🌿
🌞 नृपत्वम् च विद्वत्त्वम् च तुल्यम् न एव कदाचन (सन्ति) । राजा स्व-देशे (एव) पूज्यते। विद्वान् (तु) सर्वत्र पूज्यते॥
🌷 राजत्व और बुद्धिमत्ता कभी भी एक ही श्रेणी के नहीं होते। राजा का सम्मान (केवल) उसके राज्य में होता है, (किन्तु) विद्वान का सम्मान हर स्थान पर होता है।
🌹 Kingship and Scholarship (are) never of the same class. King is respected (only) in his kingdom, (but) Scholar is honoured everywhere.
#Subhashitam
नृपत्वं च विद्वत्त्वं च नैव तुल्यं कदाचन।
स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥
🌞 नृपत्वम् च विद्वत्त्वम् च तुल्यम् न एव कदाचन (सन्ति) । राजा स्व-देशे (एव) पूज्यते। विद्वान् (तु) सर्वत्र पूज्यते॥
🌷 राजत्व और बुद्धिमत्ता कभी भी एक ही श्रेणी के नहीं होते। राजा का सम्मान (केवल) उसके राज्य में होता है, (किन्तु) विद्वान का सम्मान हर स्थान पर होता है।
🌹 Kingship and Scholarship (are) never of the same class. King is respected (only) in his kingdom, (but) Scholar is honoured everywhere.
#Subhashitam
(१)वह तैरती रहती है
=सा तरन्ती भवति।
(२)वह खड़ा रहता है
=स: तिष्ठन् भवति।
(३)मैं उसकी प्रतीक्षा करत रहा
=अहं तं प्रतीक्षमाण: अभवम् ।
(४)मैं घर की निगरानी करता रहा
=अहं गृहम् अवेक्षमाण: अभवम्।
(५)वे लोग देखते रहे
=ते पश्यन्त: अभवन्।
(६)वह सुनती रही
=सा शृण्वन्ती अभवत्।
(७)मैं सुनता जाता हूं
=अहं शृण्वन् भवामि।
(८)वह बोलता जाता है
=स: वदन् भवति।
(९)वह बोलता गया
=स: वदन् अभवत्।
(१०)वह गाती रही
=सा गायन्ती अभवन्।
(११)वह गाती रहती है
=सा गायन्ती भवति।
(१२)वह हंसता रहा
=स: हसन् अभवत्।
(१३)वह हंसता रहता है
=स: हसन् भवति।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
=सा तरन्ती भवति।
(२)वह खड़ा रहता है
=स: तिष्ठन् भवति।
(३)मैं उसकी प्रतीक्षा करत रहा
=अहं तं प्रतीक्षमाण: अभवम् ।
(४)मैं घर की निगरानी करता रहा
=अहं गृहम् अवेक्षमाण: अभवम्।
(५)वे लोग देखते रहे
=ते पश्यन्त: अभवन्।
(६)वह सुनती रही
=सा शृण्वन्ती अभवत्।
(७)मैं सुनता जाता हूं
=अहं शृण्वन् भवामि।
(८)वह बोलता जाता है
=स: वदन् भवति।
(९)वह बोलता गया
=स: वदन् अभवत्।
(१०)वह गाती रही
=सा गायन्ती अभवन्।
(११)वह गाती रहती है
=सा गायन्ती भवति।
(१२)वह हंसता रहा
=स: हसन् अभवत्।
(१३)वह हंसता रहता है
=स: हसन् भवति।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
@samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room
🔰विषयः - सुभाषितादिनी
🗓१९/१/२०२४ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा एतद्विषयम् ( सुभाषितं प्रहेलिका कथा लौकिकन्यायः प्रश्णमंजुषा ) अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
🔰विषयः - सुभाषितादिनी
🗓१९/१/२०२४ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा एतद्विषयम् ( सुभाषितं प्रहेलिका कथा लौकिकन्यायः प्रश्णमंजुषा ) अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Telegram
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
Largest Online Sanskrit Network
Network
https://t.me/samvadah/11287
Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Sanskrit Books @GranthaKutee
Network
https://t.me/samvadah/11287
Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Sanskrit Books @GranthaKutee
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩 युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩 विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩 तिथि - नवमी रात्रि 07:51 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - 19 जनवरी 2024
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी मध्य रात्रि 02:50 तक तत्पश्चात कृतिका
⛅ योग - साध्य दोपहर 12:46 तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहु काल - सुबह 11:28 से 12:50 तक
⛅ सूर्योदय - 07:23
⛅ सूर्यास्त - 06:18
⛅ दिशा शूल - पश्चिम
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
#panchang
🚩 आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩 युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩 विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩 तिथि - नवमी रात्रि 07:51 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - 19 जनवरी 2024
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - भरणी मध्य रात्रि 02:50 तक तत्पश्चात कृतिका
⛅ योग - साध्य दोपहर 12:46 तक तत्पश्चात शुभ
⛅ राहु काल - सुबह 11:28 से 12:50 तक
⛅ सूर्योदय - 07:23
⛅ सूर्यास्त - 06:18
⛅ दिशा शूल - पश्चिम
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
#panchang
🌿
🌞 (यदा) दहतः वनानि ( भवन्ति, तदा) मारुत् वह्नेः सखा भवति ।
सः एव दीप-नाशाय (कारणम् भवति ) । कृशे सौहृदम् कस्य अस्ति।
🌷 जब जंगल जलते हैं तो वायु अग्नि का मित्र बन जाता है। लेकिन वही वायु जो कि मित्र था, दीपक (लौ) के विनाश का एक कारण बनता है। दुर्बल (व्यक्ति) को किसकी मित्रता उपलब्ध है?
