संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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शीला। हरिः ओम्। गीता अस्ति किं गृहे।
शीला। हरि ओम। गीता है क्या घर में ।

गीता। अहो शीले। किं भोः दर्शनमेव दुर्लभम्। कुत्र गतवती आसीत्।
गीता। अरे शीला। अरे तुम्हारा तो दर्शन ही दुर्लभ हो गया कहां गयी थीं।

शीला। कुत्रापि न गता अहम्। गृहे एव आसम्। पंचदशदिनेभ्यः बहूनि कार्याणि। भवती अपि न आगतवती खलु।
शीला। कहीं नहीं गयी थी मैं। घर में ही थी। पन्द्रह दिन से बहुत कार्य थे। आप भी तो नहीं आयी।

गीता। अहं मम भगिनी परिवारः मम पुत्री च तिरुपतिं गतवन्तः आस्म। तत्र अस्माकं गृहस्य पूजा आसीत्। तत्र तु जनानां सम्मर्दः एवं आसीत्। तत्सर्वं समाप्य ह्यः एव आगताः।
गीता। मैं मेरी बहन का परिवार और मेरी पुत्री तिरुपति गये थे।

शीला। मम गृहे पुरातनानि कानिचित् भग्नानि नष्टानि च वस्तूनि आसन्। तानि विक्रीय अन्यानि नूतनानि वस्तूनि आनीतवन्तः स्मः।
शीला। मेरे घर में पुराने कुछ टूटेफूटे सामान थे उन्हें बेच कर अन्य नए सामान ले आये।

गीता। तद्दिने आपणगमनसमये मार्गे भवत्याः पुत्रः मिलितवान् आसीत्। सः उक्तवान् माम् मम गृहे बहूनि कार्याणि इति।
गीता। कुछ दिन पहले दुकान जाते समय रास्ते में आपका पुत्र मिला था। वह बोला कि मेरे घर में बहुत कार्य हैं।

शीला। स्वीकरोतु प्रसादम्। सुशीला अपि नास्ति नगरे इति मन्ये।
शीला। प्रसाद स्वीकार करे ं मुझे लगता है। सुशीला भी नगर में नहीं है।

गीता। सा तु नगरे एव अस्ति। सा मम गृहम् आगता आसीत्।
गीता। वह नगर में ही है। कल ही मेरे घर आई थी।

गीता। एवम्। आगच्छतु सा सम्यक् तर्जयिष्यामि ताम्।
गीता। अच्छा। आने दो अच्छे से उसे डाटूंगी उसको।

गीता। अहम् आगच्छामि। अद्य मम गृहं प्रति माता आगच्छति। सा षड्दिनानि तत्रैव वासं करिष्यति। अतः सप्ताहं यावत् नागच्छामि।
गीता। मैं आती हूँ आज मेरे घर में माँ आ रही है। वह छह दिन तक यहीं रहेगीं। इसी लिए एक सप्ताह मैं नहीं आऊँगी।

शीला। तिष्ठतु भोः। सर्वदा भवत्याः त्वरा। किंचित् तिष्ठतु।
शीला। रूको हमेशा तुम्हे जल्दी रहती है थोड़ा रूको।

गीता। नैव भवती अन्यथा मा चिन्तयतु। आगच्छामि पुनः।
गीता। नहीं आप अन्यथा चिन्ता मत करो मैं फिर आती हूँ।

शीला। अस्तु तर्हि पुनर्मिलावः।
शीला। ठीक है। फिर मिलेगें।

#vakyabhyas #samvadah
माता। गोविन्द किं करोषि त्वम्।
माता। गोविन्द तुम क्या कर रहे हो।

गोविन्दः। पाठं पठामि अम्ब।
गोविन्द। पाठ पठ रहा हूँ माँ।

माता। वत्स आपणं गत्वा प्रत्यागमिष्यसि किम्।
माता। पुत्र दुकान जाकर आओगे क्या।

गोविन्दः। अम्ब शीघ्रं लिखित्वा गच्छामि। ।
गोविन्द। माँ शीघ्र लिख कर जाता हूँ। वहाँ से क्या लाना है।

