संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃विद्वद्भिः सेवितः सद्भिर्नित्यमद्वेषरागिभिः।
हृदयेनाभ्यनुज्ञातो यो धर्मस्तं निबोधत॥

🔆 शास्त्रज्ञातारः रागद्वेषाभ्यां रहिताः महात्मानः यस्य धर्मस्य (येषां कर्तव्यानां) अनुज्ञां कुर्वन्ति सः एव धर्मः वर्तते।

🍃शास्त्र को ठीक-से जानने वाले, राग व द्वेष से रहित महात्मा लोग अंत:करण से अभिमुख होकर जिन कर्मों को सदा से करते चले आए हैं, वे ही धर्म हैं।

मनुस्मृति

#Subhashitam
अहो अद्भुतं देवालयः इदम् अस्ति।
वाक्ये अनुचितं पदं किम्।
Anonymous Quiz
23%
अद्भुतम्
23%
इदम्
29%
देवालयः
19%
अद्भुतम् इदं च
5%
देवालयः इदं च
मोहन = चलो , हम दोनों घर से बाहर चलकर किसी अच्छे रेस्टोरेंट में भोजन किया जाए
(चल, आवां गृहत: बहिर्गत्य कस्मिंश्चितद् उत्तमे भोजनालये भोजनं करवाव।)
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सोहन = कितना अच्छा! सुबह से कुछ भी नहीं खाया है।पत्नी बाहर है।लेकिन मेरे पास रुपये तो नहीं है।बिल का भुगतान कौन करेगा ?
= कियत् मनोहरम् ! प्रात:कालात् इदानीं यावत् किमपि न खादितवान्।भार्या गृहे नास्ति।मम पार्श्वे रूप्यकं नास्ति।भोजनव्ययस्य कृते मुद्रां को दास्यति ?
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मोहन = मैं आपको आज अपनी तरफ से आपको भोजन खिलाऊंगा ।
( अहं भवन्तम् अद्य स्वपक्षतः भोजनं कारयिष्यामि।)
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( होटल में = भोजनलाये)
मोहन = मेनू कहां है ?
(भोजनस्य सूच्य: कुत्र?)
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वेटर= दिवाल पर लिखा है ।
(परिवेषक: = भित्तौ लिखितम्।)
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मोहन=ठीक है। हमें एक- प्लेट चावल और आधा-आधा प्लेट पनीर चिली चाहिए।
( अस्तु।आवाभ्याम् एकशरावपरिमितम् ओदनम् अर्धमर्धं च महामरीचिकायुक्तं प्राणीरव्यञ्जनम् आवश्यकानि।)
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सोहन = तुमको यह कैसे लगता है?
( तुभ्यमिदं कीदृशं प्रतीयते?)
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मोहन = ओह! बहुत मसालेदार है।यह तो जीभ को चाबुक मार रहा है।
(ओह!अतीव कटुयुक्तं व्यञ्जनम्। एतत् तु मम जिह्वां कषया ताडयतीति मया अनुभूयते।)
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सोहन = ओह! यह तो डंक मार रहा है। मेरा जीभ तो जल रहा है ।
(ओह! एष तु दशति।मम जिह्वा तु ज्वलनमनुभवति।)
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मोहन = यह डिनर तुमको कैसे लगा ?
( तुभ्यम् एतद् मध्याह्नभोजनं कथम् अनुभूतम्।)
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सोहन = यह बहुत ही घटिया किस्म का डिनर था।घर से अच्छा भोजन किसी भी होटल में नही मिलेगा।)
(एतद् भोजनं नितरामेव अस्वादिष्टम। गृहात् उत्तमतरं भोजनं कश्मिंश्चिदपि भोजनालये न प्राप्स्यते।)
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मोहन = दुकान देखने में बहुत नामी लगता है , परन्तु इसमें बिकने वाले खान का सामान बहुत ही घटिया क्वालिटी का है।
(आपणः सुप्रसिद्धः प्रतीयते, परन्तु अस्मिन् विक्रीयखाद्यपदार्थाः नितरां निम्नगुणाः सन्ति।)
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सोहन = अब हमलोग जल्दी घर चले।
(इदानीम् आवाम् अचिरात् गृहं चलाव।)

~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
कर्तरि-प्रयोगः (kartari-prayogaḥ) (Active Voice): In Sanskrit, for active voice, importance is given to the doer of the action. Here, the verb forms are influenced by the कर्तृपदम् (kartṛpadam) (Subject). The वचनम् (vacanam) (Grammatical Number) and पुरुषः…
Following are some examples of active voice in Sanskrit:

बालकः पुस्तकं पठति। (bālakaḥ pustakaṃ paṭhati।), this means, “A boy is reading a book.” Here, the verb is, “पठति” and the action is reading. The doer of the action is the word, “बालकः” and is in प्रथमा विभक्तिः (prathamā vibhaktiḥ), singular and third person. The same is true for the verb too. The receiver here is the word, “पुस्तकम्” and is in द्वितीया विभक्तिः (dvitīyā vibhaktiḥ) singular and third person.

