संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अंबिका और अरूणिका है आम की सबसे बौनी किस्म। •• अम्बिका अरुणिका च रसालस्य वामनजातिः अस्ति। इन्हें घर के किसी भी कोने में लगाकर आप प्रतिवर्ष 20 किलो तक आम उगा सकते हैं ••भवान् गृहस्य कस्मिन्नपि कोणे तान् रोप्य प्रतिवर्षं विंशति: किलोग्रामपर्यन्तं रसालानाम्…
इसी दिशा में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ में बौनी प्रजातियों के विकास के लिए शोध किया गया और अरूणिका एवं अम्बिका नाम की संकर किस्में विकसित की गई
•• अस्मिन्नेव दिशि केन्द्रीय- उपोष्णकटिबंधीय-उद्यानसंस्थानम्, लखनऊनगरे वामनप्रजातीनां विकासाय शोधं कृतम् तथा च अरुणिका, अम्बिका च इति संकरप्रजातीनां विकासः अभवत्।
लंगड़ा, चौसा और दशहरी में फल तोड़ने के बाद निकली हुई टहनियों में फूल सामान्यतः एक वर्ष छोड़कर फल आते हैं।
•• लंगड़ा,चौसा,दशहरी इत्यादीषु प्रजातिषु फलानां त्रोटयानन्तरम् निर्गतेषु शाखासु पुष्पाणि सामान्यत: एकवर्षं विहाय फलानाम् उत्पत्ति: भवति।
दक्षिण भारतीय किस्म नीलम उत्तर भारत में अपने छोटे आकार के पौधों के लिए जानी जाती है
•• दक्षिणभारतीयः नीलम इति प्रजातिः उत्तरभारते लघ्वाकारस्य पादपस्य कृते प्रसिद्धोऽस्ति।
आम्रपाली में नीलम ने पिता का रोल अदा किया और इसी कारण आम्रपाली से अरूणिका में नियमित फलन और बौनेपन का गुण विद्यमान है
•• आम्रपाल्यां नीलम इति प्रजाति: पितु: भूमिकां निर्वहितवान्।अत: आम्रपाल्याया: अरूणिकायां नियमितरूपेण फलनस्य वामनत्वस्य च गुणं विद्यमानमस्ति।
हर साल फल देने वाली बौनी किस्में सघन बागवानी के लिए उपयुक्त है
•• प्रतिवर्षं फलदातारो वामनाः प्रजातयः सघन-उद्यानार्थं उपयुक्ताः सन्ति
कम स्थान में अधिक संख्या में पौधे लगाकर ज्यादा फल उत्पादन आज बागवानी के क्षेत्र में एक सफल तकनीक के रूप में अपनाया जा रहा है
•• अल्पस्थाने अधिकान् पादपान् रोपयित्वा अधिकफलानाम् उत्पत्ति: अद्यत्वे उद्यानक्षेत्रे सफलप्रविधिरूपेण स्वीक्रियते।
अरुणिका अपनी माँ आम्रपाली से पौधों के आकार में लगभग 40 प्रतिशत छोटी है
•• अरुणिका स्वमातुः आम्रपाल्या: अपेक्षया पादपानाम् आकारेण प्रायः चत्वारिंशत् प्रतिशतं लघुतरा अस्ति
लाल रंग के आकर्षक फलों के कारण बौना पेड़ और आकर्षक लगता है
•• आकर्षकाणां रक्तवर्णीयफलानां कारणेन वामनवृक्षः अधिकं आकर्षको दृश्यते
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजन बताते हैं कि आम की किस्में बौनी तभी हो सकती हैं जब उन पर हर वर्ष फल आए।
••केन्द्रीय-उपोष्णक्षेत्र-उद्यानसंस्थानस्य वैज्ञानिको विद्यावारिधि राजन: कथ्यति यत्
रसालप्रजातय: वामनाकारा: तदैव भवितुमर्हन्ति यदा ते प्रतिवर्षं फलानि ददति।
चौसा और लंगड़ा जैसी एक साल छोड़ कर फलने वाली किस्मों के पौधे बड़े आकार के होते हैं
•• चौसा लङ्गड़ा इत्यादय: प्रजातय: एकवर्षं विहाय फलप्रदानां प्रजातीनां पादपा: बृहदाकारा: भवन्ति ।
