संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
5.1K subscribers
3.13K photos
297 videos
309 files
5.92K links
Largest Online Sanskrit Network

Network
https://t.me/samvadah/11287

Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Sanskrit Books @GranthaKutee
Download Telegram
🍃न भेतव्यं न बोद्धव्यं न श्राव्यं वादिनो वचः।
झटिति प्रतिवक्तव्यं सभासु विजिगीषुभिः


🔆 न बिभ्यतु न ध्यायन्तु न शृण्वन्तु वादिनः वाक्यानि झटिति एव उत्तरं प्रदातव्यं यः सभायां जिगीषति (जेतुम् इच्छति)।

Kaliviḍambanam (Nīlakaṇṭha Dīkṣita)

Don't fear, don't heed upon, and don't listen to the words of an arguer (vādin). Those who desire to win shall quickly reply (the prativādin) in assembly.

#Subhashitam
आरक्षकः धावन्तं चोरं झटिति गृह्णाति।
अत्र क्रियाविशेषणं किम्।
Anonymous Quiz
32%
धावन्तम्
61%
झटिति
4%
चोरम्
3%
नास्ति
रामायण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि ने सारस पक्षी की विरह वेदना को देख कर की थी।
••महर्षि: वाल्मीकि: क्रौञ्चाया: विरहवेदनां दृष्ट्वा रामायणस्य महाकाव्यस्य रचनां चकार।

क्रौंच पक्षी के जोड़े की प्रणय लीला बहुत ही सुंदर होती है और वे दोनों आजीवन एक ही जीवन साथी के लिए वफादार रहते है।
••खञ्जरीटपक्षियुगलस्य प्रेमालापः अतीव रमणीय: भवति तौ (क्रौञ्च क्रौञ्चा च) च आजीवनं परस्परं निष्ठावन्तौ भवत:।

उनमें से यदी एक पक्षी का मृत्यु हो जाता है तो वह पक्षी भी अपने प्राण त्याग देता है।
••तयोर्यदि एकः पक्षी म्रियते तर्हि अपरोऽपि वियोगे स्वप्राणान् त्यजति।

महर्षि वाल्मीकि ने सारस पक्षी को अपनी प्रियतमा के विरह में रोते-चिल्लाते हुए देखा और उनके मनमें करुणा का भाव आया और अनायास ही उनके मन में कुछ छंदो का आविर्भाव हुआ और वही श्लोक रामायण के प्रथम श्लोक है और उन्हीं श्लोकों की सहायता से उनको राम की सीता से विरह की व्यथा ज्ञात हुई।
••महर्षिः वाल्मीकिः क्रौञ्चीं स्वप्रियस्य विरहे विलापं कुर्वतीं ददर्श तस्य मनसि च करुणायाः भावः प्रादुर्बभूव अकस्मादेव च तस्य मनसि केचन श्लोकाः प्रादुर्बभूवतु: स एव च श्लोक: रामायणस्य प्रथम: श्लोक: अस्ति तेषां च श्लोकानां साहाय्येन स रामस्य सीताविरहस्य पीडां जज्ञौ।

उसके पश्चात उनको उनके जीवन का हर एक वृतांत उसी समय पता चलने लगा और वह घटना वे ज्यों की त्यों लिखने लगे।
••तदनन्तरं तस्य जीवनस्य सर्वं वर्तमानं वृत्तान्तं तत्काले एव अभिज्ञातुमारेभे सः च तां घटनां यथावत् लेखितुमारेभे।

इस प्रकार पूरे रामायण महाकाव्य की रचना हुई।
••एवं प्रकारेण सम्पूर्णरामायणस्य महाकाव्यस्य रचना बभूव।

इस प्रकार क्रौंच पक्षी भी बहुत ही चमत्कारी पक्षी है।
••एवं प्रकारेण खञ्जरीट: पक्षी अपि महान् चमत्कारी पक्षी अस्ति।