माता। वत्स आपणं गत्वा लवणं शर्करां शालिं गुडं दालं च आनय।
माता। पुत्र दुकान जाकर नमक शक्कर चावल गुड़ और दाल ले आओ।

गोविन्दः। भगिनीं वद अम्ब। सा किं करोति।
गोविन्द। बहन को बोल दो माँ। वह क्या कर रही है।

माता। सा अवकरं क्षिप्त्वा पात्रं प्रक्षालयति। द्रोण्यां जलं पूरयति। भूमिं वस्त्रेण भार्जयति। पुष्पाणि आनीय मालां करोति एवं तस्याः बहूनि कार्याणि सन्ति भोः।
माता। वह कचड़े को फेंक कर बर्तन धो रही है। बाल्टी में जल भर रही है। जमीन फर्श में पोंछा लगायेगी पुष्प लाकर माला बनायेगी उसे बहुत कार्य करना है।

गोविन्दः। ममापि पठनं बहु अस्ति।
गोविन्द। मुझे भी बहुत पढ़ना है।

माता। दशनिमेषानन्तरे आपणं गत्वा आगच्छ। अनन्तरं पाठान् पठ।
माता। दश मिनट के अन्दर दुकान जाकर आओ। उसके बाद पाठ पढ़ो।

गोविन्दः। तर्हि शीघ्रं धनं स्यूतं च देहि अम्ब।
गोविन्द। जल्दी से पैसा और झोला दे दो माँ।

माता। आगमनसमये कूर्चौ अग्निपेटिके सम्मार्जन्यौ च आनय।
माता। आते समय दो ब्रश माचिस और झाडू ले आना।

गोविन्दः। द्वौ स्यूतौ देहि धनं च अधिकं देहि चाकलेहान् अपि आनयामि।
गोविन्द। दो झोला दे दो पैसा अधिक दे दो मैं चाकलेट भी ले आऊँगा।

माता। अतः एव त्वं शीघ्रं गन्तुम् उद्युतः। स्वीकुरु।
माता। इसलिए तुम जाने के लिए तैयार है। इसे स्वीकार करो।

#vakyabhyas #samvadah
पुत्री। अम्ब मम मित्राणि आगतानि सन्ति परिचयं कारयानि आगच्छ।
पुत्री। माँ मेरे मित्र आए हैं परिचय कराता हूँ आओ।

माता। सर्वेभ्यः नमस्कारः।
माता। सभी को नमस्कार।

पुत्री। एषः रमेशः। एतस्य पिता वित्तकोशे कर्म करोति।
पुत्री। यह रमेश है इसके पिता बैंक में काम करते हैं।

माता। अत्र स्नेहा का।
माता। यहा स्नेहा कौन।

पुत्री। सा नागतवती। तस्याः अम्बायाः अस्वास्थ्यम् अस्ति एषा दिव्या अस्माकं गृहस्य समीपे एक वसति।
पुत्री। वह नहीं आई। उसकी माँ अस्वस्थ है। यह हमारे घर के पास रहती है।

माता। एतस्या अम्बाम् अहं जानामि। सा प्रतिदिनं राघवेन्द्रमन्दिरम् आगच्छति।
माता। इसकी माँ को मैं जानती हूँ। वह प्रतिदिन राघवेन्द्र मन्दिर आती है।

पुत्री। एषः आनन्दः। सर्वदा सदा आनन्दयति। कक्ष्यायाम् अपि सर्वत्र प्रथमं स्थानं प्राप्नोति।
पुत्री। यह आनन्द है। हमेशा खुश रहता है। कक्षा में भी हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त करता है।

माता। तं किरणं जानामि। किरण कथं मौनेन स्थितवान् भवान्।
माता। किरण को जानती हूँ किरण क्यों आप चुप बैठे हो।

