writereaddata_Bulletins_Text_NSD_2021_Sep_NSD_Sanskrit_Sanskrit.pdf
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AIR Sanskrit News - Text
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes
Time : 11:00 AM 🕚
Topic : Save Trees / Environment Protection
Date : 08.09.2021 ; Wednesday
Please Join the voicechat on time.
Please come prepared to discuss the ways to protect our environment in Sanskrit, If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news. https://youtu.be/Ku9P5TsWsrI
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Watch 'Vaarta' for news insights in Sanskrit | 8.9.2021
ॐ ईशावास्यमिदंग्ंसर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्। तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ॥ १ ॥
Meaning: All this, whatever moves in the universe, including those that move not, is indwelt or pervaded or enveloped or clothed by the Lord. That renounced, thou should enjoy. Covet not anybody's wealth.
तदेजति तन्नेजति तद्दूरे तद्वन्तिके। तदन्तरस्य सर्वस्य तदु सर्वस्यास्य बाह्यतः ॥ ४ ॥
Meaning: The Atman moves and It moves not; It is far and It is near; It is within all this, and It is outside all this.
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्। तत्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ॥ १५ ॥
Meaning: The face of Truth is covered by a golden lid; remove, O Sun that (covering) for me, the practitioner of Truth, so that I may behold It.
The seers have seen the truth itself. They were able to see beyond what the eyes revealed to them. They have seen that which is beyond even the mind's capacity to comprehend. They have seen the the truth through the eyes of their consciousness. It is with such a vision they emphatically declared that:
पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमदुच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवाशिष्यते ॥
Meaning: That is Whole; This is Whole; From the Whole, the Whole arises; Taking away the Whole from the Whole, The Whole remains. (You may replace the word 'Whole' with 'full', or 'complete' and read again)
Meaning: All this, whatever moves in the universe, including those that move not, is indwelt or pervaded or enveloped or clothed by the Lord. That renounced, thou should enjoy. Covet not anybody's wealth.
तदेजति तन्नेजति तद्दूरे तद्वन्तिके। तदन्तरस्य सर्वस्य तदु सर्वस्यास्य बाह्यतः ॥ ४ ॥
Meaning: The Atman moves and It moves not; It is far and It is near; It is within all this, and It is outside all this.
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्। तत्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ॥ १५ ॥
Meaning: The face of Truth is covered by a golden lid; remove, O Sun that (covering) for me, the practitioner of Truth, so that I may behold It.
The seers have seen the truth itself. They were able to see beyond what the eyes revealed to them. They have seen that which is beyond even the mind's capacity to comprehend. They have seen the the truth through the eyes of their consciousness. It is with such a vision they emphatically declared that:
पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमदुच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवाशिष्यते ॥