दूसरा गुजरात राज्य के अंबाजी में स्थित मां अंबा का धाम विश्व प्रसिद्ध है जिसकी गिनती 52 शक्तिपीठो में की जाती है।
••द्वितीयं, गुर्जरराज्यस्य अम्बाजीनगरे स्थितं मातु: अम्बाया: धाम विश्वप्रसिद्धम् अस्ति, यद् द्विपञ्चाशत् शक्तिपीठेषु गण्यते।

कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार राजहंस माँ अंबा का ही स्वरुप है और सारस पक्षी ही वह राजहंस है।
••केषाञ्चन जनानां मान्यतानुसारं राजहंस: मातु: अम्बाया: एव स्वरुपः अस्ति खञ्जरीट: चैव स राजहंस: अस्ति।

इस प्रकार देखा जाए तो माँ अंबा ने ही महर्षि को रामायण महाकाव्य लिखने के लिए परोक्ष रूप से प्रेरित किया था।
••एवं प्रकारेण दृश्यते चेत् माता अम्बा एव महर्षिं रामायणमहाकाव्यं लेखितुं प्रैलयाम्बभूव।

~उमेशगुप्तः
Live stream scheduled for
Rig Moolam E2.mp3
Rig Moolam E2
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - द्वादशी सुबह 08:19 तक तत्पश्चात त्रयोदशी

दिनांक - 13 अगस्त 2023
दिन - रविवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - अधिक श्रावण
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 08:26 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग - वज्र दोपहर 03:56 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहु काल - शाम 05:36 से 07:14 तक
सूर्योदय - 06:15
सूर्यास्त - 07:14
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:31 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:07 तक
व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत
अद्य संलापशाला नास्ति।
🍃दाम्पत्यमनुकूलं चेत्किं स्वर्गस्य प्रयोजनम्।
दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेन्नरकं किं गृहमेव तत्॥


🔅(मनुष्यस्य) दाम्पत्यं अनुकूलम् (स्यात्) चेत् स्वर्गस्य किं प्रयोजनम्? (अपि च मनुष्यस्य) दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेत् नरकं किम्? तत् गृहम् एव (नरकं भवति)।

मनुष्य का दांपत्यजीवन यदि अनुकूल हो तो स्वर्ग का क्या प्रयोजन है? और साथ ही यदि मनुष्य का दाम्पत्यजीवन प्रतिकूल हो जाए तो नरक क्या है? वह घर ही नरक बन जाता है।

If the marriage life of a man is friendly, then what is the purpose of heaven? And also if the marriage life of a man is adverse, then what is the hell? Indeed! the home itself becomes hell.

#subhashitam
भू धातुः लङ्लकारः उत्तमपुरुषस्य एकवचनं किम्भवति।
Anonymous Quiz
65%
अभवाम
9%
भूमः
17%
भवाम
10%
अभवामः
घोंघा के मुलायम शरीर के ऊपर एक कठोर आवरण होता है जिसे शेल कहते है।जब घोंघा को खतरा महसूस होता है तो वह अपने मुलायम शरीर को शेल में सिमट लेता है।घोंघा एक रात में घूमने-फिरने वाला प्राणी है।धूप में यह अपने शरीर को खोल से बाहर नही निकालता है।
••शम्बूकस्य मृदुशरीरस्योपरि यद् एकं कठोरावरणं भवति तत् कवचावरणं कथ्यते।यदा शम्बूकेन भयमनुभूयते तदा स स्वमृदुशरीरं कवचावरणे सङ्कोचयति।शम्बूक: एक: निशाचर: प्राणी अस्ति।सूर्यातापे एष: स्वशरीरं कवचात् बहि: न निष्कासयति।

घोंघे के चलने की गति बहुत कम होती है।यह दुनिया के धीमी गति वाले जीवों में आते है।
••शम्बूकानां गमनवेगः अतीव न्यूनः भवति।एष जगतः मन्दगतिजीवेषु अन्तर्भूत: अस्ति।

