🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - नवमी शाम 06:45 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - 19 जून 2021
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - हस्त रात्रि 09:29 तक तत्पश्चात चित्रा
⛅ योग - वरीयान् रात्रि 12:06 तक तत्पश्चात परिघ
⛅ राहुकाल - सुबह 09:19 से सुबह 10:59 तक
⛅ सूर्योदय - 05:58
⛅ सूर्यास्त - 19:21
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
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⛅ नक्षत्र - हस्त रात्रि 09:29 तक तत्पश्चात चित्रा
⛅ योग - वरीयान् रात्रि 12:06 तक तत्पश्चात परिघ
⛅ राहुकाल - सुबह 09:19 से सुबह 10:59 तक
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वार्ता: संंस्कृत में समाचार | 19/6/2021
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🍃 भारमा कुदशाकेन आशराधीकुहकेन हा।
चारुधीवनपालोक्या वैदेही महिता हृता ॥ २२ ॥
🔸लक्ष्मी जैसी तेजस्वी का, अंत समय आसन्न होने के कारण नीच दुष्ट छली नीच राक्षस (रावण) द्वारा, उच्च विचारों वाले वनदेवताओं के सामने ही उस सर्वपूजिता सीता का अपहरण कर लिया गया।
🍃 ताः हृताः हि महीदेव ऐक्य अलोपन धीरुचा।
हानकेह कुधीराशा नाकेशा अदकुमारभाः ॥ २२॥
🔸तब, एक ब्राह्मण की मैत्री से उस लुप्त अविनाशी, चिरस्थायी ज्ञान व तेज को पुनर्प्राप्त कर नाकेश (स्वर्गराज, इंद्र) – जिनकी इच्छा पलायन करने वाले देवताओं की रक्षा करने की थी – ने आकुल कुमार प्रद्युम्न का प्रताप हर लिया।
#Viloma_Kavya
चारुधीवनपालोक्या वैदेही महिता हृता ॥ २२ ॥
🔸लक्ष्मी जैसी तेजस्वी का, अंत समय आसन्न होने के कारण नीच दुष्ट छली नीच राक्षस (रावण) द्वारा, उच्च विचारों वाले वनदेवताओं के सामने ही उस सर्वपूजिता सीता का अपहरण कर लिया गया।
विलोम श्लोक :—
🍃 ताः हृताः हि महीदेव ऐक्य अलोपन धीरुचा।
हानकेह कुधीराशा नाकेशा अदकुमारभाः ॥ २२॥
🔸तब, एक ब्राह्मण की मैत्री से उस लुप्त अविनाशी, चिरस्थायी ज्ञान व तेज को पुनर्प्राप्त कर नाकेश (स्वर्गराज, इंद्र) – जिनकी इच्छा पलायन करने वाले देवताओं की रक्षा करने की थी – ने आकुल कुमार प्रद्युम्न का प्रताप हर लिया।
#Viloma_Kavya
✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️ पंचदशः अध्याय
♦️श्लोक :- १६
पीतः क्रुद्धेन तातश्चरणतलहतो वल्लभो येन रोषाद् आबाल्याद्विप्रवयैः स्ववदनविवरे धार्यते वैरिणी मे।
गेहं मे छेदयन्ति प्रतिदिवसमुमाकान्तपूजानिमित्तं तस्माति खिन्ना सदाहं द्विजकुलनिलयं नाथ! युक्तं त्यजामि।।१६।।
♦️भावार्थ -- हे भगवान् विष्णु, मेरे स्वामी, मै ब्राह्मणों के घर में इस लिए नहीं रहती क्यों कि.. अगस्त्य ऋषि ने गुस्से में समुद्र को ( जो मेरे पिता है) पी लिया। भृगु मुनि ने आपकी छाती पर लात मारी। ब्राह्मणों को पढ़ने में बहुत आनंद आता है और वे मेरी जो स्पर्धक है उस सरस्वती की हरदम कृपा चाहते हैं और वे रोज कमल के फूल को जो मेरा निवास है जलाशय से निकलते है और भगवान् शिव की पूजा करते हैं।
