🍃
♦️yadyadaacharati shreShThastattadevetaro janaH|
sa yatpramaaNaM kurute lokastadanuvartate||3.21||
⚜3.21 Whatsoever a great man does, that the other men also do; whatever he sets up as the standard, that the world (mankind) follows.
⚜।।3.21।। श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करता है अन्य लोग भी वैसा ही अनुकरण करते हैं वह पुरुष जो कुछ प्रमाण कर देता है लोग भी उसका अनुसरण करते हैं।।
#geeta
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते
।।3.21।।♦️yadyadaacharati shreShThastattadevetaro janaH|
sa yatpramaaNaM kurute lokastadanuvartate||3.21||
⚜3.21 Whatsoever a great man does, that the other men also do; whatever he sets up as the standard, that the world (mankind) follows.
⚜।।3.21।। श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करता है अन्य लोग भी वैसा ही अनुकरण करते हैं वह पुरुष जो कुछ प्रमाण कर देता है लोग भी उसका अनुसरण करते हैं।।
#geeta
🍃
♦️na me paarthaasti kartavyaM triShu lokeShu ki~nchana|
naanavaaptamavaaptavyaM varta eva cha karmaNi||3.22||
⚜3.22 There is nothing in the three worlds, O Arjuna, that should be done by Me, nor is there anything unattained that should be attained; yet I engage Myself in action.
⚜।।3.22।। यद्यपि मुझे त्रैलोक्य में कुछ भी कर्तव्य नहीं हैं तथा किंचित भी प्राप्त होने योग्य (अवाप्तव्यम्) वस्तु अप्राप्त नहीं है तो भी मैं कर्म में ही बर्तता हूँ।।
#geeta
न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किञ्चन।
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि
।।3.22।।♦️na me paarthaasti kartavyaM triShu lokeShu ki~nchana|
naanavaaptamavaaptavyaM varta eva cha karmaNi||3.22||
⚜3.22 There is nothing in the three worlds, O Arjuna, that should be done by Me, nor is there anything unattained that should be attained; yet I engage Myself in action.
⚜।।3.22।। यद्यपि मुझे त्रैलोक्य में कुछ भी कर्तव्य नहीं हैं तथा किंचित भी प्राप्त होने योग्य (अवाप्तव्यम्) वस्तु अप्राप्त नहीं है तो भी मैं कर्म में ही बर्तता हूँ।।
#geeta
वेद-ज्ञान:-
प्र.1- वेद किसे कहते है ?
उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।
प्र.2- वेद-ज्ञान किसने दिया ?
उत्तर- ईश्वर ने दिया।
प्र.3- ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?
उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।
प्र.4- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?
उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए।
प्र.5- वेद कितने है ?
उत्तर- चार । 1-ऋग्वेद
2-यजुर्वेद
3-सामवेद
4-अथर्ववेद
प्र.6- वेदों के ब्राह्मण ।
1 - ऋग्वेद - ऐतरेय
2 - यजुर्वेद - शतपथ
3 - सामवेद - तांड्य
4 - अथर्ववेद - गोपथ
प्र.7- वेदों के उपवेद कितने है।
उत्तर - चार।
वेद उपवेद
1- ऋग्वेद - आयुर्वेद
2- यजुर्वेद - धनुर्वेद
3 -सामवेद - गंधर्ववेद
4- अथर्ववेद - अर्थवेद
प्र 8- वेदों के अंग हैं ।
उत्तर - छः ।
1 - शिक्षा
2 - कल्प
3 - निरूक्त
4 - व्याकरण
5 - छंद
6 - ज्योतिष
प्र.9- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?
उत्तर- चार ऋषियों को।
वेद ऋषि
1- ऋग्वेद - अग्नि
2 - यजुर्वेद - वायु
3 - सामवेद - आदित्य
4 - अथर्ववेद - अंगिरा
प्र.10- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?
उत्तर- समाधि की अवस्था में।
प्र.11- वेदों में कैसे ज्ञान है ?
