संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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पुत्री। अम्ब मम मित्राणि आगतानि सन्ति परिचयं कारयानि आगच्छ।
पुत्री। माँ मेरे मित्र आए हैं परिचय कराता हूँ आओ।

माता। सर्वेभ्यः नमस्कारः।
माता। सभी को नमस्कार।

पुत्री। एषः रमेशः। एतस्य पिता वित्तकोशे कर्म करोति।
पुत्री। यह रमेश है इसके पिता बैंक में काम करते हैं।

माता। अत्र स्नेहा का।
माता। यहा स्नेहा कौन।

पुत्री। सा नागतवती। तस्याः अम्बायाः अस्वास्थ्यम् अस्ति एषा दिव्या अस्माकं गृहस्य समीपे एक वसति।
पुत्री। वह नहीं आई। उसकी माँ अस्वस्थ है। यह हमारे घर के पास रहती है।

माता। एतस्या अम्बाम् अहं जानामि। सा प्रतिदिनं राघवेन्द्रमन्दिरम् आगच्छति।
माता। इसकी माँ को मैं जानती हूँ। वह प्रतिदिन राघवेन्द्र मन्दिर आती है।

पुत्री। एषः आनन्दः। सर्वदा सदा आनन्दयति। कक्ष्यायाम् अपि सर्वत्र प्रथमं स्थानं प्राप्नोति।
पुत्री। यह आनन्द है। हमेशा खुश रहता है। कक्षा में भी हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त करता है।

माता। तं किरणं जानामि। किरण कथं मौनेन स्थितवान् भवान्।
माता। किरण को जानती हूँ किरण क्यों आप चुप बैठे हो।

किरणः। मम किंचित् शिरोवेदना।
किरण। मेरे सिर में थोड़ा दर्द है।

पुत्री। एषा मंगला एषा राधा एषा रोहिणी एषा कविता सा ज्योतिः।
पुत्री। यह मंगला है यह राधा है यह रोहिणी है यह कविता है वह ज्योति है।

माता। सः कः भोः। अन्ते उपविष्टवान्।
माता। वह कौन है अन्त में बैठा है।

पुत्री। तस्य परिचयं वदामि कुतः त्वरा। सः एव अस्माकं मुख्यशिक्षकस्य पुत्रः गोपालः अस्माकं गणप्रमुखः। तस्य गुणकीर्तनं कर्तुम् एकं दिनं न पर्याप्तम्।
पुत्री। उसका परिचय बताती हूँ जल्दी क्या है। वह हमारे मुख्य शिक्षक का पुत्र गोपाल है। हमारा गणप्रमुख कैप्टन है उसकी बड़ाई करने के लिए एक दिन पर्याप्त नहीं है।

माता। अलम् अतिविस्तरेण।
माता। बस ठीक है।

पुत्री। अम्ब भवती केवलं वचनेन एव मम मित्राणि प्रेषयिष्यति उत किमपि खादितुं दास्यति।
पुत्री। माँ आप केवल बोल कर ही मेरे मित्रों के भेज दोगी या कुछ खाने के लिए भी दोगी।

माता। अस्तु भवती अस्माकं गृहं दर्शयतु तावत् अहं खाद्यं सज्जीकरिष्यामि।
माता। ठीक है आप हमारा घर दिखाओ तब तक मैं नाश्ता तैयार करती हूँ।

पुत्री। मित्राणि एषा मम माता अन्नपूर्णा। साक्षात् अन्न पूर्णेश्वरी। आगच्छतं गृहं सर्वं दर्शयामि। एषः मम अध्ययनप्रकोष्ठः एषा पाकशाला दूरतः एव पश्यत यतः अन्तः प्रवेशः अनुमतिं विना नास्ति। एतत् प्रार्थनामन्दिरम्। वयं सर्वे प्रातः सायं च मिलित्वां प्रार्थनां कुर्मः। एषः विशालः सभामण्डपः। अत्रैव विशेषदिनेषु कार्यक्रमः भवति। एवम् अस्माकं लघु गृहं सुव्यवस्थितगृहम्। आगच्छत उपाहारं स्वीकुर्मः।
पुत्री। मित्रों यह मेरी माता साक्षात् अन्नपूर्णा है। हाँ अन्नपूर्णेश्वरी। आओ पूरा घर दिखाती हूँ यह मेरा पढ़ाई का कमरा है। यह रसोई है दूर से ही देखो क्योंकि अन्दर बिना अनुमति के प्रवेश नहीं है। यह पूजन कक्ष है। हम सब मिलकर सुबह शाम प्रार्थना करते है यह विशाल सभामण्डप है। यहाँ विशेष दिनों में कार्यक्रम होता है इस प्रकार यह हमारा छोटा सा व्यवस्थित घर है आओ स्वल्पाहार ग्रहण करते है।

