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🌞 वित्तस्य दानं भोगः नाशः चैताः तिस्त्रः गतयः भवन्ति । यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य वित्तस्य तृतीया गतिः भवति।
🌷 धन की दान भोग और नाश ये तीन प्रकार की गतियाँ है । कोई मनुष्य यदि धन का दान नहीं करता और भोग भी नहीं करता है तब उसके धन का विनाश अवश्य होता है।
🌹 Charity, enjoyment and destruction are the three modes of wealth.
He who neither gives nor enjoys attains to the third state.
📍पञ्चतन्त्रम् । २।१६४॥ #Subhashitam
दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य।
यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति॥
🌞 वित्तस्य दानं भोगः नाशः चैताः तिस्त्रः गतयः भवन्ति । यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य वित्तस्य तृतीया गतिः भवति।
🌷 धन की दान भोग और नाश ये तीन प्रकार की गतियाँ है । कोई मनुष्य यदि धन का दान नहीं करता और भोग भी नहीं करता है तब उसके धन का विनाश अवश्य होता है।
🌹 Charity, enjoyment and destruction are the three modes of wealth.
He who neither gives nor enjoys attains to the third state.
📍पञ्चतन्त्रम् । २।१६४॥ #Subhashitam
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🌞 विद्या नाम नरस्य अधिकं रूपम्। प्रच्छन्नगुप्तं धनम्। विद्या भोगकरी यशःसुखकरी च। विद्या गुरूणां गुरुः । विद्या विदेशगमने बन्धुजनः। विद्या परा देवता। विद्या राजसु पूज्यते धनं न हि पूजितम् अस्ति । विद्याविहीनः पशुः।
🌷 विद्या मनुष्य का सबसे बड़ा रूप है, जो छिपा हुआ खजाना है। विद्या आनंद देने वाली, यश और सुख देने वाली है। विद्या गुरुओं की भी गुरु है। विद्या विदेश यात्रा में सच्चा मित्र है और परम देवता है। विद्या राजाओं द्वारा पूजनीय है, धन नहीं। विद्या के बिना मनुष्य पशु के समान है।
🌹 Knowledge is the highest form of beauty in a person, a hidden treasure. Knowledge brings enjoyment, fame, and happiness. Knowledge is the teacher of teachers. Knowledge is a true companion in foreign lands and is the supreme deity. Knowledge is respected by kings, not wealth. A person without knowledge is like a beast.
📍नीतिशतकम् । २०॥ #Subhashitam
विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनं
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतं
विद्या राजसु पूजिता न तु धनं विद्याविहीनः पशुः॥
🌞 विद्या नाम नरस्य अधिकं रूपम्। प्रच्छन्नगुप्तं धनम्। विद्या भोगकरी यशःसुखकरी च। विद्या गुरूणां गुरुः । विद्या विदेशगमने बन्धुजनः। विद्या परा देवता। विद्या राजसु पूज्यते धनं न हि पूजितम् अस्ति । विद्याविहीनः पशुः।
🌷 विद्या मनुष्य का सबसे बड़ा रूप है, जो छिपा हुआ खजाना है। विद्या आनंद देने वाली, यश और सुख देने वाली है। विद्या गुरुओं की भी गुरु है। विद्या विदेश यात्रा में सच्चा मित्र है और परम देवता है। विद्या राजाओं द्वारा पूजनीय है, धन नहीं। विद्या के बिना मनुष्य पशु के समान है।
🌹 Knowledge is the highest form of beauty in a person, a hidden treasure. Knowledge brings enjoyment, fame, and happiness. Knowledge is the teacher of teachers. Knowledge is a true companion in foreign lands and is the supreme deity. Knowledge is respected by kings, not wealth. A person without knowledge is like a beast.