#Chanakya
✒️ पंचदशः अध्याय
♦️श्लोक :- १६
पीतः क्रुद्धेन तातश्चरणतलहतो वल्लभो येन रोषाद् आबाल्याद्विप्रवयैः स्ववदनविवरे धार्यते वैरिणी मे।
गेहं मे छेदयन्ति प्रतिदिवसमुमाकान्तपूजानिमित्तं तस्माति खिन्ना सदाहं द्विजकुलनिलयं नाथ! युक्तं त्यजामि।।१६।।
♦️भावार्थ -- हे भगवान् विष्णु, मेरे स्वामी, मै ब्राह्मणों के घर में इस लिए नहीं रहती क्यों कि.. अगस्त्य ऋषि ने गुस्से में समुद्र को ( जो मेरे पिता है) पी लिया। भृगु मुनि ने आपकी छाती पर लात मारी। ब्राह्मणों को पढ़ने में बहुत आनंद आता है और वे मेरी जो स्पर्धक है उस सरस्वती की हरदम कृपा चाहते हैं और वे रोज कमल के फूल को जो मेरा निवास है जलाशय से निकलते है और भगवान् शिव की पूजा करते हैं।
#Chanakya
ओ३म्
संस्कृत वाक्याभ्यासः
कांची भगिनी प्रतिदिनं मिलति।
= कांची बहन प्रतिदिन मिलती है।
यदा मां पश्यति तदा स्वं कार्यं स्थगयति।
= जब मुझे देखती है तब अपना काम रोक देती है।
स्वं कार्यं स्थगयित्वा मां “नमस्ते” इति वदति।
= अपना काम छोड़ के मुझे नमस्ते बोलती है।
मां नमस्करोति।
= मुझे नमस्कार करती है।
कांची नगरसेविका अस्ति।
= कांची नगरसेविका है।
सा मार्गे स्वच्छतां करोति।
= वह रास्ते में स्वच्छता करती है।
तस्याः हस्ते सम्मार्जकं भवति।
= उसके हाथ में झाड़ू होती है।
सा मार्गं मार्जयति।
= वह रास्ता साफ करती है।
अवकरं पात्रे स्थापयति।
= कचरा डब्बे में डालती है।
यदाकदा अहं तां चायं पाययामि।
= कभी कभी मैं उसे चाय पिलाता हूँ।
वर्षे एकवारं तस्यै शाटिकां ददामि।
= वर्ष में एकबार साड़ी देता हूँ।
सा प्रसन्ना भवति।
= वह प्रसन्न होती है।
ओ३म्
संस्कृत वाक्याभ्यासः
ह्यः जसवंतस्य जन्मदिनम् आसीत्।
= कल जसवंत का जन्मदिन था।
सः सर्वेभ्यः मिष्ठान्नं अखादयत्।
= उसने सबको मिठाई खिलाई।
सर्वे स्वल्पम् एव खादितवन्तः।
= सभी ने थोड़ी ही खाई।
जयदीपाय मिष्ठान्नं दत्तवान्।
= जयदीप को मिठाई दी।
जयदीपः अवदत् – न मम शरीरे मेदसारः अवर्धत।
= जयदीप बोला – नहीं मेरे शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ गया है।
जसवन्तः हिमायै मिष्ठान्नं दत्तवान्।
= जसवंत ने हिमा को मिठाई दी।
हिमा अवदत् – अहम् अपथ्ये अस्मि।
= हिमा बोली – मैं डाइटिंग में हूँ।
जोसेफ उक्तवान् – मम तु मधुप्रमेहः अस्ति।
= जोसेफ बोला – मुझे तो मधुमेह है।
नम्या उक्तवती – अहम् अधिकं मिष्ठान्नं न खादामि।
= नम्या बोली – मैं अधिक मीठा नहीं खाती हूँ।
अन्यथा अम्लं वर्धते।
= नहीं तो अम्ल बढ़ता है।
जसवन्तः श्रमिकाय मिष्टान्नं दत्तवान् ।
= जसवंत ने मजदूर को मिठाई दी ।
श्रमिकः प्रेम्णा खादितवान्।
= मजदूर प्रेम से खा गया।
श्रमिकः पृष्टवान् – इतोsपि अस्ति वा ?