नियमित फल देने के कारण अम्बिका, अरुणिका और आम्रपाली जैसी किस्मों के पौधे छोटे आकार के रहते हैं
•• अम्बिका, अरुणिका, आम्रपाली इत्यादीनां प्रजातीनां पादपा: नियमितफलप्रदानेन आकारेण लघ्वाकारा: भवन्ति।
इनकी ख़ासियत यह भी है कि फलों के तोड़ने के बाद निकली हुई टहनियों में फूल का आ जाना।
•• फलानां त्रोटयनान्तरं निर्गतेषु शाखासु पुष्पागमनम् इति तेषां विशिषत्वमस्ति।
~उमेशगुप्तः
#vakyabhyas
•• अस्मिन्नेव दिशि केन्द्रीय- उपोष्णकटिबंधीय-उद्यानसंस्थानम्, लखनऊनगरे वामनप्रजातीनां विकासाय शोधं कृतम् तथा च अरुणिका, अम्बिका च इति संकरप्रजातीनां विकासः अभवत्।
लंगड़ा, चौसा और दशहरी में फल तोड़ने के बाद निकली हुई टहनियों में फूल सामान्यतः एक वर्ष छोड़कर फल आते हैं।
•• लंगड़ा,चौसा,दशहरी इत्यादीषु प्रजातिषु फलानां त्रोटयानन्तरम् निर्गतेषु शाखासु पुष्पाणि सामान्यत: एकवर्षं विहाय फलानाम् उत्पत्ति: भवति।
दक्षिण भारतीय किस्म नीलम उत्तर भारत में अपने छोटे आकार के पौधों के लिए जानी जाती है
•• दक्षिणभारतीयः नीलम इति प्रजातिः उत्तरभारते लघ्वाकारस्य पादपस्य कृते प्रसिद्धोऽस्ति।
आम्रपाली में नीलम ने पिता का रोल अदा किया और इसी कारण आम्रपाली से अरूणिका में नियमित फलन और बौनेपन का गुण विद्यमान है
•• आम्रपाल्यां नीलम इति प्रजाति: पितु: भूमिकां निर्वहितवान्।अत: आम्रपाल्याया: अरूणिकायां नियमितरूपेण फलनस्य वामनत्वस्य च गुणं विद्यमानमस्ति।
हर साल फल देने वाली बौनी किस्में सघन बागवानी के लिए उपयुक्त है
•• प्रतिवर्षं फलदातारो वामनाः प्रजातयः सघन-उद्यानार्थं उपयुक्ताः सन्ति
कम स्थान में अधिक संख्या में पौधे लगाकर ज्यादा फल उत्पादन आज बागवानी के क्षेत्र में एक सफल तकनीक के रूप में अपनाया जा रहा है
•• अल्पस्थाने अधिकान् पादपान् रोपयित्वा अधिकफलानाम् उत्पत्ति: अद्यत्वे उद्यानक्षेत्रे सफलप्रविधिरूपेण स्वीक्रियते।
अरुणिका अपनी माँ आम्रपाली से पौधों के आकार में लगभग 40 प्रतिशत छोटी है
•• अरुणिका स्वमातुः आम्रपाल्या: अपेक्षया पादपानाम् आकारेण प्रायः चत्वारिंशत् प्रतिशतं लघुतरा अस्ति
लाल रंग के आकर्षक फलों के कारण बौना पेड़ और आकर्षक लगता है
•• आकर्षकाणां रक्तवर्णीयफलानां कारणेन वामनवृक्षः अधिकं आकर्षको दृश्यते
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजन बताते हैं कि आम की किस्में बौनी तभी हो सकती हैं जब उन पर हर वर्ष फल आए।
••केन्द्रीय-उपोष्णक्षेत्र-उद्यानसंस्थानस्य वैज्ञानिको विद्यावारिधि राजन: कथ्यति यत्
रसालप्रजातय: वामनाकारा: तदैव भवितुमर्हन्ति यदा ते प्रतिवर्षं फलानि ददति।
चौसा और लंगड़ा जैसी एक साल छोड़ कर फलने वाली किस्मों के पौधे बड़े आकार के होते हैं
•• चौसा लङ्गड़ा इत्यादय: प्रजातय: एकवर्षं विहाय फलप्रदानां प्रजातीनां पादपा: बृहदाकारा: भवन्ति ।
नियमित फल देने के कारण अम्बिका, अरुणिका और आम्रपाली जैसी किस्मों के पौधे छोटे आकार के रहते हैं
•• अम्बिका, अरुणिका, आम्रपाली इत्यादीनां प्रजातीनां पादपा: नियमितफलप्रदानेन आकारेण लघ्वाकारा: भवन्ति।
