संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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आदिकाल से महिलाओं के वाचाल होने की प्रवृति, और वाक चातुर्य की सारी दुनिया  प्रशंसक रही है। ऐसा ही एक मनोहारी वर्णन इस श्लोक में किया गया है जो बड़ा ही आनंददायक है। भगवान् शिव और माता पार्वती का ये संवाद  मन को गुदगुदाता है

कस्त्वं?शूली, मृगय भिषजं, नीलकंठ: प्रियेऽहं केकामेकां वद, पशुपतिर्नैव दृश्ये विषाणे।
मुग्धे स्थाणुः, स चरति कथं? जीवितेशः शिवाया गच्छाटव्यामिति हतवचाः पातु वश्चन्द्रचूडः॥


संधिविच्छेदान्कृत्वा –

कः त्वं शूली मृगय भिषजं नीलकण्ठः प्रिये अहं
केकाम् एकां वद, पशुपतिः न एव दृश्ये विषाणे ।
मुग्धे स्थाणुः, सः चरति कथं, जीवितेशः शिवायाः
गच्छ अटव्याम् इति हतवचाः पातु वः चन्द्रचूडः ।।
शंकर जी ने अपने घर का द्वार खोलने हेतु आवाज दी।

 पार्वती जी ने पूछा - तुम कौन हो? 
शिव जी ने कहा - मैं शूली (त्रिशूल धारी) हूं।
पार्वती जी ने कहा - शूली (शूल रोग से पीड़ित) हो तो वैद्य को खोजो।
 शिव जी ने कहा - प्रिये! मैं नीलकंठ हूं।
पार्वती जी ने कहा (मयूर अर्थ में ) - तो एक बार केका ध्वनि करो।
शंकर जी ने कहा - मैं पशुपति हूं।
पार्वती जी ने कहा - पशुपति (बैल) हो? तुम्हारे सिंग तो दिखाई नहीं देते?
शिव जी ने कहा - मुग्धे! मैं स्थाणु हूं।
गौरा बोलीं - स्थाणु (ठूंठ) चलता कैसे है?
भोले ने कहा - मैं शिवा  (पार्वती) का पति हूं।
शिवा बोलीं - शिवा ( भिन्न अर्थ में लोमड़ी) के पति हो तो जंगल में जाओ।

 

इस प्रकार निरुत्तर हुए शिव आप सबकी रक्षा करें।


#hasya
वृत्तं यत्नेन संरक्षेद् वित्तमेति च याति च। अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः ॥

*(मनुस्मृति व विदुरनीति)*


अन्वयः- (मनुष्यः) वृत्तं यत्नेन संरक्षेत्। वित्तं (तु) ऐति च याति च।वित्ततः क्षीणः अक्षीणः (भवति) व्रत्ततः तु हतः हतः।

शब्दार्थः : वृत्तम्-चरित्र, वित्तं – धन, यत्नेन- प्रयत्नपूर्वक, संरक्षेत- रक्षा करनी चाहिए, अक्षीण: - जो क्षीण नहीं हुआ।


*MEANING*

धन तो आता और जाता रहता है (पर) अपने चरित्र की रक्षा यत्नपूर्वक करनी चाहिए। धन से क्षीण हो जाने पर भी मनुष्य नष्ट नहीं होता; पर यदि उसका चरित्र नष्ट हो गया तो वह संपूर्णतः नष्ट हो गया ।
🚩🚩श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 29
Bhagvad Gita Chapter 6 Verse 29
🚩🚩

सर्वभूतस्थमात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि ।
ईक्षते योगयुक्तात्मा सर्वत्र समदर्शन: ॥
.
.
He who experiences the unity of life sees his own Self in all beings, and all beings in his own Self, and looks on everything with an impartial eye;
.
.
.
(वह) योगयुक्तात्मा सर्वत्र समदृष्टिसम्पन्न पुरुष सब भूतों में आत्मा को और सब भूतों को आत्मा में स्थित देखता है।।