= मजदूर ने पूछा – और है क्या ?
ओ३म्
संस्कृत वाक्याभ्यासः
रेलमार्गस्य उपरि सेतुः निर्मीयते स्म।
= रेल लाइन के ऊपर पुल बन रहा था।
सर्वेषां सुखार्थं सेतुः निर्मीयते स्म।
= सबके सुख के लिये पुल बन रहा था।
निर्माता अर्धमेव निर्माणं कृतवान्।
= निर्माता ने आधा ही निर्माण किया।
सः अर्धमेव त्यक्त्वा गतवान्।
= वो आधा ही छोड़ कर चला गया।
सर्वे श्रमिकाः अपि गतवन्तः।
= सारे श्रमिक भी चले गए।
सर्वे अभियन्तारः अपि अन्यत्र गतवन्तः।
= सारे इंजीनियर भी कहीं और चले गए।
अधुना सेतुना विना जनाः कष्टम् अनुभवन्ति।
= अब पुल के बिना लोग कष्ट अनुभव कर रहे हैं।
यदा रेलयानम् आगच्छति तदा द्वारं पिधीयते।
= जब रेल आती है तब द्वार बंद किया जाता है।
सर्वाणि यानानि रेलमार्गम् उभयतः तिष्ठन्ति।
= सभी वाहन रेल लाइन के दोनों ओर खड़े हो जाते हैं।
सर्वेषां यानेभ्यः धूम्रः निस्सरति।
= सभी के वाहन से धुँआ निकलता है।
कोsपि यानयन्त्रं न पिधायति।
= कोई भी इंजिन बन्द नहीं करता है।
तेन वायुप्रदूषणम् अपि भवति।
= उससे वायुप्रदूषण भी होता है।
ओ३म्
संस्कृत वाक्याभ्यासः
तत्र सम्मर्दः किमर्थम् अस्ति ?
= वहाँ भीड़ क्यों है ?
न जानामि ।
= नहीं जानता / जानती हूँ।
चलतु , पश्यावः ।
= चलिये , देखते हैं।
ओह … अत्र तु द्वन्द्वं भवति।
= ओह … यहाँ तो झगड़ा हो रहा है।
परस्परं मारयतः ।
= एकदूसरे को मार रहे हैं।
अहं द्वौ मोचयामि।
= मैं दोनों को छुड़ाता हूँ।
विरमताम्
= आप दोनों रुकिये।
किमर्थं कलहं कुरुतः ?
= क्यों लड़ रहे हैं दोनों ?