इनकी ख़ासियत यह भी है कि फलों के तोड़ने के बाद निकली हुई टहनियों में फूल का आ जाना।
•• फलानां त्रोटयनान्तरं निर्गतेषु शाखासु पुष्पागमनम् इति तेषां विशिषत्वमस्ति।
~उमेशगुप्तः
#vakyabhyas
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room
🔰 विषयः - सुभाषितादीनि
🗓०१/०९/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं , प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
🔰 विषयः - सुभाषितादीनि
🗓०१/०९/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
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Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
https://youtu.be/qF35mMq2DrM?si=36eETBhiNDCurG3d
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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Vaarta | News in Sanskrit | संस्कृत में समाचार
#vaarta #newsinsanskrit
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DD News 24x7 | Breaking News & Latest Updates | Live Updates | News in Hindi
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar…
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Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 11:50 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ दिनांक - 01 सितम्बर 2023
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत् - 1945
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
⛅ मास - भाद्रपद
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - धृति दोपहर 01:10 तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहु काल - सुबह 11:05 से 12:40 तक
⛅ सूर्योदय - 06:22
⛅ सूर्यास्त - 06:57
⛅ दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:36 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 01:03 तक
#panchang
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 11:50 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅ दिनांक - 01 सितम्बर 2023
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत् - 1945
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
⛅ मास - भाद्रपद
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - धृति दोपहर 01:10 तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहु काल - सुबह 11:05 से 12:40 तक
⛅ सूर्योदय - 06:22
⛅ सूर्यास्त - 06:57
⛅ दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:36 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 01:03 तक
#panchang
🍃
🔆 धैर्यं ये धारयन्ति तेभ्यः दरिद्रता न कष्टदायिनी स्यात् मलिनं वस्त्रं स्वच्छताकारणेन योग्यं भवति धर्तुम् अन्नम् ऊष्णताकारणेन सम्यक् भवति तथा कुरूपं शीलेन सौन्दर्यं प्राप्नोति।
चाणक्यनीति