उत्तर- सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।
प्र.12- वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर- चार ।
ऋषि विषय
1- ऋग्वेद - ज्ञान
2- यजुर्वेद - कर्म
3- सामवे - उपासना
4- अथर्ववेद - विज्ञान
प्र.13- वेदों में।
ऋग्वेद में।
1- मंडल - 10
2 - अष्टक - 08
3 - सूक्त - 1028
4 - अनुवाक - 85
5 - ऋचाएं - 10589
यजुर्वेद में।
1- अध्याय - 40
2- मंत्र - 1975
सामवेद में।
1- आरचिक - 06
2 - अध्याय - 06
3- ऋचाएं - 1875
अथर्ववेद में।
1- कांड - 20
2- सूक्त - 731
3 - मंत्र - 5977
प्र.14- वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ? उत्तर- मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।
प्र.15- क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
उत्तर- बिलकुल भी नहीं।
प्र.16- क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?
उत्तर- नहीं।
प्र.17- सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर- ऋग्वेद।
प्र.18- वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर- वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व ।
प्र.19- वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?
उत्तर-
1- न्याय दर्शन - गौतम मुनि।
2- वैशेषिक दर्शन - कणाद मुनि।
3- योगदर्शन - पतंजलि मुनि।
4- मीमांसा दर्शन - जैमिनी मुनि।
5- सांख्य दर्शन - कपिल मुनि।
6- वेदांत दर्शन - व्यास मुनि।
प्र.20- शास्त्रों के विषय क्या है ?
उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।
प्र.21- प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?
उत्तर- केवल ग्यारह।
प्र.22- उपनिषदों के नाम बतावे ?
उत्तर-
01-ईश ( ईशावास्य )
02-केन
03-कठ
04-प्रश्न
05-मुंडक
06-मांडू
07-ऐतरेय
08-तैत्तिरीय
09-छांदोग्य
10-वृहदारण्यक
11-श्वेताश्वतर ।
प्र.23- उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?
उत्तर- वेदों से।
प्र.24- चार वर्ण।
उत्तर-
1- ब्राह्मण
2- क्षत्रिय
3- वैश्य
4- शूद्र
प्र.25- चार युग।
1- सतयुग - 17,28000 वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।
2- त्रेतायुग- 12,96000 वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।
3- द्वापरयुग- 8,64000 वर्षों का नाम है।
4- कलयुग- 4,32000 वर्षों का नाम है।
कलयुग के 4,976 वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक।
4,27024 वर्षों का भोग होना है।
पंच महायज्ञ
1- ब्रह्मयज्ञ
2- देवयज्ञ
3- पितृयज्ञ
4- बलिवैश्वदेवयज्ञ
5- अतिथियज्ञ
स्वर्ग - जहाँ सुख है।
नरक - जहाँ दुःख है।
https://t.me/samskrt_samvadah
प्र.1- वेद किसे कहते है ?
उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।
प्र.2- वेद-ज्ञान किसने दिया ?
उत्तर- ईश्वर ने दिया।
प्र.3- ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?
उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।
प्र.4- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?
उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए।
प्र.5- वेद कितने है ?
उत्तर- चार । 1-ऋग्वेद
2-यजुर्वेद
3-सामवेद
4-अथर्ववेद
प्र.6- वेदों के ब्राह्मण ।
1 - ऋग्वेद - ऐतरेय
2 - यजुर्वेद - शतपथ
3 - सामवेद - तांड्य
4 - अथर्ववेद - गोपथ
प्र.7- वेदों के उपवेद कितने है।
उत्तर - चार।
वेद उपवेद
1- ऋग्वेद - आयुर्वेद
2- यजुर्वेद - धनुर्वेद
3 -सामवेद - गंधर्ववेद
4- अथर्ववेद - अर्थवेद
प्र 8- वेदों के अंग हैं ।
उत्तर - छः ।
1 - शिक्षा
2 - कल्प
3 - निरूक्त
4 - व्याकरण
5 - छंद
6 - ज्योतिष
प्र.9- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?
