संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃ये भेदं कुर्वते मोहात् आवयोः शिवरामयोः।
कुम्भीपाकेषु पच्यन्ते ते हि कल्पसहस्रकम्।।

🔆 ये जनाः शिवरामयोः भेदं कर्तुं प्रयतन्ते कः श्रेष्ठतरः इति वचन्ति ते सहस्रं वर्षाणि यावत् नरके कुम्भीपाके पच्यन्ते।

Those who due to igorance discriminate between us, Shiva and Rama, suffer in Kumbhipaka for thousands Kalpas..

#Subhashitam
अव्यय
---------
(१)अब से ------
अब से कुछ ही क्षणों में आप सुनेंगे
= इदानीं किञ्चिदेव एव क्षणान्तरं यूयं सन्दिष्टं श्रोष्यथ।

(२)अभी भी---अच्छे शिक्षक अभी भी आदर पाते हैं
= निष्ठावन्त: शिक्षकाः अद्यपर्यन्तमपि आद्रियन्ते।

(३)या--नहीं/कि--नहीं---
क्या आप जानते हैं कि वह लौटेगा या(कि) नहीं
=भवान् जानाति किल स प्रत्यागमिष्यति न वा?

(४) यहां तक कि-----
उसने मेरी बहुत मदद की, यहां तक कि भोजन और वस्त्र भी दिया =
•• स मम भृशं साहाय्यं कृतवान् ,एतदतिरिच्य भोजनं वस्त्रं चापि मह्यं दत्तवान्।
•• स न केवलं मम भृशं साहाय्यमेव कृतवान् , अपितु सहैव भोजनं वस्त्रं च मह्यं दत्तवान्।

(५)शायद ही------
वह शायद ही झूठ बोलती है
= सा कदाचिदव असत्यं वदति।
------------------------------------
(तो)
-----
(६)तो,मैं कह रहा था
= अतः,अहं कथयामि स्म।

(७)तो,हमें भी उनकी तरह एक साथ रहना चाहिए =
••अत:, वयमपि तेषामिव एकीभूय जीवनं यापयेम।
••अत:,अस्माभि: अपि तेषामिव परस्परं मिलित्वा सहैव जीवनयापनीयम्।

(८)हमारे हाथ की एक अंगुली छोटी है तो दूसरी बड़ी है
= अस्मदीयं हस्तस्य एका अङ्गुलिः कनिष्ठिका अन्याश्च वरिष्ठाः।

(९)राम गाता है तो श्याम हंसता है
= रामो गायति श्यामो हसति च।

(१०)वे अगर आपस में झगड़ा करने लगेंगी और परस्पर सहयोग नहीं करेंगी तो कुछ काम नहीं हो पायेगा
=यदि ता: कलहं कृत्वा परस्परं सहयोगं न करिष्यन्ति तर्हि किमपि कार्यं भवितुं न शक्ष्यति।

(११)लोटा उठाना हो तो अंगूठा और अंगुलियां मिल कर उठाती हैं
=यदि करकं उत्थापनीयम् तर्हि अंगुष्ठ: अङ्गुलि: च परस्परं मिलित्वा उत्थापयत:।

(१२)जब वह आयेगा तो मैं जाऊंगा
= यदा स आगमिष्यति तदा अहम् गमिष्यामि।

~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
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अहो माधुर्यम्। अहो सामञ्जस्यम्।🧡
कुछ वर्णों को उच्चारित करने के लिए एक से ज्यादा स्थानों की जरूरत होती है।

कण्ठतालु - ए। ऐ॥
गुणसन्धि के नियम के अनुसार - अ + इ = ए। यदि ए यह स्वर अ तथा इ के मिश्रण से बना है तो जाहिर है कि अ तथा इ का संयुक्त उच्चारस्थान ए का होगा। अ का कण्ठ तथा इ का तालु। अतः ए का उच्चार स्थान है कण्ठतालु। ऐ का भी कण्ठतालु ही होगा।

कण्ठौष्ठम् - ओ। औ॥
अ + उ = ओ। अ का उच्चारस्थान कण्ठ है। तथा उ का ओष्ठ है। अतः अ और उ से बने ओ का स्थान कण्ठोष्ठ है।

दन्तोष्ठम् - व्।
व् का उच्चार करने के लिए ओष्ठों के साथ साथ हमारी जीभ किंचित् दांतों की तरफ मुखातिब होती है। अतः व् का उच्चारस्थान दन्तोष्ठ है।

हम जानते ही हैं कि अनुनासिक व्यंजन अपने वर्ग के उच्चारण स्थान के साथ-साथ नासिका की भी मदद लेते हैं। इसलिए अनुनासिक व्यंजनों के दो उच्चारण स्थान होते हैं।

🌐 kakshakaumudi.in
#sanskritlessons
शिक्षकः-- सूर्योदय-कालात्
पूर्वम् उत्तिष्ठति चेत् धनम्, ऐश्वर्यं सर्वं च प्राप्नुमः।🥸
मानवः -- एवं चेत् दैनन्दिन-वार्तापत्रं वितरणं कर्तुं बालकः तु द्विचक्रिकायामेव आगतः न तु BMW यानेन खलु भोः।😉😉

