संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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Time : 11:00 AM 🕚
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Date : 20th October 2021 ; Wednesday

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Tuesday, October 19, 2021

केरले त्रयः सेतुकवाटाः उद्घाटयन्ति। जनै: जाग्रता पालनीया इति मुख्यमन्त्री पिणराई विजयः।
अनन्तपुरी> राज्ये वृष्टिमनुवर्तमाने साहचर्ये अधिकजलनिर्गमनार्थं सेतुकवाटः उद्घाटयितुं निश्चिनोत्। अतः सेतोः समीपप्रदेशस्थाः जनाः अतीव जागरूकाः भवितव्याः इति केरलस्य मुख्यमन्त्रिणा आदेशः दत्तः। अवधानतां स्वीकृत्यैव सेतुकवाटाः उद्घाटयन्ते। इडुक्कि सेतोः कवाटः मङ्गलवासरे प्रातः एकादशवादने, इटमलयार् तथा पम्पासेतुकवाटाः च प्रातः षड्वादने च उद्‌घाटयिष्यन्ते। सेतोः जलस्तरनिरीक्षणाय सर्वकारेण नियुक्तायाः समितेः निश्चयमनुसृत्यैव अधिकजलनिर्गमनाय पूर्वोक्तसेतूनां कवाटाः उद्घाटयितुं निश्चितः।

केरले अतिवृष्टिदुष्प्रभावः - मरणानि ३३ अभवन्।
अनन्तपुरी> राज्ये अतिवृष्टिदुष्प्रभावेण भूस्खलनेन च दिनत्रयेण ३३ जनाः कालवशं गताः। कोट्टयं, इटुक्की, पत्तनंतिट्टा, आलप्पुष़ा तृश्शूर् जनपदेषु भूस्खलनेन जलोपप्लवेन एतदनुबन्धदुर्घटनेन च एते जनाः मृताः।

कोट्टयं जनपदे कूट्टिक्कल् प्रदेशे, इटुक्की जनपदस्य कोक्कयार् प्रदेशे च जाते भूस्खलनेन मृदन्तर्भागे पतितानां मृतशरीराणि दुरन्तनिवारणसेनया कृते अन्वेषणे लब्धानि। अदृष्टाणां सर्वेषां मृतदेहाः उपलब्धाः इति जनपदाधिकारिभिः निगदितम्।

~ संप्रति वार्ता
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [02.45]
🍃त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन।
निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्
।।2.45।।

♦️traiguNyaviShayaa vedaa nistraiguNyo bhavaarjuna|
nirdvandvo nityasattvastho niryogakShema aatmavaan||2.45||

2.45 The Vedas deal with the three attributes (of Nature); be thou above these three attributes. O Arjuna, free yourself from the pairs of opposites, and ever remain in the ality of Sattva (goodness), freed from (the thought of) acisition and preservation, and be established in the Self.

।।2.45।। हे अर्जुन वेदों का विषय तीन गुणों से सम्बन्धित (संसार से) है तुम त्रिगुणातीत निर्द्वन्द्व नित्य सत्त्व (शुद्धता) में स्थित योगक्षेम से रहित और आत्मवान् बनो।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [02.46]
🍃यावानर्थ उदपाने सर्वतः संप्लुतोदके।
तावान्सर्वेषु वेदेषु ब्राह्मणस्य विजानतः
।।2.46।।

♦️yaavaanartha udapaane sarvataH saMplutodake|
taavaansarveShu vedeShu braahmaNasya vijaanataH||2.46||

2.46 To the Brahmana who has known the Self, all the Vedas are of as much use as is a reservoir of water in a place where there is a flood.