उत्तर- चार ऋषियों को।
वेद ऋषि
1- ऋग्वेद - अग्नि
2 - यजुर्वेद - वायु
3 - सामवेद - आदित्य
4 - अथर्ववेद - अंगिरा
प्र.10- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?
उत्तर- समाधि की अवस्था में।
प्र.11- वेदों में कैसे ज्ञान है ?
उत्तर- सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।
प्र.12- वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर- चार ।
ऋषि विषय
1- ऋग्वेद - ज्ञान
2- यजुर्वेद - कर्म
3- सामवे - उपासना
4- अथर्ववेद - विज्ञान
प्र.13- वेदों में।
ऋग्वेद में।
1- मंडल - 10
2 - अष्टक - 08
3 - सूक्त - 1028
4 - अनुवाक - 85
5 - ऋचाएं - 10589
यजुर्वेद में।
1- अध्याय - 40
2- मंत्र - 1975
सामवेद में।
1- आरचिक - 06
2 - अध्याय - 06
3- ऋचाएं - 1875
अथर्ववेद में।
1- कांड - 20
2- सूक्त - 731
3 - मंत्र - 5977
प्र.14- वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ? उत्तर- मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।
प्र.15- क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
उत्तर- बिलकुल भी नहीं।
प्र.16- क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?
उत्तर- नहीं।
प्र.17- सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर- ऋग्वेद।
प्र.18- वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर- वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व ।
प्र.19- वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?
उत्तर-
1- न्याय दर्शन - गौतम मुनि।
2- वैशेषिक दर्शन - कणाद मुनि।
3- योगदर्शन - पतंजलि मुनि।
4- मीमांसा दर्शन - जैमिनी मुनि।
5- सांख्य दर्शन - कपिल मुनि।
6- वेदांत दर्शन - व्यास मुनि।
प्र.20- शास्त्रों के विषय क्या है ?
उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।
प्र.21- प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?
उत्तर- केवल ग्यारह।
प्र.22- उपनिषदों के नाम बतावे ?
उत्तर-
01-ईश ( ईशावास्य )
02-केन
03-कठ
04-प्रश्न
05-मुंडक
06-मांडू
07-ऐतरेय
08-तैत्तिरीय
09-छांदोग्य
10-वृहदारण्यक
11-श्वेताश्वतर ।
प्र.23- उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?
उत्तर- वेदों से।
प्र.24- चार वर्ण।
उत्तर-
1- ब्राह्मण
2- क्षत्रिय
3- वैश्य
4- शूद्र
प्र.25- चार युग।
1- सतयुग - 17,28000 वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।
2- त्रेतायुग- 12,96000 वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।
3- द्वापरयुग- 8,64000 वर्षों का नाम है।
4- कलयुग- 4,32000 वर्षों का नाम है।
कलयुग के 4,976 वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक।
4,27024 वर्षों का भोग होना है।
पंच महायज्ञ
1- ब्रह्मयज्ञ
2- देवयज्ञ
3- पितृयज्ञ
4- बलिवैश्वदेवयज्ञ
5- अतिथियज्ञ
स्वर्ग - जहाँ सुख है।
नरक - जहाँ दुःख है।
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Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅️ 🚩तिथि - दशमी १४ नवम्बर प्रातः ०५:४८ तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️ दिनांक - १३ नवंबर २०२१
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - हेमंत
⛅️ मास - कार्तिक
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - शतभिषा शाम ०३:२५ तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅️ योग - व्याधात १४ नवंबर रात्रि ०२: १७ तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️ राहुकाल - सुबह ०९:३५ से सुबह १०:५९ तक
⛅️ सर्योदय - ०६:४९
⛅️ सर्यास्त - १७:५६
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🌥 🚩यगाब्द - ५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅️ 🚩तिथि - दशमी १४ नवम्बर प्रातः ०५:४८ तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️ दिनांक - १३ नवंबर २०२१
⛅️ दिन - शनिवार
⛅️ शक संवत -१९४३
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - हेमंत
⛅️ मास - कार्तिक
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - शतभिषा शाम ०३:२५ तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
⛅️ योग - व्याधात १४ नवंबर रात्रि ०२: १७ तक तत्पश्चात हर्षण
⛅️ राहुकाल - सुबह ०९:३५ से सुबह १०:५९ तक
⛅️ सर्योदय - ०६:४९
⛅️ सर्यास्त - १७:५६
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
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https://youtu.be/-Akv_YE4Yl8
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | गृह मंत्री अमित शाह आज अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का करेंगें शुभारंभ
वार्ता: संस्कृत में समाचार | गृह मंत्री अमित शाहआज अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का करेंगें शुभारंभ
ॐ
चिरन्तन-विचारशलाका ।
आकाशस्थः मित्रः
एकदा चिन्तितवान् ,
साक्षात् भूतलं गत्वा
क्रियेत स्वर्गनिर्माणम् ।
तत्र एव स्थित्वा
चिरकालपर्यन्तं,
जनेभ्यः पीडितेभ्यः
दास्यामि साहाय्यम् ।
किन्तु कथं शक्यम् ?