📍नीतिशतकम् । २०॥ #Subhashitam
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🌞 सत्यं वचः वचनं हि परमं विभूषणम्। अङ्गनायाः कन्यायाः लज्जा कटौ च कृशता परमं विभूषणम् । पुनः द्विजस्य कृतसंस्कारस्य क्षमा तथा विद्या एव परमं विभूषणम्। सर्वस्य नरस्य शीलं हि भूषणम्।
🌷 मनुष्यों का सौंदर्य ही उनका अलंकार होता है, और उस सौंदर्य का अलंकार उनके गुण होते हैं। गुणों का अलंकार ज्ञान होता है, और ज्ञान का आभूषण क्षमा होती है।
🌹 The beauty of human beings is their adornment, and the adornment of that beauty is their virtues. The ornament of virtues is knowledge, and the ornament of knowledge is forgiveness.
#Subhashitam
वचो हि सत्यं परमं विभूषणं
लज्जाङ्गनायाः कृशता कटौ च।
द्विजस्य विद्यैव पुनस्तथा क्षमा
शीलं हि सर्वस्य नरस्य भूषणम्॥
🌞 सत्यं वचः वचनं हि परमं विभूषणम्। अङ्गनायाः कन्यायाः लज्जा कटौ च कृशता परमं विभूषणम् । पुनः द्विजस्य कृतसंस्कारस्य क्षमा तथा विद्या एव परमं विभूषणम्। सर्वस्य नरस्य शीलं हि भूषणम्।
🌷 मनुष्यों का सौंदर्य ही उनका अलंकार होता है, और उस सौंदर्य का अलंकार उनके गुण होते हैं। गुणों का अलंकार ज्ञान होता है, और ज्ञान का आभूषण क्षमा होती है।
🌹 The beauty of human beings is their adornment, and the adornment of that beauty is their virtues. The ornament of virtues is knowledge, and the ornament of knowledge is forgiveness.
#Subhashitam
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🌞 नरस्य रूपम् आभरणम् अस्ति। रूपस्य गुण आभरणम् अस्ति। गुणस्य ज्ञानम् आभरणम् अस्ति। एवं ज्ञानस्य आभरणं भवति क्षमा।
🌷 मनुष्यों का सौंदर्य ही उनका अलंकार होता है, और उस सौंदर्य का अलंकार उनके गुण होते हैं। गुणों का अलंकार ज्ञान होता है, और ज्ञान का आभूषण क्षमा होती है।
🌹 The beauty of human beings is their adornment, and the adornment of that beauty is their virtues. The ornament of virtues is knowledge, and the ornament of knowledge is forgiveness.
📍नराभरणम् । २॥ #Subhashitam
नरस्याभरणं रूपं रूपस्याभरणं गुणः।
गुणस्याभरणं ज्ञानं ज्ञानस्याभरणं क्षमा॥
🌞 नरस्य रूपम् आभरणम् अस्ति। रूपस्य गुण आभरणम् अस्ति। गुणस्य ज्ञानम् आभरणम् अस्ति। एवं ज्ञानस्य आभरणं भवति क्षमा।
🌷 मनुष्यों का सौंदर्य ही उनका अलंकार होता है, और उस सौंदर्य का अलंकार उनके गुण होते हैं। गुणों का अलंकार ज्ञान होता है, और ज्ञान का आभूषण क्षमा होती है।
🌹 The beauty of human beings is their adornment, and the adornment of that beauty is their virtues. The ornament of virtues is knowledge, and the ornament of knowledge is forgiveness.
📍नराभरणम् । २॥ #Subhashitam
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🌞 साहित्यैः सङ्गीतैः कलाभिश्च विहीनो जनः पुच्छाच्च विषाणात् शृङ्गात् हीनः साक्षात् पशुरेव। तृणं न खादन् अपि जीवमानः अस्ति इति यत् तत् पशुनां परमं भागधेयम्।
🌷 जिस व्यक्ति को साहित्यशास्त्र, संगीत और कला का कोई ज्ञान नहीं है, वह पूंछ और सींग से रहित साक्षात् पशु के समान होता है। ऐसा व्यक्ति मनुष्य रूप में रहते हुए भी तिनका नहीं खाता, जिससे पशु भोजन के लिए अधिक तिनके प्राप्त करते हैं। यह पशुओं का महान भाग्य ही है।
🌹 A person who has no knowledge of literature, music, and art is like an animal without tail and horns. Such a person does not eat straw even while in human form, so that the animals get more straw for food. This is the great fate of animals.