घोंघा के मुंह में जीभ के अलावा बहुत सारे छोटे छोटे दांत भी पाए जाते हैं।इसी वजह से यह फसल को नष्ट कर देते हैं।
••जिह्वां विहाय अनेके लघुदन्ताः अपि शम्बूकानां मुखे लभ्यन्ते।अत एव ते सस्यं नाशयन्ति।

घोंघा के मुंह में जीभ के अलावा बहुत सारे छोटे छोटे दांत भी पाए जाते हैं।इसी वजह से यह फसल को नष्ट कर देते हैं।
••जिह्वां विहाय अनेके लघुदन्ताः अपि कोषस्थस्य मुखे लभ्यन्ते।अत एव ते सस्यं नाशयन्ति।

घोंघा बिना भोजन के भी एक सप्ताह तक जीवित रह सकता है।
••कोषस्थ: भोजनं विनैव सप्ताहमेकं यावत् जीवितुं शक्नोति।

घोंघा के शरीर में पाए जाने वाले सेल काफी ज्यादा कठोर होता है जो इसके पूरे शरीर की रक्षा करती है।यदि ऐसे में इसके खोल में अगर दरारे आ जाती है तब तो यह जीवित रहता है लेकिन अगर इसके shell टूट जाते हैं तो यह जीवित नहीं रह पाता।
••कोषस्थस्य शरीरे लभ्यमानं कवचावरणम् अतीव कठोरं भवति यत् तस्य सम्पूर्णशरीरस्य रक्षणं करोति।यदि अकस्मात् कवचावरणं छेद: भवेत् तदा तर्हि एष: जीवितो भवेत् ,परन्तु यदि अस्य कवचावरणं भग्नं भवेत् तर्हि एष: जीवितुं न शक्नुयात्।

घोंघा एक छोटे जीव के रूप में पाया जाता है इसी कारण बड़े सांप, पक्षी, मेंढक, छिपकली और चूहा इनका आसानी से शिकार कर लेते हैं।
••कोषस्था: लघुजीवरूपेण दृश्यन्ते, अतः बृहत्सर्पाः, पक्षिणः, मण्डूकाः, कृकलासाः, मूषकाः च सहजतया एतेषां भक्षणं कुर्वन्ति।

घोंघा शुद्ध शाकाहारी जीव है जो मिट्टी, पत्ते और फूल को खाते हैं।
••कोषस्था: शुद्धाः शाकाहारिणः जीवा: सन्ति ये मृत्तिकापत्रपुष्पभक्षकाः सन्ति।

घोंघा दिन में आराम करता है और सूर्य की किरण पढ़ने पर अपना शरीर shell के अंदर ही रखता है।
••कोषस्थ: दिवा विश्रमति यदा च सूर्यरश्मि: तस्य शरीरे आपतति तदा स स्वशरीरं कवचावरणस्य अन्तर्भागे एव स्थापयति।

~उमेशगुप्तः

#Vakyabhyas
Live stream scheduled for
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।। 

४५ निमेषाः
🕛 IST ११:०० AM   
🔰 वार्ताः
🗓 १४ अगस्त २०२३, सोमवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(स्वस्थानीयां प्रादेशिकीं आन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां श्रावयन्तु)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇👇👇👇👇
https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=c76d9941aeab5bd149

सङ्ग्रहः
https://archive.org/details/samlapshala_
*Invitation to Volunteer for the Experimental Research on Paninian Karakas*

Research being conducted by
Dr Jayashree Aanand Gajjam
IIT Kharagpur

==============

I'm conducting a series of online experiments on Sanskrit and Marathi languages to study the Cognition of Paninian karakas.

I need a group of 25 students who can read and understand both Sanskrit and Marathi.

Eligibility
Age 16+

A small token of appreciation will be given after completion of the research.

~ Dr Jayashree Aanand Gajjam

Telephone
+91 96371 47261