✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️ सप्तम अध्याय
♦️श्लोक :- २०
वाचां शौचं च मनसः शौचमि
सर्वभूतदयाशौचमेतच्छौचं परार्थिनाम् ॥
♦️भावार्थ - यदि आप दिव्यता चाहते है तो आपके वाचा, मन और इन्द्रियों में शुद्धता होनी चाहिए. उसी प्रकार आपके ह्रदय में करुणा होनी चाहिए.
#chanakya
✒️ सप्तम अध्याय
♦️श्लोक :- २०
वाचां शौचं च मनसः शौचमि
सर्वभूतदयाशौचमेतच्छौचं परार्थिनाम् ॥
♦️भावार्थ - यदि आप दिव्यता चाहते है तो आपके वाचा, मन और इन्द्रियों में शुद्धता होनी चाहिए. उसी प्रकार आपके ह्रदय में करुणा होनी चाहिए.
#chanakya
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी शाम 03:50 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - 21 जनवरी 2021
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्विनी शाम 03:37 तक तत्पश्चात भरणी
⛅ योग - साध्य रात्रि 08:25 तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:13 से शाम 03:36 तक
⛅ सूर्योदय - 07:19
⛅ सूर्यास्त - 18:20
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण -
💥 विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
💥 अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌷 Diabetes( मधुमेह) नियंत्रित करने के लिए 🌷
👉🏻 Diabetes नियंत्रित करने के लिए सुबह १/२ किलो कच्चा करेला टुकड़े - टुकड़े करके तसले में डाल दें और अपने पैरों से १/२ से ३/४ घंटे तक तक कुचलें जब तक जीभ में कड़वाहट का अहसास ना हो l ७-१० दिन तक ये प्रयोग करें। इससे Diabetes नियंत्रित होती है।
👉🏻 हो सके तो इन दिनों में मेथी की सब्जी खाए या मेथी के दाने रात को भिगा दे और सुबह खाए | इससे लाभ होगा।
🌷 होंठ फटने पर 🌷
➡ नाभि में सरसों के तेल की २-४ बूंदे डालें तथा जरा से मक्खन में नमक मिलाकर होंठों पर लगायें इससे लाभ होता है।
🌷 राग और ताल की महिमा 🌷
👉🏻 राग और ताल सुनने से बहुत सी बीमारियाँ दूर होती हैं
🎼 राग मारवा और राग भोपाली से आंतों की बीमारियाँ दूर होती हैं l
🎼 राग आसारी से मस्तक के रोग दूर होते हैं l
🎼 राग भैरवी से सिरदर्द ठीक होने लगता है।
🎼 राग सोहनी से सिरदर्द और मरुरज्जू (रीड़ की हड्डी में जो मनके घिस गए, वो ठीक होने लगते हैं।)
🎼 राग वसंत और राग सोरट से नपुंसकता दूर हो जाती है।
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी शाम 03:50 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - 21 जनवरी 2021
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - अश्विनी शाम 03:37 तक तत्पश्चात भरणी
⛅ योग - साध्य रात्रि 08:25 तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:13 से शाम 03:36 तक
⛅ सूर्योदय - 07:19
⛅ सूर्यास्त - 18:20
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण -
💥 विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
💥 अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌷 Diabetes( मधुमेह) नियंत्रित करने के लिए 🌷
👉🏻 Diabetes नियंत्रित करने के लिए सुबह १/२ किलो कच्चा करेला टुकड़े - टुकड़े करके तसले में डाल दें और अपने पैरों से १/२ से ३/४ घंटे तक तक कुचलें जब तक जीभ में कड़वाहट का अहसास ना हो l ७-१० दिन तक ये प्रयोग करें। इससे Diabetes नियंत्रित होती है।
👉🏻 हो सके तो इन दिनों में मेथी की सब्जी खाए या मेथी के दाने रात को भिगा दे और सुबह खाए | इससे लाभ होगा।
🌷 होंठ फटने पर 🌷
➡ नाभि में सरसों के तेल की २-४ बूंदे डालें तथा जरा से मक्खन में नमक मिलाकर होंठों पर लगायें इससे लाभ होता है।
🌷 राग और ताल की महिमा 🌷
👉🏻 राग और ताल सुनने से बहुत सी बीमारियाँ दूर होती हैं
🎼 राग मारवा और राग भोपाली से आंतों की बीमारियाँ दूर होती हैं l