साक्षात् गम्यते चेत्
पृथिव्याः सर्वनाशः ।
तर्हि कः उपायः ?
त्यक्त्वा वास्तविकं
चण्ड-प्रखर-रूपं ,
मनुष्यरूपेण एव
अवतरिष्यामि भूतलम् ।
विचिन्त्य इति उपायं
मित्रः तथैव कृतवान् ।
स्वनाम अपि भवेत् भिन्नं
इति मानसे चिन्तितवान् ।
किञ्चित् परिवर्तनं
स्वनामशब्दे कृत्वा ,
मित्रम् इति नामशब्दं
सः तदा स्वीकृतवान् ।
सुप्रभातम् !
अद्यतन-दिवसः मङ्गलमयः भवेत् ।
----- संस्कृतानन्दः ।
चिरन्तन-विचारशलाका ।
आकाशस्थः मित्रः
एकदा चिन्तितवान् ,
साक्षात् भूतलं गत्वा
क्रियेत स्वर्गनिर्माणम् ।
तत्र एव स्थित्वा
चिरकालपर्यन्तं,
जनेभ्यः पीडितेभ्यः
दास्यामि साहाय्यम् ।
किन्तु कथं शक्यम् ?
साक्षात् गम्यते चेत्
पृथिव्याः सर्वनाशः ।
तर्हि कः उपायः ?
त्यक्त्वा वास्तविकं
चण्ड-प्रखर-रूपं ,
मनुष्यरूपेण एव
अवतरिष्यामि भूतलम् ।
विचिन्त्य इति उपायं
मित्रः तथैव कृतवान् ।
स्वनाम अपि भवेत् भिन्नं
इति मानसे चिन्तितवान् ।
किञ्चित् परिवर्तनं
स्वनामशब्दे कृत्वा ,
मित्रम् इति नामशब्दं
सः तदा स्वीकृतवान् ।
सुप्रभातम् !
अद्यतन-दिवसः मङ्गलमयः भवेत् ।
----- संस्कृतानन्दः ।
राजेश: -नमस्ते। सुप्रभातम्। कुशलम् किम् ?
Rajeśaḥ- Namaste. Suprabhātaṁ. Kuśalaṁ Kiṁ ?
Rajesh- Namaste. Good Morning. All Good.
विमल: -आम्। कुशलम्। भवान् कुशली किम् ?
Vimalaḥ- Āṁ. Kuśalaṁ. Bhavān Kuśalī Kiṁ ?
Vimal- Yes, I am All Right. Are you all right?
राजेश: -आम। एषः कः ?
Rajeśaḥ- Ām . Eṣaḥ Kaḥ?
Rajesh- Yes, Who is He?
विमल: -एषः मम स्नेहितः। एतस्य नाम अनूप।
Vimalaḥ- Eṣaḥ mama Snehitaḥ. Etasya Nāma Anūp.
