अधि+ आस् (बैठना) - के साथ हमेशा सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
----------------------------------
(१)वह राम और श्याम के बीच कुर्सी पर बैठ गया = स रामं शयामं चान्तरा आसन्दम् अध्यास्त।
(२)पति और पत्नी पनीर चिल्ली खाने के लिए रेस्टोरेंट में जाकर अपने अपने कुर्सी पर बैठ गये =
भर्ता भार्या च अल्पाहारगृहं गत्वा महामरीचिकायुक्तप्राणीरं व्यञ्जनं भक्षयितुं स्वस्वासन्दम् अध्यासाताम्।
(३)सभी लोग प्रवचन सुनने के लिए अपने अपने आसनों पर बैठ गये =
सर्वे जना: प्रवचनस्य श्रवणाय स्वस्वासनम् अध्यासत।
(४)तुम बिछावन पर पलथी मारकर क्यों बैठ गये ?
=युवां शय्यां किमर्थं स्वस्तिकासनम् अध्यास्था: ?
(५)तुम दोनों मुझसे बिना पूछे ही अपने अपने बेंच पर क्यों बैठ गये =
युवां मम आज्ञामन्तरेणैव किमर्थं स्वकीयं स्वकीयम् आसनम् अध्यासाथाम् ?
(६)शिक्षक ने जैसे ही तुम लोगों को बैठने के लिए कहा, तुम लोग तुरन्त ही अपने-अपने बेंचों पर बैठ गए =
शिक्षकः यदा उपवेष्टुमाज्ञापितवान् तदा यूयं झटिति स्वकीयं स्वकीयं पीठिकाम् अध्याध्वम् ।
(७) भयंकर गर्मी के कारण सुस्ताने के लिए मैं एक वृक्ष के नीचे जमीन पर ही बैठ गया = प्रचण्डातपै: विश्रामं कर्तुम् अहम् एकस्मात् वृक्षात् अध: भूमिमेव अध्यासि।
(८)बस में हमदोनों अपने अपने सीट पर बैठ गए = लोकयाने आवां स्वस्वासनम् अध्यास्वहि।
(९)हमलोग वर्ग में पढ़ने के लिए अपने अपने बेंचों पर बैठ गए = वयं वर्गे अध्ययनाय स्वसवासनम् अध्यास्महि।
#vakyabhyas
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(१)वह राम और श्याम के बीच कुर्सी पर बैठ गया = स रामं शयामं चान्तरा आसन्दम् अध्यास्त।
(२)पति और पत्नी पनीर चिल्ली खाने के लिए रेस्टोरेंट में जाकर अपने अपने कुर्सी पर बैठ गये =
भर्ता भार्या च अल्पाहारगृहं गत्वा महामरीचिकायुक्तप्राणीरं व्यञ्जनं भक्षयितुं स्वस्वासन्दम् अध्यासाताम्।
(३)सभी लोग प्रवचन सुनने के लिए अपने अपने आसनों पर बैठ गये =
सर्वे जना: प्रवचनस्य श्रवणाय स्वस्वासनम् अध्यासत।
(४)तुम बिछावन पर पलथी मारकर क्यों बैठ गये ?
=युवां शय्यां किमर्थं स्वस्तिकासनम् अध्यास्था: ?
(५)तुम दोनों मुझसे बिना पूछे ही अपने अपने बेंच पर क्यों बैठ गये =
युवां मम आज्ञामन्तरेणैव किमर्थं स्वकीयं स्वकीयम् आसनम् अध्यासाथाम् ?
(६)शिक्षक ने जैसे ही तुम लोगों को बैठने के लिए कहा, तुम लोग तुरन्त ही अपने-अपने बेंचों पर बैठ गए =
शिक्षकः यदा उपवेष्टुमाज्ञापितवान् तदा यूयं झटिति स्वकीयं स्वकीयं पीठिकाम् अध्याध्वम् ।
(७) भयंकर गर्मी के कारण सुस्ताने के लिए मैं एक वृक्ष के नीचे जमीन पर ही बैठ गया = प्रचण्डातपै: विश्रामं कर्तुम् अहम् एकस्मात् वृक्षात् अध: भूमिमेव अध्यासि।
(८)बस में हमदोनों अपने अपने सीट पर बैठ गए = लोकयाने आवां स्वस्वासनम् अध्यास्वहि।
(९)हमलोग वर्ग में पढ़ने के लिए अपने अपने बेंचों पर बैठ गए = वयं वर्गे अध्ययनाय स्वसवासनम् अध्यास्महि।
#vakyabhyas
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🔰विषयः - विजयदिवसः संसदः च घटना
🗓१७/१२/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (विजयदिवसस्य तथा संसदि जाता घटना) अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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संस्कृत वर्णमाला में ह्रस्व और दीर्घ स्वर
ह्रस्व स्वर वे होते हैं जिनका उच्चारण काल एक मात्रा होता है। इनका उच्चारण बहुत कम समय में होता है। ह्रस्व स्वर पांच (५) हैं –
अ। इ। उ। ऋ। ऌ॥
जिन स्वरों का उच्चारण करने के लिए दो मात्रा समय लगता है वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं। इनका उच्चारण किंचित् लंबा करते हैं। दीर्घ स्वर आठ (८) हैं –
आ। ई। ऊ। ॠ। ए। ऐ। ओ। औ॥
#sanskritlessons
ह्रस्व स्वर वे होते हैं जिनका उच्चारण काल एक मात्रा होता है। इनका उच्चारण बहुत कम समय में होता है। ह्रस्व स्वर पांच (५) हैं –
अ। इ। उ। ऋ। ऌ॥
जिन स्वरों का उच्चारण करने के लिए दो मात्रा समय लगता है वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं। इनका उच्चारण किंचित् लंबा करते हैं। दीर्घ स्वर आठ (८) हैं –
