🍃 रामनामा सदा खेदभावे दयावान् अतापीनतेजाः रिपौ आनते।
कादिमोदासहाता स्वभासा रसामे सुगः रेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥
🔸श्री राम - दुःखियों के प्रति सदैव दयालु, सूर्य की तरह तेजस्वी मगर सहज प्राप्य, देवताओं के सुख में विघ्न डालने वाले राक्षसों के विनाशक - अपने बैरी - समस्त भूमि के विजेता, भ्रमणशील रेणुका-पुत्र परशुराम - को पराजित कर अपने तेज-प्रताप से शीतल शांत किया था।
🍃 मेरुभूजेत्रगा काणुरे गोसुमे सा अरसा भास्वता हा सदा मोदिका।
तेन वा पारिजातेन पीता नवा यादवे अभात् अखेदा समानामर ॥ ७॥
🔸अपराजेय मेरु (सुमेरु) पर्वत से भी सुन्दर रैवतक पर्वत पर निवास करते समय रुक्मिणी को स्वर्णिम चमकीले पारिजात पुष्पों की प्राप्ति उपरांत धरती के अन्य पुष्प कम सुगन्धित, अप्रिय लगने लगे। उन्हें कृष्ण की संगत में ओजस्वी, नवकलेवर, दैवीय रूप प्राप्त करने की अनुभूति होने लगी।
#Viloma_Kavya
कादिमोदासहाता स्वभासा रसामे सुगः रेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥
🔸श्री राम - दुःखियों के प्रति सदैव दयालु, सूर्य की तरह तेजस्वी मगर सहज प्राप्य, देवताओं के सुख में विघ्न डालने वाले राक्षसों के विनाशक - अपने बैरी - समस्त भूमि के विजेता, भ्रमणशील रेणुका-पुत्र परशुराम - को पराजित कर अपने तेज-प्रताप से शीतल शांत किया था।
विलोम श्लोक :—
🍃 मेरुभूजेत्रगा काणुरे गोसुमे सा अरसा भास्वता हा सदा मोदिका।
तेन वा पारिजातेन पीता नवा यादवे अभात् अखेदा समानामर ॥ ७॥
🔸अपराजेय मेरु (सुमेरु) पर्वत से भी सुन्दर रैवतक पर्वत पर निवास करते समय रुक्मिणी को स्वर्णिम चमकीले पारिजात पुष्पों की प्राप्ति उपरांत धरती के अन्य पुष्प कम सुगन्धित, अप्रिय लगने लगे। उन्हें कृष्ण की संगत में ओजस्वी, नवकलेवर, दैवीय रूप प्राप्त करने की अनुभूति होने लगी।
#Viloma_Kavya
✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️ चतुर्दशः अध्याय
♦️श्लोक :- १९
धर्मं धनं च धान्यं गुरोर्वचनमौषधम्।
संगृहीतं च कर्तव्यमन्यथा न तु जीवति।।१९।।
♦️भावार्थ - धर्म का आचरण, धन का उपार्जन, नाना प्रकार के अन्नों का संचय, गुरु के वचनों का तथा विविध प्रकार की औषधियों का सेवन विधि-विधान से तथा प्रयत्न पूर्वक करना चाहिए। ऐसा न करने पर निश्चय ही व्यक्ति ठीक प्रकार से जी नहीं सकता।
#Chanakya
✒️ चतुर्दशः अध्याय
♦️श्लोक :- १९
धर्मं धनं च धान्यं गुरोर्वचनमौषधम्।
संगृहीतं च कर्तव्यमन्यथा न तु जीवति।।१९।।
♦️भावार्थ - धर्म का आचरण, धन का उपार्जन, नाना प्रकार के अन्नों का संचय, गुरु के वचनों का तथा विविध प्रकार की औषधियों का सेवन विधि-विधान से तथा प्रयत्न पूर्वक करना चाहिए। ऐसा न करने पर निश्चय ही व्यक्ति ठीक प्रकार से जी नहीं सकता।
