Forwarded from पुरुषोत्तमः॥ Purushothaman AJ (Bharatam).
हरिःॐ। बुधवासर-सायङ्कालशुभेच्छाः।
आकाशवाण्या अद्यतनसायङ्कालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
आकाशवाण्या अद्यतनसायङ्कालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७७
⛅ 🚩तिथि - एकादशी सुबह 09:47 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक 25 मार्च 2021
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्लेशा रात्रि 10:49 तक तत्पश्चात मघा
⛅ योग - सुकर्मा सुबह 10:04 तक तत्पश्चात धृति
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:16 से शाम 03:48 तक
⛅ सूर्योदय - 06:39
⛅ सूर्यास्त - 18:49
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - आमलकी एकादशी
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७७
⛅ 🚩तिथि - एकादशी सुबह 09:47 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक 25 मार्च 2021
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्लेशा रात्रि 10:49 तक तत्पश्चात मघा
⛅ योग - सुकर्मा सुबह 10:04 तक तत्पश्चात धृति
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:16 से शाम 03:48 तक
⛅ सूर्योदय - 06:39
⛅ सूर्यास्त - 18:49
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - आमलकी एकादशी
Forwarded from पुरुषोत्तमः॥ Purushothaman AJ (Bharatam).
हरिःॐ। बृहस्पतिवासर-सुप्रभातम्।
आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
✊चाणक्य नीति⚔️
✒️एकादशः अध्याय
♦️श्लोक:-६
न दुर्जनः साधुदशामुपैति बहु प्रकारैरपि शिक्ष्यमाणः।
आमूलसिक्तं पयासा घृतेन न निम्बवृक्षोः मधुरत्वमेति।।६।।
♦️भावार्थ --अनेक तरह से समझाए और सिखाए जाने पर भी दुष्ट व्यक्ति अभद्रता को नहीं छोड़ता, जिस प्रकार नीम का वृक्ष दूध और घी से सींचे जाने पर भी मधुरता को प्राप्त नहीं होता।।
#chanakya
✒️एकादशः अध्याय
♦️श्लोक:-६
न दुर्जनः साधुदशामुपैति बहु प्रकारैरपि शिक्ष्यमाणः।
आमूलसिक्तं पयासा घृतेन न निम्बवृक्षोः मधुरत्वमेति।।६।।
♦️भावार्थ --अनेक तरह से समझाए और सिखाए जाने पर भी दुष्ट व्यक्ति अभद्रता को नहीं छोड़ता, जिस प्रकार नीम का वृक्ष दूध और घी से सींचे जाने पर भी मधुरता को प्राप्त नहीं होता।।
#chanakya
🙏
[अथर्ववेद-सूक्त्यः]
🌷परमेश्वर के लिए नमस्कार🌷
तस्मै ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नमः १०.८.१
उस ज्येष्ठ ब्रह्म के लिए हमारा नमस्कार है।
नमस्ते रुद्र कृण्मः सहस्राक्षायामर्त्य ११.२.३
हे अमर प्रभो! हे रुद्र (रुत् द्र), दुःखों को दूर करने वाले परमेश्वर! तुझ सहस्रनेत्र (असंख्य दर्शन शक्तियों से युक्त), सर्वद्रष्टा के लिये नमस्कार।
पुरस्तात् ते नमः कृण्म उत्तरादधरादुत ११.२.४
हे प्रभु ! पूर्व दिशा में वर्तमान तेरे लिये नमन करते हैं, उत्तर दिशा में और दक्षिण दिशा में भी नमन करते हैं।