Vimal- He is my good wisher. He is Anup.
अनूप: -नमस्ते। भवतः नाम कि्म ?
Anūpaḥ- Namaste. Bhavataḥ Nāma Kiṁ?
Anup- Namaste, What is your name?
राजेशः -मम नाम राजेशः। विमल! एषः मम सहोदरः। एतस्य नाम विशाल।
Rajeśaḥ- Mama Nāma Rājeśaḥ. Vimala! eṣaḥ mama sahodaraḥ. Etasya Nāma Viśāla.
Rajesh- My name is Rajesh. Vimal! He is my Brother. His name Vishal.
विमलः - मित्र ! किं तत् पुस्तकम् ?
Vimalaḥ- Mitra! kiṁ Tat pustakaṁ?
Vimal- Friend! What a book?
राजेशः - एतत् कथापुस्तकं।
Rājeśaḥ- Etat Kathāpustakaṁ.
Rajesh- This is Story Book.
अनुपः - राजेशवर्य ! तस्य लेखकः कः ?
Anupaḥ -Rājeśavarya! Tasya Lekhakaḥ Kaḥ?
Anupaḥ- Rajesh! Who is the author?
राजेशः - एतस्य लेखकः कृष्णशर्मा। विमल ! मम विलम्बः जातः। अहम् आगच्छामि। अनूप ! पुनः मिलाम।
Rājeśaḥ- Etasya Lekhakaḥ Krṣṇaśarmā. Vimal! Mama Vilambaḥ Jātaḥ. Ahaṁ Āgacchhāmi. Anūpa! Punaḥ Milām.
Rajesh- The author of this book is Krishnasharma. Vimal! I am Late. So I come. Anup! bye see you.
विशालः -अस्तु, पुनः मिलाम।
राजेशः - अस्तु, पुनः मिलाम।
Viśālaḥ- Astu, Punaḥ Milām.
Vishal- ok, By See you.
हिरामन: - पिन्टू: कथम् असि?
पिन्टू: - अहं कुशलम् अस्मि |
हिरामन: - किम् ह्य: त्वं विद्यालयम् अगच्छ:?
पिन्टू: - अहं रुग्ण: आसीत् तस्मात् कारणात् अहं विद्यालयं न अगच्छम् | किम् अभवत् विद्यालये? किम् तत्र विशेष: अभवत्?
हिरामन: - आम् | ह्य: विद्यालये सम्भाषणप्रतियोगिता अभवत् | तत्र सर्वे छात्रा: सम्भाषणम् अददु: |
पिन्टू: - किम् गायनम् अपि आसीत् |
हिरामन: - आम् गायनम् अपि आसीत् |
पिन्टू: - अद्य विद्यालये किम् भविष्यति ?
हिरामन: - अद्य विद्यालये चित्र प्रतियोगिता भविष्यति |
#vakyabhyas
Rajeśaḥ- Namaste. Suprabhātaṁ. Kuśalaṁ Kiṁ ?
Rajesh- Namaste. Good Morning. All Good.
विमल: -आम्। कुशलम्। भवान् कुशली किम् ?
Vimalaḥ- Āṁ. Kuśalaṁ. Bhavān Kuśalī Kiṁ ?
Vimal- Yes, I am All Right. Are you all right?
राजेश: -आम। एषः कः ?
Rajeśaḥ- Ām . Eṣaḥ Kaḥ?
Rajesh- Yes, Who is He?
विमल: -एषः मम स्नेहितः। एतस्य नाम अनूप।
Vimalaḥ- Eṣaḥ mama Snehitaḥ. Etasya Nāma Anūp.
Vimal- He is my good wisher. He is Anup.
अनूप: -नमस्ते। भवतः नाम कि्म ?
Anūpaḥ- Namaste. Bhavataḥ Nāma Kiṁ?
Anup- Namaste, What is your name?
राजेशः -मम नाम राजेशः। विमल! एषः मम सहोदरः। एतस्य नाम विशाल।
Rajeśaḥ- Mama Nāma Rājeśaḥ. Vimala! eṣaḥ mama sahodaraḥ. Etasya Nāma Viśāla.