किरणः। मम किंचित् शिरोवेदना।
किरण। मेरे सिर में थोड़ा दर्द है।

पुत्री। एषा मंगला एषा राधा एषा रोहिणी एषा कविता सा ज्योतिः।
पुत्री। यह मंगला है यह राधा है यह रोहिणी है यह कविता है वह ज्योति है।

माता। सः कः भोः। अन्ते उपविष्टवान्।
माता। वह कौन है अन्त में बैठा है।

पुत्री। तस्य परिचयं वदामि कुतः त्वरा। सः एव अस्माकं मुख्यशिक्षकस्य पुत्रः गोपालः अस्माकं गणप्रमुखः। तस्य गुणकीर्तनं कर्तुम् एकं दिनं न पर्याप्तम्।
पुत्री। उसका परिचय बताती हूँ जल्दी क्या है। वह हमारे मुख्य शिक्षक का पुत्र गोपाल है। हमारा गणप्रमुख कैप्टन है उसकी बड़ाई करने के लिए एक दिन पर्याप्त नहीं है।

माता। अलम् अतिविस्तरेण।
माता। बस ठीक है।

पुत्री। अम्ब भवती केवलं वचनेन एव मम मित्राणि प्रेषयिष्यति उत किमपि खादितुं दास्यति।
पुत्री। माँ आप केवल बोल कर ही मेरे मित्रों के भेज दोगी या कुछ खाने के लिए भी दोगी।

माता। अस्तु भवती अस्माकं गृहं दर्शयतु तावत् अहं खाद्यं सज्जीकरिष्यामि।
माता। ठीक है आप हमारा घर दिखाओ तब तक मैं नाश्ता तैयार करती हूँ।

पुत्री। मित्राणि एषा मम माता अन्नपूर्णा। साक्षात् अन्न पूर्णेश्वरी। आगच्छतं गृहं सर्वं दर्शयामि। एषः मम अध्ययनप्रकोष्ठः एषा पाकशाला दूरतः एव पश्यत यतः अन्तः प्रवेशः अनुमतिं विना नास्ति। एतत् प्रार्थनामन्दिरम्। वयं सर्वे प्रातः सायं च मिलित्वां प्रार्थनां कुर्मः। एषः विशालः सभामण्डपः। अत्रैव विशेषदिनेषु कार्यक्रमः भवति। एवम् अस्माकं लघु गृहं सुव्यवस्थितगृहम्। आगच्छत उपाहारं स्वीकुर्मः।
पुत्री। मित्रों यह मेरी माता साक्षात् अन्नपूर्णा है। हाँ अन्नपूर्णेश्वरी। आओ पूरा घर दिखाती हूँ यह मेरा पढ़ाई का कमरा है। यह रसोई है दूर से ही देखो क्योंकि अन्दर बिना अनुमति के प्रवेश नहीं है। यह पूजन कक्ष है। हम सब मिलकर सुबह शाम प्रार्थना करते है यह विशाल सभामण्डप है। यहाँ विशेष दिनों में कार्यक्रम होता है इस प्रकार यह हमारा छोटा सा व्यवस्थित घर है आओ स्वल्पाहार ग्रहण करते है।

#vakyabhyas #samvadah
प्रमोदः। नमस्ते श्रीकान्त। आगच्छ उपविश।
प्रमोद। श्रीकान्त नमस्कार। आओ बैठो।

श्रीकान्तः। संस्कृतपाठः प्रचलति किम्। एताः किं कुर्वन्ति।
श्रीकान्त। संस्कृत पाठ चल रहा है क्या। ये क्या कर रही हैं।

प्रमोदः। एताः चित्रं दृष्टवा प्रश्नान् लिखन्ति। ते अर्धकथां पूर्णां कुर्वन्ति।
प्रमोदः। ये चित्र देखकर प्रश्न लिख रही है वे आधी कथा को पूरा कर रही है।

