21. राजा युगपत् बहुभिररिभिर्न युध्येत्, यतः समवेताभिर्बह्नीभिः पिपीलिकाभिः बलवानपि सर्पः विनाश्यते।
- राजा एक साथ बहुत से शत्रुओं से न लड़े, क्योंकि बहुत सारी चीटियों से साँप भी मारा जाता है।
22. प्राज्ञो हि स्वकार्यसम्पादनाय रिपूनपि स्वस्कन्धेन वहेत्। मानवाः दहनार्थमेव शिरसा काष्ठानि वहन्ति।
- बुद्धिमान् अपने स्वार्थ के लिए शत्रुओं को भी अपने कन्धे पर ले जाय। मनुष्य जलाने के लिए ही सिर पर लकड़ियों को उठाते हैं।
23. कियत्कालम् उत्सवोऽयं स्थास्यति? अपि जानासि अत्र का किंवदन्ती?
- कितनी देर तक यह उत्सव रहेगा? तुम्हें इसकी कहानी के बारे में पता है?
24. तद् भीषणं दृश्यमवलोक्य तस्याः पाणिपादं कम्पितुमारेभे।
- उस भीषण दृश्य को देखकर उसके हाथ पैर काँपने लगे।
25. तेषां कांश्चिद् दोषानन्तरेणापि ते सन्देहास्पदं बभूवुः।
- उनका कोई दोष न होने पर भी उन पर सन्देह बना ही रहा।
26. मुहूर्तेन धारासारैर्महती वृष्टिबर्भूव। नभश्च जलधरपटलैरावृतम्।
- क्षण भर में मूसलाधार वर्षा होने लगी और आसमान बादलों से घिर गया।
27. सचचिवो राजपुत्रः सरस्तीरे विशालं महीरुहम पश्यत्, अगणिता यस्य शाखा भुजवत् प्रतिभान्ति स्म।
- मन्त्रियों के साथ राजकुमार ने सरोवर के किनारे एक बहुत बड़े पेड़ को देखा, जिसकी शाखाएं भुजाओं की तरह दिखाई देतीं थीं।
28. न हि संहरते ज्योत्स्नां चन्द्रश्चाण्डावलेश्मनः।
- चन्द्रमा चाण्डाल के घर से चांदनी को नहीं हटाता।
29. ये समुदाचारमुच्चरन्ते तेऽवगीयन्ते।
- जो शिष्टाचार की सीमा लांघते हैं वे निन्दित हो जाते हैं।
30. राजा महीपालः हस्तिनमारुह्य बहूनि वनानि भ्रमित्वा स्वमेव द्वीपं प्रतिगच्छति स्म।
- राजा महीपाल हाथी पर चढ़कर बहुत सारे वनों में घूमता हुआ अपने राज्य में लौट रहा था।
#Vakyabhyas
- राजा एक साथ बहुत से शत्रुओं से न लड़े, क्योंकि बहुत सारी चीटियों से साँप भी मारा जाता है।
22. प्राज्ञो हि स्वकार्यसम्पादनाय रिपूनपि स्वस्कन्धेन वहेत्। मानवाः दहनार्थमेव शिरसा काष्ठानि वहन्ति।
- बुद्धिमान् अपने स्वार्थ के लिए शत्रुओं को भी अपने कन्धे पर ले जाय। मनुष्य जलाने के लिए ही सिर पर लकड़ियों को उठाते हैं।
23. कियत्कालम् उत्सवोऽयं स्थास्यति? अपि जानासि अत्र का किंवदन्ती?
- कितनी देर तक यह उत्सव रहेगा? तुम्हें इसकी कहानी के बारे में पता है?