#Chanakya
ओ३म्
२६४ संस्कृत वाक्याभ्यासः
चलन्तु , अद्य कृषिक्षेत्रं चलामः ।
= चलिये , आज खेत चलते हैं
सः कृषकः
वह किसान है
तेन सह द्वौ बलीवर्दौ स्तः।
= उसके साथ दो बैल हैं
द्वौ श्रमिकौ अपि स्तः ।
= दो श्रमिक भी हैं
एकस्य पार्श्वे खननसाधनम् अस्ति।
= एक के पास खोदने का साधन है।
एकस्य पार्श्वे कुद्दालः अस्ति।
= एक के पास कुदाल है।
खननसाधनेन सः जलपथं निर्माति।
= खोदने के साधन से वह क्यारी बनाता है।
कुद्दालेन सः अपतृणं दूरीकरोति ।
= कुदाल से वह खरपतवार दूर करता है।
कृषकः बलीवर्दाभ्यां सह बीजवपनं करोति।
= किसान बैलों के साथ बीज बोता है।
कृषकः आतपे अपि कार्यं करोति।
= किसान धूप में भी काम करता है
कृषकः वर्षाकाले अपि कार्यं करोति।
= किसान बरसात में भी काम करता है।
कृषकः शीतकाले अपि कार्यं करोति।
= किसान जाड़े में भी काम करता है।
वयं यदा अन्नं खादामः तदा कृषकं न स्मरामः।
= जब हम अन्न खाते हैं तब किसान को याद नहीं करते हैं।
भोजनसमये ईश्वरं स्मरन्तु।
= भोजन के समय ईश्वर को याद करें।
कृषकम् अपि स्मरन्तु।
= किसान को भी याद करिये।
ओ३म्
१६५ संस्कृत वाक्याभ्यासः
सः /सा जृम्भते ।
= वह जँभाई लेता / लेती है ।
सः /सा वारं वारं जृम्भते ।
= वह बार बार जँभाई लेता / लेती है ।
सः रात्रौ शयनं न कृतवान् ।
= वह रात सोया ही नहीं ।
सा रात्रौ शयनं न कृतवती।
= वह रात सोई ही नहीं ।
किमर्थम् ??
= किसलिये ??
अद्य तस्य / तस्याः परिक्षा अस्ति।
= आज उसकी परीक्षा है।
आरात्रि: सः / सा पुस्तकं पठितवान् / पठितवती।
= सारी रात उसने पुस्तक पढ़ी।
प्रातः त्रिवादने सः / सा शयनं कृतवान् / कृतवती।
= सुबह तीन बजे वह सोया / सोई।
पञ्चवादने उत्थितवान् / उत्थितवती।
= पाँच बजे उठ गया / उठ गई।
अधुना सः / सा पुनः पठति।
= अभी वह फिर से पढ़ रहा / रही है।
अष्टवादने स्नानं करिष्यति।
= आठ बजे स्नान करेगा / करेगी।
अनन्तरं विश्वविद्यालयं गमिष्यति।
= बाद में विश्वविद्यालय जाएगा / जाएगी।
सः / सा माम् उक्तवान् / उक्तवती।
= वह मुझसे बोला / बोली
” चिन्ता मास्तु … परीक्षाखण्डे निद्रां न करिष्यामि।”
= चिन्ता मत करिये … परीक्षाखंड में नींद नहीं करूँगा / करूँगी।
सम्यक् उत्तराणि लेखिष्यामि।
= अच्छे से उत्तर लिखूँगा / लिखूँगी।
ओ३म्
१६६ संस्कृत वाक्याभ्यासः
तस्य वामनेत्रं स्फुरति।
= उसकी बाईं आँख फड़क रही है।
सः पृच्छति , अद्य किं भविष्यति ?
= वह पूछता है , आज क्या होगा ?
ह्यः तस्य दक्षिणनेत्रं स्फुरति स्म।
= कल उसकी दाईं आँख फड़क रही थी।
सायंकाले भार्यया सह कलहः अभवत्।
= शाम को पत्नी के साथ झगड़ा हो गया।
तर्हि अद्य पुनः किमपि असम्यक् भविष्यति !?
= तो आज फिर से कुछ गलत हो जाएगा !?