📍नीतिशतकम् । १२॥ #Subhashitam
साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः
साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः।
तृणं न खादन्नपि जीवमानस्
तद्भागधेयं परमं पशूनाम्॥
🌞 साहित्यैः सङ्गीतैः कलाभिश्च विहीनो जनः पुच्छाच्च विषाणात् शृङ्गात् हीनः साक्षात् पशुरेव। तृणं न खादन् अपि जीवमानः अस्ति इति यत् तत् पशुनां परमं भागधेयम्।
🌷 जिस व्यक्ति को साहित्यशास्त्र, संगीत और कला का कोई ज्ञान नहीं है, वह पूंछ और सींग से रहित साक्षात् पशु के समान होता है। ऐसा व्यक्ति मनुष्य रूप में रहते हुए भी तिनका नहीं खाता, जिससे पशु भोजन के लिए अधिक तिनके प्राप्त करते हैं। यह पशुओं का महान भाग्य ही है।
🌹 A person who has no knowledge of literature, music, and art is like an animal without tail and horns. Such a person does not eat straw even while in human form, so that the animals get more straw for food. This is the great fate of animals.
📍नीतिशतकम् । १२॥ #Subhashitam
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🌞 यत्र विद्वज्जनो विद्वान् नास्ति तत्र अल्पधीर् अल्पज्ञोऽपि श्लाघ्यः प्रशंस्यो भवति। निरस्तपादपे वृक्षहीने देश एरण्डोऽपि द्रुमायते वृक्षायते।
🌷 जिस देश में पंडित नहीं होते, वहां मंद बुद्धि भी प्रशंसनीय हो जाते हैं। जैसे वृक्षविहीन स्थल में एरण्ड का छोटा कांटेदार पौधा भी बड़े वृक्ष की तरह गणना किया जाता है।
🌹 In a country where there are no scholars, even those of limited intellect become praiseworthy. Just as in a place without trees, a small thorny castor plant is regarded as a large tree.
📍 हितोपदेशः । ३।७०॥ #Subhashitam
यत्र विद्वज्जनो नास्ति श्लाघ्यस्तत्राल्पधीरपि।
निरस्तपादपे देशे एरण्डोऽपि द्रुमायते॥
🌞 यत्र विद्वज्जनो विद्वान् नास्ति तत्र अल्पधीर् अल्पज्ञोऽपि श्लाघ्यः प्रशंस्यो भवति। निरस्तपादपे वृक्षहीने देश एरण्डोऽपि द्रुमायते वृक्षायते।
🌷 जिस देश में पंडित नहीं होते, वहां मंद बुद्धि भी प्रशंसनीय हो जाते हैं। जैसे वृक्षविहीन स्थल में एरण्ड का छोटा कांटेदार पौधा भी बड़े वृक्ष की तरह गणना किया जाता है।
🌹 In a country where there are no scholars, even those of limited intellect become praiseworthy. Just as in a place without trees, a small thorny castor plant is regarded as a large tree.
📍 हितोपदेशः । ३।७०॥ #Subhashitam
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🌞 काकोलो द्रोणकाकः कलकण्ठिका कोकिला कुवलयं नीलोत्पलं कादम्बिनी मेघावलिविशेषः कर्दमः कंसारिः कृष्णः कबरी सज्जितकेशः कृपाणलतिका लताभेदः कस्तूरिका कज्जलं कालिन्दी यमुना कषपट्टिका कर्षणशिला करिघटा गजसमूहः कामारिकण्ठस्थली शिवकण्ठं च यस्य तमस एते करदाः सहाया भवन्ति सखि मित्र तद् तं वन्दे विनिद्रं विशिष्टनिद्रितः तमोऽन्धकारः॥
🌷 हे सखि, मैं उस निद्रित अंधकार को प्रणाम करता हूँ, जिसके कौआ, कोयल, कुमुद, कादम्बरी मेघ, कीचड़, श्रीकृष्ण, सजी हुई केशरचना, तलवार जैसी बेल विशेष, कस्तूरी, काजल, यमुना नदी, कसौटी, हाथियों का समूह और शिव का काला कंठ (कालिमा के कारण) सहायक हैं।
🌹 O friend, I bow down to that sleepy darkness, to whom the raven, the Indian cuckoo, the water lily, the Kādambari rain-cloud, the mud, Krishna, the styled hair, the sword-like creeper, the musk, the kohl, The Yamuna River, the touchstone, the group of elephants, and the black throat of Shiva lend their support (due to their dark colour).