पत्राणि पतन्ति। (patrāṇi patanti।), this means, “Leaves are falling.” Here, the verb is, “पतन्ति” and the action is falling. The doer of the action is the word, “पत्राणि”. It is in plural, third person and प्रथमा विभक्तिः (prathamā vibhaktiḥ). The same holds true for the verb too. Here, the verb is an intransitive one, so there is no receiver.

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#sanskritlessons
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः।।1.4।।
कीदृशाः शूराः युद्धे विद्यन्ते।
Anonymous Quiz
7%
भीमसदृशाः
10%
अर्जुनसदृशाः
65%
भीमार्जुनसदृशाः
18%
युयुधानविराटद्रुपदसदृशाः
Audio
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - त्रयोदशी शाम 05:22 तक तत्पश्चात चतुर्दशी

दिनांक - 25 नवम्बर 2023
दिन - शनिवार
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - कार्तिक
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - अश्विनी दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात भरणी
योग - व्यतिपात प्रातः 06:24 तक तत्पश्चात बारियान
राहु काल - सुबह 09:43 से 11:05 तक
सूर्योदय - 06:59
सूर्यास्त - 05:53
दिशा शूल - पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:15 से 06:07 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:01 से 12:53 तक
व्रत पर्व विवरण - वैकुंठ चतुर्दशी
@samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰विषयः - उत्तरकाशीनिस्तरणम्
🗓२५ /११/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थम् उत्तरकाशीनिस्तरणम् एतद्विषयम् अभिक्रम्य आगच्छत।

https://t.me/samvadah?livestream

पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Sanskrit-0655-0700
🍃आक्षेप वचनं तस्य न वक्तव्यं कदाचन।
अनुकूलं प्रियं चास्य वक्तव्यं जनसंसदि।।

🔆 कस्यामपि स्थित्यां कमपि अपमानयितुं वचनानि न वक्तव्यानि एव तथैव जनसभासु अपि परिस्थिति-अनुकूलानि प्रियवचनानि एव वदितव्यानि।

स्थिति चाहे कैसी भी हो, किसी को अपमानित करने वाले कटु शब्द कभी भी नहीं कहने चाहिये। जनसभाओ में भी सदैव परिस्थिति के अनुकूल दूसरों को प्रिय लगने वाली बातें ही कहनी चाहिये।

#Subhashitam
वस्तूनि स्थापयित्वा सः पतन्तं बालकं गृह्णाति।
अव्ययपदं किम्।
Anonymous Quiz
8%
वस्तूनि
25%
पतन्तम्
64%
स्थापयित्वा
3%
गृह्णाति
मेहमान। नमस्ते रमेश।
अभ्यागतः। नमस्ते रमेश।

रमेश। नमस्ते सुरेश कैसे हो ।बैठो तो।तुम थके अवश्य होगे।
रमेशः। नमस्ते सुरेश भवान् कथम् । कृपया उपास्यताम्। मया प्रतीयते यत् भवान् अवश्यं श्रान्तः स्यात्।

सुरेश। ओह मैं थकावट से चूरचूर हो गया हूं।
सुरेशः। आः आम् इदानीम् अति श्रान्तोऽभुवम् ।

रमेश। हमलोग युगों के बाद मिल रहे हैं।तुम तो ईद के चांद हो गये हो ।
रमेशः। इदानीम् आवां बहुवर्षानन्तरं परस्परं मिलावः।भवतः दर्शनं तु पूर्णतया दुर्लभमभवत्।

रमेश। क्या आपके लिए चाय बनवाऊं। क्या पीने के लिए पानी भी गर्म करवाऊं।
रमेशः। अपि भवतः कृते चायं पाचयानि। पातुं जलमपि उष्णं कारयानि किम्।

रमेश। मेरे घर का चाय आपको कैसा लग रहा है।
रमेशः। मम गृहे पचितं चायं भवते कथं रोचते।

सुरेश। बहुत अच्छा।
सुरेशः। अत्युत्तमम्।

~उमेशगुप्तः #vakyabhyas #samvadah
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