Meaning: That is Whole; This is Whole; From the Whole, the Whole arises; Taking away the Whole from the Whole, The Whole remains. (You may replace the word 'Whole' with 'full', or 'complete' and read again)
ओ३म्
694. संस्कृत वाक्याभ्यासः
ह्यः मम भार्या मह्यं कार्याणि दत्तवती।
= कल मेरी पत्नी ने मुझे काम दिये।
सा उक्तवती
= उसने कहा
शक्यम् अस्ति चेत् आपणात् सेवफलम् आनयतु।
= सम्भव हो तो बाजार से सेव लाईयेगा।
शक्यम् अस्ति चेत् सायं शीघ्रम् आगच्छतु।
= हो सके तो आज शाम शीघ्र आएँगे।
शक्यम् अस्ति चेत् अद्य शीघ्रं भोजनं करोतु।
= सम्भव हो तो आज जल्दी भोजन करिये।
शक्यम् अस्ति चेत् अवकरं बहिः क्षिपतु।
= हो सके तो कूड़ा बाहर फेंक दीजिये।
शक्यम् अस्ति चेत् मम शिशिरवस्त्राणि उपरि स्थापयातु
= हो सके तो मेरे जाड़े के वस्त्र ऊपर रख दीजिये
सा यत्किमपि कार्यं दत्तवती तत् सर्वं शक्यम् आसीत्।
= उसने जो भी काम दिया वो सब सम्भव था
अहं तस्याः सर्वाणि कार्याणि कृतवान्।
= मैंने उसके सारे काम कर दिये।
भार्यायाः कार्याणि तु करणीयानि एव।
= पत्नी के काम तो करने ही चाहिये।
ओ३म्
695. संस्कृत वाक्याभ्यासः
तस्याः गृहे घटः अस्ति , सुशीतकं नास्ति।
= उसके घर में घड़ा है , फ़्रीज नहीं है।
सा घटं पाकशालायां स्थापयति।
= वह घड़े को रसोई में रखती है।
घटस्य जलं मधुरं भवति।
= घड़े का जल मीठा हो जाता है।
यदा कोsपि अतिथिः आगच्छति तदा सा घटात् जलं निष्कासयति।
= जब कोई अतिथि आता है तब वह घड़े जल निकालती है।
अतिथिं जलं पाययति।
= अतिथि को जल पिलाती है।
अतिथिः घटस्य जलं पीत्वा तुष्यति।
= अतिथि घड़े का जल पीकर तुष्ट हो जाता है।
अतिथिः पृच्छति – सुशीतकस्य जलम् अस्ति वा ?
= अतिथि पूछता है – फ़्रीज का पानी है क्या ?
सा प्रत्युत्तरं ददाति – न , अहं घटात् जलम् आनीतवती।
= वह उत्तर देती है – नहीं , मैं घड़े से पानी लाई हूँ।
अहं रात्रौ घटे जलं पूरयामि।
= मैं रात में घड़े में जल भर देती हूँ।
प्रातः जलं शीतलं भवति।
= प्रातः जल शीतल हो जाता है।
ओ३म्
696. संस्कृत वाक्याभ्यासः
सः नूतनं दीपगोलकम् आनीतवान्।
= वह नया बल्ब लाया।
पुरातनं दीपगोलकं द्रवितं भवति।
= पुराना बल्ब फ्यूज़ हो गया।
पुरातने दीपगोलके विद्युतस्य व्ययः अधिकः भवति स्म।
= पुराने बल्ब में बिजली अधिक खर्च होती थी।
नूतने दीपगोलके विद्युतस्य व्ययः न्यूनं भवति।
= नए बल्ब में बिजली कम खर्च होती है।
पुरातने दीपगोलके प्रकाशः अधिकः न आसीत्।
= पुराने बल्ब में प्रकाश अधिक नहीं था।
नूतने दीपगोलके अधिकः प्रकाशः अस्ति।
= नए बल्ब में अधिक प्रकाश है।
सः पुनः आपणं गच्छति।
= वह पुनः बाजार जाता है।
चत्वारि नूतनानि दीपगोलकानि आनयति।
= चार नए बल्ब लाता है।
सर्वेषां प्रकोष्ठाणां दीपगोलकानि परिवर्तयति।
= सभी कमरों के बल्ब बदल देता है।
अधुना विद्युतस्य अधिकः व्ययः न भविष्यति।
= अब बिजली का अधिक खर्च नहीं होगा।
#vakyabhyas
694. संस्कृत वाक्याभ्यासः
ह्यः मम भार्या मह्यं कार्याणि दत्तवती।
= कल मेरी पत्नी ने मुझे काम दिये।
सा उक्तवती
= उसने कहा
शक्यम् अस्ति चेत् आपणात् सेवफलम् आनयतु।
= सम्भव हो तो बाजार से सेव लाईयेगा।
शक्यम् अस्ति चेत् सायं शीघ्रम् आगच्छतु।
= हो सके तो आज शाम शीघ्र आएँगे।
शक्यम् अस्ति चेत् अद्य शीघ्रं भोजनं करोतु।
= सम्भव हो तो आज जल्दी भोजन करिये।
शक्यम् अस्ति चेत् अवकरं बहिः क्षिपतु।
= हो सके तो कूड़ा बाहर फेंक दीजिये।
शक्यम् अस्ति चेत् मम शिशिरवस्त्राणि उपरि स्थापयातु
= हो सके तो मेरे जाड़े के वस्त्र ऊपर रख दीजिये
सा यत्किमपि कार्यं दत्तवती तत् सर्वं शक्यम् आसीत्।
= उसने जो भी काम दिया वो सब सम्भव था
अहं तस्याः सर्वाणि कार्याणि कृतवान्।
= मैंने उसके सारे काम कर दिये।
भार्यायाः कार्याणि तु करणीयानि एव।