📍 महासुभाषितसङ्ग्रहः । ९३३१। #Subhashitam
काकोलः कलकण्ठिका कुवलयं कादम्बिनी कर्दमः
कंसारिः कबरी कृपाणलतिका कस्तूरिका कज्जलम्।
कालिन्दी कषपट्टिका करिघटा कामारिकण्ठस्थली
यस्यैते करदा भवन्ति सखि तद्वन्दे विनिद्रं तमः॥
🌞 काकोलो द्रोणकाकः कलकण्ठिका कोकिला कुवलयं नीलोत्पलं कादम्बिनी मेघावलिविशेषः कर्दमः कंसारिः कृष्णः कबरी सज्जितकेशः कृपाणलतिका लताभेदः कस्तूरिका कज्जलं कालिन्दी यमुना कषपट्टिका कर्षणशिला करिघटा गजसमूहः कामारिकण्ठस्थली शिवकण्ठं च यस्य तमस एते करदाः सहाया भवन्ति सखि मित्र तद् तं वन्दे विनिद्रं विशिष्टनिद्रितः तमोऽन्धकारः॥
🌷 हे सखि, मैं उस निद्रित अंधकार को प्रणाम करता हूँ, जिसके कौआ, कोयल, कुमुद, कादम्बरी मेघ, कीचड़, श्रीकृष्ण, सजी हुई केशरचना, तलवार जैसी बेल विशेष, कस्तूरी, काजल, यमुना नदी, कसौटी, हाथियों का समूह और शिव का काला कंठ (कालिमा के कारण) सहायक हैं।
🌹 O friend, I bow down to that sleepy darkness, to whom the raven, the Indian cuckoo, the water lily, the Kādambari rain-cloud, the mud, Krishna, the styled hair, the sword-like creeper, the musk, the kohl, The Yamuna River, the touchstone, the group of elephants, and the black throat of Shiva lend their support (due to their dark colour).
📍 महासुभाषितसङ्ग्रहः । ९३३१। #Subhashitam
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🌞 काकानां रूक्षस्वराणां कोकिलानां मधुकण्ठानां च सीमाभेदोऽसादृश्यं कथं भवेत् यदि विश्वसृजा विश्वसृष्ट्रा साक्षं प्रमाणकरी कर्णशष्कुली कर्णरन्ध्रं न कृता।
🌷 कौवे और कोयल के बीच का अंतर कैसे पता चलेगा, यदि विश्व के सृष्टा ने प्रमाण के लिए उनके श्रवण मार्ग का सृजित न किया होता?
🌹 How would the difference between a crow and a cuckoo be known if the Creator of the world had not created the auditory passage for evidence?
📍 महासुभाषितसङ्ग्रहः । ९३१०॥ #Subhashitam
काकानां कोकिलानां च सीमाभेदः कथं भवेत्।
यदि विश्वसृजा साक्षं न कृता कर्णशष्कुली॥
🌞 काकानां रूक्षस्वराणां कोकिलानां मधुकण्ठानां च सीमाभेदोऽसादृश्यं कथं भवेत् यदि विश्वसृजा विश्वसृष्ट्रा साक्षं प्रमाणकरी कर्णशष्कुली कर्णरन्ध्रं न कृता।
🌷 कौवे और कोयल के बीच का अंतर कैसे पता चलेगा, यदि विश्व के सृष्टा ने प्रमाण के लिए उनके श्रवण मार्ग का सृजित न किया होता?
