संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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📚 वेदपाठन - आओ वेद पढ़ें

📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०३ , देवता - वरुण

🍃 वि मृळीकाय ते मनो रथीरश्वं न सन्दितम्, गीर्भिर्वरुण सीमहि.. (३)

⚜️ भावार्थ - हे वरुण देव! जिस प्रकार रथ का मालिक थके हुए घोड़े को स्वस्थ करता है, उसी प्रकार हम भी स्तुतियों द्वारा तुम्हारा मन प्रसन्न करते हैं। (३)

#Rgveda
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०४ , देवता - वरुण

🍃 परा हि मे विमन्यवः पतन्ति वस्यइष्टये वयो न वसतीरुप (४)

⚜️ भावार्थ - जिस प्रकार चिड़ियाँ अपने घोंसलों की ओर तेजी से उड़ती हैं, उसी प्रकार हमारी क्रोधरहित विचारधाराएं जीवन प्राप्त करने के लिए दौड़ रही हैं। (४)

#Rgveda
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०५ , देवता - वरुण

🍃 कदा क्षेत्रश्रियं नरमा वरुणं करामहे. मृळीकायोरुचक्षसम्.. (५)

⚜️ भावार्थ - हम शक्तिशाली नेताओं तथा अगणित लोगों पर दृष्टि रखने वाले वरुण को इस यज्ञ में ले आयेंगे। (५)

#Rgveda
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०६ , देवता - वरुण

🍃 तदित्समानमाशाते वेनन्ता न प्र युच्छतः धृतव्रताय दाशुषे.. (६)

⚜️ भावार्थ - मित्र और वरुण हव्य देने वाले यजमान पर प्रसन्न होकर हमारे द्वारा दिया हुआ साधारण हवि स्वीकार कर लेते हैं। वे कभी भी उसका त्याग नहीं करते। (६)

#Rgveda
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०७ , देवता - वरुण

🍃 वेदा यो वीनां पदमन्तरिक्षेण पतताम् वेद नावः समुद्रियः (७)

⚜️ भावार्थ - वरुण आकाश में उड़ने वाले पक्षियों और सागर में चलने वाली नौकाओं का मार्ग जानते हैं। (७)

#Rgveda
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०९ , देवता - वरुण

🍃 वेद वातस्य वर्तनिमुरोॠष्वस्य बृहतः वेदा ये अध्यासते। (९)

⚜️ भावार्थ - वरुण विस्तार से संपन्न, दर्शनीय और अधिक गुण वाली वायु का मार्ग जानते हैं। वे आकाश में निवास करने वाले देवों से भी परिचित हैं। (९)

#Rgveda
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - १० , देवता - वरुण

🍃 नि षसाद धृतव्रतो वरुणः पस्त्याउ स्वा साम्राज्याय सुक्रतुः। (१०)

⚜️ भावार्थ - व्रत धारण करने वाले एवं उत्तम कर्म करने वाले वरुण दैवी प्रजाओं पर साम्राज्य करने के लिए आकर बैठे थे। (१०)

#Rgveda
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ११ , देवता - वरुण

🍃अतो विश्वान्यद्भुता चिकित्वाँ अभि पश्यति कृतानि या च कर्त्या.. (११)

⚜️ भावार्थ - बुद्धिमान् मनुष्य वरुण की अनुकंपा से वर्तमान काल और भविष्यत् काल की आश्चर्यजनक घटनाओं को देख लेते हैं। (११)

#Rgveda
🙏 💐 15.5.21 वेदवाणी 🙏💐
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा🙏💐

राया वयं ससवांसो मदेम हव्येन देवा यवसेन गावः।
तां धेनुमिन्द्रावरुणा युवं नो विश्वाहा धत्तमनपस्फुरन्तीम्॥ ऋग्वेद ४-४२-१०॥🙏💐

हमारी दी गई याज्ञनिक हवि से देवता प्रसन्न हो। हमें ऐसा धन प्राप्त हो जो हमें शांति प्रदान करें। हम शांतिपूर्ण नींद ले सकें। हे शिक्षकों और उपदेशकों ! हमें ऐसी ज्ञानवाणी प्रदान करो जिससे हम आनंदित रहें।🙏💐

May the DEVTA be pleased with our offered sacrifice. May we have the wealth that gives us peace. May we have a peaceful sleep. O teachers and preachers ! Provide us with such knowledge that we live happily. (Rig Veda 4-42-10)
🙏💐 #rgveda 🙏💐
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - १२ , देवता - वरुण

🍃 स नो विश्वाहा सुक्रतुरादित्यः सुपथा करत् प्र ण आयूंषि तारिषत्.. (१२)

⚜️ भावार्थ - शोभन बुद्धि वाले वे ही अदितिपुत्र वरुण हमें सदा उत्तम मार्ग पर चलने वाला बनावें एवं हमारी आयु को बढ़ावें। (१२)

#Rgveda