संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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शृणुतामलसत्यवचः परमं
शपथेरितमुच्छ्रितबाहुयुगम्।
न हरेः परमो न हरेः सदृशः
परमः स तु सर्वचिदात्मगणात्॥


पदच्छेदः पदपरिचयशास्त्रं च ।
- शृणुत - श्रवणे इति धातोः सकर्मकस्य कर्तरीप्रयोगस्य परस्मैपदिनः लोट् लकारस्य मध्यमपुरुषस्य बहुवचनान्तं क्रियापदमिदम्।
- अमलसत्यवचः - अमलसत्यवचस् शब्दस्य द्वितियाविभक्तेः एकवचनान्तं पदमिदम्। अमलं च सत्यं च अमलसत्ये वचनं अमलसत्यवचनम्।
- परमम् - अकारान्तनपुंसकलिङ्गस्य परम शब्दस्य द्वितियाविभक्तेः एकवचनान्तं पदमिदम्।
- शपथेरितम् - अकारान्तनपुंसकलिङ्गस्य शपथेरित शब्दस्य द्वितियाविभक्तेः एकवचनान्तं पदमिदम्। शपथया ईरितम् शपथेरितम्।
- उच्छ्रितबाहुयुगम् - अकारान्तनपुंसकलिङ्गस्य उच्छ्रितबाहुयुग शब्दस्य द्वितियाविभक्तेः एकवचनान्तं पदमिदम्।
- उच्छ्रित = उत् + श्रितः
- बाहुयुगम् = बाह्वोः समाहारः
- उच्छ्रितं बाहुयुगं यस्य तत् उच्छ्रितबाहुयुगम्।
- - अव्ययमिदम्।
- हरेः - इकारान्तपु्ल्लिङ्गस्य हरि शब्दस्य पंचमीविभक्तेः एकवचनान्तं पदमिदम्।
- परमः - अकारान्तपुल्लिङ्गस्य परम शब्दस्य प्रथमाविभक्तेः एकवचनान्तं पदमिदम्।
- सदृशः - अकारान्तपुल्लिङ्गस्य सदृश शब्दस्य प्रथमाविभक्तेः एकवचनान्तं पदमिदम्।
- सः - दकारान्तपुल्लिङ्गस्य तद् शब्दस्य प्रथमाविभक्तेः एकवचनान्तं पदमिदम्।
- तु - अव्ययमिदम्।
- सर्वचिदात्मगणात् - अकारान्तपुल्लिङ्गस्य सर्वचिदात्मगण शब्दस्य पंचमीविभक्तेः एकवचनान्तं पदमिदम्।
- चित् च आत्मा च चिदात्मानौ।
- चिदात्मनोः गणः चिदात्मगणः।
- सर्वः च असौ चिदात्मगणः च सर्वचिदात्मगणः।

अन्वयः:
- हे भक्ताः यूयं परमं शपथेरितं उच्छ्रितबाहुयुगम् इदम् अमलसत्यवचः शृणुत। हरेः परमः न हरेः सदृशः न। सः तु सर्वचिदात्मगणात् परमः।

हिंदी में अन्वयार्थ और विवरण:

- हे भक्ताः - हे भक्त जनों 
- यूयम् - आप लोग 
- परमम् - श्रेष्ठ 
- उच्छ्रित - ऊपर उठाए हुए 
- बाहुयुगम् - बाहुओं से युक्त 
- शपथेरितम् - शपथ से कहा गया 
- इदम् - यह 
- अमल - निर्मल 
- सत्य - और सत्य 
- वचः - वचन या बात 
- शृणुत - सुनिए 
- हरेः - भगवान श्रीमन्महाविष्णु से 
- परमः - श्रेष्ठ देवता 
- - नहीं है 
- हरेः - भगवान श्रीमन्महाविष्णु के 
- सदृशः - समान देवता 
- - नहीं है 
- सः तु - वह श्रीमन्महाविष्णु जी तो 
- सर्व - समस्त 
- चिदात्म - मन और आत्मा का धारण करने वाले जीवों के 
- गणात् - गण या समूह से 
- परमः - अलग या अत्यंत श्रेष्ठ हैं 

विवरण:

