📙 ऋग्वेद
सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - १० , देवता - वरुण
🍃 नि षसाद धृतव्रतो वरुणः पस्त्याउ स्वा साम्राज्याय सुक्रतुः। (१०)
⚜️ भावार्थ - व्रत धारण करने वाले एवं उत्तम कर्म करने वाले वरुण दैवी प्रजाओं पर साम्राज्य करने के लिए आकर बैठे थे। (१०)
#Rgveda
सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - १० , देवता - वरुण
🍃 नि षसाद धृतव्रतो वरुणः पस्त्याउ स्वा साम्राज्याय सुक्रतुः। (१०)
⚜️ भावार्थ - व्रत धारण करने वाले एवं उत्तम कर्म करने वाले वरुण दैवी प्रजाओं पर साम्राज्य करने के लिए आकर बैठे थे। (१०)
#Rgveda
✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️त्रयोदश अध्याय
♦️श्लोक:-१९
युगान्ते प्रचलेन्मेरुः कल्पान्ते सप्त सागराः।
साधवः प्रतिपन्नार्थान्न चलन्ति कदाचन।।19।।
♦️भावार्थ --आचार्य चाणक्य महापुरुषों के गुणों की चर्चा करते हुए कहते हैं, युग का अंत होने पर चाहे सुमेरु पर्वत अपने स्थान से हट जाए, कल्प का अंत होने पर सातों समुन्द्र भी विचलित हो जाएँ, लेकिन सज्जन पुरुष कभी भी अपने मार्ग से विचलित नहीं होते|
#Chanakya
✒️त्रयोदश अध्याय
♦️श्लोक:-१९
युगान्ते प्रचलेन्मेरुः कल्पान्ते सप्त सागराः।
साधवः प्रतिपन्नार्थान्न चलन्ति कदाचन।।19।।
♦️भावार्थ --आचार्य चाणक्य महापुरुषों के गुणों की चर्चा करते हुए कहते हैं, युग का अंत होने पर चाहे सुमेरु पर्वत अपने स्थान से हट जाए, कल्प का अंत होने पर सातों समुन्द्र भी विचलित हो जाएँ, लेकिन सज्जन पुरुष कभी भी अपने मार्ग से विचलित नहीं होते|
#Chanakya
ओ3म्
156. संस्कृत वाक्य अभ्यासः
सा पुत्रम् आलिङ्गति।
= वह बेटे को आलिंगन करती है।
किमर्थं ? जानन्ति वा ?
= क्यों ? जानते हैं ?
तस्याः पुत्रः सेनायाः अधिकारी अभवत्।
= उसका बेटा सेना का अधिकारी बन गया।
सा माता पदवीदान समारोहे उपस्थिता आसीत्।
= वह माँ पदवीदान समारोह में उपस्थित थी।
तस्याः पुत्रः नौसेनायाम् अधिकारी भविष्यति।
= उसका बेटा नौसेना में अधिकारी बनेगा।
सा गर्वम् अनुभवति।
= वह गर्व अनुभव करती है।
मम पुत्रः राष्ट्रस्य रक्षां करिष्यति।
= मेरा बेटा राष्ट्र की रक्षा करेगा।
गृहात् दूरे एव स्थास्यति चेत् का हानिः..!
= घर से दूर रहेगा तो क्या हानि..!
सः भारतमातुः अङ्के सर्वदा विराजिष्यते।
= वह हमेशा भारत माँ की गोदी में विराजमान रहेगा।
आतंकवादिनाम् अपि संहारं करिष्यति।
= आतंकवादियों का भी संहार करेगा।
ओ3म्
157. संस्कृत वाक्य अभ्यासः
कति जनाः दूरवाणीम् कुर्वन्ति ?
= कितने लोग फोन करते हैं ?