चतुर्नमो अष्टकृत्वो भवाय दशकृत्वः पशुपते नमस्ते ११.२.९
हे पशुपते! (पशु, प्राणियों के रक्षक), तुझ सृष्टिकर्ता के लिए चार बार नमस्कार, आठ बार नमस्कार, दस बार नमस्कार।
अथवा पूर्वादि चारों दिशाओं में,
आठ दिशाओं में (चार दिशा और चार उपदिशा) वा दश दिशाओं (चार दिशा, चार उपदिशा, ऊपर और नीचे की दिशा) में वर्तमान तेरे लिए नमस्कार है।
नमः सायं नमः प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ११.२.१६
प्रभु के लिये सायं नमस्कार, प्रात: नमस्कार, रात्रि में नमस्कार, दिन में नमस्कार ।
नमस्ते अस्तु पश्यत १३.४.४८
हे सर्वद्रष्टः प्रभो! तेरे लिये नमस्कार है।
विराजे नमः स्वराजे नमः सम्राजे नमः १७.१.२२
विराट् (विशेष प्रकाशमान्) प्रभु के लिये नमस्कार, स्वराट् (स्वयं प्रकाशित) प्रभु के लिये नमस्कार, सम्राट् (सम्यक् सर्वत्र प्रकाशमान्) प्रभु के लिये नमस्कार।
(नमः से ईश्वर के लिए अभिवादन, ईश्वर की आज्ञा का पालन, ईश्वर के प्रति समर्पण और ध्यानयोग द्वारा ईश्वर का सेवन - यह सभी अर्थ लिए जा सकते हैं।)
*💐परमेश्वर का पूजन 💐*
देवं त्वष्टारमिह यक्षि विद्वान् ५.१२.९
हे मनुष्य ! विद्वान् बन और जगत्स्रष्टा की पूजा कर।
स्तुहि देवं सवितारम् ६.१.१
सविता प्रभु की स्तुति कर।
श्रदस्मै धत्त २०.३४.५
भाइयो! इस परमेश्वर के लिए सत्य-श्रद्धा को धारण करो ।
इन्द्रं स्तोता नव्यं गीर्भिः २०.४४.१
वाणियों से स्तवनीय प्रभु का गुणगान करो।
इन्द्राय साम गायत २०.६२.५
प्रभु के लिये गीत गाओ।
आ त्वेता निषीदत-इन्द्रमभि प्रगायत २०.६८.११
आओ, बैठो, प्रभु के गुण गाओ।
अर्चत प्रार्चत प्रियमेधासो अर्चत २०.९२.५
अर्चना करो, विशेष अर्चना करो, हे बुद्धिमानों! प्रभु की अर्चना करो।
अर्चन्तु पुत्रका उत २०.९२.५
तुम्हारे पुत्र भी प्रभु की अर्चना करनेवाले हों ।
ब्रह्मेन्द्राय वोचत २०.११९.१
ब्रह्म (ज्ञानस्वरूप), इन्द्र (ऐश्वर्यवान्) परमेश्वर के लिए स्तुतिगान करो।
#rgveda
[अथर्ववेद-सूक्त्यः]
🌷परमेश्वर के लिए नमस्कार🌷
तस्मै ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नमः १०.८.१
उस ज्येष्ठ ब्रह्म के लिए हमारा नमस्कार है।
नमस्ते रुद्र कृण्मः सहस्राक्षायामर्त्य ११.२.३
हे अमर प्रभो! हे रुद्र (रुत् द्र), दुःखों को दूर करने वाले परमेश्वर! तुझ सहस्रनेत्र (असंख्य दर्शन शक्तियों से युक्त), सर्वद्रष्टा के लिये नमस्कार।
पुरस्तात् ते नमः कृण्म उत्तरादधरादुत ११.२.४
हे प्रभु ! पूर्व दिशा में वर्तमान तेरे लिये नमन करते हैं, उत्तर दिशा में और दक्षिण दिशा में भी नमन करते हैं।
चतुर्नमो अष्टकृत्वो भवाय दशकृत्वः पशुपते नमस्ते ११.२.९
हे पशुपते! (पशु, प्राणियों के रक्षक), तुझ सृष्टिकर्ता के लिए चार बार नमस्कार, आठ बार नमस्कार, दस बार नमस्कार।
अथवा पूर्वादि चारों दिशाओं में,
आठ दिशाओं में (चार दिशा और चार उपदिशा) वा दश दिशाओं (चार दिशा, चार उपदिशा, ऊपर और नीचे की दिशा) में वर्तमान तेरे लिए नमस्कार है।