न , न भविष्यति।
= न नहीं होगा ।
रक्तसंचार-कारणात् नेत्रं स्फुरति।
= रक्तसंचार के कारण आँख फड़कती है
नेत्रं यदा स्फुरति तदा किमपि असम्यक् भविष्यति इति मिथ्या धारणा।
= आँख जब फड़कती है तब कुछ गलत होगा यह गलत धारणा है
नेत्रं स्फुरति चेत् चिन्ता मास्तु।
= आँख फड़कती है तो चिंता न करें
अन्धविश्वासेन अलम्
= अंधविश्वास न करें ।
१६७ संस्कृत वाक्याभ्यासः
प्रियंकायाः पतिः जलं पिबति।
= प्रियंका के पति पानी पी रहे हैं
सः शीतकात् जलं निष्कास्य जलं पिबति।
= वह फ्रिज से पानी निकाल कर पीता है
प्रियंका रुष्टा भवति।
= प्रियंका गुस्से हो जाती है
प्रियंका अवदत्
= प्रियंका बोली
” अहम् अद्य घटम् आनेष्यामि ”
= मैं आज घड़ा लाऊँगी
प्रियंका घटम् आनेतुम् विपणिं गच्छति।
= प्रियंका घड़ा लेने बाजार जाती है
सा घटस्य परीक्षणं करोति।
= वह घड़े का परीक्षण करती है।
प्रियंका वदति – ” एषः घटः तु स्यन्दते”
= प्रियंका बोली – ” ये घड़ा तो रिस रहा है ”
अपरं ददातु।
= दूसरा दीजिये।
सा पुनः परीक्षणं करोति।
= वह फिर से जाँचती है।
अपरः घटः न स्यन्दते।
= दूसरा घड़ा नहीं रिस रहा है।
सा घटं क्रीणाति।
= वह घड़ा खरीदती है।
१६८ संस्कृत वाक्याभ्यासः
वृन्दे ! …. हे वृन्दे ….. !
वृन्दे ! तव प्रकोष्ठे व्यजनं चलति वा ?
= वृन्दा ! तुम्हारे कमरे में पंखा चल रहा है क्या ?
वृन्दा – आम् अम्ब !
= हाँ माँ !
माता – तर्हि निर्वापय ,
= तो बन्द कर दो ,
वृन्दा – किम् अभवत् ?
= क्या हुआ ?
माता – पूर्वं व्यजनं निर्वापय
= पहले पंखा बन्द करो
माता – नीरज ! ….. नीरज ….
तव प्रकोष्ठे व्यजनं चलति वा ?
= तुम्हारे कमरे में पंखा चल रहा है क्या ?
नीरजः – न अम्ब !
माता – बहु शोभनम् ।
= बहुत अच्छा
– त्वं तु विद्युतं संरक्षसि
= तुम तो बिजली बचाते हो।
नीरजः – किम् अभवत् अम्ब ?
= क्या हुआ माँ ?