🌹 When the forests burn, the wind becomes fire's friend. (But, the wind, the friend ) (becomes the cause) for the destruction a lamp (flame). Whose friendship to (in) a weak (person is available)?
#Subhashitam
वनानि दहतो वह्नेः सखा भवति मारुतः।
स एव दीपनाशाय कृशे कस्यास्ति सौह्रदम्॥
🌞 (यदा) दहतः वनानि ( भवन्ति, तदा) मारुत् वह्नेः सखा भवति ।
सः एव दीप-नाशाय (कारणम् भवति ) । कृशे सौहृदम् कस्य अस्ति।
🌷 जब जंगल जलते हैं तो वायु अग्नि का मित्र बन जाता है। लेकिन वही वायु जो कि मित्र था, दीपक (लौ) के विनाश का एक कारण बनता है। दुर्बल (व्यक्ति) को किसकी मित्रता उपलब्ध है?
🌹 When the forests burn, the wind becomes fire's friend. (But, the wind, the friend ) (becomes the cause) for the destruction a lamp (flame). Whose friendship to (in) a weak (person is available)?
#Subhashitam
कर्मकाण्डी ब्राह्मण के लिए कुछ आवश्यक नियम
•• कर्मकाण्डिने ब्राह्मणाय कश्चिद् आवश्यकनियमाः।
कृपया जप/पाठ के समय बातचीत न करें।
•• कृपया जपकाले/पाठकाले वार्त्तालापं न कुर्यात्।
कृपया जप/पाठ के समय मोबाइल आफ या साइलेंट रखें।
•• कृपया जपकाले/पाठकाले दूरवाणीं पिदधातु मौनीकरोतु वा।
-कृपया स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
•• कृपया स्वच्छवस्त्रस्य धारणं कुर्यात्।
कृपया अनुष्ठान में कटे फटे, पुराने , जले वस्त्र न धारण करें।अनुष्ठान अनुरूप ही वस्त्र धारण करें।
•• कृपया अनुष्ठाने जीर्णं पुरातनं ज्वलितं वा वस्त्रधारणं न कुर्यात्।अनुष्ठानानुरूपमेव वस्त्रधारणं कुर्यात्।
भगवत् नाम लिखे हुए या भगवान के चित्र बने हुए वस्त्र आदि को धारण न करे। यह देव अपराध है।अंगोछा या अंगरखा के रूप में भी उपयोग नहीं करना चाहिए।
•• भगवन्नाम लिखितम् उत भगवच्चित्रियुतं वस्त्रं न धारयेत्।एष देवापराधोऽस्ति।उपवस्त्रस्य अंगवस्त्रिकाया: वा रूपेणापि एतद् न धारयेत्।
-एक दिन पहले धारण किए हुए वस्त्र अगले दिन न धारण करें।यदि पहनना भी पड़े,तो धोकर ही पहनना चाहिए।
••एकस्माद्दिनात् पूर्वं धारितवस्त्राणि परेद्युः न धारयेत्। यदि धारणम् अत्यावश्यकं तर्हि प्रक्षाल्य हि।
पूजा के समय वस्त्र पीला या उजला जो अन्य व्यक्ति को अच्छे लगें वैसा पहनना चाहिए।अनुष्ठान में सिले हुए वस्त्र आदि धारण करने से बचना चाहिए।
•• पूजायाः समये पीतवस्त्रम् अथवा श्वेतवस्त्रं धरेत् यद् अन्येभ्यः रोचते।अनुष्ठानेषु सः स्यूतवस्त्रादिकं न धरेत्।
धोती को धोती की तरह ही धारण कर ब्राह्मण एवं यजमान को पूजन अनुष्ठान करना चाहिए ।कच्छ होना अत्यावश्यक है।लुंगी की तरह लपेटकर पूजन न करें ।
••ब्राह्मणः तथा यजमानः धौतवस्त्रं तदनुसारमेव परिधीय पूजानुष्ठानादि कुर्याताम् ।चित्रवेष्टिरिव(लुंगी इति वस्त्रमिव) परिधीय नैव कदाचित् ।कटिवस्त्रम् अत्यावश्यकमस्ति।
ललाट तिलक रहित न हो।शिखा अवश्य होना चाहिए।बिना सन्ध्योपासना और गायत्री मंत्र जप किए अनुष्ठान में सम्मिलित न हों।भोजन सात्विक होना चाहिए और संभव हो तो भोजन अपने घर का बनाया हुआ होना चाहिए।भोजन में भक्ष्य अभक्ष्य का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