श्रीकान्तः। एतौ कौ।
श्रीकान्त। ये दोनों कौन हैं।

प्रमोदः। एतौ मम साहय्यं कुरुतः। एते बालिके सुन्दरतया लिखतः।
प्रमोद। ये दोनों मेरी सहायता कर रही हैं ये दोनों अच्छा लिखती है।

श्रीकान्तः। भो बालकाः सुन्दरं लिखन्तु। त्वरा मास्तु।
श्रीकान्त। बच्चों अच्छा लिखो जल्दी नहीं है।

प्रमोदः। ते चित्रं दृष्टवा सम्भाषणं लिखतः। तौ एकां कथां लिखतः। ताः बालिकाः पदबन्धान् रचयन्ति। एते बालकाः प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखन्ति।
प्रमोद। वे दोनों चित्र को देखकर सम्भाषण लिख रही है। वे दोनों एक कहानी लिख रहे हैं वे बालिकाएँ निबन्ध लिख रही है ये बालक प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।

श्रीकान्तः। अन्ते उपविष्टवन्तौ तौ किं कुरुतः। युवां कि कुरुथः।
श्रीकान्त। अन्तिम में बैठे हुए वे दोनों क्या कर रहे हैं तुम दोनों क्या कर रहे हो।

छात्रौ। आवां चित्रे वर्णं योजयावः।
छात्र। हम दोनों चित्रों में रंग भर रहे हैं।

प्रमोद। भोः छायाः। यूयं शीघ्रं समापयथ। इदानीं क्रीडा अस्ति।
प्रमोद। बच्चों तुम जल्दी कार्य समाप्त करो। इस समय खेल होने वाला है।

छात्राः। वयं शीघ्रं शीघ्रं लिखामः आचार्य।
छात्रगण। आचार्यजी हम शीघ्र लिख रहे हैं।

#vakyabhyas #samvadah
वार्षिकोत्सवः

पुत्री। अम्ब महती बुभुक्षा अस्ति।
माता। सुधे किमर्थं त्वरा।
पुत्री। मम विद्यालये वार्षिकोत्सवः अस्ति। तत्र नाटकं गीतं नृत्यं भाषणम् इत्यादि कार्यक्रमाः सन्ति।
माता। त्वं वार्षिकोत्सवे किं करोषि।
पुत्री। वृन्दगाने अहम् अस्मि। मम सखी नृत्ये अस्ति। बालकाः केवलं नाटके सन्ति। वयं बालिकाः पुनः रज्जुक्रीडायाम् अपि स्मः। द्वौ बालकौ विनोदनाटके स्तः।
माता। निपुणा खलु मम पुत्री।
सखी। सुधे कुत्र असि।
पुत्री। अत्र अस्मि। वद।
सखी। त्वं अद्य कदा विद्यालयं गमिष्यसि।
पुत्री। किमर्थम्। त्वम् अपि आगमिष्यसि किम्।
माता। युवां युगपत् कस्मिन्नपि कार्यक्रमे न स्थः किम्।
पुत्री। आवां द्वे अपि वृन्दगाने रज्जुक्रीडायां च स्वः।
पिता। पुत्रि किं करोषि युगपत्।
माता। अद्य पुत्र्याः विद्यालये वार्षिकोत्सवः अस्ति। वयं शीघ्रं गत्वा पुरतः उपविशामः।

#samvadah
माता। राधे पुनीत शीघ्रम् उत्तिष्ठताम्।
माता। राधा पुनीत जल्दी उठो।

राधा। अम्ब किमर्थं शीघ्रम्। अद्य रविवासरः खलु।
राधा। माँ जल्दी क्या है। आज तो रविवार है।

माता। शीघ्रं दन्तधावनं कुरुताम्। स्नानमपि समापयताम्। अद्य जनकस्य जन्मदिनम्।
माता। जल्दी मंजन करो स्नान भी करो आज पिता का जन्मदिन है।