= पत्नी के काम तो करने ही चाहिये।
ओ३म्
695. संस्कृत वाक्याभ्यासः
तस्याः गृहे घटः अस्ति , सुशीतकं नास्ति।
= उसके घर में घड़ा है , फ़्रीज नहीं है।
सा घटं पाकशालायां स्थापयति।
= वह घड़े को रसोई में रखती है।
घटस्य जलं मधुरं भवति।
= घड़े का जल मीठा हो जाता है।
यदा कोsपि अतिथिः आगच्छति तदा सा घटात् जलं निष्कासयति।
= जब कोई अतिथि आता है तब वह घड़े जल निकालती है।
अतिथिं जलं पाययति।
= अतिथि को जल पिलाती है।
अतिथिः घटस्य जलं पीत्वा तुष्यति।
= अतिथि घड़े का जल पीकर तुष्ट हो जाता है।
अतिथिः पृच्छति – सुशीतकस्य जलम् अस्ति वा ?
= अतिथि पूछता है – फ़्रीज का पानी है क्या ?
सा प्रत्युत्तरं ददाति – न , अहं घटात् जलम् आनीतवती।
= वह उत्तर देती है – नहीं , मैं घड़े से पानी लाई हूँ।
अहं रात्रौ घटे जलं पूरयामि।
= मैं रात में घड़े में जल भर देती हूँ।
प्रातः जलं शीतलं भवति।
= प्रातः जल शीतल हो जाता है।
ओ३म्
696. संस्कृत वाक्याभ्यासः
सः नूतनं दीपगोलकम् आनीतवान्।
= वह नया बल्ब लाया।
पुरातनं दीपगोलकं द्रवितं भवति।
= पुराना बल्ब फ्यूज़ हो गया।
पुरातने दीपगोलके विद्युतस्य व्ययः अधिकः भवति स्म।
= पुराने बल्ब में बिजली अधिक खर्च होती थी।
नूतने दीपगोलके विद्युतस्य व्ययः न्यूनं भवति।
= नए बल्ब में बिजली कम खर्च होती है।
पुरातने दीपगोलके प्रकाशः अधिकः न आसीत्।
= पुराने बल्ब में प्रकाश अधिक नहीं था।
नूतने दीपगोलके अधिकः प्रकाशः अस्ति।
= नए बल्ब में अधिक प्रकाश है।
सः पुनः आपणं गच्छति।
= वह पुनः बाजार जाता है।
चत्वारि नूतनानि दीपगोलकानि आनयति।
= चार नए बल्ब लाता है।
सर्वेषां प्रकोष्ठाणां दीपगोलकानि परिवर्तयति।
= सभी कमरों के बल्ब बदल देता है।
अधुना विद्युतस्य अधिकः व्ययः न भविष्यति।
= अब बिजली का अधिक खर्च नहीं होगा।
#vakyabhyas
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गीर्वाणपत्रिका सिप्तम्बर्
जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै।
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशय:।।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषत:।।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधि: सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीत: शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।
- जल से रुद्राभिषेक करने पर वृष्टि होती है।
- कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग व दु:ख से छुटकारा मिलता है।
- दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
- गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
- मधुयुक्त जल से अभिषेक करने पर धनवृद्धि होती है।
- तीर्थ जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इत्र मिले जल से अभिषेक करने से रोग नष्ट होते हैं।
- दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति होगी। प्रमेह रोग की शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- गंगा जल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है।
- दूध-शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है।
- घी से अभिषेक करने से वंश विस्तार होता है।
- सरसों के तेल से अभिषेक करने से रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है।
- शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से पाप क्षय होते हैं।
इसके अलावा
1. शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
2. तिल चढ़ाने से समस्त पापों का नाश होता है।
3. शिवलिंग पर जौ चढ़ाने से लंबे समय से चली रही परेशानी दूर होती है।
4. शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।
5. शिवलिंग पर जल चढ़ाने से परिवार के किसी सदस्य का तेज बुखार कम हो जाने की मान्यता है।