शान्तौ भवताम्
= दोनों शान्त हो जाइये।
द्वन्द्वेन द्वयोः हानिः भविष्यति।
= लड़ाई से दोनों की हानि होगी।
* अहं जलं पाययामि।
= मैं पानी पीलता / पिलाती हूँ।
अधुना द्वन्द्वं समाप्तं जातम् ।
= अब लड़ाई बन्द हो गई।
ओ३म्
संस्कृत वाक्याभ्यासः
अद्य रविवासरे स्वामी शान्तानन्दः मिलितवान्।
= आज रविवार को स्वामी शान्तानन्द जी मिले।
ह्यः प्रभाकरः मिलितवान्।
= कल प्रभाकर जी मिले।
परह्यः सुवर्णा भगिनी मिलितवती।
= परसों सुवर्णा बहन मिली थीं।
सर्वे ध्यानस्य विषये एव उक्तवन्तः ।
= सभी ध्यान के विषय पर बोले ।
श्वः दीपांशु: मेलिष्यति।
= कल दीपांशु जी मिलेंगे
परश्वः प्रियंवदा मेलिष्यति।
= परसों प्रियंवदा जी मिलेंगी।
प्रपरश्वः ब्रह्मचारी अरुणः मेलिष्यति।
= परसों ब्रह्मचारी अरुण जी मिलेंगे।
सर्वे ध्यानस्य विषये एव वदिष्यन्ति।
= सभी ध्यान के विषय पर बोलेंगे।
अद्य ध्यानम् ।
ह्यः , परह्यः , प्रपरह्यः ध्यानम् ।
श्वः ध्यानम्
परश्वः ध्यानम् ,
प्रपरश्वः ध्यानम्
#Vakyabhyas
संस्कृत वाक्याभ्यासः
कांची भगिनी प्रतिदिनं मिलति।
= कांची बहन प्रतिदिन मिलती है।
यदा मां पश्यति तदा स्वं कार्यं स्थगयति।
= जब मुझे देखती है तब अपना काम रोक देती है।
स्वं कार्यं स्थगयित्वा मां “नमस्ते” इति वदति।
= अपना काम छोड़ के मुझे नमस्ते बोलती है।
मां नमस्करोति।
= मुझे नमस्कार करती है।
कांची नगरसेविका अस्ति।
= कांची नगरसेविका है।
सा मार्गे स्वच्छतां करोति।
= वह रास्ते में स्वच्छता करती है।
तस्याः हस्ते सम्मार्जकं भवति।
= उसके हाथ में झाड़ू होती है।
सा मार्गं मार्जयति।
= वह रास्ता साफ करती है।
अवकरं पात्रे स्थापयति।
= कचरा डब्बे में डालती है।
यदाकदा अहं तां चायं पाययामि।
= कभी कभी मैं उसे चाय पिलाता हूँ।
वर्षे एकवारं तस्यै शाटिकां ददामि।
= वर्ष में एकबार साड़ी देता हूँ।
सा प्रसन्ना भवति।
= वह प्रसन्न होती है।
ओ३म्
संस्कृत वाक्याभ्यासः
ह्यः जसवंतस्य जन्मदिनम् आसीत्।
= कल जसवंत का जन्मदिन था।
सः सर्वेभ्यः मिष्ठान्नं अखादयत्।
= उसने सबको मिठाई खिलाई।
सर्वे स्वल्पम् एव खादितवन्तः।
= सभी ने थोड़ी ही खाई।
जयदीपाय मिष्ठान्नं दत्तवान्।
= जयदीप को मिठाई दी।
जयदीपः अवदत् – न मम शरीरे मेदसारः अवर्धत।
= जयदीप बोला – नहीं मेरे शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ गया है।
जसवन्तः हिमायै मिष्ठान्नं दत्तवान्।
= जसवंत ने हिमा को मिठाई दी।
हिमा अवदत् – अहम् अपथ्ये अस्मि।
= हिमा बोली – मैं डाइटिंग में हूँ।
जोसेफ उक्तवान् – मम तु मधुप्रमेहः अस्ति।
= जोसेफ बोला – मुझे तो मधुमेह है।
नम्या उक्तवती – अहम् अधिकं मिष्ठान्नं न खादामि।
= नम्या बोली – मैं अधिक मीठा नहीं खाती हूँ।
अन्यथा अम्लं वर्धते।
= नहीं तो अम्ल बढ़ता है।
जसवन्तः श्रमिकाय मिष्टान्नं दत्तवान् ।
= जसवंत ने मजदूर को मिठाई दी ।
श्रमिकः प्रेम्णा खादितवान्।
= मजदूर प्रेम से खा गया।
श्रमिकः पृष्टवान् – इतोsपि अस्ति वा ?