Rajesh- My name is Rajesh. Vimal! He is my Brother. His name Vishal.
विमलः - मित्र ! किं तत् पुस्तकम् ?
Vimalaḥ- Mitra! kiṁ Tat pustakaṁ?
Vimal- Friend! What a book?
राजेशः - एतत् कथापुस्तकं।
Rājeśaḥ- Etat Kathāpustakaṁ.
Rajesh- This is Story Book.
अनुपः - राजेशवर्य ! तस्य लेखकः कः ?
Anupaḥ -Rājeśavarya! Tasya Lekhakaḥ Kaḥ?
Anupaḥ- Rajesh! Who is the author?
राजेशः - एतस्य लेखकः कृष्णशर्मा। विमल ! मम विलम्बः जातः। अहम् आगच्छामि। अनूप ! पुनः मिलाम।
Rājeśaḥ- Etasya Lekhakaḥ Krṣṇaśarmā. Vimal! Mama Vilambaḥ Jātaḥ. Ahaṁ Āgacchhāmi. Anūpa! Punaḥ Milām.
Rajesh- The author of this book is Krishnasharma. Vimal! I am Late. So I come. Anup! bye see you.
विशालः -अस्तु, पुनः मिलाम।
राजेशः - अस्तु, पुनः मिलाम।
Viśālaḥ- Astu, Punaḥ Milām.
Vishal- ok, By See you.
हिरामन: - पिन्टू: कथम् असि?
पिन्टू: - अहं कुशलम् अस्मि |
हिरामन: - किम् ह्य: त्वं विद्यालयम् अगच्छ:?
पिन्टू: - अहं रुग्ण: आसीत् तस्मात् कारणात् अहं विद्यालयं न अगच्छम् | किम् अभवत् विद्यालये? किम् तत्र विशेष: अभवत्?
हिरामन: - आम् | ह्य: विद्यालये सम्भाषणप्रतियोगिता अभवत् | तत्र सर्वे छात्रा: सम्भाषणम् अददु: |
पिन्टू: - किम् गायनम् अपि आसीत् |
हिरामन: - आम् गायनम् अपि आसीत् |
पिन्टू: - अद्य विद्यालये किम् भविष्यति ?
हिरामन: - अद्य विद्यालये चित्र प्रतियोगिता भविष्यति |
#vakyabhyas
अम्बोधिर्जलधिर्पयोधिरुधधिर्वारांनिधिर्वारिधिः ||
उच्चारणं करोतु जिह्वाघूर्णनार्थम्🗣
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-6
श्रुत्वा चैतत्त्रिलोकज्ञो वाल्मीकेर्नारदो वच:।
श्रूयतामिति चामन्त्र्य प्रहृष्टो वाक्यमब्रवीत्।। 6।।
श्लोकान्वयः-
त्रिलोकज्ञ: नारद: वाल्मीके: एतद् वच:
श्रुत्वा ‘श्रूयताम्’ इति आमन्त्र्य च प्रहृष्ट: (सन्) वाक्यम् अब्रवीत्।।6।।
हिन्दी-अनुवाद-
लोकत्रय के वृत्तान्तों के ज्ञाता देवर्षि नारद वाल्मीकि के पूर्वोक्त
वचनों को सुनकर अत्यन्त प्रसन्न हुए तथा ‘‘सुनिये’’ ऐसा कहकर बोले।।6।।
English Meaning
त्रिलोकज्ञ: knower of the three worlds, नारद: Narada, वाल्मीके: Valmiki's, एतत् वच: these words, श्रुत्वा च having heard, श्रूयताम् इति "Listen to me", चामन्त्त्र्य च having invited, प्रहृष्ट: was delighted, वाक्यम् words, अब्रवीत् spoke.