नमः सायं नमः प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ११.२.१६
प्रभु के लिये सायं नमस्कार, प्रात: नमस्कार, रात्रि में नमस्कार, दिन में नमस्कार ।
नमस्ते अस्तु पश्यत १३.४.४८
हे सर्वद्रष्टः प्रभो! तेरे लिये नमस्कार है।
विराजे नमः स्वराजे नमः सम्राजे नमः १७.१.२२
विराट् (विशेष प्रकाशमान्) प्रभु के लिये नमस्कार, स्वराट् (स्वयं प्रकाशित) प्रभु के लिये नमस्कार, सम्राट् (सम्यक् सर्वत्र प्रकाशमान्) प्रभु के लिये नमस्कार।
(नमः से ईश्वर के लिए अभिवादन, ईश्वर की आज्ञा का पालन, ईश्वर के प्रति समर्पण और ध्यानयोग द्वारा ईश्वर का सेवन - यह सभी अर्थ लिए जा सकते हैं।)
*💐परमेश्वर का पूजन 💐*
देवं त्वष्टारमिह यक्षि विद्वान् ५.१२.९
हे मनुष्य ! विद्वान् बन और जगत्स्रष्टा की पूजा कर।
स्तुहि देवं सवितारम् ६.१.१
सविता प्रभु की स्तुति कर।
श्रदस्मै धत्त २०.३४.५
भाइयो! इस परमेश्वर के लिए सत्य-श्रद्धा को धारण करो ।
इन्द्रं स्तोता नव्यं गीर्भिः २०.४४.१
वाणियों से स्तवनीय प्रभु का गुणगान करो।
इन्द्राय साम गायत २०.६२.५
प्रभु के लिये गीत गाओ।
आ त्वेता निषीदत-इन्द्रमभि प्रगायत २०.६८.११
आओ, बैठो, प्रभु के गुण गाओ।
अर्चत प्रार्चत प्रियमेधासो अर्चत २०.९२.५
अर्चना करो, विशेष अर्चना करो, हे बुद्धिमानों! प्रभु की अर्चना करो।
अर्चन्तु पुत्रका उत २०.९२.५
तुम्हारे पुत्र भी प्रभु की अर्चना करनेवाले हों ।
ब्रह्मेन्द्राय वोचत २०.११९.१
ब्रह्म (ज्ञानस्वरूप), इन्द्र (ऐश्वर्यवान्) परमेश्वर के लिए स्तुतिगान करो।
#rgveda
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।
🍃सर्व निवेदयन्ति स्प यज्ञे यदुपकलिपतम्।
ततः प्रीतो द्विज श्रेष्ठ स्तान्सर्वानिदमब्रवीत्॥२९॥
⚜️जो कुछ यक्ष सम्बन्धी काम करते वह सब कह दिया करते थे । तब प्रसन्न हो वशिष्ठ जी उन सब से कहते॥२६॥
🍃अवज्ञया न दातव्यं कस्यचिल्लीलयापि वा।
अवज्ञया कृतं हन्यादातारं नात्र संशयः॥३०॥
⚜️देखना, किसी को हसि दिल्लगी में भी कोई वस्तु अनादर करके मत देना क्योंकि अनादर करके देने वाले दाता का निश्चय ही नाश होता है॥३०॥
#ramayan
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।
🍃सर्व निवेदयन्ति स्प यज्ञे यदुपकलिपतम्।
ततः प्रीतो द्विज श्रेष्ठ स्तान्सर्वानिदमब्रवीत्॥२९॥
⚜️जो कुछ यक्ष सम्बन्धी काम करते वह सब कह दिया करते थे । तब प्रसन्न हो वशिष्ठ जी उन सब से कहते॥२६॥
🍃अवज्ञया न दातव्यं कस्यचिल्लीलयापि वा।
अवज्ञया कृतं हन्यादातारं नात्र संशयः॥३०॥
⚜️देखना, किसी को हसि दिल्लगी में भी कोई वस्तु अनादर करके मत देना क्योंकि अनादर करके देने वाले दाता का निश्चय ही नाश होता है॥३०॥
#ramayan
📙 ऋग्वेद
सूक्त - २३ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०१, देवता - अश्विनीकुमार आदि
🍃तीव्राः सोमास आ गह्याशीर्वन्तः सुता इमे. वायो तान्प्रस्थितान्पिब.. (१)
