अधी+शीङ् (सोना)- के साथ हमेशा सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग होता है।
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(१) मेरे दादा जी खाट पर सोते थे =
••मम पितामह: खट्वाम् अधिशेते स्म। (द्वितीया विभक्ति)
••मम पितामह: खट्वायां शेते स्म। (सप्तमी विभक्ति)
(२)पिता और पुत्र एक ही पलंग पर सोते हैं =
••जनक: आत्मज: च एकमेव पर्यङ्कम् अधिशयेते। (द्वितीया विभक्ति)
•• जनक: आत्मज: च एकस्मिन्नेव पर्यङ्के शयेते। (सप्तमी विभक्ति)
(३)भयंकर गर्मी के दिनों में रात में लाइन नहीं रहने के कारण लगभग सभी लोग छत पर ही सोते हैं =
•• भीषणे ग्रीष्मकाले नक्तं विद्युदभावे अनुमानतः सर्वे जना: छदींषि एव अधिशेरते। ( द्वितीया विभक्ति)
•• भीषणे ग्रीष्मकाले नक्तं विद्युदाभावे अनुमानतः सर्वे जना: एव छदिष्षु एव शेरते। (सप्तमी विभक्ति)
(४) भयंकर गर्मी की रात में तुम पलंग पर पंखा के नीचे सोते हो या छत पर =
••भीषणनिदाघे नक्तं त्वं व्यजनात् अध: पर्यङ्कम् अधिशेषे अथवा छदि: अधिशेषे वा ? (द्वितीया विभक्ति)
•• भीषणनिदाघे नक्तं त्वं व्यजनात् अध: पर्यङ्के शेषे अथवा छदिषि शेषे वा ?(सप्तमी विभक्ति)
(५) तुम दोनों उस समय पलंग पर गहरी नींद में सो रहे थे, इसीलिए मैंने तुमदोनों को जगाना उचित नहीं समझा =
••तदानीं युवां चिरनिद्रायाम् पर्यङ्कम् अधिशयाथे स्म अत: अहं जागरयितुं सम्यग् नावगच्छम्। (द्वितीया विभक्ति)
•• तदानीं युवां चिरनिद्रायाम् पर्यङ्के शयाथे स्म , अत: अहं जागरयितुं सम्यग् नावगच्छम्। (सप्तमी विभक्ति)
(६) जाड़ा में तुम लोग हमेशा कंबल ओढ़कर पलंग पर सोते हो=
••शीतर्तौ यूयं सदैव कम्बलम् आच्छाद्य पर्यङ्कम् अधिशेध्वे। ( द्वितीया विभक्ति)
•• शीतर्तौ यूयं सदैव कम्बलम् आच्छाद्य पर्यङ्के शेध्वे। (सप्तमी विभक्ति)
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
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(१) मेरे दादा जी खाट पर सोते थे =
••मम पितामह: खट्वाम् अधिशेते स्म। (द्वितीया विभक्ति)
••मम पितामह: खट्वायां शेते स्म। (सप्तमी विभक्ति)
(२)पिता और पुत्र एक ही पलंग पर सोते हैं =
••जनक: आत्मज: च एकमेव पर्यङ्कम् अधिशयेते। (द्वितीया विभक्ति)
•• जनक: आत्मज: च एकस्मिन्नेव पर्यङ्के शयेते। (सप्तमी विभक्ति)
(३)भयंकर गर्मी के दिनों में रात में लाइन नहीं रहने के कारण लगभग सभी लोग छत पर ही सोते हैं =
•• भीषणे ग्रीष्मकाले नक्तं विद्युदभावे अनुमानतः सर्वे जना: छदींषि एव अधिशेरते। ( द्वितीया विभक्ति)
•• भीषणे ग्रीष्मकाले नक्तं विद्युदाभावे अनुमानतः सर्वे जना: एव छदिष्षु एव शेरते। (सप्तमी विभक्ति)
(४) भयंकर गर्मी की रात में तुम पलंग पर पंखा के नीचे सोते हो या छत पर =
••भीषणनिदाघे नक्तं त्वं व्यजनात् अध: पर्यङ्कम् अधिशेषे अथवा छदि: अधिशेषे वा ? (द्वितीया विभक्ति)
•• भीषणनिदाघे नक्तं त्वं व्यजनात् अध: पर्यङ्के शेषे अथवा छदिषि शेषे वा ?(सप्तमी विभक्ति)
(५) तुम दोनों उस समय पलंग पर गहरी नींद में सो रहे थे, इसीलिए मैंने तुमदोनों को जगाना उचित नहीं समझा =
••तदानीं युवां चिरनिद्रायाम् पर्यङ्कम् अधिशयाथे स्म अत: अहं जागरयितुं सम्यग् नावगच्छम्। (द्वितीया विभक्ति)
•• तदानीं युवां चिरनिद्रायाम् पर्यङ्के शयाथे स्म , अत: अहं जागरयितुं सम्यग् नावगच्छम्। (सप्तमी विभक्ति)
(६) जाड़ा में तुम लोग हमेशा कंबल ओढ़कर पलंग पर सोते हो=
••शीतर्तौ यूयं सदैव कम्बलम् आच्छाद्य पर्यङ्कम् अधिशेध्वे। ( द्वितीया विभक्ति)
•• शीतर्तौ यूयं सदैव कम्बलम् आच्छाद्य पर्यङ्के शेध्वे। (सप्तमी विभक्ति)
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
४. दन्ताः
दंत अर्थात दांत। जिन वर्णों का उच्चारण दांतो से जीभ लगाकर किया जाता है उन वर्णों को दन्त्य वर्ण कहा जाता है।
निम्न वर्ण दन्त्य वर्ण माने जाते हैं।
• स्वर - ऌ। ॡ॥
• वर्गीय व्यंजन - त्। थ्। द्। ध्। न्॥
• अवर्गीय व्यंजन - ल्। स्॥
🌐 kakshakaumudi.in
#sanskritlessons
दंत अर्थात दांत। जिन वर्णों का उच्चारण दांतो से जीभ लगाकर किया जाता है उन वर्णों को दन्त्य वर्ण कहा जाता है।
निम्न वर्ण दन्त्य वर्ण माने जाते हैं।
• स्वर - ऌ। ॡ॥
• वर्गीय व्यंजन - त्। थ्। द्। ध्। न्॥
• अवर्गीय व्यंजन - ल्। स्॥