माता – पश्य , सः कपोतः
= देखो , वो कबूतर
– प्रकोष्ठे डयते
= कमरे में उड़ रहा है।
– व्यजनं चलति चेत् कपोतस्य पक्षौ भग्नौ भविष्यतः।
= पंखा चलता है तो कबूतर के पंख टूट जाएँगे।
वृन्दा – अहं तं बहिः निष्कासयामि।
= मैं उसे बाहर निकालती हूँ।
#Vakyabhyas
२६४ संस्कृत वाक्याभ्यासः
चलन्तु , अद्य कृषिक्षेत्रं चलामः ।
= चलिये , आज खेत चलते हैं
सः कृषकः
वह किसान है
तेन सह द्वौ बलीवर्दौ स्तः।
= उसके साथ दो बैल हैं
द्वौ श्रमिकौ अपि स्तः ।
= दो श्रमिक भी हैं
एकस्य पार्श्वे खननसाधनम् अस्ति।
= एक के पास खोदने का साधन है।
एकस्य पार्श्वे कुद्दालः अस्ति।
= एक के पास कुदाल है।
खननसाधनेन सः जलपथं निर्माति।
= खोदने के साधन से वह क्यारी बनाता है।
कुद्दालेन सः अपतृणं दूरीकरोति ।
= कुदाल से वह खरपतवार दूर करता है।
कृषकः बलीवर्दाभ्यां सह बीजवपनं करोति।
= किसान बैलों के साथ बीज बोता है।
कृषकः आतपे अपि कार्यं करोति।
= किसान धूप में भी काम करता है
कृषकः वर्षाकाले अपि कार्यं करोति।
= किसान बरसात में भी काम करता है।
कृषकः शीतकाले अपि कार्यं करोति।
= किसान जाड़े में भी काम करता है।
वयं यदा अन्नं खादामः तदा कृषकं न स्मरामः।
= जब हम अन्न खाते हैं तब किसान को याद नहीं करते हैं।
भोजनसमये ईश्वरं स्मरन्तु।
= भोजन के समय ईश्वर को याद करें।
कृषकम् अपि स्मरन्तु।
= किसान को भी याद करिये।
ओ३म्
१६५ संस्कृत वाक्याभ्यासः
सः /सा जृम्भते ।
= वह जँभाई लेता / लेती है ।
सः /सा वारं वारं जृम्भते ।
= वह बार बार जँभाई लेता / लेती है ।
सः रात्रौ शयनं न कृतवान् ।
= वह रात सोया ही नहीं ।
सा रात्रौ शयनं न कृतवती।
= वह रात सोई ही नहीं ।
किमर्थम् ??
= किसलिये ??
अद्य तस्य / तस्याः परिक्षा अस्ति।
= आज उसकी परीक्षा है।
आरात्रि: सः / सा पुस्तकं पठितवान् / पठितवती।
= सारी रात उसने पुस्तक पढ़ी।
प्रातः त्रिवादने सः / सा शयनं कृतवान् / कृतवती।
= सुबह तीन बजे वह सोया / सोई।
पञ्चवादने उत्थितवान् / उत्थितवती।
= पाँच बजे उठ गया / उठ गई।
अधुना सः / सा पुनः पठति।
= अभी वह फिर से पढ़ रहा / रही है।
अष्टवादने स्नानं करिष्यति।
= आठ बजे स्नान करेगा / करेगी।
अनन्तरं विश्वविद्यालयं गमिष्यति।
= बाद में विश्वविद्यालय जाएगा / जाएगी।
सः / सा माम् उक्तवान् / उक्तवती।
= वह मुझसे बोला / बोली
” चिन्ता मास्तु … परीक्षाखण्डे निद्रां न करिष्यामि।”
= चिन्ता मत करिये … परीक्षाखंड में नींद नहीं करूँगा / करूँगी।
सम्यक् उत्तराणि लेखिष्यामि।
= अच्छे से उत्तर लिखूँगा / लिखूँगी।
ओ३म्
१६६ संस्कृत वाक्याभ्यासः
तस्य वामनेत्रं स्फुरति।
= उसकी बाईं आँख फड़क रही है।
सः पृच्छति , अद्य किं भविष्यति ?
= वह पूछता है , आज क्या होगा ?
ह्यः तस्य दक्षिणनेत्रं स्फुरति स्म।
= कल उसकी दाईं आँख फड़क रही थी।
सायंकाले भार्यया सह कलहः अभवत्।
= शाम को पत्नी के साथ झगड़ा हो गया।
तर्हि अद्य पुनः किमपि असम्यक् भविष्यति !?
= तो आज फिर से कुछ गलत हो जाएगा !?
