संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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नमस्ते ,

After releasing Karavalambanam Book , Vidyasvam has started Online Samskrita Karyashala !!

Vidyasvam has launched the 9th batch of Online Samskrita Karyashala August 2023 starting 6th August 2023.

The workshop will be conducted every Sunday Morning ( 7 AM - 9 AM ) for 1 year..

Brochure Video : https://youtu.be/ueFFB8vOjgw

If you are interested in joining the workshop please register @ https://www.vidyasvam.in/samskrita-karyashala

I have attended their workshop and here are some of the things which I liked the most ->

1. Complete dedication of Vidyasvam Team to make the workshop successful
2. All Session Recordings available for later reference
3. Printed Handouts delivered to our house.
4. One of the most beautiful and comprehensive Mindmaps.
5. Weekly quizzes which make us think and test our understanding.
6. Self correcting and engaging Practice Assignments
7. Discussion with other participants.
8. Effective use of technology
9. Great mentors who are always there for help !
10. And finally , how can I forget ? The application of what we learn in Ramayana

To summarize , One of the BEST workshop on Samskrita.

Do Attend if you are keen to learn Samskritam.

धन्यवादाः
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - चतुर्दशी रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात पूर्णिमा

दिनांक - 02 जुलाई 2023
दिन - रविवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - ज्येष्ठा दोपहर 01:18 तक तत्पश्चात मूल
योग - शुक्ल शाम 07:26 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहु काल - शाम 05:48 से 11:02 तक
सूर्योदय - 05:58
सूर्यास्त - 07:29
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:34 से 07:29 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:05 तक
व्रत पर्व विवरण - कोकिला व्रत, पूर्णिमा, जैन चौमासी चतुर्दशी*
🍃अभ्यावहति कल्याणं विविधा वाक्सुभाषिता
अलग अलग प्रकार से बोली गई अच्छी वाणी मानव का कल्याण लाती है।

#Quote
🍃वरं मौनं कार्यं न च वचनमुक्तं यदनृतम् वरं क्लैब्यं पुंसां न च परकलत्राभिगमनम्। वरं प्राणत्यागो न च पिशुनवाक्येष्वभिरुचिः
वरं भिक्षाशित्वं न च परधनास्वादनसुखम्
ज्ञ श्रूयन्ते ।

तथापि कर्तव्याकर्तव्ययोः (विधिनिषेधयोः) विवेकं बुद्धावुपस्थाप्य हितमुपदिशन्ति । यद्यपि मौनं, क्लैब्यं, प्राणत्यागो, भिक्षाशित्वं च कर्तव्यत्वेन स्वीकर्तुं न शक्यन्ते तथापि अनृतोक्तापेक्षया मौनं परकलत्राभिगमनापेक्षया क्लैब्यं, पिशुनवाक्येषु अभिरुच्यपेक्षया प्राणत्यागः, परधनास्वादनसुखापेक्षया भिक्षाशित्वं च वरमिति प्रोच्य कृतो हितोपदेशो मार्गदर्शी भवति ।

यद्यपि मौन नपुंसकता प्राणत्याग भिक्षावृत्ति ये सब ग्रहण करने योग्य नहीं हैं तथापि असत्यकथन की अपेक्षा मौन परस्त्रीगमन की अपेक्षा नपुंसकता अन्यों के कटु वचनों के श्रवण की अपेक्षा प्राणत्याग श्रेष्ठ है।

#Subhashitam
जन्तुरक्षणम् अस्माकं कर्तव्यमेवास्ति।
प्रथमाविभक्त्यां कति शब्दाः सन्ति।
Anonymous Quiz
44%
द्वौ
31%
एकः
15%
त्रयः
11%
न सन्ति।
क्रौंच पक्षी वध से द्रवित होकर वाल्मीकि के मुंह से निकला रामायण का ये पद।
••एते रामायणश्लोकाः कौञ्चपक्षिवधेन प्रेरिताः सन्तः वाल्मीकेः मुखात् बहिर्जग्मु:।