🎼 राग आसारी से मस्तक के रोग दूर होते हैं l
🎼 राग भैरवी से सिरदर्द ठीक होने लगता है।
🎼 राग सोहनी से सिरदर्द और मरुरज्जू (रीड़ की हड्डी में जो मनके घिस गए, वो ठीक होने लगते हैं।)
🎼 राग वसंत और राग सोरट से नपुंसकता दूर हो जाती है।
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️
📚 वेदपाठन - आओ वेद पढ़ें
📙 ऋग्वेद
सूक्त - १६ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ८ , देवता - इन्द्र
🍃 विश्वमित्सवनं सुतमिन्द्रो मदाय गच्छति. वृत्रहा सोमपीतये... (८)
⚜️ वृत्रनाशक इंद्र प्रसन्नता प्राप्ति के निमित्त सोमरस पीने के लिए ऐसे सभी यज्ञों में जाते हैं, जहां सोमरस तैयार हो (८)
#rgveda
📙 ऋग्वेद
सूक्त - १६ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ८ , देवता - इन्द्र
🍃 विश्वमित्सवनं सुतमिन्द्रो मदाय गच्छति. वृत्रहा सोमपीतये... (८)
⚜️ वृत्रनाशक इंद्र प्रसन्नता प्राप्ति के निमित्त सोमरस पीने के लिए ऐसे सभी यज्ञों में जाते हैं, जहां सोमरस तैयार हो (८)
#rgveda
📒📒📒 वेदपाठन 📒📒📒
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। अष्टम सर्गः ।।
🍃 यथा विधानं क्रियतां समर्थाः करणेष्विह।
तथेति चाब्रुवन्सर्वे मनत्रिणः मत्यपूजयन् ॥१९॥
⚜️ आप लोग ऐसा प्रयत्न करें जिससे यह यज्ञ यथाविधि हो। यह कार्य आप ही लोगों पर निर्भर है। महाराज के इन वचनों को सुन सब मंत्री लोगों ने कहा -" जो आज्ञा,"॥१९॥
🍃 पार्थिवेन्द्रस्य तद्वाक्यं यथाज्ञप्तं निशम्य ते ।
तथा द्विजास्ते धर्मज्ञा वर्धयन्तो नृपोत्तमम् ॥२०॥
⚜️ ब्राह्मणगण भी महाराज को आशीर्वाद दे और महाराज से विदा मांग अपने अपने घरों को लौट गये।
#ramayan
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। अष्टम सर्गः ।।
🍃 यथा विधानं क्रियतां समर्थाः करणेष्विह।
तथेति चाब्रुवन्सर्वे मनत्रिणः मत्यपूजयन् ॥१९॥
⚜️ आप लोग ऐसा प्रयत्न करें जिससे यह यज्ञ यथाविधि हो। यह कार्य आप ही लोगों पर निर्भर है। महाराज के इन वचनों को सुन सब मंत्री लोगों ने कहा -" जो आज्ञा,"॥१९॥
🍃 पार्थिवेन्द्रस्य तद्वाक्यं यथाज्ञप्तं निशम्य ते ।
तथा द्विजास्ते धर्मज्ञा वर्धयन्तो नृपोत्तमम् ॥२०॥
⚜️ ब्राह्मणगण भी महाराज को आशीर्वाद दे और महाराज से विदा मांग अपने अपने घरों को लौट गये।
#ramayan
📚 वेदपाठन - आओ वेद पढ़ें
📙 ऋग्वेद
सूक्त - १६ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ९ , देवता - इन्द्र
🍃 सेमं नः काममा पृण गोभिरश्चैः शतक्रतो. स्तवाम त्वा स्वाध्य.. (९)
⚜️ हे शतक्रतु! गाएं और अश्व देकर हमारी सभी अभिलाषाएं पूरी करो। हम भली प्रकार ध्यान करते हुए तुम्हारी स्तुति करते हैं। (९)
👉 🚩सूक्त 16 समाप्त 🚩
#rgveda
📙 ऋग्वेद
सूक्त - १६ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ९ , देवता - इन्द्र
🍃 सेमं नः काममा पृण गोभिरश्चैः शतक्रतो. स्तवाम त्वा स्वाध्य.. (९)
⚜️ हे शतक्रतु! गाएं और अश्व देकर हमारी सभी अभिलाषाएं पूरी करो। हम भली प्रकार ध्यान करते हुए तुम्हारी स्तुति करते हैं। (९)
👉 🚩सूक्त 16 समाप्त 🚩
#rgveda
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
⛅ 🚩तिथि - नवमी शाम 06:29 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - 22 जनवरी 2021
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी शाम 06:40 तक तत्पश्चात कृत्तिका
⛅ योग - शुभ रात्रि 09:19 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - सुबह 11:27 से दोपहर 12:50 तक
⛅ सूर्योदय - 07:19
⛅ सूर्यास्त - 18:21
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण -
💥 विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 किसानों के लिए 🌷