⚜️हे वायु! यह तीखा और संतोष देने वाला सोमरस तैयार है. तुम आओ और लाए हुए सोमरस का पान करो. (१)
#rgveda
सूक्त - २३ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०१, देवता - अश्विनीकुमार आदि
🍃तीव्राः सोमास आ गह्याशीर्वन्तः सुता इमे. वायो तान्प्रस्थितान्पिब.. (१)
⚜️हे वायु! यह तीखा और संतोष देने वाला सोमरस तैयार है. तुम आओ और लाए हुए सोमरस का पान करो. (१)
#rgveda
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी सुबह 08:21 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅ दिनांक 26 मार्च 2021
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायन
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मघा रात्रि 09:40 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅ योग - धृति सुबह 07:46 तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - सुबह 11:13 से दोपहर 12:44 तक
⛅ सूर्योदय - 06:38
⛅ सूर्यास्त - 18:50
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत, त्रयोदशी क्षय तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी सुबह 08:21 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅ दिनांक 26 मार्च 2021
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायन
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मघा रात्रि 09:40 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅ योग - धृति सुबह 07:46 तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - सुबह 11:13 से दोपहर 12:44 तक
⛅ सूर्योदय - 06:38
⛅ सूर्यास्त - 18:50
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत, त्रयोदशी क्षय तिथि
Gramer toolkit NEW 22nd may - CQ (2).pdf
12.7 MB
Gramer toolkit NEW 22nd may - CQ (2).pdf
Forwarded from पुरुषोत्तमः॥ Purushothaman AJ (Bharatam).
हरिःॐ। भानुवासर-सुप्रभातम्।
आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।
🍃ततः कैश्चिद्डोरातैरुपयाता महीक्षितः।
बहूनि रत्नान्यादाय राज्ञो दशरथस्य हि ॥३१॥
⚜️इसके कुछ ही दिनों बाद अनेक प्रकार के रत्नों की भेंटे ले ले कर राजा लोग महाराज दशरथ की यज्ञशाला में आ पहुँचे॥३१॥
🍃ततो वसिष्ठः सुभीतो राजानमिदमत्रवीत्।
उपयाता नरव्याघ्र राजानस्तव शासनात्॥३२।।
⚜️तब वशिष्ठ जी राजाओं को आये हुए देख, प्रसन्न हो, महाराज दशरथ से वाले आप के आदेशानुसार सब राजा लोग आ गये॥३२॥
#ramayan
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।
🍃ततः कैश्चिद्डोरातैरुपयाता महीक्षितः।
बहूनि रत्नान्यादाय राज्ञो दशरथस्य हि ॥३१॥
⚜️इसके कुछ ही दिनों बाद अनेक प्रकार के रत्नों की भेंटे ले ले कर राजा लोग महाराज दशरथ की यज्ञशाला में आ पहुँचे॥३१॥
🍃ततो वसिष्ठः सुभीतो राजानमिदमत्रवीत्।
उपयाता नरव्याघ्र राजानस्तव शासनात्॥३२।।
⚜️तब वशिष्ठ जी राजाओं को आये हुए देख, प्रसन्न हो, महाराज दशरथ से वाले आप के आदेशानुसार सब राजा लोग आ गये॥३२॥