#hasya
अत्र भवान् संस्कृतसमाचारान् लेखित्वा प्रेषयितुम् अर्हति। ततः प्रकाशकाः भवतो नाम्ना सह तत्समाचारं यथामति प्रकाशयिष्यन्ते। अत्र प्रवेशितुं संस्कृतज्ञानम् अनिवार्यम्। कृपया सर्वे शुद्धान् स्वेन च लिखितान् लेखान् एव प्रेषयन्तु।

https://chat.whatsapp.com/GDnVRR09j5CIu8QbCUoJOM
अर्जुन उवाच॥
हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते।
सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत।।1.21।। अर्जुनः कम् अवदत्।
Anonymous Quiz
11%
महीपतिं धृतराष्ट्रम्
7%
सञ्जयम्
78%
हृषीकेशम्
4%
रथम्
@samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰 विषयः - अन्यदेशपरिचयः
🗓१२/१२/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (कस्यचित् अन्यदेशस्य परिचयः कारणीयः) अभिक्रम्य आगच्छत।

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पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Audio
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - अमावस्या 13 दिसम्बर प्रातः 05:01 तक

दिनांक - 12 दिसम्बर 2023
दिन - मंगलवार
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - मार्गशीर्ष
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - अनुराधा दोपहर 11:57 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
योग - धृति शाम 06:52 तक तत्पश्चात शूल
राहु काल - दोपहर 03:14 से 04:35 तक
सूर्योदय - 07:11
सूर्यास्त - 05:56
दिशा शूल - उत्तर
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:25 से 06:18 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:07 से 01:00 तक
व्रत पर्व विवरण - मार्गशीर्ष अमावस्या, श्री रंग अवधूत महाराज पुण्यतिथि
🍃वैद्याः वदन्ति कफपित्तमरुद्विकारान्
ज्योतिर्विदो ग्रहगतिं परिवर्तयन्ति ।
भूताभिषङ्ग इति भूतविदो वदन्ति
प्रारब्धकर्म बलवन्मुनयोः वदन्ति।।

🔆 यदा काचित् पीडा भवति तदा वैद्याः वदन्ति यत् कफपित्तमरुद्विकाराः सन्ति। ज्योतिषी वदति यत् ग्रहनक्षत्राणां कारणेन समस्या इयम्। भूतज्ञः वदति यत् भूतसमस्या किन्तु मुनयस्तु प्रारब्धकर्माणि एव कारणानि इति गदन्ति।

(पीडा होने पर) वैद्य कहते हैं कि वह कफ, पित्त और वायु का विकार है; ज्योतिषी कहते हैं कि वह ग्रहों के द्वारा दी हुई पीड़ा है; भूवा (बाबा) कहता है कि भूत का संचार हुआ है, परन्तु सत्यता यह है कि प्रारब्ध कर्म बलवान है, उसी का यह फल है। सभी सनातन शास्त्र और ऋषि मुनि यही कहते हैं।

#Subhashitam
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प्रति (ओर , पास )- हमेशा द्वितीय विभक्ति का ही प्रयोग होता है।
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(१)कबूतर अपना भूख मिटाने के लिए छत पर पसारे हुए अनाज की ओर जाता है
= कपोता: स्वक्षुधाया: शान्ते: हेतो छदौ प्रसारितम् अन्नं प्रति गच्छन्ति।

(२)खरगोश घास खाने के लिए चरागाह की ओर जाता है
= शशक: तृणान् भक्षितुं तृणभूमिं प्रति गच्छति।

(३)पूजा का फूल लेने के लिए मेरी मां गमला के पास जाती है
= अर्चणाय पुष्पाणि चेतुं ममाम्बा पुष्पपात्रं प्रति गच्छति।

(४)खेलते हुए बच्चे की ओर जाओ
= खेलन्तं शिशुं प्रति गच्छ।

(५)नदियां समुद्र के पास जाती है
= नद्य: समुद्रं प्रति गच्छन्ति।

(६)छात्र पढ़ने के लिए विद्यालय के पास जाता है
= छात्र: पठनाय विद्यालयं प्रति गच्छति।

(७)घोड़ा दौड़ता हुआ पानी पीने के लिए नदी के पास जाता है
= अश्व: धावन् जलपानाय नदीं प्रति गच्छति।

(८)राम चाय पीने के लिए टी स्टॉल के पास जाता है
= राम: चायपानाय चायापणं प्रति गच्छति।

(९)बरसात में राम अपने शरीर को छाता से ओढ़कर बस स्टैण्ड की ओर जाता है
= वर्षायां राम: स्वशरीरम् आवरणं कृत्वा लोकयानस्थानकं प्रति गच्छति।

(१०)वह पानी वाले जहाज पर बैठकर माल लेने के लिए विदेश की ओर जाता है
= स जलयाने उपविश्य आवश्यकानि वस्तूनि क्रेतुं विदेशं प्रति गच्छति।

(११)स्कूल इंस्पेक्टर झंडा फहराने के लिए इसी विद्यालय की तरफ ही आ रहे हैं
= विद्यालयनिरीक्षक: झण्डोत्तोलनाय विद्यालयं प्रति एव आगच्छति ।

(१२)वह टमाटर लाने के लिए सब्जी बेचने वाले के पास जाती है
= सा रक्तफलं क्रेतु शाकविक्रेतारं प्रति गच्छति।

~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
The Brihat-samhita calls the revilers of women "wicked, cynical, and dasyus."
 
“Women are indeed superior to men in respect of merit. The moon gave them purity; singing, cultured and sweet speech [...]

Women are like pure gold. They are without taint and pure all over.”