🌳 अपना खेत हो तो खेत में पश्चिम की तरफ पीपल का पेड़ लगा दो, पितर लोग राजी होंगे व सुख शांति होगी। खेत में कुआँ पूर्व-उत्तर के कोने में हो। पश्चिम और दक्षिण की तरफ अपना निवास हो खेत में बरकत आएगी।
🌷 कदवृद्धि 🌷
👉🏻 जिन बच्चों का कद नहीं बढता वे पुलअप्स का अभ्यास करें और बेल के ६ पते व २-४ काली मिर्च हनुमान जी का स्मरण करते हुए चबा चबाकर खाएं उसमे पानी डाल के पीसकर भी खा सकते हैं।
🌷 कैन्सर में 🌷
🐄 १)सुबह मंजन करने के पहले बासी मुंह, १ तोला (१०-१२ मि. ग्रा.) देशी गाय का गौ मूत्र छानकर ले या ये न मिले तो गौझरण में १०-१२ मि.ग्रा पानी डाल के लें, थोड़े दिन में कैन्सर की बीमारी मिट जायेगी।
🌿 २) २० ग्राम तुलसी का रस , ५० ग्राम ताजा दही के साथ कुछ दिन सुबह - शाम लेने से कैन्सर में आराम होता है।
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
⛅ 🚩तिथि - नवमी शाम 06:29 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - 22 जनवरी 2021
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी शाम 06:40 तक तत्पश्चात कृत्तिका
⛅ योग - शुभ रात्रि 09:19 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅ राहुकाल - सुबह 11:27 से दोपहर 12:50 तक
⛅ सूर्योदय - 07:19
⛅ सूर्यास्त - 18:21
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण -
💥 विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 किसानों के लिए 🌷
🌳 अपना खेत हो तो खेत में पश्चिम की तरफ पीपल का पेड़ लगा दो, पितर लोग राजी होंगे व सुख शांति होगी। खेत में कुआँ पूर्व-उत्तर के कोने में हो। पश्चिम और दक्षिण की तरफ अपना निवास हो खेत में बरकत आएगी।
🌷 कदवृद्धि 🌷
👉🏻 जिन बच्चों का कद नहीं बढता वे पुलअप्स का अभ्यास करें और बेल के ६ पते व २-४ काली मिर्च हनुमान जी का स्मरण करते हुए चबा चबाकर खाएं उसमे पानी डाल के पीसकर भी खा सकते हैं।
🌷 कैन्सर में 🌷
🐄 १)सुबह मंजन करने के पहले बासी मुंह, १ तोला (१०-१२ मि. ग्रा.) देशी गाय का गौ मूत्र छानकर ले या ये न मिले तो गौझरण में १०-१२ मि.ग्रा पानी डाल के लें, थोड़े दिन में कैन्सर की बीमारी मिट जायेगी।
🌿 २) २० ग्राम तुलसी का रस , ५० ग्राम ताजा दही के साथ कुछ दिन सुबह - शाम लेने से कैन्सर में आराम होता है।
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️
✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️ सप्तम अध्याय
♦️श्लोक :- २१
पुष्पे गन्ध तिले तैलं काष्ठे वह्निः पयोधृतम्।
इक्षौ गुडं तथा देहे पश्यात्मानं विवेकतः।।२१।।
♦️भावार्थ - फूलों में सुगन्ध, तिल में तैल, लकड़ी मे अग्नि और गन्ने में गुड़ जिस प्रकार छुपे हुए रहते है, वैसे ही देह मे आत्मा का निवास है - इसे विवेकी व्यक्ति ही देख सकता है।
#chanakya
✒️ सप्तम अध्याय
♦️श्लोक :- २१
पुष्पे गन्ध तिले तैलं काष्ठे वह्निः पयोधृतम्।
इक्षौ गुडं तथा देहे पश्यात्मानं विवेकतः।।२१।।
♦️भावार्थ - फूलों में सुगन्ध, तिल में तैल, लकड़ी मे अग्नि और गन्ने में गुड़ जिस प्रकार छुपे हुए रहते है, वैसे ही देह मे आत्मा का निवास है - इसे विवेकी व्यक्ति ही देख सकता है।
#chanakya
22.1.21आज का वेदमंत्र, अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा 🙏🌻
वि मे पुरुत्रा पतयन्ति कामाः शम्यच्छा दीद्ये पूर्व्याणि।
समिद्धे अग्नावृतमिद्वदेम महद्देवानामसुरत्वमेकम्॥ ऋग्वेद ३-५-३॥🙏🌻
हमारी विविध कामनाएं हैं, परंतु हमारी सर्वोत्तम कामना पवित्र लक्ष्य को प्राप्त करने की हो। हम अपनी कामनाओं की पूर्ति यज्ञनिक कर्मों द्वारा करें। हम सत्य मार्ग पर चलें।🙏🌻
We have various desires, but our best desire should be to achieve the holy goal. We should fulfill our wishes by the help of Yajnaic deeds. We should move on to the path of truth. (Rig Veda 3–55–3)🙏🌻#rgveda🙏🌻