#ramayan
📙 ऋग्वेद
सूक्त-२३, प्रथम मंडल,
मंत्र-०२ देवता-वायु आदि
🍃उभा देवा दिविस्पृशेन्द्रवायू हवामहे. अस्य सोमस्य पीतये.. (२)
⚜️मैं आकाश में रहने वाले इंद्र और वायु दोनों देवों को यह सोमरस पीने के लिए बुलाता हूं. (२)
#rgveda
सूक्त-२३, प्रथम मंडल,
मंत्र-०२ देवता-वायु आदि
🍃उभा देवा दिविस्पृशेन्द्रवायू हवामहे. अस्य सोमस्य पीतये.. (२)
⚜️मैं आकाश में रहने वाले इंद्र और वायु दोनों देवों को यह सोमरस पीने के लिए बुलाता हूं. (२)
#rgveda
✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️एकादशः अध्याय
♦️श्लोक : ८
न वेत्ति यो यस्य गुणप्रकर्ष स तं सदा निन्दति नाअ्त्र चित्रम्।
यथा किरती करिकुम्भजाता मुक्ताः परित्यज्य बिभति गुंजाः।।८।।
♦️भावार्थ - जो जिसके गुणों को, गुणों की श्रेष्ठता को नहीं जानता, वह हमेशा उसकी अपेक्षा करता है - इसमें आश्चर्य कैसा? जैसे भीलनी हाथी मस्तक पर स्थित मोती को छोड़कर घुँघची की माला ही पहनती है।
#chanakya
✒️एकादशः अध्याय
♦️श्लोक : ८
न वेत्ति यो यस्य गुणप्रकर्ष स तं सदा निन्दति नाअ्त्र चित्रम्।
यथा किरती करिकुम्भजाता मुक्ताः परित्यज्य बिभति गुंजाः।।८।।
♦️भावार्थ - जो जिसके गुणों को, गुणों की श्रेष्ठता को नहीं जानता, वह हमेशा उसकी अपेक्षा करता है - इसमें आश्चर्य कैसा? जैसे भीलनी हाथी मस्तक पर स्थित मोती को छोड़कर घुँघची की माला ही पहनती है।
#chanakya
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।
🍃मया च सत्कृताः सर्वे यथाहं राजसत्तमाः।
यज्ञियं च कृतं राजन्युरुपैः सुसमाहितैः ॥३३॥
⚜️हे महाराज ! मैंने भी उनका यथावित सत्कार कर दिया और यज्ञ की भी सब तैयारी हो चुकी है॥३३॥
🍃निर्यातु च भवान्यर्टुं यज्ञायतनमन्तिकात्।सर्वकामैरुपहुतैरुपेतं वै समन्ततः ॥ ३४॥
द्रष्टुमर्हसि राजेन्द्र मनसेव विनिर्मितम्।
तथा वसिष्ठवचनादृश्यशृङ्गस्य चाभयोः ॥ ३५॥
⚜️अब आप भी यज्ञ करने के लिये यज्ञशाला में पधारिये और यज्ञ की सब सामग्री को देखिये कि, सेवकों ने कैसी उत्तमता और सावधानता से सब सामान सजा कर रखा है। तब वशिष्ठ जी और ऋषि श्रृंग दोनों के कहने से॥३४॥३५॥
#ramayan
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।
🍃मया च सत्कृताः सर्वे यथाहं राजसत्तमाः।
यज्ञियं च कृतं राजन्युरुपैः सुसमाहितैः ॥३३॥
⚜️हे महाराज ! मैंने भी उनका यथावित सत्कार कर दिया और यज्ञ की भी सब तैयारी हो चुकी है॥३३॥
🍃निर्यातु च भवान्यर्टुं यज्ञायतनमन्तिकात्।सर्वकामैरुपहुतैरुपेतं वै समन्ततः ॥ ३४॥
द्रष्टुमर्हसि राजेन्द्र मनसेव विनिर्मितम्।
तथा वसिष्ठवचनादृश्यशृङ्गस्य चाभयोः ॥ ३५॥
⚜️अब आप भी यज्ञ करने के लिये यज्ञशाला में पधारिये और यज्ञ की सब सामग्री को देखिये कि, सेवकों ने कैसी उत्तमता और सावधानता से सब सामान सजा कर रखा है। तब वशिष्ठ जी और ऋषि श्रृंग दोनों के कहने से॥३४॥३५॥
#ramayan