संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
5.1K subscribers
3.13K photos
297 videos
309 files
5.92K links
Largest Online Sanskrit Network

Network
https://t.me/samvadah/11287

Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Sanskrit Books @GranthaKutee
Download Telegram
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
लकड़ी का काम करने वाले लोगों को बढ़ई कहा जाता है। ••काष्ठकार्याणां कर्त्तार: जना: तक्षका: इति उच्यन्ते। बढई एक ऐसी जाती है जो देश के हर प्रदेशों जिलो गांव शहर में बहुसंख्यक जाति के रूप मे निवास करती हैं। ••तक्षक: एका जातिः अस्ति या देशस्य प्रत्येकस्मिन्…
इन वस्तुओं में चारपाई, तख्त, पीढ़ा, कुर्सी, मचिया, आलमारी, हल, चौकठ, बाजू, खिड़की, दरवाजे तथा घर में लगने वाली कड़ियाँ - घर और दुकान में लगने वाली हर एक अधुनिक वस्तु इसी समाज का देन है।
••एतेषु वस्तुषु शय्या,काष्ठफलकं,पीठं,आसन्दी,आसन्दिका, मञ्जूषा, हलं, देहली, फलकं, वातायनं, द्वारं अर्गला च सन्ति अर्थात् गृहे आपणे च स्थापितं प्रत्येकं आधुनिकं वस्तु अस्यैव समाजस्य अवदानमस्ति।

बढई समाज के लोगो के घर में जन्मे बच्चे को पैदाइशी इंजीनियर कहा जाता है।
••तक्षकसमुदायस्य जनानां गृहे जाता: बालका: जन्मजाता: अभियन्तार: कथ्यन्ते।

बढई समाज जन्मजात अविष्कारक है।
••तक्षकसमुदाय: जन्मजातः आविष्कारकः अस्ति।

इनको अलग अलग प्रदेश में अलग अलग नामों से जाना जाता है।
••एते भिन्न-भिन्न-प्रदेशेषु भिन्न-भिन्न-नाम्ना ज्ञायन्ते।

------------------------------------------------------------------

हृदय के लिए लौकी का रस अमृत के समान है।
••हृदयाय अलाबुरस: सुधावदस्ति।

लौकी का एक कप ताज़ा रस निकालकर प्रतिदिन सुबह पीने से हृदय के लिए व सामान्य स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है।
••एकचषकपूरितम् तुम्बीरसं निष्कास्य प्रतिदिनं प्रात: पानेन हृदयार्थं सामान्यस्वास्थ्याय च अतीव लाभदायकं भवति।

इसमें सेब का रस मिलाकर भी पी सकते हैं।
••अस्मिन् सेबरसस्य मिश्रणं कृत्वा पातुं शक्नुथ।

सर्दी हो तो थोड़ा अदरक का रस या सोंठ मिलाकर पियें|
••यदि शैत्यं स्यात् तर्हि इशत् आर्द्रकरसस्य शुष्कार्द्रकचूर्णस्य वा मिश्रणं कृत्वा पिबत।

यह कॉलेस्ट्रोल भी कम करता है।
••एष पैत्तवमपि अपाकरोति।

नोट- रस निकलने से पहले लौकी को चख लें। यदि कड़वी हो तो प्रयोग न करें।
••ध्वातव्यं यत् रसनिष्कासनात् पूर्वं अलाबो: स्वादस्य परीक्षणं कुरुत।यदि कटु भवेत् तर्हि मा प्रयोगं कुर्यात।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
जापान्देशस्य माङ्गायामपि संस्कृतभाषा। न पूर्वम् अपेक्षिता।

#celebrating_sanskrit
Importance and Relation of Grammatical Numbers, Persons and Genders:

Noun-Pronoun Agreement: 
This means that whatever pronoun is going to replace a noun, whatever the grammatical number, grammatical gender and case of the noun is, the same things the pronoun should have. If there is a sentence and the noun needs to be replaced with a pronoun, the latter needs to be exactly similar to the former.

We can see this explanation from the following example.
अहं मित्रेण सह सम्भाषे। (ahaṃ mitreṇa saha sambhāṣe।) – this means, “I am conversing with my friend”. The word, ‘मित्रेण’ (mitreṇa) is in singular, neuter gender and instrumental case.

If the word, ‘मित्रेण’ (mitreṇa), were to be replaced with a pronoun, the sentence would be as follows:
अहं तेन सह सम्भाषे। (ahaṃ tena saha sambhāṣe।).
In this sentence, the word, ‘तेन’, is in singular, neuter gender and instrumental case.

🌐 Sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
शिशुः। पितः फलम् इच्छामि।
पिता। अस्तु स्वीकुरु।
शिशुः। त्वचम् अपाकुरु।
पिता। अस्तु करोमि। नय।
शिशुः। खण्डानि कुरु।
पिता। अस्तु अधुना खाद।
शिशुः। न इच्छामि। पुनः योजय।
पिता। अस्तु अन्यत् ददामि।
शिशुः। अन्यत् न इच्छामि। एतदेव
योजयित्वा देहि।

पिता निःसहायः।

#samvadah #hasya
✍🏻 सूचिकाशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
Live stream scheduled for
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰 विषयः - भोजनम्
🗓११/१०/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (कीदृशं भोजनम् अस्माकं कृते उत्तमं भवति) अभिक्रम्य आगच्छत।

https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8

पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Audio
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - द्वादशी शाम 05:37 तक तत्पश्चात त्रयोदशी

दिनांक - 11 अक्टूबर 2023
दिन - बुधवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - मघा सुबह 08:45 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - शुभ सुबह 08:42 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहु काल - दोपहर 12:26 से 01:54 तक
सूर्योदय - 06:35
सूर्यास्त - 06:18
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:46 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:02 से 12:51 तक
व्रत पर्व विवरण - द्वादशी का श्राद्ध, सन्यासी-यति-वैष्णवों का श्राद्ध, प्रदोष व्रत
🍃त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्
।।16.21।।

🔆 कामेच्छा लोभः मोहः इत्येते त्रिप्रकारकाणि द्वाराणि सन्ति नरकस्य अतः एतान् त्यजेत् मनुष्यः।

Triple is the gate of this hell, destructive of the self lust, anger and greed; therefore one should abandon these three.(16.21)

काम क्रोध और लोभ ये आत्मनाश के त्रिविध द्वार हैं इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए।।16.21।।

#Subhashitam
अन्तरेण (के बिना) - के साथ हमेशा द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग होता है।
---------------------------------
(१) गौ के बिना जीवन नहीं और गौ के बिना कृष्णभक्ति भी नहीं है
= गाम् अन्तरेण जीवनं नास्ति तथा गाम् अन्तरेण कृष्णभक्तिरपि नास्ति।

(२) अभ्यास के बिना भाषा के ज्ञान में वृद्धि नहीं होती है(हो सकती है)
= अभ्यासम् अन्तरेण भाषाज्ञानं न वर्धते।

(३) लिखावट के बिना लिखने की कला का ज्ञान नहीं होता है
= लेखनम् अन्तरेण लेखनकलाज्ञानं न भवति।

(३) भाषण अभ्यास के बिना मंच पर भाषण देना कैसे संभव है
= भाषणाभ्यासमन्तरेण कथं मंचे भाषितुं शक्यते?

(४)आजकल कम्प्यूटर के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है
= अद्यत्वे सङ्गणकज्ञानम् अन्तरेण किमपि कार्यं न शक्यते।

(५) शीत ऋतु में सूर्य के बिना वातावरण में बहुत से रोग बढ़ जाते हैं
= शीतर्तौ मार्तण्डम् अन्तरेण वातावरणे अनेके रोगा: वर्धन्ते।

(६) मोबाइल के बिना जीवन में नीरसता उत्पन्न हो जाती है
= दूरवाणीमन्तरेण जीवने वैरस्यं जायते।

(७) अनुशासन के बिना जीवन भेड़ों के झुंड के समान दिशाहीन हो जाता है
= अनुशासनम् अन्तरेण जीवनं मेषाणां समूहवद् दिशाहीनं /पथभ्रष्टं भवति।

(८)बिना विजा के दूसरे देशों में प्रवेश करना दण्डनीय अपराध होता है
=प्रवेशानुमतिपत्रम् अन्तरेण अन्यदेशेषु प्रवेशो दण्डनीयोऽपराधो भवति।

(९) ऑक्सीजन के बिना मनुष्य एक सेकंड भी जिन्दा नहीं रह सकता है। इसलिए, वायुमंडल में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनाए के लिए अधिक से अधिक पेड़ों को लगाना बहुत जरूरी है
= प्राणवायुम् अन्तरेण मानव: क्षणमपि जीवितुं न शक्नोति। अतः वायुमंडले प्राणवायो: उपस्थिते: कृते वृक्षारोपणम् अत्यावश्यकम् अस्ति।

(१०) अच्छे नेतृत्व के अभाव में राष्ट्र व समाज का पतन हो जाता है
= सुनेतृत्वम् अन्तरेण राष्ट्रं समाज: च पतत:।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
Adjective-Noun Agreement:
In Sanskrit, just like noun-pronoun agreement, whatever adjective is used to describe the noun, whatever grammatical number, grammatical gender and case the noun has, the same things the adjective should have.

We can see this explanation from the following example.
अहं सुन्दरं पुष्पं पश्यामि। (ahaṃ sundaraṃ puṣpaṃ paśyāmi।), this means, “I am looking at a beautiful flower.”

Here the adjective is, ‘सुन्दरम्’ and the noun is, ‘पुष्पम्’. The noun is in singular, neuter gender and accusative case. Likewise, the adjective is also singular, neuter gender and accusative case.

🌐 Sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
Live stream scheduled for