एकस्य वार्ता समाप्ता भवति।
= एक की बात समाप्त होती है।
तदानीमेव अन्यस्य कस्यपि दूरवाणी आगच्छति।
= उसी समय और किसी का फोन आता है।
अधुना प्रवीणेन सह वार्तालापः चलति।
= अभी प्रवीण के साथ बात चल रही। है।
तन्मध्ये संदीपस्य दूरवाणी आगच्छति।
= उसके बीच में संदीप का फोन आ जाता है।
सुबोधस्य दूरवाणीम् तु परिहरामि।
= सुबोध का फोन तो मैं टालता हूँ।
सुबोधः दीर्घाम् वार्ताम् करोति।
= सुबोध बहुत लंबी बात करता है।
शिखा तु वारं वारं दूरवाणीम् करोति।
= शिखा तो बार बार फोन करती है।
समयम् अपि न पश्यति।
= समय भी नहीं देखती है।
यदाकदा प्रातः षड्वादने..
यदाकदा रात्रौ एकादशवादने।
= कभी कभी सुबह छः बजे..
= तो कभी कभी रात ग्यारह बजे।
अधुना सर्वे दूरवाण्या एव कार्यम् सम्पादयन्ति।
= आजकल सभी फोन से ही काम पूरा करते हैं।
ओ3म्
158. संस्कृत वाक्य अभ्यासः
सः भारतीयः युवकः अस्ति।
= वह भारतीय युवक है।
तम् भारतीयं युवकं सर्वे जानन्ति।
= उस भारतीय युवक को सब जानते हैं।
तेन भारतीयेन युवकेन श्रेष्ठं कार्यम् क्रियते।
= उस भारतीय युवक के द्वारा अच्छा काम किया जा रहा है।
तस्मै भारतीयाय युवकाय सर्वदा स्वस्तिः कामये।
= उस भारतीय युवक के लिए हमेशा स्वस्ति की कामना।
तस्मात् भारतीयात् युवकात् सर्वे बिभ्यति।
= उस भारतीय युवक से सब डरते हैं।
तस्य भारतीयस्य युवकस्य नाम किम् अस्ति ?
= उस भारतीय युवक का नाम क्या है ?
तस्य भारतीयस्य युवकस्य नाम नरेन्द्र मोदी अस्ति।
= उस भारतीय युवक का नाम नरेन्द्र मोदी है।
तस्मिन् भारतीये युवके सर्वे विश्वसन्ति।
= उस भारतीय युवक पर सबको विश्वास है।
#Vakyabhyas
156. संस्कृत वाक्य अभ्यासः
सा पुत्रम् आलिङ्गति।
= वह बेटे को आलिंगन करती है।
किमर्थं ? जानन्ति वा ?
= क्यों ? जानते हैं ?
तस्याः पुत्रः सेनायाः अधिकारी अभवत्।
= उसका बेटा सेना का अधिकारी बन गया।
सा माता पदवीदान समारोहे उपस्थिता आसीत्।
= वह माँ पदवीदान समारोह में उपस्थित थी।
तस्याः पुत्रः नौसेनायाम् अधिकारी भविष्यति।
= उसका बेटा नौसेना में अधिकारी बनेगा।
सा गर्वम् अनुभवति।
= वह गर्व अनुभव करती है।
मम पुत्रः राष्ट्रस्य रक्षां करिष्यति।
= मेरा बेटा राष्ट्र की रक्षा करेगा।
गृहात् दूरे एव स्थास्यति चेत् का हानिः..!
= घर से दूर रहेगा तो क्या हानि..!
सः भारतमातुः अङ्के सर्वदा विराजिष्यते।
= वह हमेशा भारत माँ की गोदी में विराजमान रहेगा।
आतंकवादिनाम् अपि संहारं करिष्यति।
= आतंकवादियों का भी संहार करेगा।
ओ3म्
157. संस्कृत वाक्य अभ्यासः
कति जनाः दूरवाणीम् कुर्वन्ति ?
= कितने लोग फोन करते हैं ?