•• ललाटे तिलकं तथा मस्तके शिखा अवश्यं भवेत्।सन्ध्योपसनामंत्रस्य गायत्रीमंत्रस्य जापं विना अनुष्ठाने सम्मिलितः न भवेत्।भोजनं सात्विकं भवेत् तथा यथासंभवं स्वगृहे निर्मितं भवेत्।भोजने भक्ष्याभक्ष्यस्य ध्यानम् अवश्यं कुर्यात्।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
•• कर्मकाण्डिने ब्राह्मणाय कश्चिद् आवश्यकनियमाः।
कृपया जप/पाठ के समय बातचीत न करें।
•• कृपया जपकाले/पाठकाले वार्त्तालापं न कुर्यात्।
कृपया जप/पाठ के समय मोबाइल आफ या साइलेंट रखें।
•• कृपया जपकाले/पाठकाले दूरवाणीं पिदधातु मौनीकरोतु वा।
-कृपया स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
•• कृपया स्वच्छवस्त्रस्य धारणं कुर्यात्।
कृपया अनुष्ठान में कटे फटे, पुराने , जले वस्त्र न धारण करें।अनुष्ठान अनुरूप ही वस्त्र धारण करें।
•• कृपया अनुष्ठाने जीर्णं पुरातनं ज्वलितं वा वस्त्रधारणं न कुर्यात्।अनुष्ठानानुरूपमेव वस्त्रधारणं कुर्यात्।
भगवत् नाम लिखे हुए या भगवान के चित्र बने हुए वस्त्र आदि को धारण न करे। यह देव अपराध है।अंगोछा या अंगरखा के रूप में भी उपयोग नहीं करना चाहिए।
•• भगवन्नाम लिखितम् उत भगवच्चित्रियुतं वस्त्रं न धारयेत्।एष देवापराधोऽस्ति।उपवस्त्रस्य अंगवस्त्रिकाया: वा रूपेणापि एतद् न धारयेत्।
-एक दिन पहले धारण किए हुए वस्त्र अगले दिन न धारण करें।यदि पहनना भी पड़े,तो धोकर ही पहनना चाहिए।
••एकस्माद्दिनात् पूर्वं धारितवस्त्राणि परेद्युः न धारयेत्। यदि धारणम् अत्यावश्यकं तर्हि प्रक्षाल्य हि।
पूजा के समय वस्त्र पीला या उजला जो अन्य व्यक्ति को अच्छे लगें वैसा पहनना चाहिए।अनुष्ठान में सिले हुए वस्त्र आदि धारण करने से बचना चाहिए।
•• पूजायाः समये पीतवस्त्रम् अथवा श्वेतवस्त्रं धरेत् यद् अन्येभ्यः रोचते।अनुष्ठानेषु सः स्यूतवस्त्रादिकं न धरेत्।
धोती को धोती की तरह ही धारण कर ब्राह्मण एवं यजमान को पूजन अनुष्ठान करना चाहिए ।कच्छ होना अत्यावश्यक है।लुंगी की तरह लपेटकर पूजन न करें ।
••ब्राह्मणः तथा यजमानः धौतवस्त्रं तदनुसारमेव परिधीय पूजानुष्ठानादि कुर्याताम् ।चित्रवेष्टिरिव(लुंगी इति वस्त्रमिव) परिधीय नैव कदाचित् ।कटिवस्त्रम् अत्यावश्यकमस्ति।
ललाट तिलक रहित न हो।शिखा अवश्य होना चाहिए।बिना सन्ध्योपासना और गायत्री मंत्र जप किए अनुष्ठान में सम्मिलित न हों।भोजन सात्विक होना चाहिए और संभव हो तो भोजन अपने घर का बनाया हुआ होना चाहिए।भोजन में भक्ष्य अभक्ष्य का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
•• ललाटे तिलकं तथा मस्तके शिखा अवश्यं भवेत्।सन्ध्योपसनामंत्रस्य गायत्रीमंत्रस्य जापं विना अनुष्ठाने सम्मिलितः न भवेत्।भोजनं सात्विकं भवेत् तथा यथासंभवं स्वगृहे निर्मितं भवेत्।भोजने भक्ष्याभक्ष्यस्य ध्यानम् अवश्यं कुर्यात्।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
तावुभावपि अयोध्यां गच्छतः। अत्र तावुभावपि अस्य विच्छेदनं कथम्।
Anonymous Quiz
16%
तौ। अभाव। अपि।
16%
तु। उभौ। अपि।
64%
तौ। उभौ। अपि।
4%
तौ। उभा। वपि
@samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room
🔰विषयः - रामरक्षास्तोत्रपठनम्
🗓२०/१/२०२४ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
🔰विषयः - रामरक्षास्तोत्रपठनम्