13वीं शताब्दी के धर्मप्रचारक, भगवान श्रीवायुदेव जी के तृतीय अवतार, विश्वगुरु श्रीमन्मध्वाचार्य जी द्वारा रचित "द्वादशस्तोत्रम्" नामक ग्रंथ के पाँचवें अध्याय का यह श्लोक भगवान श्रीमन्महाविष्णु जी की श्रेष्ठता को प्रमाणित करता है। आचार्य मध्व जी वैष्णव धर्म के प्रसिद्ध माध्व संप्रदाय के महान धर्मगुरु हैं। वैष्णव धर्म में भगवान श्रीमन्महाविष्णु जी को ही परम और सर्वोच्च भगवान माना जाता है। अन्य सभी देवताओं के शरीर प्रकृति के अधीन होते हैं, और इस कारण उनकी आत्मा प्रलयकाल तक श्रीमन्महाविष्णु के वैकुण्ठ लोक में रहती है। इसलिए आचार्य जी ने "सर्वचिदात्मगण" शब्द का प्रयोग सभी जीवों, देवों और दानवों को ध्यान में रखते हुए किया है। भगवान श्रीमहमहाविष्णु जी इन सभी देवताओं से परे और श्रेष्ठ हैं। यह बात उन्होंने इस श्लोक में अपने दोनों हाथों को प्रमाण के लिए ऊपर उठाते हुए, अपने भक्तों और सभी प्राणियों को संबोधित करते हुए कही है कि:

"यह निर्मल और सच्ची बात सुनो, कि हरि से बढ़कर कोई भी नहीं है और हरि के समान कोई भी नहीं है। सभी देव, दानव और मानवों से वे सदैव परे हैं।"

यह श्लोक "तोटक" नामक छंद का उपयोग करके लिखा गया है।

ॐ नमो मध्वान्तर्गतहयाननाय

© Sanjeev GN #Subhashitam
शिक्षकः—लघ्वीमधुमक्षिका अस्मभ्यं किं ददाति?

बालकः—मधु।

शिक्षकः—कृशा अजा किं ददाति?

बालकः—दुग्धम्।

शिक्षकः—तथैव पिना महिषी किं ददाति?

बालकः— गृहकार्यम्।( homework)

दर्शना

😁😂😆🤣😁😂😁🤣

#hasya
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
🚩 तिथि - त्रयोदशी सुबह 11:24 तक तत्पश्चात चतुर्दशी

दिनांक - 08 जून 2021
दिन - मंगलवार
विक्रम संवत - 2078
शक संवत - 1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - ज्येष्ठ
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - कृत्तिका पूर्ण रात्रि तक*
योग - सुकर्मा पूर्ण रात्रि तक*
राहुकाल - शाम 03:59 से शाम 05:39 तक
सूर्योदय - 05:57
सूर्यास्त - 19:18
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
एको नारायणो देवो
देवानामीश्वरेश्वरः ।
परमात्मा परं ब्रह्म
जन्माद्यस्य यतो भवेत् ॥


अन्वयः (संस्कृतवाक्यरचनापद्धतिः)

परमात्मा परं ब्रह्म देवानाम् ईश्वरेश्वरः देवः नारायणः एकः । अस्य जन्मादिः यतः भवेत्।

अन्वयार्थ:
- परमात्मा - सब से श्रेष्ठ आत्मावाले
- परम् - सब से श्रेष्ठ
- ब्रह्म - ज्ञान वस्तु
- देवानाम् - देवताओं के
- ईश्वरेश्वरः - स्वामियों के स्वामी
- देवः - भगवान
- नारायणः - श्रीमन्नारायण जी
- एकः - एक हैं
- अस्य - इन को
- जन्मादि - जन्म आदि
- यतः - किस से
- भवेत् - होते हैं

विवरण:
द्वापरयुग के श्रीमद्वेदव्यास जी द्वारा रचित "गरुडपुराण" के इस श्लोक में श्रीमन्नारायण जी की महिमा का वर्णन किया गया है। ऋषिवर ने कहा है कि जिस भगवान के भीतर जन्म और मृत्यु जैसे विकार नहीं होते, जिनकी आत्मा सब से श्रेष्ठ है, और जिनका आदर सभी देवता ईश्वर के रूप में करते हैं, वे श्रीमन्नारायण एकमात्र हैं। जब भगवान एक ही हैं, तो उन्हें जन्म और मृत्यु के दोष कैसे हो सकते हैं?