वि मे पुरुत्रा पतयन्ति कामाः शम्यच्छा दीद्ये पूर्व्याणि।
समिद्धे अग्नावृतमिद्वदेम महद्देवानामसुरत्वमेकम्॥ ऋग्वेद ३-५-३॥🙏🌻
हमारी विविध कामनाएं हैं, परंतु हमारी सर्वोत्तम कामना पवित्र लक्ष्य को प्राप्त करने की हो। हम अपनी कामनाओं की पूर्ति यज्ञनिक कर्मों द्वारा करें। हम सत्य मार्ग पर चलें।🙏🌻
We have various desires, but our best desire should be to achieve the holy goal. We should fulfill our wishes by the help of Yajnaic deeds. We should move on to the path of truth. (Rig Veda 3–55–3)🙏🌻#rgveda🙏🌻
*🌷।।ओ३म्।।🌷*
*🙏वेदानां महत्वम्🙏*
*वेदशब्दार्थः* - ‘विद ज्ञाने' इति ज्ञानार्थकाद् विद्धार्तोर्घि प्रत्यये कृते वेद इति रूपं निष्पद्यते। एवं वेदशब्दो ज्ञानार्थकः। ज्ञानराशिर्वेद इति वक्तुं शक्यते । विद सत्तायाम्, विद विचारणे, विल लाने विद वेतनापाननिवासेषु इति धातुभ्योऽपि घजि वेदरूपं निष्पद्यते। वेदा ज्ञानराशित्वात् शाश्वतस्थायिनः, ज्ञाननिधयः, मानवहितप्रापकाः, मनुजकर्तव्य-बोधका इति विविधधात्वर्थग्रहणाद् ज्ञायते।
*वेदानां वैशिष्यम्* - वेदानुशीलनाद् ज्ञायते यद् वेदा हि विविधज्ञान-विज्ञानराशयः, संस्कृतेराधाररूपाः, कर्तव्याकर्तव्याजबोधकाः, शुभाशुभनिदर्शकाः, जीवनस्योनायकाः, विश्वहितसंपादकाः, आचारसंचारकाः, सुखशान्तिसाधकाः, ज्ञानालोकप्रसारका सत्यतायाः सरणयः, कलाकलापप्रेरकाः, आशाया आश्रयाः, नैराश्यविनाशकाः, चतुर्वर्गावातिसोपानस्वरूपाक्ष सन्ति ।।
*वैदिक साहित्यम्* - मुख्यत्वेन वेदशब्दः ऋग्यजु:सामाथर्वनामभि: प्रचलितानां चतसृणां वेदसहितानां बोधकः। एतेषामेव चतुर्णां वेदानां व्याख्यानभूता ब्राह्मणग्रन्थाः सन्ति, येषु वैदिककर्मकाण्डस्य विशदं वर्णनमस्ति। एतेषु वेदानाम् आध्यात्मिकी व्याख्याऽपि प्रस्तूयते। एतेषां परिशिष्टरूपेण आरण्यकग्रन्थाः सन्ति। एषु अध्यात्मविद्याया विवेचनं प्राप्यते। उपनिषत्सु च तस्या एवाध्यात्मविद्यायाश्चरमोत्कर्षः संलक्ष्यते। वैदिकसाहित्य-शब्देन समग्रोऽपि मन्त्र-ब्राह्मण-आरण्यक-उपनिषत्-संग्रहरूपो निधिगृहाते।
*वेदानां धार्मिक महत्त्वम्* - वेदा मन्वादिभिः ऋषिभिः परमप्रमाणत्वेनोपन्यस्ताः। *वेदोऽखिलो धर्ममूलम्* इति समुद्घोषयता मनुना समग्रस्यापि वेदनिधधर्माधाररूपेण प्रतिष्ठा विहिता। मानवस्याखिले कृत्यजातं कर्तव्याकर्तव्यं वा वेदेष विशदतया निरूप्यते। अतएव वेदा आचार-संहिता--रूपेण प्रमाणाक्रियन्ते।
*अर्थकामेष्वसवतानां धर्मज्ञानं विधीयते। धर्म जिज्ञासमानानां प्रमाणं परमं श्रुतिः ॥* [मनुस्मृति - २/१३]
सर्वेsपि विद्वत्तल्लजा भारतीयाः दार्शनिकाः, आचारशिक्षणप्रवणा: स्मृतिकाराः । शब्दतत्त्वमीमांसादक्षा वैयाकरणाः, अन्ये च शास्त्रकारा वेदानां परमप्रामाण्यं प्रतिपदम्। उद्घोषयन्ति। अतएव महर्षिणा पतञ्जलिना कर्तव्यत्वेन समादिश्यते यत् ब्राह्मणेन निष्कारणो धर्मः घडो वेदोऽध्येयो शेयश्च। (महाभाष्य, आह्निक 1)
स्मृतिकारैर्न एतावतैव विम्यते, अपितु निर्दिश्यते यत् ब्राह्मणेन एकनिष्ठया वेदाध्ययनं संपाद्यम्। एतद् ब्राह्मणस्य परमं तपः। यश्च वेदाध्ययनम् अवमत्य शास्त्रान्तर कृतमतिः स जीवन्नेव सपरिवार: शूद्रत्वम् उपयाति।।
*वेदमेव सदाऽभ्यस्येत् तपस्तष्यन् द्विजोत्तमः। वेदाभ्यासो हि विप्रस्य तपः परमिहोच्यते।* - मनुस्मृति
*योऽनधीत्य द्विजो वेदमन्यत्र कुरुते श्रमम्। स जीवन्नेव शूद्रत्वमाशु गच्छति सान्वयः ॥* - मनुस्मृति
*वेदानां सांस्कृतिक महत्त्वम्* - भारतीयायाः संस्कृतमूलस्रोतोऽनुसंधीयते वेत्। तर्हि वेदा एव तन्मूलस्रोतस्त्वेनोपतिष्ठन्ति। वेदवेव प्रत्लतमा भारतीय संस्कृतिवर्णिताऽस्ति । भारतीयायाः संस्कृतेर्मूलरूपं वेदेष्वेवोपलभ्यते। वेदेष्वेव प्राक्तनभारतीयाना। जीवनदर्शनं, कार्यकलापः, आचार-विचाराः, नैतिक सामाजिक आचार मानवानां विविधकर्तव्यादिनिर्धारण तत्रैजापलभ्यते। उक्त च मनुना-