6. शिवलिंग पर दूध में चीनी मिलाकर चढ़ाने से बच्चों का मस्तिष्क तेज होता है।
7. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
8. शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाने से मनुष्य को भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
9. शिवलिंग पर शहद अर्पित करना करने से टीबी या मधुमेह की समस्या में राहत मिलती है।
10. शिवलिंग पर गाय के दूध से बना शुद्ध देसी घी चढ़ाने से शारीरिक दुर्बलता से मुक्ति मिलती है।
11. शिवलिंग पर आंकड़े के फूल चढ़ाने से सांसारिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
12. शिवलिंग पर शमी के पेड़ के पत्तों को चढ़ाने से सभी तरह के दु:खों से मुक्ति प्राप्त होती है।
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशय:।।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषत:।।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधि: सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीत: शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।
- जल से रुद्राभिषेक करने पर वृष्टि होती है।
- कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग व दु:ख से छुटकारा मिलता है।
- दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
- गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
- मधुयुक्त जल से अभिषेक करने पर धनवृद्धि होती है।
- तीर्थ जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इत्र मिले जल से अभिषेक करने से रोग नष्ट होते हैं।
- दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति होगी। प्रमेह रोग की शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- गंगा जल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है।
- दूध-शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है।
- घी से अभिषेक करने से वंश विस्तार होता है।
- सरसों के तेल से अभिषेक करने से रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है।
- शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से पाप क्षय होते हैं।
इसके अलावा
1. शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
2. तिल चढ़ाने से समस्त पापों का नाश होता है।
3. शिवलिंग पर जौ चढ़ाने से लंबे समय से चली रही परेशानी दूर होती है।
4. शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।
5. शिवलिंग पर जल चढ़ाने से परिवार के किसी सदस्य का तेज बुखार कम हो जाने की मान्यता है।
6. शिवलिंग पर दूध में चीनी मिलाकर चढ़ाने से बच्चों का मस्तिष्क तेज होता है।
7. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
8. शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाने से मनुष्य को भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
9. शिवलिंग पर शहद अर्पित करना करने से टीबी या मधुमेह की समस्या में राहत मिलती है।
10. शिवलिंग पर गाय के दूध से बना शुद्ध देसी घी चढ़ाने से शारीरिक दुर्बलता से मुक्ति मिलती है।
11. शिवलिंग पर आंकड़े के फूल चढ़ाने से सांसारिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
12. शिवलिंग पर शमी के पेड़ के पत्तों को चढ़ाने से सभी तरह के दु:खों से मुक्ति प्राप्त होती है।
Sanskrit-1820-1830
AIR Sanskrit News (Evening)
writereaddata_Bulletins_Text_NSD_2021_Sep_NSD_Sanskrit_Sanskrit.pdf
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AIR Sanskrit News (Evening) - Text
@samskrt_samvadah is starting संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes
Time : 11:00 AM 🕚
Topic : Ganesh Chaturthi Utsav
Date : 9th September 2021 ; Thursday
Please Join the voicechat on time.