पुनीतः। अम्ब कः उपाहारः।
पुनीत। माँ क्या नाश्ता है।

माता। अद्य उपाहारः अनन्तरम् प्रथमं सर्वे देवालयं गच्छामः।
माता। स्वल्पाहार बाद में पहले सभी हम मन्दिर जाएंगे।

पुनीतः। अम्ब उष्णं जलं सज्जीकुरु। अहं स्नानं करिष्ये।
पुनीत। माँ गरम पानी तैयार करो मैं नहाती हूँ।

पिता। नलिनि क्षीरार्क्षं पात्रम् आनय। शीघ्रं काफीं कुरु।
पिता। नलिनी दूध के लिए बर्तन ले आओ जल्दी काफी बनाओ।

माता। भो वार्तापत्रिकाम् अनन्तरं पठ। शीघ्रं सिद्धः भव।
माता। अरे समाचार पेपर बाद में पढ़ना जल्दी तैयार हो।

राधा। अम्ब महती बुभुक्षा। क्षीरं देहि।
राधा। माँ बहुत भूख लगी है दूध दो।

माता। वत्से क्षीरं स्वीकुरु। तदनन्तरं नूतनवस्त्रं धारय।
माता। बेटी दूध लो बाद में नए कपड़े पहनो।

पुनीतः। अम्ब ममापि नूतनवस्त्रं देहि।
पुनीत। माँ मेरे भी नए कपड़े दो।

पिता। नालिनि पूजार्थं सर्वं स्वीकुरु। गच्छामः किमु।
पिता। नलिनी पूजा के लिए तैयारी करो हम चलते हैं।

माता। पुनीत राधे द्वौ अपि देवं नमस्कुरुताम्। भोः आगच्छ आवां तत्र गच्छाव।
माता। पुनीत राधा दोनों भी देवता को प्रणाम करो। आओ हम दोनों वहाँ चले।

राधा। तात घण्टा उपरि अस्ति। अहं कथं वादयामि।
राधा। पिताजी घण्टा ऊपर है मैं कैसे बजाऊँ।

पुनीतः। किंचित् कूर्दनं कुरु।
पुनीत। थोड़ा कूदो।

माता। पुनीत त्वं चेष्टां मा कुरु। सा रोदिति।
माता। पुनीतः तुम चेष्टा मत करो।

पिता। भोः अर्चक एकाम् अर्चनां कुरु।
पिता। पुजारी जी पूजा कीजिए।

माता। भवान् एव प्रसादं स्वीकरोतु।
माता। आप ही प्रसाद स्वीकार करें।

पिता। पूजा समाप्ता। आगच्छत गच्छामः।
पिता। पूजा समाप्त हो गई आओ जाते हैं।

#vakyabhyas #samvadah
गिरीशः। हरिः ओम्।
गिरीश। हरि ओम् हैलो।

अनन्तः। हरि ओम्। कः वदति।
अनन्त। हरि ओम्। कौन बोल रहा है।

गिरीशः। अहं गिरीशः वदामि। मित्र गृहे कोऽपि नास्ति किम्।
गिरीश। मैं गिरीश बोल रहा हूँ मित्र घर में कोई नहीं है क्या।

अनन्तः। सर्वे सन्ति। पिता जपति। अम्बा पूजयति। अनुजः खादति। अग्रजा मालां करोति। पितामहः दूरदर्शनं पश्यति। पितामही स्नानं करोति।
अनन्त। सभी है पिता जप कर रहे है माँ पूजा कर रही है छोटा भाई खा रहा है बड़ी बहन माला बना रही है पितामह दादाजी टी.वी. देख रहे हैं दादी स्नान कर रही हैं।

गिरीशः। त्वं किं करोषि। क्रीडसि किम्।
गिरीश। तुम क्या कर रहे हो। खेल रहे हो क्या।

अनन्तः। अहं पठामि। उत्तरं लिखामि। तव अनुजौ किं कुरुतः।
अनन्त। मैं पढ़ रहा हूँ उत्तर लिख रहा हूँ तुम्हारे दोनों भाई क्या कर रहे हैं।

गिरीशः। मम अनुजौ शालां गच्छतः। अहं च पिता च विद्यालयं गच्छावः।
गिरीश। मेरे दोनों भाई स्कूल जा रहे है। मैं और पिताजी विद्यालय जा रहे हैं।

अनन्तः। अद्य त्वमपि विद्यालयं न गच्छ अहमपि न गच्छामि। वयं सर्वे अद्य मैसूरुनगरं गच्छामः। मम बान्धवाः अपि आगच्छन्ति।
अनन्त। आज तुम भी विद्यालय न जाओ मैं भी नहीं जा रहा हूँ हम सब आज मैसूर जा रहे है। मेरे परिवार के लोग भी आ रहे हैं।

गिरीशः। अपि भवतः पिता कार्यालयं न गच्छति ।
गिरीश। आपके पिता कार्यालय नहीं जाते क्या।

अनन्तः। अद्य मम पिता विरामं स्वीकरोति।
अनन्त। आज मेरे पिता अवकाश ले लिया है।

गिरीशः। अनन्त नहि भोः अहम् आगन्तुं न शक्नोमि। भवान् गच्छतु।
गिरीश। अनन्त मैं नहीं आ सकता आप जाओ।

अनन्तः। पुनः मिलामः धन्यवादः।
अनन्त। फिर मिलते है धन्यवाद।

#vakyabhyas #samvadah
अधिकारी। सुधाकर शीघ्रं लिपिकारम् आह्वय।
अधिकारी। सुधाकर शीर्घ लिपिक को बुलाओ।

सुधाकरः। अद्य लिपिकारः नागतवान्। सः हरिद्वारं गतवान् इति।
सुधाकर। आज लिपिक नहीं आया। वह हरिद्वार गया है।

अधिकारी। ह्यः वित्तकोषतः धनम् आनीतवान् किम्।
अधिकारी। कल बैंक से पैसा लाया क्या।

सुधाकरः। आम्। ह्यः अहं रमेशः च चित्तकोषं गतवन्तौ। धनम् आनीतावन्तौ अपि च।
सुधाकर। हां कल मैं और रमेश बैंक गये थे। धन ले आये।

अधिकारी। ह्यः सर्वे किं किं कार्यं कृतवन्तः।
अधिकारी। कल सभी ने क्याक्या काम किया।

सुधाकरः। ह्यः रामगोपालः गणनां समापितवान् गीता पत्राणि लिखितवती गौरीशः कार्याणि परिशीलितवान्। ह्यः प्रीतिः नागतवती। मुकुन्दः स्वच्छीकृतवान्।
सुधाकर। कल रामगोपाल अकाउंट पूरा किया। गीता ने पत्र लिखा। गौरीश काम को देखा। कल प्रीति नहीं आई। मुकुन्द ने सफाई की।

अधिकारी। प्रीतिः कुत्र गतवती इति किं कोऽपि जानाति।
अधिकारी। प्रीति कहां गई कोई जानता है।

सुधाकरः। प्रीतिः तीव्रम् अस्वस्था इति शृणुमः।
सुधाकर। प्रीति अस्वस्थ है ऐसा सुना है।

अधिकारी। सा औषधं स्वीकृतवती स्यात्।
अधिकारी। उसने दवाई ली।

सुधाकरः। वैद्यः सूच्यौषधं दत्तवान् इति श्रुतम्। ह्यः निवेदिताविद्यालयस्य शिक्षिकाः आगतवत्यः। भवान् न आसीत्। अतः एकं पत्रं दत्तवत्यः।
सुधाकर। वैद्य ने इजेक्शन और दवाई दी है ऐसा सुना है। कल निवेदिताविद्यालय की शिक्षिकाएँ आई थीं। आप नहीं थे इसलिए उन लोगों ने एक पत्र दिया।