मनुष्य ने पहली कविता कब लिखी यह बता पाना बहुत कठिन है।
••मनुष्यः कदा प्रथमं काव्यं लिखितवान् इति वक्तुं अतीव कठिनम्।

परन्तु,संस्कृत के आदि कवि वाल्मीकि के बारे में कहा जाता है कि प्रथम काव्याभिव्यक्ति उन्हीं के स्वर से हुई है।
••परन्तु,संस्कृतस्य आदिकवे: वाल्मीके: विषये कथ्यते यत् प्रथमा काव्याभिव्यक्ति: तस्यैव मुखोच्चारणात् बभूव।

रामायण में सारस जैसे एक क्रौंच पक्षी का वर्णन भी आता है।
••रामायणे सारसवत् एकस्य क्रौञ्चपक्षिण: वर्णनमपि लभ्यते।

भारद्वाज मुनि और ऋषि वाल्मीकि क्रौंच पक्षी के वध के समय तमसा नदी के तट पर थे।
••भारद्वाज: मुनि: वाल्मीकि: ऋषि: च क्रौञ्चपक्षिण: वधकाले तमसानद्या: तटे आस्ताम् (बभूवतु:)।

भगवान् श्रीराम के समय के ही ऋषि थे वाल्मीकि।
••वाल्मीकि: भगवत: श्रीरामस्य समकालीन: ऋषि: बभूव।

उन्होंने रामायण तब लिखी जब रावण-वध के बाद राम का राज्याभिषेक हो चुका था।
••स तदा रामायणं लिलेख यदा रावणवधानन्तरं रामस्य राज्याभिषेक: बभूव।

वे रामायण लिखने के लिए सोच रहे थे और विचार-विमर्श कर रहे थे लेकिन उनको कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।
••स रामायणं लेखितुं चिनन्तयामास विचारविमर्शं च चकार,परन्तु स किमपि अवगन्तुं स्वयम् अशक्तो अनुबभूव।

तब एक दिन सुबह गंगा के पास बहने वाली तमसा नदी के एक अत्यंत निर्मल जल वाले तीर्थ पर मुनि वाल्मीकि अपने शिष्य भारद्वाज के साथ स्नान के लिए गए।
••तदा एकस्मिन् दिने प्रात:काले गङ्गानदीं निकषा प्रवहन्त्या: तमसानद्या: एकस्मिन् अतीव निर्मलजले तीर्थे मुनि: वाल्मीकि: स्वशिष्येण भारद्वाजेन सह स्नातुं जगाम।

वहां नदी के किनारे पेड़ पर क्रौंच पक्षी का एक जोड़ा अपने में मग्न था, तभी व्याध ने इस जोड़े में से नर क्रौंच को अपने बाण से मार गिराया।
••तत्र नदीतटे वृक्षे क्रौंचपक्षियुगलम् आत्मन्येव निगमग्नं बभूव तदैव व्याध: अस्य युगलस्य नरक्रौञ्चं स्वबाणेन जघान।

रोती हुई मादा क्रौंच भयानक विलाप करने लगी।
••रुदन्ती क्रौञ्चा भयंकरं विलपितुमारेभे।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
युवती -( पयोहिमविक्रेतारम् उद्दिश्य) भोः भ्रातः! मह्यं दशरूप्यकात्मकं पयोहिमं ददातु।
विक्रेता - अस्तु भगिनि! स्वीकरोतु एतत् पयोहिमम्।
युवती -आम्, समीचीनम्! एतस्य मूल्यं किम्?
विक्रेता - विंशतिः रूप्यकाणि।
युवती- अस्तु भ्रातः! (स्यूतात् विंशतिः रूप्यकाणि निष्कास्य) स्वीकरोतु।

#hasya
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩युगाब्द-५१२५
🌥 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅️ 🚩तिथि - पूर्णिमा शाम 05:08 तक तत्पश्चात प्रतिपदा