व्याख्या:-

आपने आत्मा और प्रकृति के संसर्ग से रहित स्वरूप वाले दूसरे भूतप्रणियों के आत्माओं का एकमात्र ज्ञान ही आकार है इस कारण सबकी सामनता है, विषमाता तो प्रकृति के अंतगर्त है, अतएव प्रकति-संसर्ग से रहित आत्माओं में सर्वत्र एकमात्र ज्ञानस्वरूप होने के नाते समान देखने वाला योग युक्तात्मा पुरुष अपने आत्मा को सब भूतों में स्थित और सब भूतों को अपने आत्मा में स्थित देखता है। अर्थात अपने आत्मा को सब भूतों में स्थित आत्मा के समान आकार वाला और सब भूतों को अपने आत्मा के समान आकार वाला देखता है।

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दैनिक जीवन में हम हिंदी नहीं अपितु उर्दू मिश्रित हिंदी का प्रयोग करते है।
संस्कृत-प्राकृतनिष्ठ हिंदी बोलने का प्रयास कीजिये, संस्कृत-संस्कृति को जानिये।
ये वो उर्दू के शब्द जो आप प्रतिदिन प्रयोग करते हैं, इन शब्दों को त्याग कर मातृभाषा संस्कृत शब्दों का प्रयोग करें।
उर्दू संस्कृत
01 ईमानदार - निष्ठावान
02 इंतजार - प्रतीक्षा
03 इत्तेफाक - संयोग
04 सिर्फ - केवल, मात्र
05 शहीद - बलिदान
06 यकीन - विश्वास, भरोसा
07 इस्तकबाल - स्वागत
08 इस्तेमाल - उपयोग, प्रयोग
09 किताब - पुस्तक
10 मुल्क - देश
11 कर्ज - ऋण
12 तारीफ - प्रशंसा
13 तारीख - दिनांक, तिथि
14 इल्ज़ाम - आरोप
15 गुनाह - अपराध
16 शुक्रिया - धन्यवाद, आभार
17 सलाम - नमस्कार, प्रणाम
18 मशहूर - प्रसिद्ध
19 अगर - यदि
20 ऐतराज - आपत्ति
21 सियासत - राजनीति
22 इंतकाम - प्रतिशोध
23 इज्जत - मान, प्रतिष्ठा
24 इलाका - क्षेत्र
25 एहसान - आभार, उपकार
26 अहसानफरामोश - कृतघ्न
27 मसला - समस्या
28 इश्तेहार - विज्ञापन
29 इम्तेहान - परीक्षा
30 कुबूल - स्वीकार
31 मजबूर - विवश
32 मंजूरी - स्वीकृति
33 इंतकाल - मृत्यु, निधन
34 बेइज्जती - तिरस्कार
35 दस्तखत - हस्ताक्षर
36 हैरानी - आश्चर्य
37 कोशिश - प्रयास, चेष्टा
38 किस्मत - भाग्य
39 फैसला - निर्णय
40 हक - अधिकार
41 मुमकिन - संभव
42 फर्ज - कर्तव्य
43 उम्र - आयु
44 साल - वर्ष
45 शर्म - लज्जा
46 सवाल - प्रश्न
47 जवाब - उत्तर
48 जिम्मेदार - उत्तरदायी
49 फतह - विजय
50 धोखा - छल
51 काबिल - योग्य
52 करीब - समीप, निकट
53 जिंदगी - जीवन
54 हकीकत - सत्य
55 झूठ - मिथ्या, असत्य
56 जल्दी - शीघ्र
57 इनाम - पुरस्कार
58 तोहफा - उपहार
59 इलाज - उपचार
60 हुक्म - आदेश
61 शक - संदेह
62 ख्वाब - स्वप्न
63 तब्दील - परिवर्तित
64 कसूर - दोष
65 बेकसूर - निर्दोष
66 कामयाब - सफल
67 गुलाम - दास
68 जन्नत -स्वर्ग
69 जहरनुम -नर्क
70 खौफ -डर
71 जश्न -उत्सव
72 मुबारक -बधाई/शुभेच्छा
73 लिहाजा -अर्थात
74 निकाह -विवाह
75 आशिक -प्रेमी
76 मासुका -प्रेमिका
77 हकीम -वैद्य
78 नवाब -राजसाहब
79 रुह -आत्मा
80 खुदखुशी -आत्महत्या
81 इजहार -प्रस्ताव
82 बादशाह -राजा/महाराजा
83 ख़्वाहिश -महत्वाकांक्षा
84 जिस्म -शरीर/अंग
85 हैवान -दैत्य/असुर
86 रहम -दया
87 बेरहम -बेदर्द/दर्दनाक
88 खारिज -रद्द
89 इस्तिफा -त्यागपत्र
90 रोशनी -प्रकाश
91मसिहा -देवदुत
92 पाक -पवित्र
93 कत्ल -हत्या
94 कातिल -हत्यारा
इनके अतिरिक्त हम प्रतिदिन अनगिनत उर्दू शब्द प्रयोग में लेते हैं !
भाषा बचाइये, संस्कृति बचाइये।
हरिःॐ। सोमवासर-सायङ्कालशुभेच्छाः।