एकस्य वार्ता समाप्ता भवति।
= एक की बात समाप्त होती है।
तदानीमेव अन्यस्य कस्यपि दूरवाणी आगच्छति।
= उसी समय और किसी का फोन आता है।
अधुना प्रवीणेन सह वार्तालापः चलति।
= अभी प्रवीण के साथ बात चल रही। है।
तन्मध्ये संदीपस्य दूरवाणी आगच्छति।
= उसके बीच में संदीप का फोन आ जाता है।
सुबोधस्य दूरवाणीम् तु परिहरामि।
= सुबोध का फोन तो मैं टालता हूँ।
सुबोधः दीर्घाम् वार्ताम् करोति।
= सुबोध बहुत लंबी बात करता है।
शिखा तु वारं वारं दूरवाणीम् करोति।
= शिखा तो बार बार फोन करती है।
समयम् अपि न पश्यति।
= समय भी नहीं देखती है।
यदाकदा प्रातः षड्वादने..
यदाकदा रात्रौ एकादशवादने।
= कभी कभी सुबह छः बजे..
= तो कभी कभी रात ग्यारह बजे।
अधुना सर्वे दूरवाण्या एव कार्यम् सम्पादयन्ति।
= आजकल सभी फोन से ही काम पूरा करते हैं।
ओ3म्
158. संस्कृत वाक्य अभ्यासः
सः भारतीयः युवकः अस्ति।
= वह भारतीय युवक है।
तम् भारतीयं युवकं सर्वे जानन्ति।
= उस भारतीय युवक को सब जानते हैं।
तेन भारतीयेन युवकेन श्रेष्ठं कार्यम् क्रियते।
= उस भारतीय युवक के द्वारा अच्छा काम किया जा रहा है।
तस्मै भारतीयाय युवकाय सर्वदा स्वस्तिः कामये।
= उस भारतीय युवक के लिए हमेशा स्वस्ति की कामना।
तस्मात् भारतीयात् युवकात् सर्वे बिभ्यति।
= उस भारतीय युवक से सब डरते हैं।
तस्य भारतीयस्य युवकस्य नाम किम् अस्ति ?
= उस भारतीय युवक का नाम क्या है ?
तस्य भारतीयस्य युवकस्य नाम नरेन्द्र मोदी अस्ति।
= उस भारतीय युवक का नाम नरेन्द्र मोदी है।
तस्मिन् भारतीये युवके सर्वे विश्वसन्ति।
= उस भारतीय युवक पर सबको विश्वास है।
#Vakyabhyas
🙏🌹⚜️🌞⚜️🌹🙏
क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी। विद्या कामदुघा धेनुः सन्तोषो नन्दनं वनम् ॥
Anger is the God of death, Desire is the river to be crossed by the departed souls, Learning is the wish yielding cow and happiness is the celestial garden!!
भावार्थ :
क्रोध यमराज के समान है और तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान। विद्या सभी इच्छाओं को पूरी करने वाली कामधेनु है और संतोष स्वर्ग का नंदन वन है ।
🙏🌷🙏 #Subhashitam
कलहान्तानि हर्म्याणि कुवाक्यान्तं च सौहृदम्।
कुराजान्तानि राष्ट्राणि कुकर्मान्तं यशो नृणाम्।
Even Grand Homes perish because of squabbles, Friendships end because of bad mouthing, States disappear because of bad leadership and the honour of people disappear because of their bad actions!!
= महलों के (या महलों में रहने वालों के) सुख का अन्त अंदर ही अंदर होने वाले बखेडों में है, मित्रता का अन्त खराब वचनों में है, राष्ट्र का अन्त खराब राजा या (या खराब राज्य तंत्र) से है और इन्सान के यश का अन्त बुरा कार्य करने में है।.... #Subhashitam
🙏🌷🙏
क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी। विद्या कामदुघा धेनुः सन्तोषो नन्दनं वनम् ॥
Anger is the God of death, Desire is the river to be crossed by the departed souls, Learning is the wish yielding cow and happiness is the celestial garden!!
भावार्थ :
क्रोध यमराज के समान है और तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान। विद्या सभी इच्छाओं को पूरी करने वाली कामधेनु है और संतोष स्वर्ग का नंदन वन है ।
🙏🌷🙏 #Subhashitam
कलहान्तानि हर्म्याणि कुवाक्यान्तं च सौहृदम्।
कुराजान्तानि राष्ट्राणि कुकर्मान्तं यशो नृणाम्।
Even Grand Homes perish because of squabbles, Friendships end because of bad mouthing, States disappear because of bad leadership and the honour of people disappear because of their bad actions!!
