संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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Online माध्यम से संस्कृत (संस्कृतभाषा, व्याकरण,साहित्य,ज्यौतिष,दर्शन) सीखने का सुनहरा अवसर।

आन्तर्जालिकानाम् अभिनवपाठ्यक्रमाणां शुभारम्भः

Coming soon online classes, Admission Will start from 09/09/2023
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰 विषयः - श्रीमद्भगवद्गीतातृतीयोऽध्यायः
🗓०२/०९/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (तृतीयोऽध्यायस्य सारं श्लोकार्थं वा वदन्तु) अभिक्रम्य आगच्छत।

https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8

पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Rig Moolam G6.mp3
Rig Moolam G6
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - तृतीया रात्रि 08:49 तक तत्पश्चात चतुर्थी

दिनांक - 02 सितम्बर 2023
दिन - शनिवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - भाद्रपद
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद दोपहर 12:30 तक तत्पश्चात रेवती
योग - शूल सुबह 09:22 तक तत्पश्चात गण्ड
राहु काल - सुबह 09:31 से 11:05 तक
सूर्योदय - 06:22
सूर्यास्त - 06:57
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:36 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 01:02 तक
व्रत पर्व विवरण - फूल काजली व्रत
संलापशाला
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
#samlapshala
श्रीमद्भगवद्गीतातृतीयोऽध्यायः
टेलीग्राम्मध्ये उपलब्धाः संस्कृतसंश्लेषकाः
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🍃गुणैरुत्तमतां यान्ति नोच्चैरासनसंस्थितैः।
प्रसादशिखरस्थोऽपि कि काको गरुडायते


🔆गुणानां कारणेनैव कश्चनजनः श्रेष्ठतां प्राप्नोति न तु उच्चस्थानप्राप्तिकारणेन यथा पर्वतशिखरे स्थितः काकः गरुडः न भवति।
अतः गुणप्रवर्धनाय प्रयासाः करणीयाः।

गुणों से ही मनुष्य बड़ा बनता है न कि किसी ऊंचे स्थान पर बैठ जाने से। राजमहल के शिखर पर बैठ जाने पर भी कौआ गरुड़ नहीं बनता ।

#Subhashitam
मूर्खाणां शृङ्गौ न भवतः उक्तिरियम् उचिता स्यात्।
वाक्ये कति सर्वनामपदानि सन्ति।
Anonymous Quiz
46%
एकम्
21%
द्वे
12%
त्रीणि
22%
न सन्ति
यदि पत्नी के मॉंगों के बीचो बीच सिन्दुर लगा हुआ है तो उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं हो सकती है
•• यदि भार्यायाः सीमन्तानां मध्ये सिन्दूरं स्यात् अस्ति तर्हि तस्याः पतिः अकालं मर्तुं न शक्नुयात्।

जो स्त्री अपने मॉंग के सिन्दूर को बालों से छिपा लेती है उसका पति समाज में छिप जाता है
•• या नारी स्वसीमन्तस्य सिन्दूरं केशैः गोपायति,तस्या: पतिः समाजे निगूहति।

जो स्त्री बीच मॉंग में सिन्दुर न लगाकर किनारे पर लगाती है उसका पति उससे किनारा कर लेता है
•• या नारी सीमन्तस्य मध्ये सिन्दूरं न प्रयोज्य सीमन्तस्य कूलं प्रति स्थापयति,तस्या: पति स्वपत्न्या: दूरीभवति।

यदि स्त्री के बीच माँग में सिन्दूर भरा है तो उसके पति की आयु लम्बी होती है।
•• यदि स्त्रिया: सीमन्तस्य मध्ये सिन्दूरं स्यात् तर्हि तस्या: पति दीर्घायु: भवति।

रामायण में एक प्रसंग आता है जब बालि और सुग्रीवके बीच युध्द हो रहा था तब श्रीरामने बालि को नही मारा।
•• रामायणे एकः प्रसंगोऽस्ति यदा बालि-सुग्रीवयोः मध्ये युद्धं प्रचलति स्म,तदा श्रीरामो बालिं न मारितवान्।