।।2.46।। सब ओर से परिपूर्ण जलराशि के होने पर मनुष्य का छोटे जलाशय में जितना प्रयोजन रहता है आत्मज्ञानी ब्राह्मण का सभी वेदों में उतना ही प्रयोजन रहता है।।

#geeta
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🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द - ५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅️ 🚩तिथि - पूर्णिमा रात्रि ०८:२६ तक तत्पश्चात प्रतिपदा

⛅️ दिनांक २० - अक्टूबर २०२१
⛅️ दिन - बुधवार
⛅️ शक संवत - १९४३
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - शरद
⛅️ मास -अश्विन
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - रेवती दोपहर ०२:०२ तक तत्पश्चात अश्विन
⛅️ योग - हर्षण रात्रि ०८:४० तक तत्पश्चात बज्र
⛅️ राहुकाल - दोपहर १२:२३ दोपहर ०१:५० तक
⛅️ सर्योदय - ०६:३७
⛅️ सर्यास्त - १८:०९
⛅️ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
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🕉 नमः सुरभारत्यै मात्रे🙏🚩

शरदपूर्णिमा
आश्विनमासः पूर्णिमा तिथिः शरदपूर्णिमा कथ्यते।
=अश्विन माह में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है।

इयं पूर्णिमा कौमुदी, कोजागरी रासपूर्णिमा वा नाम्नामि ज्ञायते।
=इस पूर्णिमा को कौमुदी, कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

शरदपूर्णिमादिवसे शशिः धरायाः सर्वाधिकं समीपे भवति।
=शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है।

अयम् उत्सवः शर्वर्यां चन्द्रस्य धवलचन्द्रिकामध्ये आचर्यते।
=ये पर्व रात में चंद्रमा की दूधिया रोशनी के बीच मनाया जाता है।

एवं मन्यते यत् सकले वर्षे केवलं शरदपूर्णिमादिवसे हि चन्द्रः स्वषोडशकलाभिः परिपूर्णः वर्तते।
=ऐसी मान्यता है कि पूरे साल में केवल शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।

अस्मिन् दिने चन्द्रदेवस्य पूजा शुभदा भवति।
= इस दिन चंद्र देव की पूजा करना शुभ होता हैं।

शरदपूर्णिमायाः व्रतं विशेषं फलप्रदम् अस्ति।
=शरद पूर्णिमा के दिन व्रत करना विशेष फलदायी होता है।

पौराणिकमान्यतास्ति यत् अस्यां तिथौ चन्द्रकिरणेभ्यः पीयूषवृष्टिः भवति।
=पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चन्द्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है।

इतोपि एतया तिथिना शरदऋतोः श्रीगणेशः भवति।
और इस दिन से शरद ऋतु का आगमन होता है।

अस्यां तिथौ शशिधवलचन्द्रिकायां क्षीरेण सह पक्वं पायसं स्थाप्यते।
इस दिन चंद्रमा की दूधिया रोशनी में दूध की खीर बनाकर रखी जाती है।

चन्द्रदेवस्य सम्यक्तया पूजनं कीर्तनं च कृत्वा पायसं प्रातः प्रसादरूपेण खाद्यते।
=चन्द्रदेव की अच्छे से पूजनकीर्तन करके खीर को प्रसाद की तरह खाया जाता है।

मन्यते यत् अस्य पायसस्य सेवनेन गात्रं व्याधिभ्यः मुक्तिं लभते।
=मान्यता है कि इस खीर को खाने से शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है।

अतः वयं शरदपूर्णिमाव्रतं नूनमेव करवाम
= इसलिए हम लोग शरदपूर्णिमा का व्रत अवश्य ही करें।

चन्द्रस्य धवलचन्द्रिकामध्ये स्थापितं पायसं खादित्वा स्वास्थ्यं लभामहै।
=चन्द्रमा के श्वेतप्रकाश में रखी खीर खाकर हम स्वास्थ्य प्राप्त करें।

शरदपूर्णिमा सर्वेभ्यः परमसुखदायिनी भवतु।
=शरदपूर्णिमा सभी के परमसुख देने वाली होवे।

जयतु संस्कृतम्।। जयतु भारतम्।।

#vakyabhyas