संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्
।।16.21।।

🔆 कामेच्छा लोभः मोहः इत्येते त्रिप्रकारकाणि द्वाराणि सन्ति नरकस्य अतः एतान् त्यजेत् मनुष्यः।

Triple is the gate of this hell, destructive of the self lust, anger and greed; therefore one should abandon these three.(16.21)

काम क्रोध और लोभ ये आत्मनाश के त्रिविध द्वार हैं इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए।।16.21।।

#Subhashitam
अन्तरेण (के बिना) - के साथ हमेशा द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग होता है।
---------------------------------
(१) गौ के बिना जीवन नहीं और गौ के बिना कृष्णभक्ति भी नहीं है
= गाम् अन्तरेण जीवनं नास्ति तथा गाम् अन्तरेण कृष्णभक्तिरपि नास्ति।

(२) अभ्यास के बिना भाषा के ज्ञान में वृद्धि नहीं होती है(हो सकती है)
= अभ्यासम् अन्तरेण भाषाज्ञानं न वर्धते।

(३) लिखावट के बिना लिखने की कला का ज्ञान नहीं होता है
= लेखनम् अन्तरेण लेखनकलाज्ञानं न भवति।

(३) भाषण अभ्यास के बिना मंच पर भाषण देना कैसे संभव है
= भाषणाभ्यासमन्तरेण कथं मंचे भाषितुं शक्यते?

(४)आजकल कम्प्यूटर के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है
= अद्यत्वे सङ्गणकज्ञानम् अन्तरेण किमपि कार्यं न शक्यते।

(५) शीत ऋतु में सूर्य के बिना वातावरण में बहुत से रोग बढ़ जाते हैं
= शीतर्तौ मार्तण्डम् अन्तरेण वातावरणे अनेके रोगा: वर्धन्ते।

(६) मोबाइल के बिना जीवन में नीरसता उत्पन्न हो जाती है
= दूरवाणीमन्तरेण जीवने वैरस्यं जायते।

(७) अनुशासन के बिना जीवन भेड़ों के झुंड के समान दिशाहीन हो जाता है
= अनुशासनम् अन्तरेण जीवनं मेषाणां समूहवद् दिशाहीनं /पथभ्रष्टं भवति।

(८)बिना विजा के दूसरे देशों में प्रवेश करना दण्डनीय अपराध होता है
=प्रवेशानुमतिपत्रम् अन्तरेण अन्यदेशेषु प्रवेशो दण्डनीयोऽपराधो भवति।

(९) ऑक्सीजन के बिना मनुष्य एक सेकंड भी जिन्दा नहीं रह सकता है। इसलिए, वायुमंडल में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनाए के लिए अधिक से अधिक पेड़ों को लगाना बहुत जरूरी है
= प्राणवायुम् अन्तरेण मानव: क्षणमपि जीवितुं न शक्नोति। अतः वायुमंडले प्राणवायो: उपस्थिते: कृते वृक्षारोपणम् अत्यावश्यकम् अस्ति।

(१०) अच्छे नेतृत्व के अभाव में राष्ट्र व समाज का पतन हो जाता है
= सुनेतृत्वम् अन्तरेण राष्ट्रं समाज: च पतत:।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
Adjective-Noun Agreement:
In Sanskrit, just like noun-pronoun agreement, whatever adjective is used to describe the noun, whatever grammatical number, grammatical gender and case the noun has, the same things the adjective should have.

We can see this explanation from the following example.
अहं सुन्दरं पुष्पं पश्यामि। (ahaṃ sundaraṃ puṣpaṃ paśyāmi।), this means, “I am looking at a beautiful flower.”

Here the adjective is, ‘सुन्दरम्’ and the noun is, ‘पुष्पम्’. The noun is in singular, neuter gender and accusative case. Likewise, the adjective is also singular, neuter gender and accusative case.

🌐 Sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
Live stream scheduled for
✍🏻 द्राक्षाफलशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰 विषयः - सुभाषितादीनि
🗓१२/१०/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं , प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) अभिक्रम्य आगच्छत।

https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8

पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Audio
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - चतुर्दशी रात्रि 09:50 तक तत्पश्चात अमावस्या

दिनांक - 13 अक्टूबर 2023
दिन - शुक्रवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी दोपहर 02:11 तक तत्पश्चात हस्त
योग - ब्रह्म सुबह 10:06 तक तत्पश्चात इन्द्र
राहु काल - सुबह 10:58 से दोपहर 12:26 तक
सूर्योदय - 06:35
सूर्यास्त - 06:16
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:01 से 12:51 तक
व्रत पर्व विवरण - चतुर्दशी का श्राद्ध, आग-दुर्घटना-अस्त्र-शस्त्र-अपमुत्यु से मृतक का श्राद्ध
🍃तिलेषु तैलं दधिनीव सर्पिरापः स्रोतःस्वरणीषु चाग्निः ।
एवमात्माऽत्मनि गृह्यतेऽसौ सत्येनैनं तपसा योऽनुपश्यति


