संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७७
🚩तिथि - दशमी सुबह 10:23 तक तत्पश्चात एकादशी

दिनांक 24 मार्च 2021
दिन - बुधवार
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - पुष्य रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात अश्लेशा
योग - अतिगण्ड दोपहर 11:42 तक तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल - दोपहर 12:45 से दोपहर 02:16 तक
सूर्योदय - 06:40
सूर्यास्त - 18:49
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
हितोपदेशः - HITOPADESHAH

अपराधेऽपि निःशङ्को
नियोगी चिरसेवकः।।
स स्वामिनमवज्ञाय
चरेच्च निरवग्रहः।।

अर्थः:

बहुत काल से काम करनेवाला सेवक अपराध करने पर भी निडर होकर अपने मालिक को भी अनदेखा करके अपनी मनमानी करता है।

MEANING:

When a servant working for a long time commits a mistake, he neglects his lord and continues with his misdeeds without any fear or hindrance.

ॐ नमो भगवते हयास्याय।

©Sanju GN #Subhashitam
हरिःॐ। सौम्यवासर-सुप्रभातम्।

आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।

जयतु संस्कृतम्॥
🛑We need Volunteers to copy & paste some Sanskrit posts from various sources.
If Interested please comment below.🛑
🔥बालकाण्ड:🔥

।।त्रयोदशः सर्गः।।

🍃व्यादिशत्पुरुषांस्तत्र राज्ञामानयने शुभान्।
स्वयमेव हि.धर्मात्मा प्रययौ मुनिशासनात्॥२७॥

⚜️देश देश के राजाओं को बुलाने के लिये दूत भेजे और स्वयं भी वशिष्ठ जी की आज्ञा के अनुसार राजाओं को जाने के लिये रवाना हुए ॥२७॥

🍃सुमन्त्रस्त्वरितो भूत्वा समानेतुं पहीक्षित:।
ते च कर्मान्तिकाः सर्वे वसिष्ठाय च धीमते॥२८॥

⚜️सुमंत्र वशिष्ठ जी के बतलाये विशिष्ट राजाओं को बुलाने के लिये शीघ्रता से रवाना हो गये। यज्ञ कार्य में लगे हुए मनुष्य बुद्धि- मान् महर्षि वशिष्ठ जी से बोले॥२८॥

#ramayan
📙ऋग्वेद

सूक्त-२२, प्रथम मंडल,
मंत्र-२१ देवता-अश्विनीकुमार आदि

🍃तद्विप्रासो विपन्यवो जागृवांसः समिन्धते. विष्णोर्यत्परमं पदम्.. (२१)

⚜️बुद्धिमान्, विशेष रूप से स्तुति करने वाले एवं जागरूक लोग विष्णु के उस परम पद से अपने हृदय को प्रकाशित करते हैं. (२१)

#Rgveda
हरिःॐ। बुधवासर-सायङ्कालशुभेच्छाः।

आकाशवाण्या अद्यतनसायङ्कालवार्ताः।

जयतु संस्कृतम्॥
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७७
🚩तिथि - एकादशी सुबह 09:47 तक तत्पश्चात द्वादशी

दिनांक 25 मार्च 2021
दिन - गुरुवार
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - अश्लेशा रात्रि 10:49 तक तत्पश्चात मघा
योग - सुकर्मा सुबह 10:04 तक तत्पश्चात धृति
राहुकाल - दोपहर 02:16 से शाम 03:48 तक
सूर्योदय - 06:39
सूर्यास्त - 18:49
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण - आमलकी एकादशी
हरिःॐ। बृहस्पतिवासर-सुप्रभातम्।

आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।

जयतु संस्कृतम्॥
हरिःॐ। २०२१-०३-२५ गुरुवासरः।

https://youtu.be/vtj6IIE4gGY

जयतु संस्कृतम्॥
चाणक्य नीति⚔️

✒️एकादशः अध्याय

♦️श्लोक:-६

न दुर्जनः साधुदशामुपैति बहु प्रकारैरपि शिक्ष्यमाणः।
आमूलसिक्तं पयासा घृतेन न निम्बवृक्षोः मधुरत्वमेति।।६।।

♦️भावार्थ --अनेक तरह से समझाए और सिखाए जाने पर भी दुष्ट व्यक्ति अभद्रता को नहीं छोड़ता, जिस प्रकार नीम का वृक्ष दूध और घी से सींचे जाने पर भी मधुरता को प्राप्त नहीं होता।।

#chanakya
🙏
[अथर्ववेद-सूक्त्यः]

🌷परमेश्वर के लिए नमस्कार🌷

तस्मै ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नमः १०.८.१
उस ज्येष्ठ ब्रह्म के लिए हमारा नमस्कार है।

नमस्ते रुद्र कृण्मः सहस्राक्षायामर्त्य ११.२.३
हे अमर प्रभो! हे रुद्र (रुत् द्र), दुःखों को दूर करने वाले परमेश्वर! तुझ सहस्रनेत्र (असंख्य दर्शन शक्तियों से युक्त), सर्वद्रष्टा के लिये नमस्कार।

पुरस्तात् ते नमः कृण्म उत्तरादधरादुत ११.२.४
हे प्रभु ! पूर्व दिशा में वर्तमान तेरे लिये नमन करते हैं, उत्तर दिशा में और दक्षिण दिशा में भी नमन करते हैं।

चतुर्नमो अष्टकृत्वो भवाय दशकृत्वः पशुपते नमस्ते ११.२.९
हे पशुपते! (पशु, प्राणियों के रक्षक), तुझ सृष्टिकर्ता के लिए चार बार नमस्कार, आठ बार नमस्कार, दस बार नमस्कार।
अथवा पूर्वादि चारों दिशाओं में,
आठ दिशाओं में (चार दिशा और चार उपदिशा) वा दश दिशाओं (चार दिशा, चार उपदिशा, ऊपर और नीचे की दिशा) में वर्तमान तेरे लिए नमस्कार है।

नमः सायं नमः प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ११.२.१६
प्रभु के लिये सायं नमस्कार, प्रात: नमस्कार, रात्रि में नमस्कार, दिन में नमस्कार ।

नमस्ते अस्तु पश्यत १३.४.४८
हे सर्वद्रष्टः प्रभो! तेरे लिये नमस्कार है।

विराजे नमः स्वराजे नमः सम्राजे नमः १७.१.२२
विराट् (विशेष प्रकाशमान्) प्रभु के लिये नमस्कार, स्वराट् (स्वयं प्रकाशित) प्रभु के लिये नमस्कार, सम्राट् (सम्यक् सर्वत्र प्रकाशमान्) प्रभु के लिये नमस्कार।

(नमः से ईश्वर के लिए अभिवादन, ईश्वर की आज्ञा का पालन, ईश्वर के प्रति समर्पण और ध्यानयोग द्वारा ईश्वर का सेवन - यह सभी अर्थ लिए जा सकते हैं।)

*💐परमेश्वर का पूजन 💐*

देवं त्वष्टारमिह यक्षि विद्वान् ५.१२.९
हे मनुष्य ! विद्वान् बन और जगत्स्रष्टा की पूजा कर।

स्तुहि देवं सवितारम् ६.१.१
सविता प्रभु की स्तुति कर।

श्रदस्मै धत्त २०.३४.५
भाइयो! इस परमेश्वर के लिए सत्य-श्रद्धा को धारण करो ।

इन्द्रं स्तोता नव्यं गीर्भिः २०.४४.१
वाणियों से स्तवनीय प्रभु का गुणगान करो।

इन्द्राय साम गायत २०.६२.५
प्रभु के लिये गीत गाओ।

आ त्वेता निषीदत-इन्द्रमभि प्रगायत २०.६८.११
आओ, बैठो, प्रभु के गुण गाओ।

अर्चत प्रार्चत प्रियमेधासो अर्चत २०.९२.५
अर्चना करो, विशेष अर्चना करो, हे बुद्धिमानों! प्रभु की अर्चना करो।

अर्चन्तु पुत्रका उत २०.९२.५
तुम्हारे पुत्र भी प्रभु की अर्चना करनेवाले हों ।

ब्रह्मेन्द्राय वोचत २०.११९.१
ब्रह्म (ज्ञानस्वरूप), इन्द्र (ऐश्वर्यवान्) परमेश्वर के लिए स्तुतिगान करो।

#rgveda
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚

🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।

🍃सर्व निवेदयन्ति स्प यज्ञे यदुपकलिपतम्।
ततः प्रीतो द्विज श्रेष्ठ स्तान्सर्वानिदमब्रवीत्॥२९॥

⚜️जो कुछ यक्ष सम्बन्धी काम करते वह सब कह दिया करते थे । तब प्रसन्न हो वशिष्ठ जी उन सब से कहते॥२६॥

🍃अवज्ञया न दातव्यं कस्यचिल्लीलयापि वा।
अवज्ञया कृतं हन्यादातारं नात्र संशयः॥३०॥

⚜️देखना, किसी को हसि दिल्लगी में भी कोई वस्तु अनादर करके मत देना क्योंकि अनादर करके देने वाले दाता का निश्चय ही नाश होता है॥३०॥

#ramayan
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २३ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०१, देवता - अश्विनीकुमार आदि


🍃तीव्राः सोमास आ गह्याशीर्वन्तः सुता इमे. वायो तान्प्रस्थितान्पिब.. (१)

⚜️हे वायु! यह तीखा और संतोष देने वाला सोमरस तैयार है. तुम आओ और लाए हुए सोमरस का पान करो. (१)

#rgveda
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
🚩तिथि - द्वादशी सुबह 08:21 तक तत्पश्चात त्रयोदशी

दिनांक 26 मार्च 2021
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942
अयन - उत्तरायन
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - मघा रात्रि 09:40 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - धृति सुबह 07:46 तक तत्पश्चात शूल
राहुकाल - सुबह 11:13 से दोपहर 12:44 तक
सूर्योदय - 06:38
सूर्यास्त - 18:50
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत, त्रयोदशी क्षय तिथि