24. तद् भीषणं दृश्यमवलोक्य तस्याः पाणिपादं कम्पितुमारेभे।
- उस भीषण दृश्य को देखकर उसके हाथ पैर काँपने लगे।
25. तेषां कांश्चिद् दोषानन्तरेणापि ते सन्देहास्पदं बभूवुः।
- उनका कोई दोष न होने पर भी उन पर सन्देह बना ही रहा।
26. मुहूर्तेन धारासारैर्महती वृष्टिबर्भूव। नभश्च जलधरपटलैरावृतम्।
- क्षण भर में मूसलाधार वर्षा होने लगी और आसमान बादलों से घिर गया।
27. सचचिवो राजपुत्रः सरस्तीरे विशालं महीरुहम पश्यत्, अगणिता यस्य शाखा भुजवत् प्रतिभान्ति स्म।
- मन्त्रियों के साथ राजकुमार ने सरोवर के किनारे एक बहुत बड़े पेड़ को देखा, जिसकी शाखाएं भुजाओं की तरह दिखाई देतीं थीं।
28. न हि संहरते ज्योत्स्नां चन्द्रश्चाण्डावलेश्मनः।
- चन्द्रमा चाण्डाल के घर से चांदनी को नहीं हटाता।
29. ये समुदाचारमुच्चरन्ते तेऽवगीयन्ते।
- जो शिष्टाचार की सीमा लांघते हैं वे निन्दित हो जाते हैं।
30. राजा महीपालः हस्तिनमारुह्य बहूनि वनानि भ्रमित्वा स्वमेव द्वीपं प्रतिगच्छति स्म।
- राजा महीपाल हाथी पर चढ़कर बहुत सारे वनों में घूमता हुआ अपने राज्य में लौट रहा था।
#Vakyabhyas
मन्त्रज्ञमन्त्रविनियोजितधर्मदण्डं
तन्त्रज्ञतन्त्रविधिनार्जितराज्यदण्डम्।
यन्त्रज्ञयन्त्रबलभूतमभेद्यदण्डं
दण्डं दधीत बलहीनबलं नरेन्द्रः॥
मन्त्रज्ञों के मन्त्र से नियोजित, तन्त्रज्ञों के तन्त्र से अर्जित, यंत्रज्ञों के यन्त्र से उत्पन्न, व अबलों के बल दण्ड को नरेन्द्र धारण करे।
~कुशाग्रानिकेतः
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩युगाब्द-५१२५
🌥 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅️ 🚩तिथि - दशमी दोपहर 01:07 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️दिनांक - 30 मई 2023
⛅️दिन - मंगलवार
⛅️शक संवत् - 1945
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - हस्त पूर्ण रात्रि तक
⛅️योग - सिद्धि रात्रि 08:55 तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅️राहु काल - शाम 03:49 से 05:40 तक
⛅️सूर्योदय - 05:54
⛅️सूर्यास्त - 07:20
⛅️दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩युगाब्द-५१२५
🌥 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅️ 🚩तिथि - दशमी दोपहर 01:07 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅️दिनांक - 30 मई 2023
⛅️दिन - मंगलवार
⛅️शक संवत् - 1945
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - हस्त पूर्ण रात्रि तक
⛅️योग - सिद्धि रात्रि 08:55 तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅️राहु काल - शाम 03:49 से 05:40 तक
⛅️सूर्योदय - 05:54
⛅️सूर्यास्त - 07:20
⛅️दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/sYw1HNS9Les
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | News in Sanskrit
🌺
⚜एक नीच जाति का व्यक्ति भी यदि वह विद्वान हो तो समाज में देवताओं के समान पूजनीय होता है।
#Quote
अकुलीनोऽपि विद्यावान् देवैरपि सुपूज्यते।
⚜एक नीच जाति का व्यक्ति भी यदि वह विद्वान हो तो समाज में देवताओं के समान पूजनीय होता है।
#Quote
🍃स जीवति गुणा यस्य धर्म स जीवति।
गुण धर्म विहीनस्य जीवितं निष्प्रयोजनम्।।
🔆 लोके यः गुणी धार्मिकः च अस्ति सः एव जीवति यः गुणानां विहाय अधर्मेण जीवति तस्य जीवनं तु निरर्थकम् एव