🌹 How would the difference between a crow and a cuckoo be known if the Creator of the world had not created the auditory passage for evidence?
📍 महासुभाषितसङ्ग्रहः । ९३१०॥ #Subhashitam
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🌞 काकैः रूक्षस्वरेभ्यः सह विवृद्धस्य गतशैशवस्य कोकिलस्य मधुकण्ठस्य कला कौशल्यं गिरो मधुरस्वराः। खलसङ्गेऽपि दुर्जनसङ्गेऽपि कल्याणप्रकृतेः शुभस्वभावस्य नैष्ठुर्यं निष्ठुरता कुतः॥
🌷 जो कोयल कौओं के साथ पली-बढ़ी है, उसकी वाणी में भी मधुरता रहती है। कल्याण स्वभाव वाले व्यक्ति में बुरे संग के कारण कठोरता कैसे आ सकती है?
🌹 The sweet voice of a cuckoo, even if raised among crows, remains unchanged. How can a person of good nature become harsh, even in the company of the wicked?
📍 महासुभाषितसङ्ग्रहः । ९३२७ ॥ #Subhashitam
काकैः सह विवृद्धस्य कोकिलस्य कला गिरः।
खलसङ्गेऽपि नैष्ठुर्यं कल्याणप्रकृतेः कुतः॥
🌞 काकैः रूक्षस्वरेभ्यः सह विवृद्धस्य गतशैशवस्य कोकिलस्य मधुकण्ठस्य कला कौशल्यं गिरो मधुरस्वराः। खलसङ्गेऽपि दुर्जनसङ्गेऽपि कल्याणप्रकृतेः शुभस्वभावस्य नैष्ठुर्यं निष्ठुरता कुतः॥
🌷 जो कोयल कौओं के साथ पली-बढ़ी है, उसकी वाणी में भी मधुरता रहती है। कल्याण स्वभाव वाले व्यक्ति में बुरे संग के कारण कठोरता कैसे आ सकती है?
🌹 The sweet voice of a cuckoo, even if raised among crows, remains unchanged. How can a person of good nature become harsh, even in the company of the wicked?
📍 महासुभाषितसङ्ग्रहः । ९३२७ ॥ #Subhashitam
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🌞 सज्जनस्य अभिमानिनो ज्ञानिनः खलेन दुर्जनेन सह का स्पर्धा। यस्य दुर्जनस्य भूषणम् अलङ्कारो दूषणं परनिन्दा एव तस्य भाषणं वचनं भीषणं कटु साधु सहजातम्॥
🌷 अभिमानी सज्जन व्यक्ति की दुष्ट के साथ क्या स्पर्धा? दोष लगाना ही जिस दुष्ट का आभूषण है, उसकी भयङ्कर वाणी ठीक ही है।
🌹 What rivalry does an arrogant virtuous person have with the wicked? The wicked, whose adornment is slandering, has frightening speech inherently.
📍 महासुभाषितसङ्ग्रहः । ९३३२॥ #Subhashitam
का खलेन सह स्पर्धा सज्जनस्याभिमानिनः।
भाषणं भीषणं साधु दूषणं यस्य भूषणम्॥
🌞 सज्जनस्य अभिमानिनो ज्ञानिनः खलेन दुर्जनेन सह का स्पर्धा। यस्य दुर्जनस्य भूषणम् अलङ्कारो दूषणं परनिन्दा एव तस्य भाषणं वचनं भीषणं कटु साधु सहजातम्॥
🌷 अभिमानी सज्जन व्यक्ति की दुष्ट के साथ क्या स्पर्धा? दोष लगाना ही जिस दुष्ट का आभूषण है, उसकी भयङ्कर वाणी ठीक ही है।
🌹 What rivalry does an arrogant virtuous person have with the wicked? The wicked, whose adornment is slandering, has frightening speech inherently.
📍 महासुभाषितसङ्ग्रहः । ९३३२॥ #Subhashitam