= मजदूर ने पूछा – और है क्या ?
ओ३म्
संस्कृत वाक्याभ्यासः
रेलमार्गस्य उपरि सेतुः निर्मीयते स्म।
= रेल लाइन के ऊपर पुल बन रहा था।
सर्वेषां सुखार्थं सेतुः निर्मीयते स्म।
= सबके सुख के लिये पुल बन रहा था।
निर्माता अर्धमेव निर्माणं कृतवान्।
= निर्माता ने आधा ही निर्माण किया।
सः अर्धमेव त्यक्त्वा गतवान्।
= वो आधा ही छोड़ कर चला गया।
सर्वे श्रमिकाः अपि गतवन्तः।
= सारे श्रमिक भी चले गए।
सर्वे अभियन्तारः अपि अन्यत्र गतवन्तः।
= सारे इंजीनियर भी कहीं और चले गए।
अधुना सेतुना विना जनाः कष्टम् अनुभवन्ति।
= अब पुल के बिना लोग कष्ट अनुभव कर रहे हैं।
यदा रेलयानम् आगच्छति तदा द्वारं पिधीयते।
= जब रेल आती है तब द्वार बंद किया जाता है।
सर्वाणि यानानि रेलमार्गम् उभयतः तिष्ठन्ति।
= सभी वाहन रेल लाइन के दोनों ओर खड़े हो जाते हैं।
सर्वेषां यानेभ्यः धूम्रः निस्सरति।
= सभी के वाहन से धुँआ निकलता है।
कोsपि यानयन्त्रं न पिधायति।
= कोई भी इंजिन बन्द नहीं करता है।
तेन वायुप्रदूषणम् अपि भवति।
= उससे वायुप्रदूषण भी होता है।
ओ३म्
संस्कृत वाक्याभ्यासः
तत्र सम्मर्दः किमर्थम् अस्ति ?
= वहाँ भीड़ क्यों है ?
न जानामि ।
= नहीं जानता / जानती हूँ।
चलतु , पश्यावः ।
= चलिये , देखते हैं।
ओह … अत्र तु द्वन्द्वं भवति।
= ओह … यहाँ तो झगड़ा हो रहा है।
परस्परं मारयतः ।
= एकदूसरे को मार रहे हैं।
अहं द्वौ मोचयामि।
= मैं दोनों को छुड़ाता हूँ।
विरमताम्
= आप दोनों रुकिये।
किमर्थं कलहं कुरुतः ?
= क्यों लड़ रहे हैं दोनों ?
शान्तौ भवताम्
= दोनों शान्त हो जाइये।
द्वन्द्वेन द्वयोः हानिः भविष्यति।
= लड़ाई से दोनों की हानि होगी।
* अहं जलं पाययामि।
= मैं पानी पीलता / पिलाती हूँ।
अधुना द्वन्द्वं समाप्तं जातम् ।
= अब लड़ाई बन्द हो गई।
ओ३म्
संस्कृत वाक्याभ्यासः
अद्य रविवासरे स्वामी शान्तानन्दः मिलितवान्।
= आज रविवार को स्वामी शान्तानन्द जी मिले।
ह्यः प्रभाकरः मिलितवान्।
= कल प्रभाकर जी मिले।
परह्यः सुवर्णा भगिनी मिलितवती।
= परसों सुवर्णा बहन मिली थीं।
सर्वे ध्यानस्य विषये एव उक्तवन्तः ।
= सभी ध्यान के विषय पर बोले ।
श्वः दीपांशु: मेलिष्यति।
= कल दीपांशु जी मिलेंगे
परश्वः प्रियंवदा मेलिष्यति।
= परसों प्रियंवदा जी मिलेंगी।