आकाशवाण्या अद्यतनसायङ्कालवार्ताः।

जयतु संस्कृतम्॥
प्रशासक समिति 🚩

📒📒📒 वेदपाठन 📒📒📒

📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚

🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। अष्टम सर्गः ।।

🍃 समर्थाधिष्ठितश्चाश्वः सापाध्याये विम्लच्यताम्।
सरवाश्चोत्तरे तीरे यज्ञभूमिर्विधीयताम् ।।१५॥

⚜️ उपाध्याय के साथ समर्थ रक्षकों सहित घोड़ा छोड़ा जाये, और सरजू के तट पर यज्ञ के लिये स्थान ठीक किया जाये ॥ १५॥

🍃 शान्तयश्चाभित्र्धन्तां यथाकल्पं यथाविधि।
शक्यः कर्तुमयं यज्ञः सर्वेणापि महीक्षिता॥१६॥

⚜️ विघ्न निवारक क्रिया कलाप यथा क्रम और यथा विधि किये जाए। क्यों कि सब राजाओं के लिये अश्वमेध यज्ञ करना सहज काम नहीं है॥१६॥

#ramayan
📚 वेदपाठन - आओ वेद पढ़ें

📙 ऋग्वेद

सूक्त - १६ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ६ , देवता - इन्द्र

🚩इमे सोमास इन्दवः सुतासो अधि बर्हिषि. ताँ इन्द्र सहसे पिब.. (६)

⚜️ हे इन्द्र ! यह पतला सोमरस बिछे हुए कुशों पर रखा है, इसे शक्ति बढ़ाने के लिए पिओ (६)

#rgveda
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चाणक्य नीति ⚔️
✒️ सप्तम अध्याय

♦️श्लोक :- १८

गम्यते यदि मृगेन्द्र-मन्दिरं लभ्यते करिकपोल मौक्तिकम् ।
जम्बुकालयगते च प्राप्यते वत्स-पुच्छ-खर-चर्म-खण्डनम् ।।

♦️भावार्थ - शेर की गुफा में जाने पर ही हाथी के मस्तक का मोती प्राप्त होता है और गीदड़ के स्थान में जाने पर बछड़े की पूंछ तथा गधे के चमड़े मिलते हैं।


#chanakya
हरिःॐ। भौमवासर-सुप्रभातम्।

आकाशवाण्या अद्यतनप्रातःकालवार्ताः।

जयतु संस्कृतम्॥
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७७
🚩तिथि - षष्ठी सुबह 10:58 तक तत्पश्चात सप्तमी

दिनांक - 19 जनवरी 2021
दिन - मंगलवार
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942*
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - पौष
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 09:55 तक तत्पश्चात रेवती
योग - शिव रात्रि 06:49 तक तत्पश्चात सिद्ध
राहुकाल - शाम 03:35 से शाम 04:58 तक
सूर्योदय - 07:19
सूर्यास्त - 18:19
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण -

💥 विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌷 बुधवारी अष्टमी 🌷

20 जनवरी 2021 बुधवार को (दोपहर 01:16 से 21 जनवरी सूर्योदय तक) बुधवारी अष्टमी है ।

👉🏻 मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि

🙏🏻 सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।

🙏🏻 इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)

🌷 बच्चों का रोना 🌷

🍼 रात को बच्चे उठकर रोते हैं तो दूध आदि पिलाकर/पिलाते हुए सिर पर हाथ घुमाते हुए गुरु मंत्र जप करें, तुलसी की माला पहनाये।

🌷 भोजन के पहले और बाद में 🌷

👉🏻 भोजन के पहले और बाद में चिंता की बात न सुनो, न सुनाओ; किसी को दुःख की बात सुनानी हो तो देर से सुनाओ, जरा बुद्धिमानी से सुनाओ; दुःख सहने की शक्ति भरते हुए उसे दुःख की बात बताओ

🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️