= महलों के (या महलों में रहने वालों के) सुख का अन्त अंदर ही अंदर होने वाले बखेडों में है, मित्रता का अन्त खराब वचनों में है, राष्ट्र का अन्त खराब राजा या (या खराब राज्य तंत्र) से है और इन्सान के यश का अन्त बुरा कार्य करने में है।.... #Subhashitam
🙏🌷🙏
🌻 सभी सदस्यों को संस्कृत संवादः के २५० सदस्य पूरे होने पर अनेकों शुभकामनाएं। आशा करते हैं हमारी एकता और दृढ़ और विस्तृत हो🌼
🐚Congratulations everyone for achievement of 250 members in संस्कृत संवादः । May Our unity be more firm and extensive.🦚
🐚Congratulations everyone for achievement of 250 members in संस्कृत संवादः । May Our unity be more firm and extensive.🦚
Sanskrit-1820-1830
१४.५ सांयकाल आकाशवाणी
🙏 14.5.21 वेदवाणी 🙏
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🌻
*अहमपो अपिन्वमुक्षमाणा धारयं दिवं सदन ऋतस्य।*
*ऋतेन पुत्रो अदितेर्ऋतावोत त्रिधातु प्रथयद्वि भूम॥ ऋग्वेद ४-४२-४॥*🙏🌻
मैं (ईश्वर) जल ऊर्जा आदि की रचना करता हूं। मैंने ही सूर्य आदि को स्थापित किया है। मैंने ही नियमों के अनुसार सृष्टि की रचना सत्, रज् और तम् (मूल प्रकृति) द्वारा की है। मैंने ही इस सृष्टि को धारण किया हुआ है। मैं ही सृष्टि को नियमों के अनुसार चलाता हूं।🙏🌻
I (God) have created water energy, etc. I have established the sun, etc. According to the eternal law, I have created the universe by Sattva, Rajas and Tamas (MOOL PRAKIRITI). I uphold this creation. I run the universe according to the eternal law. (Rig Veda 4-42–4)🙏🌻 #vedgsawan 🙏🌻
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🌻
*अहमपो अपिन्वमुक्षमाणा धारयं दिवं सदन ऋतस्य।*
*ऋतेन पुत्रो अदितेर्ऋतावोत त्रिधातु प्रथयद्वि भूम॥ ऋग्वेद ४-४२-४॥*🙏🌻
मैं (ईश्वर) जल ऊर्जा आदि की रचना करता हूं। मैंने ही सूर्य आदि को स्थापित किया है। मैंने ही नियमों के अनुसार सृष्टि की रचना सत्, रज् और तम् (मूल प्रकृति) द्वारा की है। मैंने ही इस सृष्टि को धारण किया हुआ है। मैं ही सृष्टि को नियमों के अनुसार चलाता हूं।🙏🌻
I (God) have created water energy, etc. I have established the sun, etc. According to the eternal law, I have created the universe by Sattva, Rajas and Tamas (MOOL PRAKIRITI). I uphold this creation. I run the universe according to the eternal law. (Rig Veda 4-42–4)🙏🌻 #vedgsawan 🙏🌻
Friday, May 14, 2021
केरले अतिवृष्टिः, समुद्रविक्षोभः।
कोच्ची> लक्षद्वीपसमुद्रे आविर्भूतस्य न्यूनमर्दस्य प्रभावात् केरले अतिवृष्टिरारब्धा। समुद्रतीरजनपदेषु समुद्रविक्षोभेन शतशः गृहाणि जलोपप्लावितानि भूतानि। तिरुवनंतपुरं, कोल्लम्, आलप्पुष़ा, पत्तनंतिट्टा इत्येतेषु दक्षिणजनपदेषु अद्य रक्तजाग्रता प्रख्यापिता।
श्व आरभ्य न्यूनमर्दः ट्वट्टै नामकचक्रवातरूपेण भविष्यतीति पर्यावरणविभागेन निगदितमस्ति।
धार्मिक-राजनैतिक-कार्यक्रमाः भारते कोविड् अतिव्यापनस्य हेतुरभवत् - विश्वस्वास्थ्यसंस्था।
- रमा टी. के
धार्मिक-राजनैतिक-कार्यक्रमाः भारते कोविड् अतिव्यापनस्य हेतुरभवत् इति विश्वस्वास्थ्यसंस्थया उच्यते। Weekly epidemiological update इति सप्ताहिकपत्रिकायाः अन्तिमसम्पुटे एव एतत् कार्यं स्पष्टीकृतम्। विगते बुधवासरे आसीत् पत्रिकायाः प्रकाशनम्।
रोगाणुव्यापनवर्धनाय बहूनि कारणानि सन्ति। धार्मिक-राजनैतिक-मेलनानि एव तेषु प्राधान्यत्वेन प्रतिपादितम्। सामृहिकदूरपालनं विना जनानां परस्परसम्पर्कः तथा स्वास्थ्य सुविधायाः उचितोपयोगाभावः च कारणानि इति update मध्ये सूचितमस्ति।
कोविडस्य भारतीयविभेदः 'विश्वस्य उत्कण्ठा' इति विश्वस्वास्थ्यसंस्थया प्रख्यापितम्। प्रथमतया प्रत्यभिज्ञातः बि.१.१६७ विभेदः एव 'varient of concern ' इति विभागे आयोजितम्। भारतीयविभेदस्य अतिव्यापनक्षमता अस्ति इत्यतः एव संक्रमः।
किन्तु विश्वस्वास्थ्यसंस्थायाः प्रमाणेषु Indian varient इति विभेदः नास्ति इति केन्द्रसर्वकारविभागेन उक्तम्। बि.१.१६७ इति प्रथमतया प्रत्यभिज्ञातस्य अणुविभेदस्य 'भारतीयविभेदः' इति केचन वार्तामाध्यमैः आवेदितम्। किन्तु एतत् सत्यविरुद्धम् एव। विश्वस्वास्थ्य संस्थया' अयं भारतीयविभेदः' इति कुत्रापि न सूचितः इति औद्योगिकवृन्तैः विज्ञापितम्। भारतस्य कोविड् प्रतिरोधप्रवर्तनानां यशसि कलङ्कं प्रसारयितुम् एव 'भारतीयविभेद' प्रयोगः क्रियते इति केन्द्रसर्वकारविभागेन उक्तम्। ।
इस्रयेल् - पालस्तीनसंघर्षे हतायाः भारतीयायाः शरीरं स्वेदेशमानयति।
नवदिल्ली> दिनानि यावत् अनुवर्तमाने इस्रयेल-पालस्तीनयोः व्योमाक्रमणे उपशतं जनाः मृत्युमुपगताः। तेषु एका भारतीया अप्यस्ति। केरलस्थे इटुक्कीजनपदे कीरित्तोट् प्रदेशीया सौम्या नामिका कुजवासरे 'हमास्' संघटनेन इस्रयेलं विरुध्य कृते अग्निबाणाक्रमणे हता आसीत्। इस्रयेलस्थे 'अष्कलोण'नगरे कस्मिंश्चन गृहे परिपालिकारूपेण [Caretaker] प्रवृत्तमाणा आसीत् सौम्या।
सौम्यायाः मृतशरीरं इस्रयेलस्थे भारतस्थानपतिकार्यालयेन स्वीकृतम्। सविशेषेण विमानेन शनिवासरे एव स्वदेशमानेतुं पदक्षेपाः स्वीकृताः इति विदेशकार्यसहमन्त्रिणा वि. मुरलीधरेण प्रोक्तम्।
~ संप्रति वार्ता
केरले अतिवृष्टिः, समुद्रविक्षोभः।
कोच्ची> लक्षद्वीपसमुद्रे आविर्भूतस्य न्यूनमर्दस्य प्रभावात् केरले अतिवृष्टिरारब्धा। समुद्रतीरजनपदेषु समुद्रविक्षोभेन शतशः गृहाणि जलोपप्लावितानि भूतानि। तिरुवनंतपुरं, कोल्लम्, आलप्पुष़ा, पत्तनंतिट्टा इत्येतेषु दक्षिणजनपदेषु अद्य रक्तजाग्रता प्रख्यापिता।
श्व आरभ्य न्यूनमर्दः ट्वट्टै नामकचक्रवातरूपेण भविष्यतीति पर्यावरणविभागेन निगदितमस्ति।
धार्मिक-राजनैतिक-कार्यक्रमाः भारते कोविड् अतिव्यापनस्य हेतुरभवत् - विश्वस्वास्थ्यसंस्था।
- रमा टी. के
धार्मिक-राजनैतिक-कार्यक्रमाः भारते कोविड् अतिव्यापनस्य हेतुरभवत् इति विश्वस्वास्थ्यसंस्थया उच्यते। Weekly epidemiological update इति सप्ताहिकपत्रिकायाः अन्तिमसम्पुटे एव एतत् कार्यं स्पष्टीकृतम्। विगते बुधवासरे आसीत् पत्रिकायाः प्रकाशनम्।