*सर्वेषां तु स नामानि कर्माणि च पृथक् पृथक् ।। वेदशब्दभ्य एवादी पृथक् संस्थाश्च निर्मम ।।*
लोकमान्य तिलकमहाभागास्तु वेदेषु प्रामाण्यबुद्धिमेव आर्यत्वस्य लक्षणं व्यादिशन्ति- ‘प्रामाण्यबुद्धिर्वेदेषु', वेदेष्वेवार्याणां संस्कृतेर्विशुद्धं रूपं विस्तरशः प्राप्यते। आर्याणां यज्ञेषु दृढविश्वासः, एकेश्वरवादः स्वीकरणम् अनासक्तभावनया कर्मविधिः, ईश्वरस्य सर्वव्यापकत्वम्, ज्ञानकर्मणोः समन्वय, भौतिकवादं प्रत्यनास्था, पुनर्जन्मनि विश्वासः, मोक्षस्य जीवनोद्देश्यत्वं चेत्यादितथ्यानि वेदेष्वेव प्राप्यन्ते।
विश्वसंस्कृतेरैतिह्य गवेषितं चेत् तर्हि वेदा एव सर्वप्रमुखत्वेन दृष्टिपथम् अवतरन्ति। अस्मिन् संसारे संस्कृतेः सभ्यतायाश्च कथमिव विकासोऽभूदित्यर्थ वेदानुशीलनम् अनिवार्यम् आपद्यते। तत एव क्रमिकविकासस्य प्रक्रिया प्राप्यते। अतएव यजुर्वेदं प्राप्यते- *सा प्रथमा संस्कृतिर्विश्ववारा*, वैदिक संस्कृति प्रथमा संस्कृतिरासीत्।
*शास्त्रीय महत्वम्* - वेदानां शास्त्रीय महत्त्वं सर्वतोमुख्यं वर्तते। *सर्वज्ञानमयो हि सः* इति वदता मनुना वेदानां सर्वविधज्ञाननिधानत्वम् उरीकृतम्। यदि विचारदृशा समीक्ष्यते तर्हि वेदेषु बीजरूपेण दार्शनिकाः सिद्धान्ताः, राजनीतिः, समाजशास्त्रम्, अध्यात्मम्, मनोविज्ञानम्, आयुर्वेदः, गणितम्, अर्थशास्त्रम्, नाट्यशास्त्रम्, काव्यशास्त्रम्, कामशास्त्रम्, अन्याश्च विविधाः कलास्तत्र तत्र वर्यन्ते। वैदिक दर्शनम् अध्यात्मतत्त्वं चोपादाय उपनिषदो विविधानि दर्शनानि च प्रवृत्तानि। तथ्यमेतद् निदर्शनरूपेण नाट्यशास्त्रकृतो भरतमुनेविवेचनेन विशदीभवति।
*🙏वेदानां महत्वम्🙏*
*वेदशब्दार्थः* - ‘विद ज्ञाने' इति ज्ञानार्थकाद् विद्धार्तोर्घि प्रत्यये कृते वेद इति रूपं निष्पद्यते। एवं वेदशब्दो ज्ञानार्थकः। ज्ञानराशिर्वेद इति वक्तुं शक्यते । विद सत्तायाम्, विद विचारणे, विल लाने विद वेतनापाननिवासेषु इति धातुभ्योऽपि घजि वेदरूपं निष्पद्यते। वेदा ज्ञानराशित्वात् शाश्वतस्थायिनः, ज्ञाननिधयः, मानवहितप्रापकाः, मनुजकर्तव्य-बोधका इति विविधधात्वर्थग्रहणाद् ज्ञायते।
*वेदानां वैशिष्यम्* - वेदानुशीलनाद् ज्ञायते यद् वेदा हि विविधज्ञान-विज्ञानराशयः, संस्कृतेराधाररूपाः, कर्तव्याकर्तव्याजबोधकाः, शुभाशुभनिदर्शकाः, जीवनस्योनायकाः, विश्वहितसंपादकाः, आचारसंचारकाः, सुखशान्तिसाधकाः, ज्ञानालोकप्रसारका सत्यतायाः सरणयः, कलाकलापप्रेरकाः, आशाया आश्रयाः, नैराश्यविनाशकाः, चतुर्वर्गावातिसोपानस्वरूपाक्ष सन्ति ।।
*वैदिक साहित्यम्* - मुख्यत्वेन वेदशब्दः ऋग्यजु:सामाथर्वनामभि: प्रचलितानां चतसृणां वेदसहितानां बोधकः। एतेषामेव चतुर्णां वेदानां व्याख्यानभूता ब्राह्मणग्रन्थाः सन्ति, येषु वैदिककर्मकाण्डस्य विशदं वर्णनमस्ति। एतेषु वेदानाम् आध्यात्मिकी व्याख्याऽपि प्रस्तूयते। एतेषां परिशिष्टरूपेण आरण्यकग्रन्थाः सन्ति। एषु अध्यात्मविद्याया विवेचनं प्राप्यते। उपनिषत्सु च तस्या एवाध्यात्मविद्यायाश्चरमोत्कर्षः संलक्ष्यते। वैदिकसाहित्य-शब्देन समग्रोऽपि मन्त्र-ब्राह्मण-आरण्यक-उपनिषत्-संग्रहरूपो निधिगृहाते।
*वेदानां धार्मिक महत्त्वम्* - वेदा मन्वादिभिः ऋषिभिः परमप्रमाणत्वेनोपन्यस्ताः। *वेदोऽखिलो धर्ममूलम्* इति समुद्घोषयता मनुना समग्रस्यापि वेदनिधधर्माधाररूपेण प्रतिष्ठा विहिता। मानवस्याखिले कृत्यजातं कर्तव्याकर्तव्यं वा वेदेष विशदतया निरूप्यते। अतएव वेदा आचार-संहिता--रूपेण प्रमाणाक्रियन्ते।
*अर्थकामेष्वसवतानां धर्मज्ञानं विधीयते। धर्म जिज्ञासमानानां प्रमाणं परमं श्रुतिः ॥* [मनुस्मृति - २/१३]
सर्वेsपि विद्वत्तल्लजा भारतीयाः दार्शनिकाः, आचारशिक्षणप्रवणा: स्मृतिकाराः । शब्दतत्त्वमीमांसादक्षा वैयाकरणाः, अन्ये च शास्त्रकारा वेदानां परमप्रामाण्यं प्रतिपदम्। उद्घोषयन्ति। अतएव महर्षिणा पतञ्जलिना कर्तव्यत्वेन समादिश्यते यत् ब्राह्मणेन निष्कारणो धर्मः घडो वेदोऽध्येयो शेयश्च। (महाभाष्य, आह्निक 1)
