं, स्वस्य अनुभवः ,सत्येन कः लाभः हानि वा) in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [06.09]
🍃सुहृन्मित्रार्युदासीनमध्यस्थद्वेष्यबन्धुषु।साधुष्वपि
च पापेषु समबुद्धिर्विशिष्यते
।।6.9।।

♦️suhRRinmitraaryudaasiinamadhyasthadveShyabandhuShu|
saadhuShvapi cha paapeShu samabuddhirvishiShyate||6.9||

6.9 He who is of the same mind to the good-hearted, friends, enemies, the indifferent, the neutral, the hateful, the relatives, the righteous and the unrighteous, excels.

।।6.9।। जो पुरुष सुहृद् मित्र शत्रु उदासीन मध्यस्थ द्वेषी और बान्धवों में तथा धर्मात्माओं में और पापियों में भी समान भाव वाला है वह श्रेष्ठ है।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [06.10]
🍃योगी युञ्जीत सततमात्मानं रहसि स्थितः।
एकाकी यतचित्तात्मा निराशीरपरिग्रहः
।।6.10।।

♦️yogii yu~njiita satatamaatmaanaM rahasi sthitaH|
ekaakii yatachittaatmaa niraashiiraparigrahaH||6.10||

6.10 Let the Yogi try constantly to keep the mind steady, remaining in solitude, alone, with the mind and the body controlled, and free from hope and covetousness.

।।6.10।। शरीर और मन को संयमित किया हुआ योगी एकान्त स्थान पर अकेला रहता हुआ आशा और परिग्रह से मुक्त होकर निरन्तर मन को आत्मा में स्थिर करे।।

#geeta
https://youtu.be/U3Oyk-RWrH4
#VedicChanting
About the mantra:
The Ghosha Shanti mantra is usually recited in Soma Yagna and meant for world peace. It appeals for peace among all living beings and remedy for our mistakes committed knowingly or unknowingly in our life.
It is also recited during all auspicious occasions before starting the main ceremony.

You can feel the synchronisation of 3 voices, clarity of letters (Aksharas) and intonations (Swaras) as per the script, which is very pleasing to the ears. We are sure that this will leave you with goosebumps.

A small correction in the text at 7:33. It should be श्श॒त ञ्जी
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द-५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि ०८:३१ तक तत्पश्चात द्वितीया

⛅️ दिनांक - ०३ जनवरी २०२२
⛅️ दिन - सोमवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - शिशिर
⛅️ मास - पौस
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - पूर्वाषढा दोपहर ०१:३३ तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅️ योग - व्याघात ०४ जनवरी रात्रि ०१:२५ तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️ राहुकाल - सुबह ०८:३८ से सुबह १०:०० तक
⛅️ सर्योदय - ०७:१७
⛅️ सर्यास्त - १८:०८
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
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Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Truth.
(सत्यम्)
Date :3rd January 2022,
Monday
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