न , न भविष्यति।
= न नहीं होगा ।
रक्तसंचार-कारणात् नेत्रं स्फुरति।
= रक्तसंचार के कारण आँख फड़कती है
नेत्रं यदा स्फुरति तदा किमपि असम्यक् भविष्यति इति मिथ्या धारणा।
= आँख जब फड़कती है तब कुछ गलत होगा यह गलत धारणा है
नेत्रं स्फुरति चेत् चिन्ता मास्तु।
= आँख फड़कती है तो चिंता न करें
अन्धविश्वासेन अलम्
= अंधविश्वास न करें ।
१६७ संस्कृत वाक्याभ्यासः
प्रियंकायाः पतिः जलं पिबति।
= प्रियंका के पति पानी पी रहे हैं
सः शीतकात् जलं निष्कास्य जलं पिबति।
= वह फ्रिज से पानी निकाल कर पीता है
प्रियंका रुष्टा भवति।
= प्रियंका गुस्से हो जाती है
प्रियंका अवदत्
= प्रियंका बोली
” अहम् अद्य घटम् आनेष्यामि ”
= मैं आज घड़ा लाऊँगी
प्रियंका घटम् आनेतुम् विपणिं गच्छति।
= प्रियंका घड़ा लेने बाजार जाती है
सा घटस्य परीक्षणं करोति।
= वह घड़े का परीक्षण करती है।
प्रियंका वदति – ” एषः घटः तु स्यन्दते”
= प्रियंका बोली – ” ये घड़ा तो रिस रहा है ”
अपरं ददातु।
= दूसरा दीजिये।
सा पुनः परीक्षणं करोति।
= वह फिर से जाँचती है।
अपरः घटः न स्यन्दते।
= दूसरा घड़ा नहीं रिस रहा है।
सा घटं क्रीणाति।
= वह घड़ा खरीदती है।
१६८ संस्कृत वाक्याभ्यासः
वृन्दे ! …. हे वृन्दे ….. !
वृन्दे ! तव प्रकोष्ठे व्यजनं चलति वा ?
= वृन्दा ! तुम्हारे कमरे में पंखा चल रहा है क्या ?
वृन्दा – आम् अम्ब !
= हाँ माँ !
माता – तर्हि निर्वापय ,
= तो बन्द कर दो ,
वृन्दा – किम् अभवत् ?
= क्या हुआ ?
माता – पूर्वं व्यजनं निर्वापय
= पहले पंखा बन्द करो
माता – नीरज ! ….. नीरज ….
तव प्रकोष्ठे व्यजनं चलति वा ?
= तुम्हारे कमरे में पंखा चल रहा है क्या ?
नीरजः – न अम्ब !
माता – बहु शोभनम् ।
= बहुत अच्छा
– त्वं तु विद्युतं संरक्षसि
= तुम तो बिजली बचाते हो।
नीरजः – किम् अभवत् अम्ब ?
= क्या हुआ माँ ?
माता – पश्य , सः कपोतः
= देखो , वो कबूतर
– प्रकोष्ठे डयते
= कमरे में उड़ रहा है।
– व्यजनं चलति चेत् कपोतस्य पक्षौ भग्नौ भविष्यतः।
= पंखा चलता है तो कबूतर के पंख टूट जाएँगे।
वृन्दा – अहं तं बहिः निष्कासयामि।
= मैं उसे बाहर निकालती हूँ।
#Vakyabhyas
शिक्षकः – माधव ! त्वया लिखितः धेनुसम्बद्धः लेखः वर्षत्रयात् पूर्वं तव भगिन्या लिखितस्य समानः एव दृश्यते, किमर्थं तत् चोरितवान् ?