#vakyabhyas #samvadah
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वैद्यः रुग्णमुक्तवान् - "अधिकं मा खादतु। एका रोटिका पर्याप्ता' इति।

#hasya
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩युगाब्द-५१२५
🌥 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅️ 🚩तिथि - सप्तमी दोपहर 02:01 तक तत्पश्चात अष्टमी

⛅️दिनांक - 10 जून 2023
⛅️दिन - शनिवार
⛅️विक्रम संवत् - 2080
⛅️शक संवत् - 1945
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - आषाढ़ (गुजरात, महाराष्ट्र में ज्येष्ठ)
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - शतभिषा दोपहर 03:39 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
⛅️योग - विष्कम्भ दोपहर 12:49 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅️राहु काल - सुबह 09:16 से 10:58 तक
⛅️सूर्योदय - 05:53
⛅️सूर्यास्त - 07:25
⛅️दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🍃अति सर्वत्र वर्जयेत्
अति को सर्वत्र त्यागना चाहिए।

#Quote
🍃अधीरः कर्कशः स्तब्ध: कुचेल: स्वयमागतः।
एते पञ्च न पूज्यन्ते बृहस्पतिसमा यदि
।।

🔆 यस्मिन् धैर्यं न भवति यः कठोरः स्वभावी भवति यः आलस्ये पतितः यश्च मलिनानि वस्त्राणि धरति तथा यः अनाहूतः अपि स्वयमेवागच्छति एतेषां पूजनं न कदापि भवति भवन्तु नाम ते बृहस्पतिसमाः।

धैर्यहीन, कठोर, आलसी, गंदे कपड़े पहने हुए और बिन बुलाए मेहमान - ऐसे पांच लोग बुद्धि व विद्या में बृहस्पति के बराबर होने पर सम्मानित नहीं होते हैं।

#Subhashitam
श्रीकृष्णः शिवं द्रष्टुम् ऐच्छत्।
ऐच्छत् पदस्य परिचयः कः।
Anonymous Quiz
17%
इच्छ् धातुः लट्लकारः
65%
इष् धातुः लङ्लकारः
6%
ऐच्छ् धातुः लट्लकारः
11%
एष् धातुः लुङ्लकारः
प्रमोदः। नमस्ते श्रीकान्त। आगच्छ उपविश।
प्रमोद। श्रीकान्त नमस्कार। आओ बैठो।

श्रीकान्तः। संस्कृतपाठः प्रचलति किम्। एताः किं कुर्वन्ति।
श्रीकान्त। संस्कृत पाठ चल रहा है क्या। ये क्या कर रही हैं।

प्रमोदः। एताः चित्रं दृष्टवा प्रश्नान् लिखन्ति। ते अर्धकथां पूर्णां कुर्वन्ति।
प्रमोदः। ये चित्र देखकर प्रश्न लिख रही है वे आधी कथा को पूरा कर रही है।

श्रीकान्तः। एतौ कौ।
श्रीकान्त। ये दोनों कौन हैं।

प्रमोदः। एतौ मम साहय्यं कुरुतः। एते बालिके सुन्दरतया लिखतः।
प्रमोद। ये दोनों मेरी सहायता कर रही हैं ये दोनों अच्छा लिखती है।

श्रीकान्तः। भो बालकाः सुन्दरं लिखन्तु। त्वरा मास्तु।
श्रीकान्त। बच्चों अच्छा लिखो जल्दी नहीं है।