स्मृतिकारैर्न एतावतैव विम्यते, अपितु निर्दिश्यते यत् ब्राह्मणेन एकनिष्ठया वेदाध्ययनं संपाद्यम्। एतद् ब्राह्मणस्य परमं तपः। यश्च वेदाध्ययनम् अवमत्य शास्त्रान्तर कृतमतिः स जीवन्नेव सपरिवार: शूद्रत्वम् उपयाति।।
*वेदमेव सदाऽभ्यस्येत् तपस्तष्यन् द्विजोत्तमः। वेदाभ्यासो हि विप्रस्य तपः परमिहोच्यते।* - मनुस्मृति
*योऽनधीत्य द्विजो वेदमन्यत्र कुरुते श्रमम्। स जीवन्नेव शूद्रत्वमाशु गच्छति सान्वयः ॥* - मनुस्मृति
*वेदानां सांस्कृतिक महत्त्वम्* - भारतीयायाः संस्कृतमूलस्रोतोऽनुसंधीयते वेत्। तर्हि वेदा एव तन्मूलस्रोतस्त्वेनोपतिष्ठन्ति। वेदवेव प्रत्लतमा भारतीय संस्कृतिवर्णिताऽस्ति । भारतीयायाः संस्कृतेर्मूलरूपं वेदेष्वेवोपलभ्यते। वेदेष्वेव प्राक्तनभारतीयाना। जीवनदर्शनं, कार्यकलापः, आचार-विचाराः, नैतिक सामाजिक आचार मानवानां विविधकर्तव्यादिनिर्धारण तत्रैजापलभ्यते। उक्त च मनुना-
*सर्वेषां तु स नामानि कर्माणि च पृथक् पृथक् ।। वेदशब्दभ्य एवादी पृथक् संस्थाश्च निर्मम ।।*
लोकमान्य तिलकमहाभागास्तु वेदेषु प्रामाण्यबुद्धिमेव आर्यत्वस्य लक्षणं व्यादिशन्ति- ‘प्रामाण्यबुद्धिर्वेदेषु', वेदेष्वेवार्याणां संस्कृतेर्विशुद्धं रूपं विस्तरशः प्राप्यते। आर्याणां यज्ञेषु दृढविश्वासः, एकेश्वरवादः स्वीकरणम् अनासक्तभावनया कर्मविधिः, ईश्वरस्य सर्वव्यापकत्वम्, ज्ञानकर्मणोः समन्वय, भौतिकवादं प्रत्यनास्था, पुनर्जन्मनि विश्वासः, मोक्षस्य जीवनोद्देश्यत्वं चेत्यादितथ्यानि वेदेष्वेव प्राप्यन्ते।
विश्वसंस्कृतेरैतिह्य गवेषितं चेत् तर्हि वेदा एव सर्वप्रमुखत्वेन दृष्टिपथम् अवतरन्ति। अस्मिन् संसारे संस्कृतेः सभ्यतायाश्च कथमिव विकासोऽभूदित्यर्थ वेदानुशीलनम् अनिवार्यम् आपद्यते। तत एव क्रमिकविकासस्य प्रक्रिया प्राप्यते। अतएव यजुर्वेदं प्राप्यते- *सा प्रथमा संस्कृतिर्विश्ववारा*, वैदिक संस्कृति प्रथमा संस्कृतिरासीत्।
*शास्त्रीय महत्वम्* - वेदानां शास्त्रीय महत्त्वं सर्वतोमुख्यं वर्तते। *सर्वज्ञानमयो हि सः* इति वदता मनुना वेदानां सर्वविधज्ञाननिधानत्वम् उरीकृतम्। यदि विचारदृशा समीक्ष्यते तर्हि वेदेषु बीजरूपेण दार्शनिकाः सिद्धान्ताः, राजनीतिः, समाजशास्त्रम्, अध्यात्मम्, मनोविज्ञानम्, आयुर्वेदः, गणितम्, अर्थशास्त्रम्, नाट्यशास्त्रम्, काव्यशास्त्रम्, कामशास्त्रम्, अन्याश्च विविधाः कलास्तत्र तत्र वर्यन्ते। वैदिक दर्शनम् अध्यात्मतत्त्वं चोपादाय उपनिषदो विविधानि दर्शनानि च प्रवृत्तानि। तथ्यमेतद् निदर्शनरूपेण नाट्यशास्त्रकृतो भरतमुनेविवेचनेन विशदीभवति।
जग्राह पाठयम् ऋग्वेदात्, सामभ्यो गीतमेव च।यजुर्वेदादभिनयान, रसानाथर्वणादपि ॥
*नैतिक महत्वम्* - वेदानाम् आचारशिक्षा-दृष्ट्या, नैतिक-दर्शनरूपेण चातीव महत्त्वं वर्तते। कर्तव्योद्बोधनरूपेण तेषां परमं प्रामाण्यं वर्तते। किं कर्म, किम् अकर्मेति चिन्तायां वेदा एतादर्शरूपेण प्रस्तूयन्ते। अतएव मनुनोच्यते
*वेदः स्मृतिः सदाचारः, स्वस्य च प्रियमात्मनः। एतच्चतुर्विधं प्राहः, साक्षात् धर्मस्य लक्षणम्।।* मनु०
*श्रुतिस्मृत्युदितं धर्मम्, अनुतिष्ठन् हि मानवः। इहकीर्तिमवाप्नोति, प्रेत्य चानुत्तमं सुखम्॥* मनु०
*धर्मचिन्तायां कर्तव्यविचारणे च वेदाः परमप्रमाणभूताः सन्ति। धर्म जिज्ञासमानानां, प्रमाणं परमं श्रुतिः ।।* मनु०
*काव्यशास्त्रीय साहित्यिकं च महत्वं* - काव्यशास्त्रीय दृष्ट्यापि वेदानां महत्त्व प्रशस्वम्। तत्र अनुप्रास-यमक कदमल- रूपकादीनाम् अलंकाराणां प्रयोगोनेकत्र प्राप्यते। उष:सूक्ते उषसो वर्णने कवित्वस्य स्फट दर्शनं जायते। सुन्दरी युवतिः स्ववस्त्राणात उषाः स्वीयं सौन्दर्य विस्तारयति। सकलेऽपि भुवने तस्याः सौन्दर्यम् अहलादकारि व्याप्नोति।
अव स्यूमेव चिन्वती मघोन्युषा याति स्वसरस्य पत्नी। स्वर्जनन्ती सुभगा सुदंसा आन्ताद् दिवः पप्रथ आ पृथिव्याः।।
एवं वेदाध्ययनं जीवनं पावयति, चिन्ताकुल जगत चिन्तायास्त्रायत, लोकानां विविधाः समस्या निवारयति, जीवनम् उन्नमयति, सद्भावांश्च प्रेरयति, इति सर्वथा वदना महत्र सिध्यति।
*नैतिक महत्वम्* - वेदानाम् आचारशिक्षा-दृष्ट्या, नैतिक-दर्शनरूपेण चातीव महत्त्वं वर्तते। कर्तव्योद्बोधनरूपेण तेषां परमं प्रामाण्यं वर्तते। किं कर्म, किम् अकर्मेति चिन्तायां वेदा एतादर्शरूपेण प्रस्तूयन्ते। अतएव मनुनोच्यते
*वेदः स्मृतिः सदाचारः, स्वस्य च प्रियमात्मनः। एतच्चतुर्विधं प्राहः, साक्षात् धर्मस्य लक्षणम्।।* मनु०
*श्रुतिस्मृत्युदितं धर्मम्, अनुतिष्ठन् हि मानवः। इहकीर्तिमवाप्नोति, प्रेत्य चानुत्तमं सुखम्॥* मनु०
*धर्मचिन्तायां कर्तव्यविचारणे च वेदाः परमप्रमाणभूताः सन्ति। धर्म जिज्ञासमानानां, प्रमाणं परमं श्रुतिः ।।* मनु०
*काव्यशास्त्रीय साहित्यिकं च महत्वं* - काव्यशास्त्रीय दृष्ट्यापि वेदानां महत्त्व प्रशस्वम्। तत्र अनुप्रास-यमक कदमल- रूपकादीनाम् अलंकाराणां प्रयोगोनेकत्र प्राप्यते। उष:सूक्ते उषसो वर्णने कवित्वस्य स्फट दर्शनं जायते। सुन्दरी युवतिः स्ववस्त्राणात उषाः स्वीयं सौन्दर्य विस्तारयति। सकलेऽपि भुवने तस्याः सौन्दर्यम् अहलादकारि व्याप्नोति।
अव स्यूमेव चिन्वती मघोन्युषा याति स्वसरस्य पत्नी। स्वर्जनन्ती सुभगा सुदंसा आन्ताद् दिवः पप्रथ आ पृथिव्याः।।
एवं वेदाध्ययनं जीवनं पावयति, चिन्ताकुल जगत चिन्तायास्त्रायत, लोकानां विविधाः समस्या निवारयति, जीवनम् उन्नमयति, सद्भावांश्च प्रेरयति, इति सर्वथा वदना महत्र सिध्यति।
📒📒📒 वेदपाठन 📒📒📒
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। अष्टम सर्गः ।।
🍃 उवाच दीक्षां विशत यक्ष्येऽहं सुतकारणात्।
तासां तेनातिकान्तेन वचनेन सुवर्चसाम्।
मुखपबान्यशेोभन्त पद्मानीव हिमाल्यये॥२४॥
🚩इति अष्टमः सर्गः॥ 🚩
⚜️ हम पुत्र-प्राप्ति के लिये यज्ञ करेंगे, तुम भी यज्ञदीक्षा के नियमों का पालन करो। महाराज के मुख से यह प्यारे वचन सुन रानी बहुत प्रसन्न हुई। इस सुखदायी संवाद को सुन रानियों के मुख कमल ऐसे सुशोभित हो गये, जैसे वसन्तकाल में खिले कमल फूल शोभा को प्राप्त होते हैं॥२४॥
🚩बालकाण्ड का आठवां सर्ग पूरा हुआ।🚩
#ramayan
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। अष्टम सर्गः ।।
🍃 उवाच दीक्षां विशत यक्ष्येऽहं सुतकारणात्।
तासां तेनातिकान्तेन वचनेन सुवर्चसाम्।
मुखपबान्यशेोभन्त पद्मानीव हिमाल्यये॥२४॥
🚩इति अष्टमः सर्गः॥ 🚩
⚜️ हम पुत्र-प्राप्ति के लिये यज्ञ करेंगे, तुम भी यज्ञदीक्षा के नियमों का पालन करो। महाराज के मुख से यह प्यारे वचन सुन रानी बहुत प्रसन्न हुई। इस सुखदायी संवाद को सुन रानियों के मुख कमल ऐसे सुशोभित हो गये, जैसे वसन्तकाल में खिले कमल फूल शोभा को प्राप्त होते हैं॥२४॥
🚩बालकाण्ड का आठवां सर्ग पूरा हुआ।🚩
#ramayan
📚 वेदपाठन - आओ वेद पढ़ें
📙 ऋग्वेद
सूक्त - १५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - १ , देवता - इन्द्र , वरुण
🍃 इन्द्रावरुणयोरहं सम्राजोरव आ वृणे. ता नो मृळात ईदृशे.. (१)
⚜️ मैं भली प्रकार प्रकाशमान इंद्र और वरुण से अपनी रक्षा की याचना करता हूँ, मुझ प्रार्थी की रक्षा करेंगे (१)
#rgveda
📙 ऋग्वेद
सूक्त - १५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - १ , देवता - इन्द्र , वरुण
🍃 इन्द्रावरुणयोरहं सम्राजोरव आ वृणे. ता नो मृळात ईदृशे.. (१)
⚜️ मैं भली प्रकार प्रकाशमान इंद्र और वरुण से अपनी रक्षा की याचना करता हूँ, मुझ प्रार्थी की रक्षा करेंगे (१)
#rgveda
Forwarded from पुरुषोत्तमः॥ Purushothaman AJ (Bharatam).