🔆 यथा तले तैलं स्थितं भवति दध्नि नवनीतं स्थितं भवति निर्झरे जलं भवति तथा काष्ठे अग्निः भवति तथैव ईश्वरः सर्वेषु विद्यते ज्ञानेन तपस्यया च सः ज्ञायते।

♦️tileşu tailam dadhiiva sarpirapaḥ srotaḥsvaranīṣu cagniḥ evamätmä'tmani grhyate'sau satyenainam tapasă

Shvetashvtar Upanishad 1. 15
yo'nupasyati

Just as oil exists in sesame seeds, butter in curd, water in cascade, fire in wood, so Eshwar exists within soul itself and can be experienced only by true austerity and knowledge.

#Subhashitam
आशिषं प्रददात्ययं गजः।
आशिषं इति शब्दस्य प्रातिपदिकं किम्।
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अन्तरेण (के बिना) - के साथ हमेशा द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग होता है। --------------------------------- (१) गौ के बिना जीवन नहीं और गौ के बिना कृष्णभक्ति भी नहीं है = गाम् अन्तरेण जीवनं नास्ति तथा गाम् अन्तरेण कृष्णभक्तिरपि नास्ति। (२) अभ्यास के बिना भाषा…
(११) प्रधानाध्यापक की अनुमति के बिना विद्यालय परिसर में पत्रकार या अन्य किसी के द्वारा भी विडियो ग्राफी करना या फोटो खींचना दंडनीय अपराध है
= प्रधानाध्यापकस्य आज्ञाम् अन्तरेण विद्यालयप्राङ्गणे पत्रकारै: अन्यजनै: वा विडियोचित्रग्रहणम् अथवा छायाचित्रग्रहणं दण्डनीयोऽपराध: अस्ति।

(१२)संस्कृत के बिना भारत मरे हुए के समान है
= संस्कृतम् अन्तरेण भारतं निष्प्राणम् अस्ति।

(१३) यातायात की सुविधा के बिना एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचना बहुत ही कठिन है
= यातायातस्य सुविधाम् अन्तरेण एकस्मात् स्थानात् अन्यस्थानं यावत् प्रापणम् अतीव दुष्करम् ।

(१४)इस कार्यालय में बिना अनुमति के प्रवेश करना मना है
= अस्मिन् कार्यालये आज्ञाम् अन्तरेण प्रवेशो निषिद्ध:।

(१५) शुद्ध पानी और भोजन के बिना मनुष्य बीमार पड़ जाता है
= शुद्धजलं शुद्धभोजनं चान्तरेण मनुष्यो रुग्णो भवति।

(१६) भगवान कृष्ण के बिना पाण्डव महाभारत युद्ध कभी भी जीत नहीं सकते थे
= भगवन्तं कृष्णम् अन्तरेण पाण्डव: महाभारतयुद्धं कस्याञ्चिदपि परिस्थित्यां जेतुं न शक्नोति स्म।

(१७) पदाधिकारियों और विभाग की लापरवाही के कारण किशनगंज के शिक्षक दस महिनों से वेतन के बिना जीने को मजबूर हैं
= पदाधिकारीणां विभागस्य च शैथिल्यै: किशनगंजस्य शिक्षका: दशमासानि वेतनम् अन्तरेण जीवनयापनाय विवशा: सन्ति।

(१८) त्याग के बिना प्रेम नहीं है
= त्यागम् अन्तरेण प्रेम: नास्ति।

(१९) कर्त्तव्य के बिना अधिकार नहीं है
= कर्त्तव्यम् अन्तरेण अधिकार: नास्ति।

(२०)धनिया की चटनी, गाजर के अचार,तिलौरी,पापर,सांभर और पनीर की सब्जी के बिना उसे भोजन करना अच्छा नहीं लगता है
= धान्यमावलेहं च गृञ्जनसन्धितं च तिलवटीं पर्पटं च शाकमिश्रितसूपव्यञ्जनं/साम्भारं च किलाटव्यञ्जनं चान्तरेण तस्मै भोजनं न रोचते।

(२१) ब्राह्मण के बिना मन्दिर में पूजा संभव नहीं है
= देवालये ब्राह्मणम् अन्तरेण पूजनकार्यं न शक्यते।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas