🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - दशमी रात्रि 07:17 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - 09 सितम्बर 2023
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत् - 1945
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
⛅ मास - भाद्रपद
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - आर्द्रा दोपहर 02:26 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅ योग - व्यतिपात रात्रि 10:36 तक तत्पश्चात वरियान
⛅ राहु काल - सुबह 09:31 से दोपहर 11:04 तक
⛅ सूर्योदय - 06:24
⛅ सूर्यास्त - 06:50
⛅ दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक
#panchang
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
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⛅ दिनांक - 09 सितम्बर 2023
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत् - 1945
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
⛅ मास - भाद्रपद
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - आर्द्रा दोपहर 02:26 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅ योग - व्यतिपात रात्रि 10:36 तक तत्पश्चात वरियान
⛅ राहु काल - सुबह 09:31 से दोपहर 11:04 तक
⛅ सूर्योदय - 06:24
⛅ सूर्यास्त - 06:50
⛅ दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक
#panchang
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room
🔰 विषयः - श्रीमद्भगवद्गीतायाः चतुर्थोऽध्यायः
🗓०९/०९/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (चतुर्थोऽध्यायस्य विवरणं कुर्वन्तु) अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
🔰 विषयः - श्रीमद्भगवद्गीतायाः चतुर्थोऽध्यायः
🗓०९/०९/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
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पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
संलापशाला
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
श्रीमद्भगवद्गीता - चतुर्थोऽध्यायः
#samlapshala
#samlapshala
🍃
🔆 भाग्यस्य असिद्धता कारणेन कार्यस्य यथा यथा निष्प्राप्तिः भवति तथैव दृढप्रतिज्ञानां जनानाम् उत्साहोऽपि क्रमशः वृद्धिं प्राप्नोति।
⚜जैसे जैसे भाग्यवश बिगडते कार्य का परिणाम नहीं प्राप्त होता, वैसे वैसे ही धीरों के मन में दुगुना उत्साह बढने लगता है।
#Subhashitam
यथा यथा समारम्भो दैवात् सिद्धिं न गच्छति।
तथा तथाऽधिकोत्साहो धीराणां हृदि वर्तते
॥🔆 भाग्यस्य असिद्धता कारणेन कार्यस्य यथा यथा निष्प्राप्तिः भवति तथैव दृढप्रतिज्ञानां जनानाम् उत्साहोऽपि क्रमशः वृद्धिं प्राप्नोति।
⚜जैसे जैसे भाग्यवश बिगडते कार्य का परिणाम नहीं प्राप्त होता, वैसे वैसे ही धीरों के मन में दुगुना उत्साह बढने लगता है।
#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
झारखंड के रामगढ़ में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जहां शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती है ••झारखण्डस्य रामगढ़े भगवतः शिवस्य एतादृशं मन्दिरम् अस्ति यत्र स्वयं गङ्गामाता शिवलिङ्गस्य उपरि जलाभिषेकं करोति , अन्य: कोऽपि न। मंदिर की खासियत…
प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है
••प्रतिमाया: नाभित: जलं सततं निर्गच्छति यत् तस्या: उभयो: हस्तयो: करतलाभ्यां प्रवहत् शिवलिङ्गे पतति।
मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है
••मन्दिरस्य अन्तर्भागे गङ्गाया: प्रतिमाया: जलप्रवाह: स्वत: एक: उत्सुकताया: विषयोऽस्ति।
सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है? ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है
••प्रश्नः अस्ति यत् इदं जलं कुतः आगच्छति?एषः विषयः अद्यपर्यन्तं गूढः एव।
कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं
••भगवतः शङ्करस्य शिवलिङ्गे स्वयं माता गङ्गा एव जलम् अभिसिञ्चति,कोऽपि अन्य: न इति कथ्यते ।
यहां लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं
••अत्र नियोजितं नलकूपद्वयमपि रहस्यमयमस्ति।
यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है
••अत्र जनैः जलस्य प्राप्त्यै नलकूपः न सञ्चालनीयो भवति, अपितु जलनिर्गमः स्वयमेव भवति।
वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है
••तत्रैव मन्दिरं निकषा एका नदी अस्ति या शुष्का अस्ति, परन्तु तप्तातपे अपि एतैः जलोत्कर्षकयन्त्रै: जलस्य प्राप्तिः सततं भवति।
लोग दूर-दूर से यहां पूजा करने आते हैं और साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है
••दूरतः दूरतः जनाः अत्र पूजार्थम् आगच्छन्ति आवर्षं च श्रद्धालूनाम् सङ्कुलत्वं निरन्तरं भवति।
श्रद्धालुओं का मानना हैं कि टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है
••श्रद्धालूनां मतं यत् यः कोऽपि भक्तः 'टूटी-झरना' इति मन्दिरे ईश्वरस्य एतस्य अद्भूद्रूपस्य दर्शनं करोति, तस्य इच्छा पूर्णा भवति।
भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं
••भक्ताः शिवलिङ्गम् अभिषिक्तं जलं प्रसादरूपेण गृहीत्वा स्वगृहं नीत्वा स्थापयन्ति।
इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखों से लड़ने की ताकत मिल जाती है।
••अस्य ग्रहणेन सपदि चित्तः शान्तं भवति शोकैः च सह प्रत्युत्क्रमणार्थं बलम् आप्यते।
~उमेशगुप्तः
#vakyabhyas
••प्रतिमाया: नाभित: जलं सततं निर्गच्छति यत् तस्या: उभयो: हस्तयो: करतलाभ्यां प्रवहत् शिवलिङ्गे पतति।
मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है
••मन्दिरस्य अन्तर्भागे गङ्गाया: प्रतिमाया: जलप्रवाह: स्वत: एक: उत्सुकताया: विषयोऽस्ति।
सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है? ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है
••प्रश्नः अस्ति यत् इदं जलं कुतः आगच्छति?एषः विषयः अद्यपर्यन्तं गूढः एव।
कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं
••भगवतः शङ्करस्य शिवलिङ्गे स्वयं माता गङ्गा एव जलम् अभिसिञ्चति,कोऽपि अन्य: न इति कथ्यते ।
यहां लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं
••अत्र नियोजितं नलकूपद्वयमपि रहस्यमयमस्ति।
यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है
••अत्र जनैः जलस्य प्राप्त्यै नलकूपः न सञ्चालनीयो भवति, अपितु जलनिर्गमः स्वयमेव भवति।
वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है
••तत्रैव मन्दिरं निकषा एका नदी अस्ति या शुष्का अस्ति, परन्तु तप्तातपे अपि एतैः जलोत्कर्षकयन्त्रै: जलस्य प्राप्तिः सततं भवति।
लोग दूर-दूर से यहां पूजा करने आते हैं और साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है
••दूरतः दूरतः जनाः अत्र पूजार्थम् आगच्छन्ति आवर्षं च श्रद्धालूनाम् सङ्कुलत्वं निरन्तरं भवति।
श्रद्धालुओं का मानना हैं कि टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है
••श्रद्धालूनां मतं यत् यः कोऽपि भक्तः 'टूटी-झरना' इति मन्दिरे ईश्वरस्य एतस्य अद्भूद्रूपस्य दर्शनं करोति, तस्य इच्छा पूर्णा भवति।
भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं
••भक्ताः शिवलिङ्गम् अभिषिक्तं जलं प्रसादरूपेण गृहीत्वा स्वगृहं नीत्वा स्थापयन्ति।
इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखों से लड़ने की ताकत मिल जाती है।
••अस्य ग्रहणेन सपदि चित्तः शान्तं भवति शोकैः च सह प्रत्युत्क्रमणार्थं बलम् आप्यते।
~उमेशगुप्तः
#vakyabhyas
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🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - एकादशी रात्रि 09:28 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक - 10 सितम्बर 2023
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत् - 1945
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
⛅ मास - भाद्रपद
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु शाम 05:06 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - वरियान रात्रि 11:20 तक तत्पश्चात परिघ
⛅ राहु काल - शाम 05:16 से दोपहर 06:49 तक
⛅ सूर्योदय - 06:24
⛅ सूर्यास्त - 06:49
⛅ दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 01:00 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - अजा एकादशी, रविपुष्यामृत योग (शाम 05:06 से 11 सितम्बर सूर्योदय तक)
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - एकादशी रात्रि 09:28 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ दिनांक - 10 सितम्बर 2023
⛅ दिन - रविवार
⛅ शक संवत् - 1945
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
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⛅ नक्षत्र - पुनर्वसु शाम 05:06 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग - वरियान रात्रि 11:20 तक तत्पश्चात परिघ
⛅ राहु काल - शाम 05:16 से दोपहर 06:49 तक
⛅ सूर्योदय - 06:24
⛅ सूर्यास्त - 06:49
⛅ दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 01:00 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण - अजा एकादशी, रविपुष्यामृत योग (शाम 05:06 से 11 सितम्बर सूर्योदय तक)
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🔆 क्रोधः मनुजस्य दुर्जेयः शत्रुः भवति लोभः अनन्तकः व्याधिः अस्ति सर्वेषां हितचिन्तकः एव साधुः तथा अहितकर्ता एव दुर्जनः भवति।
⚜क्रोध मनुष्य का दुर्जेय शत्रु है, लोभ प्राणी का अपरिमित व्याधि है, सभी प्राणियों का हित चाहनेवाला साधु (सज्जन) पुरुष है और निर्दयी (दुर्जन) पुरुष होता है।
#Subhashitam
महाभारत, वनपर्व - ३१३/९१-९२
क्रोधः सुदुर्जयः शत्रु: लोभो व्याधिरनन्तकः।
सर्वभूतहितः साधु: असाधुर्निर्दयः स्मृतः
॥🔆 क्रोधः मनुजस्य दुर्जेयः शत्रुः भवति लोभः अनन्तकः व्याधिः अस्ति सर्वेषां हितचिन्तकः एव साधुः तथा अहितकर्ता एव दुर्जनः भवति।
⚜क्रोध मनुष्य का दुर्जेय शत्रु है, लोभ प्राणी का अपरिमित व्याधि है, सभी प्राणियों का हित चाहनेवाला साधु (सज्जन) पुरुष है और निर्दयी (दुर्जन) पुरुष होता है।
#Subhashitam
महाभारत, वनपर्व - ३१३/९१-९२