प्रपरश्वः ब्रह्मचारी अरुणः मेलिष्यति।
= परसों ब्रह्मचारी अरुण जी मिलेंगे।
सर्वे ध्यानस्य विषये एव वदिष्यन्ति।
= सभी ध्यान के विषय पर बोलेंगे।
अद्य ध्यानम् ।
ह्यः , परह्यः , प्रपरह्यः ध्यानम् ।
श्वः ध्यानम्
परश्वः ध्यानम् ,
प्रपरश्वः ध्यानम्
#Vakyabhyas
अद्य एषानां जन्मदिनम्🥳
काजल् अगरवाल् एषा एका चलच्चित्रक्षेत्रे अभिनेत्री वर्तते ।
सलमान रश्दी (१९४७ - ) मुम्बई-नगरे जात:। स: एक: प्रतिभाशाली लेखक: अस्ति।
अङ्ग सान् सू की (Aung San Suu Kyi) बर्मादेशस्य विरोधपक्षस्य नायिका अस्ति। सामाजिकसामरस्यविषये आग्रहवती एषा भारतस्य अभिमानिनी अस्ति। अङ्ग् सान्सन् सू कि एषा "मयन्मार् देशस्य न्याषनल् लीग् फार् डेमोक्रसिपक्षस्य" प्रसिद्धा नायिका । माहात्मा गान्धिमहोदयस्य अहिंसातत्वेन प्रभाविता एषा । २२ वार्षाणि एषा गृहबन्धने आसीत् । १९८९तमे वर्षे जुलाय्मासस्य २० दिनाङ्कतः २०१० तमे वर्षे नवेम्बर्मासस्य १३ दिनाङ्कपर्यन्तं गृहबन्धने आसीत् । सर्वाधिकारस्य विरुद्धं विरोधं कुर्वती एषा सामाजोन्मुखा सञ्जाता ।
काजल् अगरवाल् एषा एका चलच्चित्रक्षेत्रे अभिनेत्री वर्तते ।
सलमान रश्दी (१९४७ - ) मुम्बई-नगरे जात:। स: एक: प्रतिभाशाली लेखक: अस्ति।
अङ्ग सान् सू की (Aung San Suu Kyi) बर्मादेशस्य विरोधपक्षस्य नायिका अस्ति। सामाजिकसामरस्यविषये आग्रहवती एषा भारतस्य अभिमानिनी अस्ति। अङ्ग् सान्सन् सू कि एषा "मयन्मार् देशस्य न्याषनल् लीग् फार् डेमोक्रसिपक्षस्य" प्रसिद्धा नायिका । माहात्मा गान्धिमहोदयस्य अहिंसातत्वेन प्रभाविता एषा । २२ वार्षाणि एषा गृहबन्धने आसीत् । १९८९तमे वर्षे जुलाय्मासस्य २० दिनाङ्कतः २०१० तमे वर्षे नवेम्बर्मासस्य १३ दिनाङ्कपर्यन्तं गृहबन्धने आसीत् । सर्वाधिकारस्य विरुद्धं विरोधं कुर्वती एषा सामाजोन्मुखा सञ्जाता ।
चित्रनिर्देशकः – इदानीं भवता प्रासादस्य दशमाट्टतः अधः पतनीयम् ।
अभिनेता – (सशङ्कम्) यदि मम शरीरे आघातः अथवा मरणं भवेच्चेत् ?
निर्देशकः – तत्र न कापि चिन्ता, कारणम् एतत् चलचित्रस्य अन्तिमं दृश्यमस्ति । 😝
— नारदः ।
😁🤣😆😂😁😆😂🤣
#hasya
अभिनेता – (सशङ्कम्) यदि मम शरीरे आघातः अथवा मरणं भवेच्चेत् ?
निर्देशकः – तत्र न कापि चिन्ता, कारणम् एतत् चलचित्रस्य अन्तिमं दृश्यमस्ति । 😝
— नारदः ।
😁🤣😆😂😁😆😂🤣
#hasya