रोगाणुव्यापनवर्धनाय बहूनि कारणानि सन्ति। धार्मिक-राजनैतिक-मेलनानि एव तेषु प्राधान्यत्वेन प्रतिपादितम्। सामृहिकदूरपालनं विना जनानां परस्परसम्पर्कः तथा स्वास्थ्य सुविधायाः उचितोपयोगाभावः च कारणानि इति update मध्ये सूचितमस्ति।
कोविडस्य भारतीयविभेदः 'विश्वस्य उत्कण्ठा' इति विश्वस्वास्थ्यसंस्थया प्रख्यापितम्। प्रथमतया प्रत्यभिज्ञातः बि.१.१६७ विभेदः एव 'varient of concern ' इति विभागे आयोजितम्। भारतीयविभेदस्य अतिव्यापनक्षमता अस्ति इत्यतः एव संक्रमः।
किन्तु विश्वस्वास्थ्यसंस्थायाः प्रमाणेषु Indian varient इति विभेदः नास्ति इति केन्द्रसर्वकारविभागेन उक्तम्। बि.१.१६७ इति प्रथमतया प्रत्यभिज्ञातस्य अणुविभेदस्य 'भारतीयविभेदः' इति केचन वार्तामाध्यमैः आवेदितम्। किन्तु एतत् सत्यविरुद्धम् एव। विश्वस्वास्थ्य संस्थया' अयं भारतीयविभेदः' इति कुत्रापि न सूचितः इति औद्योगिकवृन्तैः विज्ञापितम्। भारतस्य कोविड् प्रतिरोधप्रवर्तनानां यशसि कलङ्कं प्रसारयितुम् एव 'भारतीयविभेद' प्रयोगः क्रियते इति केन्द्रसर्वकारविभागेन उक्तम्। ।
इस्रयेल् - पालस्तीनसंघर्षे हतायाः भारतीयायाः शरीरं स्वेदेशमानयति।
नवदिल्ली> दिनानि यावत् अनुवर्तमाने इस्रयेल-पालस्तीनयोः व्योमाक्रमणे उपशतं जनाः मृत्युमुपगताः। तेषु एका भारतीया अप्यस्ति। केरलस्थे इटुक्कीजनपदे कीरित्तोट् प्रदेशीया सौम्या नामिका कुजवासरे 'हमास्' संघटनेन इस्रयेलं विरुध्य कृते अग्निबाणाक्रमणे हता आसीत्। इस्रयेलस्थे 'अष्कलोण'नगरे कस्मिंश्चन गृहे परिपालिकारूपेण [Caretaker] प्रवृत्तमाणा आसीत् सौम्या।
सौम्यायाः मृतशरीरं इस्रयेलस्थे भारतस्थानपतिकार्यालयेन स्वीकृतम्। सविशेषेण विमानेन शनिवासरे एव स्वदेशमानेतुं पदक्षेपाः स्वीकृताः इति विदेशकार्यसहमन्त्रिणा वि. मुरलीधरेण प्रोक्तम्।
~ संप्रति वार्ता
Uttararaamacharitam (Bhavabhuti)
सतां सद्भिस्संगः क्थमपि हि पुण्येन भवति
Sataam sadbhih sangah kathamapi hi punyena bhavati
The meeting of good people with good people somehow happens only by punya (fruit of meritorious deeds done in the past)
प्रियप्राया वृत्तिः विनयमधुरो वाचि नियमः
प्रकृत्या कल्याणी मतिरनवगीतः परिचयः।
पुरो वा पश्चाद्वा तदिदमविपर्यासित रसं
रहस्यं साधूनामनुपदि विशुद्धं विजयते॥
Priyapraayaa vrittih vinayamadhuro vaachi niyamah
Prakrityaa kalyaanee matiranavageetah parichayah
Puro vaa pashchaadwaa tadidamaviparyaasita rasam
Rahasyam saadhoonaamanupadhi vishuddham vijayate
Loving, polite and pleasing interaction with others, controlled speech, a heart which only thinks of the good of others, introduction which is not boastful, Uniform behaviour before and after (when face to face or behand the back)– These are the secrets, pure and simple, of saintly souls.
वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि ।
लोकोत्तराणां चेतांसि को नो विज्ञातुमर्हति॥
Vajraadapi kathhoraani mridooni kusumaadapi
Lokottaraanaam chetaamsi ko nu vijnaatumarhati.
The hearts of the best of men who are a cut above the ordinary people are harder than diamond (when facing obstacles or enemies ) and softer than flowers (towards the less privileged and the miserable). Who can understand the hearts of such men?
न किञ्चिदपि कुर्वाणः सौख्यैर्दु:खान्यपोहति।
तत्तस्य किमपि द्रव्यं यो हि यस्य प्रियो जनः
Na kinchidapi kurvaanah saukhyairdukhaanyapohati
Tattasya kimapi dravyam yo hi yasya priyo janah
Without doing anything, if one converts the sorrows of another person into joy and happiness, then the first one, who is the object of love for the second one, is a valuable thing for the latter.
अन्तःकरणतत्त्वस्य दम्पत्योः स्नेह्संश्रयात्।
आनन्दग्रन्थिरेकोऽयं अपत्यमिति बध्यते ॥
Antahkaranatattwasya dampatyoh snehasamshrayaat
Aanandagranthireko’yam apatyamiti badhyate
The concrete manifestation of the joy arising out of the union of the minds of the husband and the wife is called apatyam (progeny) on which converges the love of both of them.
एको रसः करुण एव निमित्तभेदात्
भिन्नः पृथक्पृथगिवाश्रयते विवर्तान् ।
आवर्त बुद्बुद तरंगमयान् विकारान्
अंभो यथा सलिलमेव तु तत्समस्तम् ॥।
Eko rasah karuna eva nimittabhedaa-
dbhinnah pruthakprithagivaashrayate vivartaan
Aavarta budbuda taranga mayaan vikaaraan
Ambho yathaa salilameva tu tatsamastam
Karuna(pathetic) rasa (emotion) is the only one which manifests in the form of other emotions like sringara (love) etc. depending on the underlying circumstances which give rise to the emotion in the same way as bubbles, waves, swell etc are only different forms that water takes. The basic substance is water only.
सतां सद्भिस्संगः क्थमपि हि पुण्येन भवति
Sataam sadbhih sangah kathamapi hi punyena bhavati
The meeting of good people with good people somehow happens only by punya (fruit of meritorious deeds done in the past)
प्रियप्राया वृत्तिः विनयमधुरो वाचि नियमः
प्रकृत्या कल्याणी मतिरनवगीतः परिचयः।
पुरो वा पश्चाद्वा तदिदमविपर्यासित रसं
रहस्यं साधूनामनुपदि विशुद्धं विजयते॥
Priyapraayaa vrittih vinayamadhuro vaachi niyamah
Prakrityaa kalyaanee matiranavageetah parichayah
Puro vaa pashchaadwaa tadidamaviparyaasita rasam
Rahasyam saadhoonaamanupadhi vishuddham vijayate
Loving, polite and pleasing interaction with others, controlled speech, a heart which only thinks of the good of others, introduction which is not boastful, Uniform behaviour before and after (when face to face or behand the back)– These are the secrets, pure and simple, of saintly souls.
वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि ।
लोकोत्तराणां चेतांसि को नो विज्ञातुमर्हति॥
Vajraadapi kathhoraani mridooni kusumaadapi
Lokottaraanaam chetaamsi ko nu vijnaatumarhati.
The hearts of the best of men who are a cut above the ordinary people are harder than diamond (when facing obstacles or enemies ) and softer than flowers (towards the less privileged and the miserable). Who can understand the hearts of such men?
न किञ्चिदपि कुर्वाणः सौख्यैर्दु:खान्यपोहति।
तत्तस्य किमपि द्रव्यं यो हि यस्य प्रियो जनः
Na kinchidapi kurvaanah saukhyairdukhaanyapohati
Tattasya kimapi dravyam yo hi yasya priyo janah
Without doing anything, if one converts the sorrows of another person into joy and happiness, then the first one, who is the object of love for the second one, is a valuable thing for the latter.
अन्तःकरणतत्त्वस्य दम्पत्योः स्नेह्संश्रयात्।
आनन्दग्रन्थिरेकोऽयं अपत्यमिति बध्यते ॥
Antahkaranatattwasya dampatyoh snehasamshrayaat
Aanandagranthireko’yam apatyamiti badhyate
The concrete manifestation of the joy arising out of the union of the minds of the husband and the wife is called apatyam (progeny) on which converges the love of both of them.
एको रसः करुण एव निमित्तभेदात्
भिन्नः पृथक्पृथगिवाश्रयते विवर्तान् ।
आवर्त बुद्बुद तरंगमयान् विकारान्
अंभो यथा सलिलमेव तु तत्समस्तम् ॥।
Eko rasah karuna eva nimittabhedaa-
dbhinnah pruthakprithagivaashrayate vivartaan
Aavarta budbuda taranga mayaan vikaaraan
Ambho yathaa salilameva tu tatsamastam
Karuna(pathetic) rasa (emotion) is the only one which manifests in the form of other emotions like sringara (love) etc. depending on the underlying circumstances which give rise to the emotion in the same way as bubbles, waves, swell etc are only different forms that water takes. The basic substance is water only.
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - तृतीया सुबह 07:59 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - 15 मई 2021
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मॄगशिरा सुबह 08:39 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅ योग - धृति 16 मई रात्रि 02:29 तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - सुबह 09:18 से सुबह 10:57 तक
⛅ सूर्योदय - 06:02
⛅ सूर्यास्त - 19:08
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - तृतीया सुबह 07:59 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - 15 मई 2021
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मॄगशिरा सुबह 08:39 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅ योग - धृति 16 मई रात्रि 02:29 तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - सुबह 09:18 से सुबह 10:57 तक
⛅ सूर्योदय - 06:02
⛅ सूर्यास्त - 19:08
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है,जो महा उपनिषद सहित कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है। इसका अर्थ है- *धरती ही परिवार है (वसुधा एव कुटुम्बकम्)*। यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है।
*अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् ।*
*उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥*
यह मेरा है, वह पराया है, ऐसे छोटे विचार के व्यक्ति करते हैं।
उच्च चरित्र वाले लोग समस्त संसार को ही परिवार मानते हैं॥
English translation:
This is mine, that is his, say the small minded,
The wise believe that the entire world is a family.
*अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् ।*
*उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥*
यह मेरा है, वह पराया है, ऐसे छोटे विचार के व्यक्ति करते हैं।
उच्च चरित्र वाले लोग समस्त संसार को ही परिवार मानते हैं॥
English translation:
This is mine, that is his, say the small minded,
The wise believe that the entire world is a family.
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