Please come prepared to discuss about the Ganesh Chaturthi celebration in Sanskrit, If possible.
We are waiting for you.😇
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Duration : 30 minutes
Time : 11:00 AM 🕚
Topic : Ganesh Chaturthi Utsav
Date : 9th September 2021 ; Thursday
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Wednesday, September 8, 2021
ब्रिक्स् उच्चशिखरसम्मेलनम् - नरेन्द्रमोदी अध्यक्षः। व्लाडिमिर् पुटिनः, षि जिन्पिङ् च भागं स्वीकरिष्यतः।
नवदिल्ली> त्रयोदशतमे ब्रिक्स् उच्चशिखरसम्मेलने भारतस्य प्रधानमन्त्री नरेन्द्रमोदी अध्यक्षः भविष्यति। गुरुवासरे अन्तर्जालद्वारा एव मेलनम् भविष्यति। अफ्गानिस्थानस्थस्य अद्यतनीया परिस्थितिम् अधिकृत्यैव प्रमुखचर्चाविषय: स्यात् इति प्रतीक्ष्यते। रष्यायाः राष्ट्रपतिः व्लाडिमिर् पुटिन्, चीनस्य राष्ट्रपतिः षि जिन्पिङ् दक्षिणाफ्रिक्कायाः राष्ट्रपतिः सिरिल् रामफोसा, ब्रसीलस्य राष्ट्रपतिः जयिर् बोल्सनारो इत्यादयः उच्चशिखरसम्मेलने भागं स्वीकरिष्यन्ति। केन्द्रविदेशकार्यमन्त्रालयेनैव विषयमिदं आवेदितम्। ब्रसीलः, रष्या, भारतं, चीना, दक्षिणाफ्रीक्का प्रभृतीनां पञ्च विकसितराष्ट्राणां समवायः भवति ब्रिक्स् । प्रधानमन्त्री नरेन्द्रमोदी द्वितीयवारमेव ब्रिक्स् उच्चशिखरसम्मेलने अध्यक्षपदवीं अलङ्करोति। ~ संप्रति वार्ता
ब्रिक्स् उच्चशिखरसम्मेलनम् - नरेन्द्रमोदी अध्यक्षः। व्लाडिमिर् पुटिनः, षि जिन्पिङ् च भागं स्वीकरिष्यतः।
नवदिल्ली> त्रयोदशतमे ब्रिक्स् उच्चशिखरसम्मेलने भारतस्य प्रधानमन्त्री नरेन्द्रमोदी अध्यक्षः भविष्यति। गुरुवासरे अन्तर्जालद्वारा एव मेलनम् भविष्यति। अफ्गानिस्थानस्थस्य अद्यतनीया परिस्थितिम् अधिकृत्यैव प्रमुखचर्चाविषय: स्यात् इति प्रतीक्ष्यते। रष्यायाः राष्ट्रपतिः व्लाडिमिर् पुटिन्, चीनस्य राष्ट्रपतिः षि जिन्पिङ् दक्षिणाफ्रिक्कायाः राष्ट्रपतिः सिरिल् रामफोसा, ब्रसीलस्य राष्ट्रपतिः जयिर् बोल्सनारो इत्यादयः उच्चशिखरसम्मेलने भागं स्वीकरिष्यन्ति। केन्द्रविदेशकार्यमन्त्रालयेनैव विषयमिदं आवेदितम्। ब्रसीलः, रष्या, भारतं, चीना, दक्षिणाफ्रीक्का प्रभृतीनां पञ्च विकसितराष्ट्राणां समवायः भवति ब्रिक्स् । प्रधानमन्त्री नरेन्द्रमोदी द्वितीयवारमेव ब्रिक्स् उच्चशिखरसम्मेलने अध्यक्षपदवीं अलङ्करोति। ~ संप्रति वार्ता