माधवः- न महाशय ! अस्माकं धेनुः एका एव, या च इदानीमपि अस्मद्गृहे पूर्ववदेव अस्ति, इत्यतः आवयोः लेखः अपि समानः एव जातः ।
😁😆😂🤣😆😁🤣😂
#hasya
माधवः- न महाशय ! अस्माकं धेनुः एका एव, या च इदानीमपि अस्मद्गृहे पूर्ववदेव अस्ति, इत्यतः आवयोः लेखः अपि समानः एव जातः ।
😁😆😂🤣😆😁🤣😂
#hasya
June 2, 2021
केरलेषु अन्तर्जालद्वारा तत्समयसुविधया अध्ययनवर्षस्य समारम्भः।
उत्साहेन पठन्तु इति मुख्यमन्त्री पिणरायि विजयः।
प्रथमदृष्ट्या कार्यविघ्नाः अवसराण्येव। एते नूतनलोकनिर्माणस्य प्रारम्भः भवति। नूतनाध्ययनवर्षेस्य कक्ष्या तत्समय (online) अन्तर्जाल-माध्यमेन इत्यतः न्यूनोत्साहिनः मा भवन्तु इति केरलस्य मुख्यमन्त्रिणा पिणरायि विजयेन निगदितम्। छात्रेभ्यः स्वच्छन्देन आशयविनिमयाय सन्दर्भं कर्तुं सज्जीकरणानि करिष्यति इति विद्यालयीयप्रवेशनोत्सवस्य राज्यस्तरीयोद्घाटनसमारोहे सः न्यवेदयत्। अधुनैव अध्ययनस्य आरम्भः करणीयः। क्रियात्मककार्याणि गृहे करणीयानि। नूतनलोकः छात्राणां लोकः एव। कार्यविघ्नः नूतनानि अवसराण्येव इति सः छात्रान् अस्मारयत्।
~ संप्रति वार्ता
केरलेषु अन्तर्जालद्वारा तत्समयसुविधया अध्ययनवर्षस्य समारम्भः।
उत्साहेन पठन्तु इति मुख्यमन्त्री पिणरायि विजयः।
प्रथमदृष्ट्या कार्यविघ्नाः अवसराण्येव। एते नूतनलोकनिर्माणस्य प्रारम्भः भवति। नूतनाध्ययनवर्षेस्य कक्ष्या तत्समय (online) अन्तर्जाल-माध्यमेन इत्यतः न्यूनोत्साहिनः मा भवन्तु इति केरलस्य मुख्यमन्त्रिणा पिणरायि विजयेन निगदितम्। छात्रेभ्यः स्वच्छन्देन आशयविनिमयाय सन्दर्भं कर्तुं सज्जीकरणानि करिष्यति इति विद्यालयीयप्रवेशनोत्सवस्य राज्यस्तरीयोद्घाटनसमारोहे सः न्यवेदयत्। अधुनैव अध्ययनस्य आरम्भः करणीयः। क्रियात्मककार्याणि गृहे करणीयानि। नूतनलोकः छात्राणां लोकः एव। कार्यविघ्नः नूतनानि अवसराण्येव इति सः छात्रान् अस्मारयत्।
~ संप्रति वार्ता
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - नवमी 04 जून रात्रि 02:22 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - 03 जून 2021
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद शाम 06:35 तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - प्रीति 04 जून रात्रि 02:24 तक तत्पश्चात आयुष्मान्
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:17 से शाम 03:57 तक
⛅ सूर्योदय - 05:57
⛅ सूर्यास्त - 19:16
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - नवमी 04 जून रात्रि 02:22 तक तत्पश्चात दशमी
⛅ दिनांक - 03 जून 2021
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद शाम 06:35 तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - प्रीति 04 जून रात्रि 02:24 तक तत्पश्चात आयुष्मान्
⛅ राहुकाल - दोपहर 02:17 से शाम 03:57 तक
⛅ सूर्योदय - 05:57
⛅ सूर्यास्त - 19:16
⛅ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
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Link for the month of June 2021 - A Syllabus New Batches Registration Form
Namaskaram to all
Om Namo Narayana!
VISVAS Institute of Sri Vishnu Sahasranamam from Chennai (India) is teaching Sri Vishnu Sahasranamam classes online for free to the student-devotees all over the world. Classes will be held for 75 minutes everyday for approximately 21 days. There will, however, be no classes on Saturdays and Sundays. Kids(6+) and adults are welcome. There are new batches starting - in the month of June. The batches are in Tamizh, Telugu, Kannada and English, Malayalam , Hindi with the respective language coordinators in India.
The following is the Enquiry form for the above new batches as well as further upcoming batches. This may be filled in by any interested devotee / student residing in India or abroad. Once filled, please be assured, that you will be admitted in any of the batches upcoming shortly.
Make sure the name of the student is the name of the person who will be attending the classes. If it’s a child, give the child’s name and not the parent’s name. This name will be used to send out the ID cards and Certificates. Also, your email Address be of gmail and not of any other email app.
Pls use edit your option if in case any correction in the previous entry. Do not fill a separate form for corrections to avoid duplication
Thanks for understanding.