⚜जिसमे गुण हैं, धर्म है, वही व्यक्ति जीवित है, जिसमें गुण और धर्म नहीं हैं ऐसे मनुष्य का जीवन व्यर्थ है|
#Subhashitam
गुण धर्म विहीनस्य जीवितं निष्प्रयोजनम्।।
🔆 लोके यः गुणी धार्मिकः च अस्ति सः एव जीवति यः गुणानां विहाय अधर्मेण जीवति तस्य जीवनं तु निरर्थकम् एव
⚜जिसमे गुण हैं, धर्म है, वही व्यक्ति जीवित है, जिसमें गुण और धर्म नहीं हैं ऐसे मनुष्य का जीवन व्यर्थ है|
#Subhashitam
31. यदाहं तव भाषितं परिभावयामि तदा नात्र बहुगुणं विभावयामि।
- जब मै तुम्हारे भाषण पर विचार करता हूँ तब उसमें मुझे अधिक गुण नहीं दिखाई देते।
32. अचिरमेव स वियोगव्यथाम् अनुभविष्यति।
- वह शीघ्र ही वियोग की पीड़ा का अनुभव करेगा।
33. युक्तमेव कथयति भवान् नाहं भवतस्तर्के दोषं विभावयामि।
- तुम ठीक कह रहे हो, तुम्हारी दलील में मुझे कोई दोष दिखाई नहीं देता है।
34. ये शरीरस्थान् रिपून् अधिकुर्वते ते नाम जयिनः।
- जो शरीरिक शत्रुओं को वश में कर लेते हैं वे ही विजेता है।
35. विद्या सर्वेषु धनेषु श्रेष्ठमस्ति यतो हि विद्यैव व्यये कृते वर्धते। अन्यद् धनं व्यये कृते क्षयं प्राप्नोति।
- विद्या ही सभी धनों में श्रेष्ठ है क्योंकि विद्या ही सभी धनों में श्रेष्ठ है क्योंकि विद्या ही व्यय करने पर बढ़ती है। दूसरा धन तो व्यय करने पर नष्ट होता है।
36. महात्मनो गांधिमहोदयस्य संरक्षणे अहिंसा शस्त्रेणैव भारतवर्षं पराधीनतापाशं छित्वा स्वतन्त्रतामलभत।
- महात्मा गांधी महोदय के संरक्षण में अहिंसा के हथियार से ही भारत ने गुलामी के बन्धन को तोड़कर आजादी पाई।
37. ब्रह्मचर्य वेदेऽपि महिमा वर्णितोऽस्ति यद् ब्रह्मचर्यस्य सदाचारस्य वा महिम्ना देवा मृत्युमपि स्ववशेऽकुर्वन।
- वेद में भी ब्रह्मचर्य की महिमा वर्णित है देवों ने मृत्यु को भी अपने वश में कर लिया।
38. गुरुभक्त्यैव आरुणिः ब्रह्मज्ञः सञ्जातः, एकलव्यश्च महाधनुर्धरो जातः।
- गुरु भक्ति से ही आरुणि ब्रह्मज्ञानी हो गया और एकलव्य महान् धनुर्धर हुआ।
39. आविर्भूते शशिनि अन्धकारस्तिरोऽभूत्।
- चन्द्रमा के निकलने पर अंधकार दूर हो गया।
40. अयं मल्लः अन्यस्मै मल्लाय प्रभवति।
- यह पहलवान दूसरे पहलवान से टक्कर ले सकता है।
#Vakyabhyas
- जब मै तुम्हारे भाषण पर विचार करता हूँ तब उसमें मुझे अधिक गुण नहीं दिखाई देते।
32. अचिरमेव स वियोगव्यथाम् अनुभविष्यति।
- वह शीघ्र ही वियोग की पीड़ा का अनुभव करेगा।
33. युक्तमेव कथयति भवान् नाहं भवतस्तर्के दोषं विभावयामि।
- तुम ठीक कह रहे हो, तुम्हारी दलील में मुझे कोई दोष दिखाई नहीं देता है।
34. ये शरीरस्थान् रिपून् अधिकुर्वते ते नाम जयिनः।
- जो शरीरिक शत्रुओं को वश में कर लेते हैं वे ही विजेता है।
35. विद्या सर्वेषु धनेषु श्रेष्ठमस्ति यतो हि विद्यैव व्यये कृते वर्धते। अन्यद् धनं व्यये कृते क्षयं प्राप्नोति।
- विद्या ही सभी धनों में श्रेष्ठ है क्योंकि विद्या ही सभी धनों में श्रेष्ठ है क्योंकि विद्या ही व्यय करने पर बढ़ती है। दूसरा धन तो व्यय करने पर नष्ट होता है।
36. महात्मनो गांधिमहोदयस्य संरक्षणे अहिंसा शस्त्रेणैव भारतवर्षं पराधीनतापाशं छित्वा स्वतन्त्रतामलभत।
- महात्मा गांधी महोदय के संरक्षण में अहिंसा के हथियार से ही भारत ने गुलामी के बन्धन को तोड़कर आजादी पाई।