अधिकारी। प्राचार्यः मुख्याध्यापिका च किम् आगतवत्यौ।
अधिकारी। क्या प्राचार्य और मुख्याध्यापिका आए थे।

सुधाकरः। नैव केवलं प्राचार्यः आगतवान्। भवान् दूरवाणीं करोतु इति उक्तवती।
सुधाकर। नहीं केवल प्राचार्य आए थे। आप दूरवाणी करेेंगे ऐसा कहे थे।

अधिकारी। भवतु भवान् गच्छतु।
अधिकारी। अच्छा ठीक है आप जाओ।

#vakyabhyas #samvadah
पिता। आगच्छ। यात्रा कथम् आसीत्।
पिता। आओ। यात्रा कैसी थी।

शिवरामः। सम्यक् आसीत् तात।
शिवराम। ठीक थी पिताजी।

पिता। त्वं कदा मुम्बय्यीं प्राप्तवान्।
पिता। तुम कब मुम्बई पहुँचे।

शिवरामः। अहं सोमवासरे प्रातः ७ वादने एव प्राप्तवान्
शिवराम। मैं सोमवार सुबह ७ बजे ही पहुँचा।

पिता। अनन्तरं त्वं किं किं कृतवान्।
पिता। फिर तुमने क्याक्या किया।

शिवरामः। ततः मित्रस्य गृहं गतवान्। तत्रैव स्नानमपि कृतवान्। उपाहारं खादितवान्। ततः मुम्बादेवीमन्दिरं गतवान्।
शिवराम। वहाँ से मित्र के घर गया। वहीं स्नान किया। स्वल्पाहार किया। फिर मुम्बादेवी के मन्दिर गया।

पिता। किं त्वम् एकाकी एव गतवान्।
पिता। क्या तुम अकेले ही गये।

शिवरामः। नैव मम मित्रम् अहं च गतवन्तौ। कार्यक्रमः न आरब्धः आसीत्। समये आवां प्राप्तवन्तौ।
शिवराम। नहीं मेरा मित्र और मैं दोनों गये। कार्यक्रम शुरू नहीं हुआ था। सही समय में हम दोनों पहुँचे।

पिता। तदनन्तरम्।
पिता। फिर।

शिवरामः। कार्यक्रमः दशवादने आरब्धः। श्यामला प्रार्थनां गीतवती। स्वागतान्तरं मम भाषणम् आसीत्। अहं भाषणं कृतवान्। अध्यक्षः मां श्लाघितवान्। जनाः उच्चैः हर्षोद्गारं कृतवन्तः। करताडनमपि कृतवन्तः। अधिकारी आगामिवर्ष अपि सम्मेलनं प्रति आगमनाय प्रार्थितवान्। ११.३० वादने कार्यक्रमः समाप्तः। अन्ते महिलाः वन्दे मातरं गीतवत्यः।
शिवराम। कार्यक्रम १० बजे से शुरू हुआ। श्यामला प्रार्थना की। स्वागत के बाद मेरा भाषण हुआ। मैंने भाषण दिया। अध्यक्ष ने मेरी प्रशंसा की। लोगों ने जोर से हर्ष व्यक्त किया। तालियाँ बजी। अधिकारी ने आगामी वर्ष के सम्मेलन में १२५आगमन के लिए प्रार्थना की। ११.३० बजे कार्यक्रम समाप्त हुआ। अन्त में महिलाओं ने वन्दे मातरम् गीत प्रस्तुत किया।

पिता। पुनः मित्रस्य गृहं किं न त्वं गतवान्।
पिता। पुनः मित्र के घर नहीं गये।

शिवरामः। मुम्बादेवीमन्दिरतः तस्य गृहं बहु दूरे अस्ति। अतः अहं साक्षात् याननिस्थानकं गतवान्। तत्र मम वयस्यौ मिलितवन्तौ। बहुकालं वयं सम्भाषणं कृतवन्तः ततः मध्यावने ३ वादने अहं प्रस्थितवान्।
शिवराम। मुम्बा देवी के मन्दिर से उसका घर दूर है। इसलिए मैं सीधे बसस्टेंड चला गया। वहाँ मेरे दो मित्र मिले। बहुत देर तक हम सब बात करते रहे। फिर दोपहर तीन बजे मैं निकल गया।