🗓२०/१/२०२४ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Telegram
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
Largest Online Sanskrit Network
Network
https://t.me/samvadah/11287
Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Sanskrit Books @GranthaKutee
Network
https://t.me/samvadah/11287
Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Sanskrit Books @GranthaKutee
वाराहीम् - रागं वेग वाहिनि - ताळं चापु
पल्लवि
वाराहीं वैष्णवीं
वन वासिनीं सदा वन्देऽहम्
समष्टि चरणम्
वारुणीं मद मत्त चण्डादि खण्डिनीं
जात वेद स्वरूपिणीं मन्द हासिनीं
(मध्यम काल साहित्यम्)
करुणा कटाक्ष वीक्षणीं
गुरु गुह नुत सुगुण-शालिनीम्
Meaning
pallavi
vandE-aham - I salute
sadA - always
vArAhIM - Goddess Varahi,
vaishNavIM - the emanation of Vishnu,
vana vAsinIM - the one dwelling in a forest,
samashTi caraNam
caNDa-Adi khaNDinIM - the one who subdues demons such as Chanda,
vAruNI mada matta - (demons) who are intoxicated with liquor,
jAta vEda svarUpiNIM - the one whose form is fire itself,
manda hAsinIM - the one with a gentle smile,
karuNA kaTAksha vIkshaNIM - the one whose gaze has merciful side-glances,
guru guha nuta - the one praised by Guruguha,
suguNa-SAlinIm - the one filled with virtues.
Comments:
This Kriti is in the dvitIya Vibhakti
#SanskritCarnaticMusic
https://youtu.be/wS2B8-hUyC4?si=yTW5Q9pSzMBafWPx
पल्लवि
वाराहीं वैष्णवीं
वन वासिनीं सदा वन्देऽहम्
समष्टि चरणम्
वारुणीं मद मत्त चण्डादि खण्डिनीं
जात वेद स्वरूपिणीं मन्द हासिनीं
(मध्यम काल साहित्यम्)
करुणा कटाक्ष वीक्षणीं
गुरु गुह नुत सुगुण-शालिनीम्
Meaning
pallavi
vandE-aham - I salute
sadA - always
vArAhIM - Goddess Varahi,
vaishNavIM - the emanation of Vishnu,
vana vAsinIM - the one dwelling in a forest,
samashTi caraNam
caNDa-Adi khaNDinIM - the one who subdues demons such as Chanda,
vAruNI mada matta - (demons) who are intoxicated with liquor,
jAta vEda svarUpiNIM - the one whose form is fire itself,
manda hAsinIM - the one with a gentle smile,
karuNA kaTAksha vIkshaNIM - the one whose gaze has merciful side-glances,
guru guha nuta - the one praised by Guruguha,
suguNa-SAlinIm - the one filled with virtues.
Comments:
This Kriti is in the dvitIya Vibhakti
#SanskritCarnaticMusic
https://youtu.be/wS2B8-hUyC4?si=yTW5Q9pSzMBafWPx
YouTube
Rare Kriti of Muthuswamy Deekshitar, Varaheem Vaishnaveem in Raga Vegavahini
This is the only composition of Muthuswami Deekshitar on Goddess Varahi.
Maha varahi resides in the srichakra in the16 th pragaram. She emerged from the floral arrow of devi sri lalitha parameshwari and is a symbol of purity peace and prosperity. She is…
Maha varahi resides in the srichakra in the16 th pragaram. She emerged from the floral arrow of devi sri lalitha parameshwari and is a symbol of purity peace and prosperity. She is…