37. ब्रह्मचर्य वेदेऽपि महिमा वर्णितोऽस्ति यद् ब्रह्मचर्यस्य सदाचारस्य वा महिम्ना देवा मृत्युमपि स्ववशेऽकुर्वन।
- वेद में भी ब्रह्मचर्य की महिमा वर्णित है देवों ने मृत्यु को भी अपने वश में कर लिया।
38. गुरुभक्त्यैव आरुणिः ब्रह्मज्ञः सञ्जातः, एकलव्यश्च महाधनुर्धरो जातः।
- गुरु भक्ति से ही आरुणि ब्रह्मज्ञानी हो गया और एकलव्य महान् धनुर्धर हुआ।
39. आविर्भूते शशिनि अन्धकारस्तिरोऽभूत्।
- चन्द्रमा के निकलने पर अंधकार दूर हो गया।
40. अयं मल्लः अन्यस्मै मल्लाय प्रभवति।
- यह पहलवान दूसरे पहलवान से टक्कर ले सकता है।
#Vakyabhyas
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩युगाब्द-५१२५
🌥 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी दोपहर 01:45 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️दिनांक - 31 मई 2023
⛅️दिन - बुधवार
⛅️शक संवत् - 1945
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - हस्त सुबह 06:00 तक तत्पश्चात चित्रा
⛅️योग - व्यतिपात रात्रि 08:15 तक तत्पश्चात वरियान
⛅️राहु काल - दोपहर 12:37 से 02:18 तक
⛅️सूर्योदय - 05:54
⛅️सूर्यास्त - 07:21
⛅️दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩युगाब्द-५१२५
🌥 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी दोपहर 01:45 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️दिनांक - 31 मई 2023
⛅️दिन - बुधवार
⛅️शक संवत् - 1945
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - ज्येष्ठ
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - हस्त सुबह 06:00 तक तत्पश्चात चित्रा
⛅️योग - व्यतिपात रात्रि 08:15 तक तत्पश्चात वरियान
⛅️राहु काल - दोपहर 12:37 से 02:18 तक
⛅️सूर्योदय - 05:54
⛅️सूर्यास्त - 07:21
⛅️दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
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https://youtu.be/SBVj3zq0lY8
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वार्ता: | नेपालप्रधानमन्त्रिणः भारतयात्रा
DD News 24x7 | #BreakingNews & other #LiveUpdates | News in Hindi
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News…
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🍃सत्यमेव परं मित्रं स्वीकृते सति मानवे|
सत्यमेव परं शत्रुः धिक्कृते सति मानवे।।
🔆 यदि भवान् जीवने सत्यं स्वीकरोति चेत् सः सत्यः परं श्रेष्ठं वा मित्रं भवति अन्यथा सः एव सत्यः अग्रे शत्रुवत् वर्तते
⚜यदि हम सत्य को स्वीकार करते हैं तो वह हमारा सबसे श्रेष्ठ मित्र बन जाता है, परंतु यदि हम सत्य का स्वीकार न करके धिक्कारते हैं, तो जीवन में आगे चलकर वही सत्य हमारे लिए परम शत्रु बन जाता है ।
#Subhashitam
सत्यमेव परं शत्रुः धिक्कृते सति मानवे।।
🔆 यदि भवान् जीवने सत्यं स्वीकरोति चेत् सः सत्यः परं श्रेष्ठं वा मित्रं भवति अन्यथा सः एव सत्यः अग्रे शत्रुवत् वर्तते
⚜यदि हम सत्य को स्वीकार करते हैं तो वह हमारा सबसे श्रेष्ठ मित्र बन जाता है, परंतु यदि हम सत्य का स्वीकार न करके धिक्कारते हैं, तो जीवन में आगे चलकर वही सत्य हमारे लिए परम शत्रु बन जाता है ।
#Subhashitam
अस्मद् शब्दस्य पञ्चम्याः विभक्त्याः एकवचनस्य रूपं किम्।
Anonymous Quiz
18%
अस्मात्
25%
अस्मत्
56%
मत्
1%
अहमात्