आ। ई। ऊ। ॠ। ए। ऐ। ओ। औ॥
#sanskritlessons
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम 05:33 तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - 17 दिसम्बर 2023
⛅ दिन - रविवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - मार्गशीर्ष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 02:54 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅ योग - हर्षण रात्रि 12:36 तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहु काल - शाम 04:37 से 05:57 तक
⛅ सूर्योदय - 07:14
⛅ सूर्यास्त - 05:57
⛅ दिशा शूल - पश्चिम
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:28 से 06:21 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:09 से 01:02 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - स्कन्द षष्ठी
⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता हैं।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
#panchang
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम 05:33 तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - 17 दिसम्बर 2023
⛅ दिन - रविवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - मार्गशीर्ष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 02:54 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅ योग - हर्षण रात्रि 12:36 तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहु काल - शाम 04:37 से 05:57 तक
⛅ सूर्योदय - 07:14
⛅ सूर्यास्त - 05:57
⛅ दिशा शूल - पश्चिम
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:28 से 06:21 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:09 से 01:02 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - स्कन्द षष्ठी
⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता हैं।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
#panchang
संलापशाला
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
विजयदिवसः संसदः च घटना
#samlapshala
#samlapshala
🍃अप्रकटीकृतशक्ति: शक्तोपि जनस्तिरस्क्रियां लभते।
निवसन्नन्तर्दारुणि लङ्घ्यो वह्नि तु ज्वलित:॥
🔆यथा काष्ठात् न कोऽपि बिभेति किन्तु ज्वलतः काष्ठम् न उपसर्पन्ति तथैव शक्तिवन्तं जनमपि जनाः तिरस्कुर्वन्ति यावत् सः स्वशक्तिं न दर्शयति।
⚜शक्तिशाली व्यक्ति जब तक अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं करता,तब तक लोग उसका तिरस्कार करते हैं। जैसे लकड़ी से कोई नही डरता, परंतु जलती लकड़ी से लोग डरने लगते हैं।
#Subhashitam
निवसन्नन्तर्दारुणि लङ्घ्यो वह्नि तु ज्वलित:॥
🔆यथा काष्ठात् न कोऽपि बिभेति किन्तु ज्वलतः काष्ठम् न उपसर्पन्ति तथैव शक्तिवन्तं जनमपि जनाः तिरस्कुर्वन्ति यावत् सः स्वशक्तिं न दर्शयति।
⚜शक्तिशाली व्यक्ति जब तक अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं करता,तब तक लोग उसका तिरस्कार करते हैं। जैसे लकड़ी से कोई नही डरता, परंतु जलती लकड़ी से लोग डरने लगते हैं।
#Subhashitam
भारते बहु वैविध्यं वर्तते ननु।
बहु इति शब्दः कस्मिन् लिङ्गे अस्ति।
बहु इति शब्दः कस्मिन् लिङ्गे अस्ति।
Anonymous Quiz
14%
स्त्रीलिङ्गे
30%
पुल्लिङ्गे
56%
नपुंसकलिङ्गे
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (डोकानियोपनामको मोहितः)
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साप्ताहिक संस्कृत पत्रिका Vaartavali
#vaarta #vaartavali #newsinsanskrit
साप्ताहिक संस्कृत पत्रिका Vaartavali
DD News 24x7 | Breaking News & Latest Updates | Live Updates | News in Hindi
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar…
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एक पुरानी तिब्बती कथा है कि दो उल्लू एक ही वृक्ष पर आ कर बैठे।
•• तिब्बतस्य एका पुरातना कथा अस्ति यत् दिवान्धौ एकस्मिन्नेव वृक्षे आगत्य उपाविष्टाम्।
एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।
•• एक: स्वमुखे सर्पम् अगृह्णात्।
सांप भोजन था उनका, सुबह के नाश्ते की तैयारी थी।
•• सर्प: तस्य भोजनमासीत् , प्रातराशस्य सिद्धता आसीत्।
दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।
••अन्य: एकं मूषिकं ग्रहीत्वा आनीतवान् आसीत्।
दोनों एक ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।
•• उभौ एकस्मिन्नेव वृक्षम् आगत्य एकस्यां शाखायां समीपतया उपाविष्टाम्।
एक के मुँह में साँप, एक के मुँह में चूहा ।
•• एकस्य मुखे सर्प: , एकस्य मुखे मूषिक:।
साँप ने चूहे को देखा तो वह यह भूल ही गया कि वह उल्लू के मुँह में है और मौत के करीब है।
••यदा सर्पो मूषिकं दृष्ट्वान् तदा स एतत् विस्मृतवान्नेव यत् स दिवान्धस्य मुखे अस्ति मृत्यो: च समीपोऽस्ति।
चूहे को देख कर उसके मुँह में लार बहने लगी।
•• मूषकं दृष्ट्वा तस्यानने रसधारो वहितुमारभत।
वह भूल ही गया कि मौत के मुँह में है।
•• स विस्मृतवान्नेव यत् स मृत्यो: मुखे अस्ति।
उसको अपनी जीवन जीने की इच्छा ने पकड़ लिया और चूहे ने जैसे ही देखा साँप को, वह भयभीत हो गया, वह काँपने लगा।
•• तस्य जीजीविषा तं गृहीतवती तथा मूषक: यथैव सर्पं दृष्टवान् , स भीत्वा कम्पितुमारभत।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
•• तिब्बतस्य एका पुरातना कथा अस्ति यत् दिवान्धौ एकस्मिन्नेव वृक्षे आगत्य उपाविष्टाम्।
एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।
•• एक: स्वमुखे सर्पम् अगृह्णात्।
सांप भोजन था उनका, सुबह के नाश्ते की तैयारी थी।
•• सर्प: तस्य भोजनमासीत् , प्रातराशस्य सिद्धता आसीत्।
दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।
••अन्य: एकं मूषिकं ग्रहीत्वा आनीतवान् आसीत्।
दोनों एक ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।
•• उभौ एकस्मिन्नेव वृक्षम् आगत्य एकस्यां शाखायां समीपतया उपाविष्टाम्।
एक के मुँह में साँप, एक के मुँह में चूहा ।
•• एकस्य मुखे सर्प: , एकस्य मुखे मूषिक:।
साँप ने चूहे को देखा तो वह यह भूल ही गया कि वह उल्लू के मुँह में है और मौत के करीब है।
••यदा सर्पो मूषिकं दृष्ट्वान् तदा स एतत् विस्मृतवान्नेव यत् स दिवान्धस्य मुखे अस्ति मृत्यो: च समीपोऽस्ति।
चूहे को देख कर उसके मुँह में लार बहने लगी।
•• मूषकं दृष्ट्वा तस्यानने रसधारो वहितुमारभत।
वह भूल ही गया कि मौत के मुँह में है।
•• स विस्मृतवान्नेव यत् स मृत्यो: मुखे अस्ति।
उसको अपनी जीवन जीने की इच्छा ने पकड़ लिया और चूहे ने जैसे ही देखा साँप को, वह भयभीत हो गया, वह काँपने लगा।
•• तस्य जीजीविषा तं गृहीतवती तथा मूषक: यथैव सर्पं दृष्टवान् , स भीत्वा कम्पितुमारभत।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
प्लुत स्वर
वस्तुतः प्लुत स्वर केवल संस्कृत में ही नहीं, अपितु दुनिया की हर भाषा में होते हैं। परन्तु इनका शास्त्रीय अभ्यास केवल संस्कृत में ही किया गया है।
प्लुत स्वर वे होते हैं जिनका उच्चारण काल तीन मात्राएं होता है। प्लुत स्वरों का उच्चारण कुछ ज्यादा ही लंबा होता है। यानी दीर्घ से भी ज्यादा। प्लुत स्वर नौ (९) हैं।
अ३। इ्३। उ३। ऋ३। ऌ३। ए३। ऐ३। ओ३। ओ३॥
सामान्यतः किसी को दूर से बुलाने के लिए प्लुत स्वर का प्रयोग होता है – आगच्छ कृष्ण३।
ॐ इस चिह्न को बहुत बार ओ३म् ऐसा लिखा जाता है। यहां भी ओ३ यह स्वर प्लुत है।
🌐 kakshakaumudi.in
#sanskritlessons
वस्तुतः प्लुत स्वर केवल संस्कृत में ही नहीं, अपितु दुनिया की हर भाषा में होते हैं। परन्तु इनका शास्त्रीय अभ्यास केवल संस्कृत में ही किया गया है।
प्लुत स्वर वे होते हैं जिनका उच्चारण काल तीन मात्राएं होता है। प्लुत स्वरों का उच्चारण कुछ ज्यादा ही लंबा होता है। यानी दीर्घ से भी ज्यादा। प्लुत स्वर नौ (९) हैं।
अ३। इ्३। उ३। ऋ३। ऌ३। ए३। ऐ३। ओ३। ओ३॥
सामान्यतः किसी को दूर से बुलाने के लिए प्लुत स्वर का प्रयोग होता है – आगच्छ कृष्ण३।
ॐ इस चिह्न को बहुत बार ओ३म् ऐसा लिखा जाता है। यहां भी ओ३ यह स्वर प्लुत है।
🌐 kakshakaumudi.in
#sanskritlessons