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रुग्णः--औषधं आवश्यकं भोः।😒
आपणिकः--किमर्थम् भोः?।😌
रुग्णः--मम मनस्ताप(stress)निवारणार्थम्।😟
आपणिकः--एवं चेत् वैद्यस्य प्रक्रिया पत्रं
हस्तेऽस्ति वा?।😏
रुग्णः--न भोः।मम हस्ते तु मम विवाह-पञ्चीकरण-प्रमाणपत्रमस्ति। पर्याप्तं वा?।🥴
आपणिकः--🫢
#hasya
आपणिकः--किमर्थम् भोः?।😌
रुग्णः--मम मनस्ताप(stress)निवारणार्थम्।😟
आपणिकः--एवं चेत् वैद्यस्य प्रक्रिया पत्रं
हस्तेऽस्ति वा?।😏
रुग्णः--न भोः।मम हस्ते तु मम विवाह-पञ्चीकरण-प्रमाणपत्रमस्ति। पर्याप्तं वा?।🥴
आपणिकः--🫢
#hasya
द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वशः पृथिवीपते।
सौभद्रश्च महाबाहुः शङ्खान्दध्मुः पृथक्पृथक्।।1.18।।
अत्र पृथिवीपते इति कः सम्बोध्यते।
सौभद्रश्च महाबाहुः शङ्खान्दध्मुः पृथक्पृथक्।।1.18।।
अत्र पृथिवीपते इति कः सम्बोध्यते।
Anonymous Quiz
34%
सर्वे शूराः
34%
धृतराष्ट्रः
28%
द्रुपदः
5%
सौभद्रः
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी पूर्ण रात्रि तक (वृद्धि तिथि)
⛅ दिनांक - 09 दिसम्बर 2023
⛅ दिन - शनिवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - मार्गशीर्ष
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - चित्रा सुबह 10:43 तक तत्पश्चात स्वाती
⛅ योग - शोभन रात्रि 11:37 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅ राहु काल - सुबह 09:50 से 11:11 तक
⛅ सूर्योदय - 07:09
⛅ सूर्यास्त - 05:55
⛅ दिशा शूल - पूर्व
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:16 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:066 से 12:59 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - उत्पत्ति एकादशी (भागवत)
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वादशी पूर्ण रात्रि तक (वृद्धि तिथि)
⛅ दिनांक - 09 दिसम्बर 2023
⛅ दिन - शनिवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - मार्गशीर्ष
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - चित्रा सुबह 10:43 तक तत्पश्चात स्वाती
⛅ योग - शोभन रात्रि 11:37 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
⛅ राहु काल - सुबह 09:50 से 11:11 तक
⛅ सूर्योदय - 07:09
⛅ सूर्यास्त - 05:55
⛅ दिशा शूल - पूर्व
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:16 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:066 से 12:59 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - उत्पत्ति एकादशी (भागवत)
@samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room
🔰विषयः - निर्वाणषट्कम्
🗓०९/१२/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (निर्वाणषट्कस्य श्लोलानां विवरणम्) अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
🔰विषयः - निर्वाणषट्कम्
🗓०९/१२/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
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🍃एकः स्वादु न भुञ्जीत एकश्चार्थान् न चिन्तयेत् ।
एको न गच्छेदध्वानं नैकः सुप्तेषु जागृयात् ।।
🔆 एकाकी न भोजनं कुर्यात् एकाकी च धनार्जनविषये न चिन्तयेत् एकाकीच निर्जनवनेषु न गच्छेत् तथैव नैकेषु सुप्तेषु एकः न प्रजागर्य रक्षणं कुर्यात्।
⚜अकेले अकेले स्वादिष्ट व्यंजन नहीं खाना चाहिए , अकेले धन कमाने के विषय में योजना नहीं बनानी चाहिए , अकेले (निर्जन स्थान) वनों में नहीं जाना चाहिए और बहुत सारे सोते हुए लोगों की सुरक्षा के लिए सिर्फ अकेले ही नहीं जगना चाहिए।
#Subhashitam
एको न गच्छेदध्वानं नैकः सुप्तेषु जागृयात् ।।
🔆 एकाकी न भोजनं कुर्यात् एकाकी च धनार्जनविषये न चिन्तयेत् एकाकीच निर्जनवनेषु न गच्छेत् तथैव नैकेषु सुप्तेषु एकः न प्रजागर्य रक्षणं कुर्यात्।
⚜अकेले अकेले स्वादिष्ट व्यंजन नहीं खाना चाहिए , अकेले धन कमाने के विषय में योजना नहीं बनानी चाहिए , अकेले (निर्जन स्थान) वनों में नहीं जाना चाहिए और बहुत सारे सोते हुए लोगों की सुरक्षा के लिए सिर्फ अकेले ही नहीं जगना चाहिए।
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संलापशाला
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
निर्वाणषट्कम्
#samlapshala
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