⛅️ दिनांक - 03 जुलाई 2023
⛅️ दिन - सोमवार
⛅️ शक संवत् - 1945
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - वर्षा
⛅️ मास - आषाढ़
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - मूल सुबह 11:12 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा
⛅️ योग - ब्रह्म दोपहर 03:45 तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅️ राहु काल - सुबह 07:40 से 09:21 तक
⛅️ सूर्योदय - 05:58
⛅️ सूर्यास्त - 07:29
⛅️ दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅️ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:16 तक*
🍃दुयतं पुस्तकवाद्ये च नाटकेषु च सक्तिता ।
स्त्रियस्तन्द्रा च निन्द्रा च विद्याविघ्नकराणि षट्
।।

🔆 अक्षक्रीडा वाद्यं नाटकं (चलचित्राणि) महिलासु पुरुषेषु वा आसक्तिः आलस्यः निद्रा एते षड्गुणाः विद्यार्थिनः विद्याप्राप्त्यां क्लेशान् उत्पादयन्ति।

जुआ, वाद्य, नाट्य (वर्तमान परिवेश में फिल्म) में आसक्ति, स्त्री (या पुरुष) में आसक्ति, तंद्रा, और निंद्रा – ये छः विद्या प्राप्ति में विघ्न होते हैं ।

#Subhashitam
भययोगे का विभक्तिः भवति।
Anonymous Quiz
61%
पञ्चमी
21%
तृतीया
8%
द्वितीया
10%
षष्ठी
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
क्रौंच पक्षी वध से द्रवित होकर वाल्मीकि के मुंह से निकला रामायण का ये पद। ••एते रामायणश्लोकाः कौञ्चपक्षिवधेन प्रेरिताः सन्तः वाल्मीकेः मुखात् बहिर्जग्मु:। मनुष्य ने पहली कविता कब लिखी यह बता पाना बहुत कठिन है। ••मनुष्यः कदा प्रथमं काव्यं लिखितवान् इति वक्तुं…
इस हृदयविदारक घटना को देखकर वाल्मीकि का हृदय इतना द्रवित हुआ कि उनके मुख से अचानक श्लोक फूट पड़ा-
••एनं हृदयविदारकं प्रसङ्गं दृष्ट्वा वाल्मीके: हृदयं एतावत् भावविह्वलं बभूव यत् तस्य मुखात् सहसा श्लोकः प्रस्फुटित: बभूव -

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम्।।
••अर्थ -(निषाद) हे निषाद !(त्वम्) तुमको(शाश्वती: समा:) अनंत काल तक (प्रतिष्ठा)शांति (अगम:) न मिले, (यत्)क्योकि(त्वम्) तुमने (मिथुनात् काममोहितं एकं क्रौञ्चं)प्रेम और प्रणय-क्रिया में लीन असावधान क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक की(अवधी:) बिना अपराध के ही हत्या कर दी।

यदा गुरु: वाल्मीकि: भारद्वाजं कथयाञ्चकार यत्
पादबद्धोक्षरसम: तन्त्रीलयसमन्वित:।
शोकार्तस्य प्रवृत्तो मे श्लोको भवतु नान्यथा।।
••(शोकप्रवृत्ते आर्तस्य)शोक मे डूबे हुए दुखी व्यक्ति के लिए (मे श्लोक:) मेरा श्लोक(तन्त्रीलयसमन्वित: भवतु) वीणा के लय पर गाने योग्य है और (नान्यथा) दूसरों के लिए नहीं।

करुणा में से काव्य का उदय हो चुका था जो वैदिक काव्य की शैली, भाषा और भाव से एकदम अलग था, नया था और इसीलिए वाल्मीकि को ब्रह्मा का आशीर्वाद मिला कि तुमने काव्य रचा है, तुम आदिकवि हो, अपनी इसी श्लोक शैली में रामकथा लिखना।
••करुणाया: काव्यम् उद्भुतं बभूव यत् वैदिककाव्यस्य शैल्या: भाषाया: भावात् च सर्वथा पृथक् नूतनं च बभूव एवञ्च अत एव ब्रह्म: वाल्मीकिने आशीर्वादं ददौ यत् त्वं काव्यं रचितवान्, त्वम् आदिकवि: असि,अस्यामेव निजश्लोकशैल्यां रामकथां रचय।