हरिःॐ। शुक्रवासर-सायङ्कालशुभेच्छाः।
आकाशवाण्या अद्यतनसायङ्कालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
आकाशवाण्या अद्यतनसायङ्कालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
संस्कृतचित्राणि_सम्पूर्णानि.pdf
2.9 MB
संस्कृतचित्राणि_सम्पूर्णानि.pdf
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
⛅ 🚩तिथि - दशमी रात्रि 08:56 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - 23 जनवरी 2021
⛅ दिन - शनिवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका 09:33 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅ योग - शुक्ल रात्रि 10:04 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - सुबह 10:04 से दोपहर 11:28 तक
⛅ सूर्योदय - 07:19
⛅ सूर्यास्त - 18:22
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण -
💥 विशेष - ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')
💥 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')
💥 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)
💥 नौकरी - व्यवसाय में सफलता, आर्थिक समृद्धि एवं कर्ज मुक्ति हेतु कारगर प्रयोग शनिवार के दिन पीपल में दूध, गुड, पानी मिलाकर चढायें एवं प्रार्थना करें - 'हे प्रभु ! आपने गीता में कहा है कि वृक्षों में पीपल मैं हूँ। हे भगवान ! मेरे जीवन में यह परेशानी है। आप कृपा करके मेरी यह परेशानी (परेशानी, दुःख का नाम लेकर ) दूर करने की कृपा करें। पीपल का स्पर्श करें व प्रदक्षिणा करें।
🌷 एकादशी व्रत के लाभ 🌷
➡ 23 जनवरी 2021 शनिवार को रात्रि 08:57 से 24 जनवरी, रविवार को रात्रि 10:57 तक एकादशी है।
💥 विशेष - 24 जनवरी, रविवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें।
🙏🏻 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है।
🙏🏻 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।
🙏🏻 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।
🙏🏻 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।
🙏🏻 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है।
🙏🏻 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है।
🙏🏻 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है। एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।
🌷 एकादशी के दिन करने योग्य 🌷
🙏🏻 एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें... विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लेंl अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगेl
🌷 एकादशी के दिन ये सावधानी रहे 🌷
🙏🏻 महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है...ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा।
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
⛅ 🚩तिथि - दशमी रात्रि 08:56 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - 23 जनवरी 2021
⛅ दिन - शनिवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - कृत्तिका 09:33 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅ योग - शुक्ल रात्रि 10:04 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - सुबह 10:04 से दोपहर 11:28 तक
⛅ सूर्योदय - 07:19
⛅ सूर्यास्त - 18:22
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण -
💥 विशेष - ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')
💥 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')
💥 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)
💥 नौकरी - व्यवसाय में सफलता, आर्थिक समृद्धि एवं कर्ज मुक्ति हेतु कारगर प्रयोग शनिवार के दिन पीपल में दूध, गुड, पानी मिलाकर चढायें एवं प्रार्थना करें - 'हे प्रभु ! आपने गीता में कहा है कि वृक्षों में पीपल मैं हूँ। हे भगवान ! मेरे जीवन में यह परेशानी है। आप कृपा करके मेरी यह परेशानी (परेशानी, दुःख का नाम लेकर ) दूर करने की कृपा करें। पीपल का स्पर्श करें व प्रदक्षिणा करें।
🌷 एकादशी व्रत के लाभ 🌷
➡ 23 जनवरी 2021 शनिवार को रात्रि 08:57 से 24 जनवरी, रविवार को रात्रि 10:57 तक एकादशी है।
💥 विशेष - 24 जनवरी, रविवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें।
🙏🏻 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है।
🙏🏻 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।
🙏🏻 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।
🙏🏻 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।
🙏🏻 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है।
🙏🏻 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है।
🙏🏻 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है। एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।
🌷 एकादशी के दिन करने योग्य 🌷
🙏🏻 एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें... विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लेंl अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगेl
🌷 एकादशी के दिन ये सावधानी रहे 🌷
🙏🏻 महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है...ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा।
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️
✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️ अष्टमः अध्याय
♦️ श्लोक :- १
अधमा धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः।
उत्तमा मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम् ।।१।।
♦️भावार्थ - अधम लोग केवल रुपये-पैसे की इच्छा रखते हैं। मध्यम कोटि के लोग धन और यश की इच्छा रखते हैं। लेकिन उच्च-कोटि के व्यक्ति की कामना करते हैं, क्योंकि मान ही उनकी सम्पत्ति है।।
#chanakya
✒️ अष्टमः अध्याय
♦️ श्लोक :- १
अधमा धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः।
उत्तमा मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम् ।।१।।
♦️भावार्थ - अधम लोग केवल रुपये-पैसे की इच्छा रखते हैं। मध्यम कोटि के लोग धन और यश की इच्छा रखते हैं। लेकिन उच्च-कोटि के व्यक्ति की कामना करते हैं, क्योंकि मान ही उनकी सम्पत्ति है।।
#chanakya