पिता। अस्तु स्नानं करु भोजनं कुरु कंचित्कालं विश्रामं स्वीकुरु।
पिता। अच्छा अब स्नान करो। भोजन करो और थोड़ी देर विश्राम करो।

शिवरामः। अस्तु तात।
शिवराम। ठीक है पिताजी।

#vakyabhyas #samvadah
प्रदीपः। अरुण भवतः गणितपुस्तकं दास्यसि किम्।
प्रदीप। अरुण तुम्हारी गणित की पुस्तक मिलेगी क्या।

अरुणः। भवान् किमर्थं विद्यालयं नागतवान्।
अरुण। आप विद्यालय क्यों नहीं आये।

प्रदीपः। मम अतीव शिरोवदेना आसीत्। अतः शयनं कृतवान्।
प्रदीप। मेरे सिर में दर्द था। इसलिए सोता रहा।

अरुणः। इतिहासपुस्तकं भवान् इतोऽपि न दत्तवान्। इदानीं गणितपुस्तकमपि नयसि। कदा प्रतिदास्यसि।
अरुण। इतिहास की पुस्तक आपने अभी तक नहीं दी। इस समय आप गणित की पुस्तक भी ले जा रहे हो।

प्रदीपः। श्वः सायंकाले भवते पुस्तकं दास्यामि।
प्रदीप। कल शाम को आपकी पुस्तक दूंगा।

ज्योतिः। प्रदीप भवान् असत्यं वदति किम्। श्वः भवान् बन्धुगृहं गमिष्यति। परश्वः आगमिष्यसि। कदा गणितपुस्तकं दास्यसि।
ज्योति। आप असत्य बोल रहे हैं क्या। कल आप भाई के यहाँ जाएंगे परसों आएंगे तो कब गणित की पुस्तक देंगे।

प्रदीपः। अहं विस्मृतवान्। परश्वः निश्चयेन पुस्तकं दास्यामि।
प्रदीप। मैं भूल गया। परसो निश्चित पुस्तक दे दूंगा।

कृष्ण। ज्योतिः अद्य मम गृहम् आगच्छ। सम्यक् पठिष्यावः।
कृष्ण। ज्योति मेरे घर आओ। अच्छे से पढ़ेंगे।

अरुणः। भवान् पठिष्यति लेखिष्यति इति वदति केवलम्।
अरुण। आप पढ़ेंगे लिखेंगे केवल इतना बोलते हैं।

कृष्णा। मालाशिक्षिका श्वः संस्कृतपाठं लेखिष्यति। द्वितीयपाठस्य प्रश्नान् प्रक्ष्यति। रिक्तस्थानानि पूरणार्थं दास्यति। अतः बहु पठिष्यामि।
कृष्णा। मालाशिक्षिका कल संस्कृत का पाठ लिखाएंगी। द्वितीय पाठ का प्रश्न पूछेंगी। खाली स्थान पूरा करो ऐसा प्रश्न देगीं। इसलिए बहुत पढ़ूंगी।

अरुणः। भवन्तः मम गृहम् आगच्छन्तु। सर्वे मिलित्वा पठिष्यामः।
अरुण। आप सभी मेरे घर आओ। हम मिलकर पढ़ेंगे।

ज्योतिः। भवन्तौ द्वौ अपि मिलतां चेत् न पठिष्यतः युद्धमेव करिष्यतः अतः स्वगृहे एव पठताम्।
ज्योति। आप दोनों मिल गये तो नहीं पढ़ोगे लड़ोगे। इसीलिए अपने घर में ही पढ़ो।

#vakyabhyas #samvadah