यावत् स्थास्यन्ति गिरय: सरितश्च महीतले।
तावद्रामायणकथा लोकेषु प्रचरिष्यति।।
••(यावत् )जब तक (महीतले)पृथ्वी पर (गिरय: लरितश्च)पहाड़ और नदियां (स्थास्यन्ति)रहेगी (तावत् रामायणकथा) रामायण की कथाएं (लोकेषु)दुनिया में हर जगह (प्रचरिष्यति)लोकप्रिय रहेगी।

वाल्मीकि जब अपनी ओर से रामायण की रचना पूरी कर चुके थे तब राम द्वारा त्यागी गयी और गर्भिणी सीता भटकती हुई उनके आश्रम में आ पहुंची।
••यदा वाल्मीकि: स्वपक्षत: रामायणस्य रचनां चकार तदा रामेण परित्यक्ता गर्भवती च सीता भ्रमन्ती तस्याश्रमे सम्प्राप्ता बभूव।

बेटी की तरह सीता को उन्होंने अपने आश्रय में रखा।
••पुत्री इव सीतां स स्वाश्रमे स्थापितवान् (स्थापयञ्चकार)।

वहां सीता ने दो जुड़वां बेटों लव और कुश को जन्म दिया।
••तत्र सीता द्वौ युगलपुत्रौ लवकुशौ जनितवती (जजान)।

दोनों बच्चों को वाल्मीकि ने शास्त्र के साथ ही शस्त्र की शिक्षा प्रदान की।
••शास्त्रैः सह वाल्मीकिः उभाभ्यां बालकाभ्यां शस्त्रशिक्षां दत्तवान् (ददौ)।

इन्हीं दोनों बच्चों को मुनि ने अपनी लिखी रामकथा याद कराई जो उन्होंने सीता के आने के बाद फिर से लिखनी शुरू की थी और उसे नाम दिया-उत्तरकांड।
••मुनिः एताभ्यां बालकाभ्यां स्वेन लिखिताया: रामस्य कथाया:
स्मरणं कारितवान् (चिचिकर्ष) यस्या: स सीतायाः आगमनानन्तरं पुनर्लेखनमारब्धवान् आसीत् (पुनर्लेखनमारेभे) स च तस्याः नामकरणं कृतवान्(चकार)- उत्तरकाण्ड:।

उसी रामकथा को कुश और लव ने राम के दरबार में अश्वमेघ यज्ञ के अवसर पर सम्पूर्ण रूप से सुनाया था।
••लव: कुश: च रामदरबारे अश्वमेघयज्ञावसरे तमेव सम्पूर्णरामायणं शुशुश्रूषतु:(श्रावितवन्तौ आस्ताम्)

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
He-hi
Me-hello
He- Bhai Ghar baithe paisa kaise kamayen
Me- Ghar bech do bahut paisa milega🤤

#hasya
Namstey
Join 1st level Sanskrit language Class on 04:00 PM
From 04th jul to 27th jul 2023
Google Meet Link- https://meet.google.com/shg-fyyf-zqg
Join Whatsapp Group -https://chat.whatsapp.com/HoW1ACdguOkF0KqbOwbzeO
Contact your Sanskrit Trainer Name-shivpratap
No.7307031201,9695196020
E.Mail- ratneshmishra921@gmail.Com
From - Up Sanskrit Sansthan Lucknow
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - प्रतिपदा दोपहर 01:38 तक तत्पश्चात द्वितीया

दिनांक - 04 जुलाई 2023
दिन - मंगलवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - श्रावण
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा सुबह 08:25 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा
योग - इन्द्र सुबह 11:50 तक तत्पश्चात वैधृति
राहु काल - शाम 04:07 से 05:48 तक
सूर्योदय - 05:59
सूर्यास्त - 07:29
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:35 से 05:17 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:05 तक
व्रत पर्व विवरण - श्रावण मासारम्भ, विद्यालाभ योग