प्रमोदः। ते चित्रं दृष्टवा सम्भाषणं लिखतः। तौ एकां कथां लिखतः। ताः बालिकाः पदबन्धान् रचयन्ति। एते बालकाः प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखन्ति।
प्रमोद। वे दोनों चित्र को देखकर सम्भाषण लिख रही है। वे दोनों एक कहानी लिख रहे हैं वे बालिकाएँ निबन्ध लिख रही है ये बालक प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।

श्रीकान्तः। अन्ते उपविष्टवन्तौ तौ किं कुरुतः। युवां कि कुरुथः।
श्रीकान्त। अन्तिम में बैठे हुए वे दोनों क्या कर रहे हैं तुम दोनों क्या कर रहे हो।

छात्रौ। आवां चित्रे वर्णं योजयावः।
छात्र। हम दोनों चित्रों में रंग भर रहे हैं।

प्रमोद। भोः छायाः। यूयं शीघ्रं समापयथ। इदानीं क्रीडा अस्ति।
प्रमोद। बच्चों तुम जल्दी कार्य समाप्त करो। इस समय खेल होने वाला है।

छात्राः। वयं शीघ्रं शीघ्रं लिखामः आचार्य।
छात्रगण। आचार्यजी हम शीघ्र लिख रहे हैं।

#vakyabhyas #samvadah
वार्षिकोत्सवः

पुत्री। अम्ब महती बुभुक्षा अस्ति।
माता। सुधे किमर्थं त्वरा।
पुत्री। मम विद्यालये वार्षिकोत्सवः अस्ति। तत्र नाटकं गीतं नृत्यं भाषणम् इत्यादि कार्यक्रमाः सन्ति।
माता। त्वं वार्षिकोत्सवे किं करोषि।
पुत्री। वृन्दगाने अहम् अस्मि। मम सखी नृत्ये अस्ति। बालकाः केवलं नाटके सन्ति। वयं बालिकाः पुनः रज्जुक्रीडायाम् अपि स्मः। द्वौ बालकौ विनोदनाटके स्तः।
माता। निपुणा खलु मम पुत्री।
सखी। सुधे कुत्र असि।
पुत्री। अत्र अस्मि। वद।
सखी। त्वं अद्य कदा विद्यालयं गमिष्यसि।
पुत्री। किमर्थम्। त्वम् अपि आगमिष्यसि किम्।
माता। युवां युगपत् कस्मिन्नपि कार्यक्रमे न स्थः किम्।
पुत्री। आवां द्वे अपि वृन्दगाने रज्जुक्रीडायां च स्वः।
पिता। पुत्रि किं करोषि युगपत्।
माता। अद्य पुत्र्याः विद्यालये वार्षिकोत्सवः अस्ति। वयं शीघ्रं गत्वा पुरतः उपविशामः।

#samvadah
हास्यम्।
अकबरः - भोः सेनापते! वयं किमर्थम् अनारकलीम् अन्विष्य न प्राप्नुमः?
सेनापतिः - महाराज! वयं मुगलाः स्मः न तु गूगलाः? 😀

#hasya
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 11 जून 2023*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - आषाढ़ (गुजरात, महाराष्ट्र में ज्येष्ठ)*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अष्टमी दोपहर 12:05 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद दोपहर 02:32 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद*
*योग - प्रीति सुबह 10:11 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*राहु काल - शाम 05:44 से 07:25 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:25*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:00 तक*
🍃अतिभक्तिः चोरलक्षणम्‌
अति-भक्ति चोर का लक्षण है ।

#Quote
🍃उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम्!
तडागोदर-संस्थानां परीवाह इवाम्भसाम्
।।

🔆 यथा तडागस्य जलं तदैव शुद्धं तिष्ठति यदा तस्य परिवर्तनं निरन्तरं भवति अर्थात् प्रवाहः सदा भवति तथैव अर्जितस्य वित्तस्य त्यागः (सत्कार्येषु) एव तस्य रक्षणस्योपायः भवति।

चाणक्यनीति:

उपार्जित धन का सत्पात्र में त्याग ही उसकी रक्षा है,जैसे जलाशय में स्थित जलों का बहाव ही उनकी रक्षा करता है।

#Subhashitam