जब बालि के हाथो मार खाकर सुग्रीव श्रीरामके पास पहुचा तो श्रीरामने कहा की तुम्हारी और बालि की शक्ल एक सी है,इसीलिये मैं भ्रमित हो गया था?
•• यदा सुग्रीवो बालिहस्ताभ्यां ताडितः सन् श्रीरामं प्राप्तवान् तदा श्रीरामः अवदत् यत् भवतः बालेश्च मुखाकृती समाने स्त:, अत एव अहं भ्रान्तोऽभवम्।

अब आप ही बताइये श्रीरामके नजरों से भला कोई छुप सकता है क्या?
•• इदानीं भवान् कथयतु यत् श्रीरामस्य नेत्राभ्यां कोऽपि निगूढो भवितुमर्हति वा ?

असली बात तो यह थी जब श्रीराम ने यह देख लिया की बालि की पत्नी तारा का माँग सिन्दूरसे भरा हुआ है तो उन्होने सिन्दूरका सम्मान करते हुये बालि को नही मारा।
•• वास्तविकतथ्यम् एतदासीत् यत् यदा श्रीरामो दृष्ट्वान् यत् बालिपत्न्याः तारायाः सीमन्त: सिंदूरवर्णेन परिपूर्णः अस्ति तदा स सिन्दूरस्य सम्मानं कुर्वन् बालिम् न हतवान्।

दूसरी बार जब सुग्रीवने बालि को ललकारा तब तारा स्नान कर रही थी उसी समय भगवान ने मौका देखकर बाण बालि की तरफ छोड़ दिया
•• द्वितीयवारं यदा सुग्रीवो बालिं द्वन्द्वयुद्धाय प्रत्याहूतवान् तदा तारा स्नाति स्म।तदैव भगवान् अवसरं दृष्ट्वा तूणीरं बालिं प्रति क्षिप्तवान्।

अब आप ही बताइये की जब माँग में सिन्दूर भरा हो तो परमात्मा भी उसके पति मार नहीं सकते है।
•• इदानीं भवान् एव बोधयतु यत् यदा सीमन्त: सिन्दूरै: पूरितो भवति तदा ईश्वरोऽपि तस्या: पतिं हन्तुं न शक्नोति।

फिर उनके सिवाय कोई और क्या मार पायेगा?
•• अथ तं विना अन्यः कः हन्तुं शक्नोति ?

यह पोस्ट मै इसीलिये कर रही हूँ कि आजकल फैशन चल रहा है सिन्दूर न लगाने की या हल्का लगाने की या बीच माँग में न लगाकर किनारे लगाने की
•• एनं सन्देशप्रेषणम् अस्मादेव कारणात् करोमि यत् अद्यत्वे भूषाचार: प्रचलति यत् सिंदूरं न प्रयोक्तव्यं उत लघुतया प्रयोक्तव्यं वा सीमन्तस्य मध्ये वा न प्रयोज्य सीमन्तस्य कूलं प्रति स्थापनस्य।

मैं आशा करती हूँ की मेरे इस पोस्ट से आप लोग सिन्दूर का महत्व समझ गयी होंगी और अपने पति की लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थय के लिये अपने पति के नाम का सिंदूर अपने माँग में भरे रहेगी।
•• आशासे यत् भवत्य: मम एतेन सन्देशप्रेषणेन सिन्दूरस्य महत्त्वम् अवगच्छेयु: यत् स्वपत्यु: दीर्घायुषः सुस्वास्थ्यस्य च कृते स्वपत्यु: नाम्न: सिन्दूरेण भवत्य: स्वसीमन्तं सदैव पूरयिष्यन्ति।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
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विशिष्टं व्याख्यानम्
on the occasion of Samskrit Week Celebrations.

वक्ता -
@ChamuKShastry

विषयः - संस्कृतं भारतीयभाषाः च
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