Happy chanting.
Namaskaram to all
Om Namo Narayana!
VISVAS Institute of Sri Vishnu Sahasranamam from Chennai (India) is teaching Sri Vishnu Sahasranamam classes online for free to the student-devotees all over the world. Classes will be held for 75 minutes everyday for approximately 21 days. There will, however, be no classes on Saturdays and Sundays. Kids(6+) and adults are welcome. There are new batches starting - in the month of June. The batches are in Tamizh, Telugu, Kannada and English, Malayalam , Hindi with the respective language coordinators in India.
The following is the Enquiry form for the above new batches as well as further upcoming batches. This may be filled in by any interested devotee / student residing in India or abroad. Once filled, please be assured, that you will be admitted in any of the batches upcoming shortly.
Make sure the name of the student is the name of the person who will be attending the classes. If it’s a child, give the child’s name and not the parent’s name. This name will be used to send out the ID cards and Certificates. Also, your email Address be of gmail and not of any other email app.
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🍃 सारसासमधात अक्षिभूम्ना धामसु सीतया।
साधु असौ इह रेमे क्षेमे अरम् आसुरसारहा ॥ ८॥
🔸समस्त आसुरी सेना के विनाशक, सौम्यता के विपरीत प्रभावशाली नेत्रधारी रक्षक राम अपने अयोध्या निवास में सीता संग सानंद रह रहे है थे।
🍃 हारसारसुमा रम्यक्षेमेर इह विसाध्वसा।
य अतसीसुमधाम्ना भूक्षिता धाम ससार सा ॥ ८॥
🔸अपने गले में मोतियों के हार जैसे पारिजात पुष्पों को धारण किए हुए, प्रसन्नता व परोपकार की अधिष्ठात्री, निर्भीक रुक्मिणी, आतशी पुष्पधारी कृष्ण संग निज गृह को प्रस्थान कर गयी।
#Viloma_Kavya
साधु असौ इह रेमे क्षेमे अरम् आसुरसारहा ॥ ८॥
🔸समस्त आसुरी सेना के विनाशक, सौम्यता के विपरीत प्रभावशाली नेत्रधारी रक्षक राम अपने अयोध्या निवास में सीता संग सानंद रह रहे है थे।
विलोम श्लोक :—
🍃 हारसारसुमा रम्यक्षेमेर इह विसाध्वसा।
य अतसीसुमधाम्ना भूक्षिता धाम ससार सा ॥ ८॥
🔸अपने गले में मोतियों के हार जैसे पारिजात पुष्पों को धारण किए हुए, प्रसन्नता व परोपकार की अधिष्ठात्री, निर्भीक रुक्मिणी, आतशी पुष्पधारी कृष्ण संग निज गृह को प्रस्थान कर गयी।
#Viloma_Kavya
✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️ चतुर्दशः अध्याय
♦️श्लोक :- २०
त्यज दुर्जनसंसर्गं भज साधुसमागमम्।
कुरु पुण्यमहोरात्रं स्मर नित्यमनित्यतः।।२०।।
♦️भावार्थ - दुष्ट मनुष्यों के साथ को त्यागकर साधु(भद्र) पुरुषों की संगती करनी चाहिए। दिन-रात पुण्य कर्म प्रारम्भ करते रहना चाहिए तथा सदैव संसार की अनित्यता को ध्यान में रखते हुए परमात्मा का स्मरण करते रहना चाहिए।
#Chanakya
✒️ चतुर्दशः अध्याय
♦️श्लोक :- २०
त्यज दुर्जनसंसर्गं भज साधुसमागमम्।
कुरु पुण्यमहोरात्रं स्मर नित्यमनित्यतः।।२०।।
♦️भावार्थ - दुष्ट मनुष्यों के साथ को त्यागकर साधु(भद्र) पुरुषों की संगती करनी चाहिए। दिन-रात पुण्य कर्म प्रारम्भ करते रहना चाहिए तथा सदैव संसार की अनित्यता को ध्यान में रखते हुए परमात्मा का स्मरण करते रहना चाहिए।
#Chanakya