Invited by Valmiki to take his seat Narada, knower of the three worlds heard him and said with delight, "Listen to me!". And thus spoke.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-6
श्रुत्वा चैतत्त्रिलोकज्ञो वाल्मीकेर्नारदो वच:।
श्रूयतामिति चामन्त्र्य प्रहृष्टो वाक्यमब्रवीत्।। 6।।
श्लोकान्वयः-
त्रिलोकज्ञ: नारद: वाल्मीके: एतद् वच:
श्रुत्वा ‘श्रूयताम्’ इति आमन्त्र्य च प्रहृष्ट: (सन्) वाक्यम् अब्रवीत्।।6।।
हिन्दी-अनुवाद-
लोकत्रय के वृत्तान्तों के ज्ञाता देवर्षि नारद वाल्मीकि के पूर्वोक्त
वचनों को सुनकर अत्यन्त प्रसन्न हुए तथा ‘‘सुनिये’’ ऐसा कहकर बोले।।6।।
English Meaning
त्रिलोकज्ञ: knower of the three worlds, नारद: Narada, वाल्मीके: Valmiki's, एतत् वच: these words, श्रुत्वा च having heard, श्रूयताम् इति "Listen to me", चामन्त्त्र्य च having invited, प्रहृष्ट: was delighted, वाक्यम् words, अब्रवीत् spoke.
Invited by Valmiki to take his seat Narada, knower of the three worlds heard him and said with delight, "Listen to me!". And thus spoke.
#SankshepaRamayanam
🍃
♦️yadi hyahaM na varteyaM jaatu karmaNyatandritaH|
mama vartmaanuvartante manuShyaaH paartha sarvashaH||3.23||
⚜3.23 For, should I not ever engage Myself in action, unwearied, men would in every way follow My path, O Arjuna.
⚜।।3.23।। यदि मैं सावधान हुआ (अतन्द्रित) कदाचित कर्म में न लगा रहूँ तो हे पार्थ सब प्रकार से मनुष्य मेरे मार्ग (र्वत्म) का अनुसरण करेंगे।।
#geeta
यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः
।।3.23।।♦️yadi hyahaM na varteyaM jaatu karmaNyatandritaH|
mama vartmaanuvartante manuShyaaH paartha sarvashaH||3.23||
⚜3.23 For, should I not ever engage Myself in action, unwearied, men would in every way follow My path, O Arjuna.
⚜।।3.23।। यदि मैं सावधान हुआ (अतन्द्रित) कदाचित कर्म में न लगा रहूँ तो हे पार्थ सब प्रकार से मनुष्य मेरे मार्ग (र्वत्म) का अनुसरण करेंगे।।
#geeta
🍃
♦️utsiideyurime lokaa na kuryaaM karma chedaham|
sa~Nkarasya cha kartaa syaamupahanyaamimaaH prajaaH||3.24||
⚜3.24 These worlds would perish if I did not perform action; I should be the author of confusion of castes and destruction of these beings.
⚜।।3.24।। यदि मैं कर्म न करूँ तो ये समस्त लोक नष्ट हो जायेंगे और मैं वर्णसंकर का कर्ता तथा इस प्रजा का हनन करने वाला होऊँगा।।
#geeta
उत्सीदेयुरिमे लोका न कुर्यां कर्म चेदहम्।
सङ्करस्य च कर्ता स्यामुपहन्यामिमाः प्रजाः
।।3.24।।♦️utsiideyurime lokaa na kuryaaM karma chedaham|
sa~Nkarasya cha kartaa syaamupahanyaamimaaH prajaaH||3.24||
⚜3.24 These worlds would perish if I did not perform action; I should be the author of confusion of castes and destruction of these beings.
⚜।।3.24।। यदि मैं कर्म न करूँ तो ये समस्त लोक नष्ट हो जायेंगे और मैं वर्णसंकर का कर्ता तथा इस प्रजा का हनन करने वाला होऊँगा।।
#geeta
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
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🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
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⛅ दिनांक - १४ नवंबर २०२१
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⛅ अयन - दक्षिणायन
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⛅ सूर्योदय - ०६:४९
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⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे
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