⚜ धैर्य रखने से निर्धनता कष्ट नहीं देती, नष्ट हुआ कपड़ा स्वच्छ रखने से पहनने योग्य होता है, बेकार अन्न भी गरम-गरम स्वादिष्ट लगता है। शील स्वभाव के कारण कुरूप व्यक्ति भी सुन्दर लगने लगता है।
#Subhashitam
दरिद्रता धीरतया विराजते, कुवस्त्रता स्वच्छतया विराजते।
कदन्नता चोष्णतया विराजते कुरूपता शीलतया विराजते
॥🔆 धैर्यं ये धारयन्ति तेभ्यः दरिद्रता न कष्टदायिनी स्यात् मलिनं वस्त्रं स्वच्छताकारणेन योग्यं भवति धर्तुम् अन्नम् ऊष्णताकारणेन सम्यक् भवति तथा कुरूपं शीलेन सौन्दर्यं प्राप्नोति।
चाणक्यनीति
⚜ धैर्य रखने से निर्धनता कष्ट नहीं देती, नष्ट हुआ कपड़ा स्वच्छ रखने से पहनने योग्य होता है, बेकार अन्न भी गरम-गरम स्वादिष्ट लगता है। शील स्वभाव के कारण कुरूप व्यक्ति भी सुन्दर लगने लगता है।
#Subhashitam
तुम्हारे मुख में पान है
••तव मुखे ताम्बूलमस्ति।
नेत्रों में काजल की पतली रेखा है
••नेत्रयो: कज्जलस्य कृशा रेखा अस्ति
ललाट में केसर की बेंदी है
••ललाटे अग्निशाखाया: गोलतिलकमस्ति।
गले में मोतियों का हार सुशोभित हो रहा है
••ग्रीवायां मुक्तावली सुशोभिता भवति।
कटि के निम्न भाग में सुनहली साड़ी है जिस पर रत्नमयी करधनी चमक रही है
••कट्यधोभागे सुवर्णवर्णा शाटिका अस्ति यस्यां रत्नयुक्तमेखला दीव्यति।
ऐसी वेष भूषा से सजी हुई गिरिराज हिमालय की गौरवर्णा कन्या तुमको मैं सदा ही भजता हूं
••एतादृशवेषधारिणि गिरिराजस्य हिमालयस्य गौरवर्णे कन्ये त्वामहं सदा भजामि।
मां!आपका स्वरूप नयनों में बसा रहे।
••मात:!भवत्या: स्वरूपं मम नयनयो: सदा वसतु।
आपके चरणों में मेरा ध्यान लगा रहे।
••भवत्या: चरणयो: मम ध्यानं सदा स्थापयतु।
बस इतनी कृपा कर देना।
••केवलाम् एतावतीं कृपां करोतु।
~उमेशगुप्तः
#vakyabhyas
••तव मुखे ताम्बूलमस्ति।
नेत्रों में काजल की पतली रेखा है
••नेत्रयो: कज्जलस्य कृशा रेखा अस्ति
ललाट में केसर की बेंदी है
••ललाटे अग्निशाखाया: गोलतिलकमस्ति।
गले में मोतियों का हार सुशोभित हो रहा है
••ग्रीवायां मुक्तावली सुशोभिता भवति।
कटि के निम्न भाग में सुनहली साड़ी है जिस पर रत्नमयी करधनी चमक रही है
••कट्यधोभागे सुवर्णवर्णा शाटिका अस्ति यस्यां रत्नयुक्तमेखला दीव्यति।
ऐसी वेष भूषा से सजी हुई गिरिराज हिमालय की गौरवर्णा कन्या तुमको मैं सदा ही भजता हूं
••एतादृशवेषधारिणि गिरिराजस्य हिमालयस्य गौरवर्णे कन्ये त्वामहं सदा भजामि।
मां!आपका स्वरूप नयनों में बसा रहे।
••मात:!भवत्या: स्वरूपं मम नयनयो: सदा वसतु।
आपके चरणों में मेरा ध्यान लगा रहे।
••भवत्या: चरणयो: मम ध्यानं सदा स्थापयतु।
बस इतनी कृपा कर देना।
••केवलाम् एतावतीं कृपां करोतु।
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#vakyabhyas
Online माध्यम से संस्कृत (संस्कृतभाषा, व्याकरण,साहित्य,ज्यौतिष,दर्शन) सीखने का सुनहरा अवसर।
आन्तर्जालिकानाम् अभिनवपाठ्यक्रमाणां शुभारम्भः
Coming soon online classes, Admission Will start from 09/09/2023
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