संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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गच्छति। गच्छन्ति।
चलति। चलन्ति।
शास्ति। ______।
Anonymous Quiz
39%
शासन्ति
20%
शांस्ति
32%
शासति
9%
शासन्ते
भवान् किम् अकार्षीत्?
=आप क्या कर रहे थे?

अधुनैव पश्यामि अद्य भवन्तम्।
=अभी देख रहा हूं आज आपको।

मम व्रतम् अस्ति खलु।
=मेरा व्रत है ना।

अतः प्रत्यूषतः एव पूजने रतः आसम्।
=इसलिए सवेरे से ही पूजन में लगा था।

चिरकालं पर्यन्तं पूजयति भवान् भगवन्तम्।
=बहुत देर तक भगवान की पूजा करते हैं।

अद्यत्वे तु भगवत्याः पूजनं भवति।
=आजकल तो भगवती का पूजन चल रहा है।

देव्याः स्तोत्राणि पठामि।
=देवी के स्तोत्र पढ़ता हूं।

दुर्गासप्तशतीपाठम् अपि करोमि।
=दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करता हूं।

इदानीं गृहस्य कानिचन कार्याणि सन्ति
=इस समय घर के कुछ कार्य हैं।

पुनः मिलावः। वन्दे मातरम्।
=फिर मिलते हैं। वन्दे मातरम्।।

@hariomtn #vakyabhyas
Ramotsava - Padyabhiramam (श्रीरामोत्सवपद्याभिरामम्) from Atmashrama

Dear All,

As you all know, we have a grand inauguration (Praana Pratishtapane) of Sri Rama at Ayodhya on Jan 22, 2024. As part of the celebration of this auspicious and mega event through out the country, Atmashrama invites all Sanskrit enthusiasts to participate in an exciting Sanskrit Shloka Competition on Lord Sri Rama. 

How can I participate?

The participants are required to carefully follow the instructions and compose the verse(s) in Sanksrit. After completing the composition and verification they are required to submit their entries using the google form link provided below before JAN 17, 2024.
http://bit.ly/ramotsava

Please share to all. There is no age restriction.

For more information, visit :
https://atmashrama.org/index.php/aa-pages/content/announcements/402-ramotsava-padyabhiramam
Audio
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩 युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩 विक्रम संवत-२०८०
🚩 तिथि - द्वितीया सुबह 11:11 तक तत्पश्चात तृतीया


दिनांक - 13 जनवरी 2024
दिन - शनिवार
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - पौष
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - श्रवण दोपहर 12:49 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग - वज्र सुबह 10:14 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहु काल - सुबह 10:06 से 11:27 तक
सूर्योदय - 07:23
सूर्यास्त - 06:14
दिशा शूल - पूर्व
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक

#panchang
🌿 त्वं स्त्री त्वं पुमानसि त्वं कुमार उत वा कुमारी।
त्वं जीर्णो दण्डेन वञ्चसि त्वं जातो भवसि विश्वतोमुखः॥


🌞 त्वं स्त्री त्वं पुमान् त्वं कुमारः त्वं कुमारी उत। त्वं जीर्णः दण्डेन वञ्चसि। त्वं विशतोमुखः जातः॥

♣️ 'तुम' ही स्त्री हो तथा 'तुम' ही पुरुष हो; 'तुम' ही कुमार हो एवं 'तुम' ही पुनः कुमारी कन्या हो; 'तुम' ही तो जरा-जीर्ण वृद्ध पुरुष हो जो अपने दण्ड के सहारे झुककर चलता है। अहो, 'तुम' ही तो जन्म लेते हो तथा सम्पूर्ण विश्व तुम्हारे ही नाना रूपों से परिपूर्ण है।

♣️ Thou art the woman and Thou the man; Thou art a boy and again a young virgin; Thou art yonder worn and aged man that walkest bent with thy staff. Lo, Thou becomest born and the world is full of thy faces.

📍श्वेताश्वतरोपनिषदि ४।३ #Subhashitam
भवनम् इत्यस्य विच्छेदं कथम्।
Anonymous Quiz
11%
भव। अनम्।
17%
भौ। अनम्।
38%
भू। अनम्।
33%
भो। अनम्‌।
कभी सोचा है भगवान कृष्ण का स्वरूप हमें क्या सिखाता है।
••किं भवता कदापि चिन्तितम् यत् भगवतः श्रीकृष्णस्य रूपम् अस्मान् किं पाठयति?

क्यों भगवान जंगल में पेड़ के नीचे खड़े बांसुरी बजा रहे हैं, मोरमुकुट पहने,शरीर पर पीला वस्त्र, गले में वैजयंती की माला, साथ में राधा, पीछे गाय।
••किमर्थं भगवान् वने वृक्षस्य अध: स्थितो भूत्वा वेणीवादनं करोति?मयुरमुकुटं धृतवानस्ति।शरीरे पीतवस्त्रं धृतवानस्ति।ग्रीवायां वैजयन्तीमाला अस्ति।तस्य पार्श्वे राधा पृष्ठतश्च धेनु:।

कृष्ण की यह छवि हमें क्या प्रेरणा देती है?
••इयं कृष्णप्रतिमा अस्मेभ्य: कां प्रेरणाम् अयच्छति?

क्यों कृष्ण का रूप इतना मनोहर लगता है?
••कृष्णस्य रूपं किमर्थम् एतावत् सुन्दरं दृश्यते?

दरअसल कृष्ण हमें जीवन जीना सिखाते हैं।
••वस्तुतः कृष्णः अस्मभ्यं जीवनं कथं जीवितुं शक्यते इति शिक्षयति।

उनका यह स्वरूप अगर गहराई से समझा जाए तो इसमें हमें सफल जीवन के कई सूत्र मिलते हैं।
••तस्य अयं स्वरूप: यदि गभीरतया अवगम्येत तर्हि एतस्मिन् अस्माभि: सफलजीवनस्य अनेकानि सूत्राणि लभ्यन्ते।

विद्वानों का मत है कि भगवान विरोधाभास में दिखता है।
••भगवान् विरोधाभासरूपेण दृश्यते इति विद्वांसः मन्यन्ते।

आइए जानते हैं कृष्ण की छवि के क्या मायने हैं।
••कृष्णप्रतिबिम्बस्य कः अर्थः इति ज्ञास्याम:।

भगवान के मुकुट में मोर का पंख है। यह बताता है कि जीवन में विभिन्न रंग हैं। ये रंग हमारे जीवन के भाव हैं। सुख है तो दुख भी है, सफलता है तो असफलता भी, मिलन है तो बिछोह भी। जीवन इन्हीं रंगों से मिलकर बना है।जीवन से जो मिले उसे माथे लगाकर अंगीकार कर लो। इसलिए मोर मुकुट भगवान के सिर पर है।
••भगवतो मुकुटे मयूरपक्षोऽस्ति।अयं ज्ञापयति यत् जीवनस्य विविधा: वर्णाः सन्ति।एते वर्णा: अस्माकं जीवनस्य अङ्गभूता: सन्ति।यदि सुखं स्यात् तर्हि दुःखमपि स्यात्,यदि साफल्यं स्यात् तर्हि असाफल्यमपि स्यात् , यदि मेलनं स्यात् तर्हि विरहोऽपि स्यात्।जीवनं एतैः वर्णैः निर्मितमस्ति।जीवनात् यत् किमपि लभ्यते तत् स्वकीयेण हृदयेण स्वीकुरोतु।अत एव मयूरमुकुटो भगवत: शिरसि राजते।

~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
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