इसलिए, उनके मत्स्य आदि अवतारों को केवल "अवतार" कहा जा सकता है, न कि जन्म का आरोपण। अवतार समाप्ति के बाद भगवान श्रीमन्नारायण अपने धाम वैकुण्ठ में लौट जाते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि अवतार के समय वे वैकुण्ठ में नहीं रहते। वे एक रूप से पृथ्वी पर अवतार लेते हैं, लेकिन मूलतः वैकुण्ठ में निवास करते हुए सभी ग्रहों और जीवों की रक्षा करते रहते हैं।

ॐ नमो भगवते हयाननाय

© Sanjeev GN #Subhashitam
रुग्णः—निर्देशकर्गजं (prescription ) दर्शयित्वा वैद्यं पृच्छति एतानि औषधानि कथं स्वीकरणीयानि??🤔

वैद्यः—-सक्रोधं वदति 😡

रुप्यकानि दत्वा

😝

दर्शना

😁😂😆🤣😁😂😁🤣

#hasya
🟡Free Classes Conducted by Central Sanskrit University (Main Indian government Sanskrit institute)

Register


Course

Duration :15 weeks
Start Date :01 Jul 2021
End Date :31 Oct 2021
Exam Date :15 Nov 2021
Enrollment Ends :31 Aug 2021

Course layout

सप्ताह 1 :
संस्कृतभाषा का महत्त्व ( Importance of Sanskrit Language )

सप्ताह 2 :
संस्कृत शास्त्रों का परिचय ( Introduction of Sanskrit Shastras )

सप्ताह 3 :
सन्धि, स्वादिसन्धि ( Combination, Swadi Combination )

सप्ताह 4 :
सन्धि अनुवर्तित ( Continioue Combination )

सप्ताह 5 :
स्त्री प्रत्यय ( Stri Suffixes)

सप्ताह 6 :
समास ( Compounds)

सप्ताह 7 :
तद्धित प्रत्यय ( Taddhit Suffixes)

सप्ताह 8 :
Assignments

सप्ताह 9 :
तिङन्त ( Tiganta )

सप्ताह 10 :
तिङन्त अनुवर्तित ( Tigant Anuvartit )

सप्ताह 11 :
सनाद्यन्तधातु ( Sanadhyant Dhatu)

सप्ताह 12 : ( Process of Atmanepada- Parasmaipada )
आत्मनेपद-परस्मैपदप्रक्रिया

सप्ताह 13 :
लकारार्थप्रक्रिया ( Process of Lakarartha )

सप्ताह 14 :
कृदन्त ( Kridanta )

सप्ताह 15 :
Assignments
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «🟡Free Classes Conducted by Central Sanskrit University (Main Indian government Sanskrit institute) Register Course Duration :15 weeks Start Date :01 Jul 2021 End Date :31 Oct 2021 Exam Date :15 Nov 2021 Enrollment Ends :31 Aug 2021 Course layout सप्ताह…»
Forwarded from kathaaH कथाः
मे २०१७ सम्भषणसन्देश:
 June 8, 2021

निश्शुल्कवाक्सिनं दास्यति- नीतिमार्गं परिवर्त्य केन्द्रशासनम्। 

 नवदिल्ली> कोविड्वाक्सिनस्य प्रदाननीतिमार्गे सुप्रधानं परिवर्तनं केन्द्रप्रशासनेन आयोजितम्। १८ वयोपरुयुक्तानां कृते अस्य मासस्य २१ दिनाङ्कादारभ्य निश्शुल्केन वाक्सिनं दास्यतीति प्रधानमन्त्रिणा नरेन्द्रमोदिना प्रोक्तम्। कोविड्व्यापनानन्तरं विधत्ते नवमे राष्ट्राभिसम्बोधने आसीत् प्रधानमन्त्रिणः इदमुद्घोषणम्। 

  राष्ट्रे उत्पाद्यमानानि ७५% वाक्सिनानि केन्द्रप्रशासनं साक्षात्संभृत्य राज्येभ्यः वितरिष्यति। अवशिष्टानि २५% वाक्सिनानि निजीयातुरालयैः क्रीणातुं शक्यन्ते। एतदर्थं राज्यसर्वकाराणां निरीक्षणं नियन्त्रणं चावश्यकम्।

~ संप्रति वार्ता
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
🚩तिथि - चतुर्दशी दोपहर 01:57 तक तत्पश्चात अमावस्या

दिनांक - 09 जून 2021
दिन - बुधवार
शक संवत - 1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - ज्येष्ठ
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - कृत्तिका सुबह 08:44 तक तत्पश्चात रोहिणी
योग - सुकर्मा सुबह 06:48 तक तत्पश्चात धृति
राहुकाल - दोपहर 12:38 से दोपहर 02:18 तक
सूर्योदय - 05:57
सूर्यास्त - 19:18
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
https://youtu.be/ZletiS00C2k
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes sanskrit news.
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