संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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हितोपदेशः - HITOPADESHAH

षड्दोषा पुरुषेणेह
हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध
आलस्यं दीर्घसूत्रता।। 79/032।।

अर्थः:

इस विश्व में कोई भी पुरुष यदि सब प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त करना चाहता है, तो उसे निद्रा, शक्तिहीनता, भय, क्रोध, आलस्य तथा दीर्घसूत्रता इन छः दोषों को छोड़ना चाहिए।

MEANING:

A man who wishes to gain all kinds of power in this world should abandon these six faults: sleep, lethargy, fear, anger, laziness, and procrastination.

ॐ नमो भगवते हयाननाय।

#Subhashitam
Forwarded from kathaaH कथाः
Namaste

Vishaya: - *Vishesha Varga:*
*Parichaya: - Visheshya Visheshabhava:*

Dinaanka: *13th May 2021*

Samaya: -
3:00 - 5:00 pm *(UAE)*
4:30 - 6:30 pm *(IST)*

Join Zoom Meeting
https://us02web.zoom.us/j/83811109792?pwd=OGYwK3RSd1lwRm9GdzEyN2hUbjdLUT09

Meeting ID: 838 1110 9792
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*Note: This link is only for Parichay patralaya students.*

Dhanyawada:
Thursday, May 13, 2021

 राष्टस्य भूरिजनपदेभ्यः षट् तः अष्टसप्ताहपर्यन्तं पिधानम् आवश्यकम्।

यदि नवदिल्ली उद्घाट्यते चेत् दुरन्तस्य आघातः द्विगुणीभविष्यति। 

कोविड् तीव्रव्यापनं - कर्णाटकेषु आगामिनि चतुर्दशदिनानि यावत् सम्पूर्णं पिधानं     प्रख्यापितम्।

लेखिका- रमा टि. के.

  नवदिल्ली> राष्ट्रे यत्र यत्र  जिनपदेषु कोविड्  अतिव्यापनम् अभवत् तत्र तत्र षष्ठतः आरभ्य अष्टसप्ताहपर्यन्तं  सम्पूर्णपिधानम् आवश्यकम् इति Indian council of medical research इत्यस्य अधिपेन डो. बलरामभार्गवेण उक्तम्। अनया रीत्या एव रोगव्यापनं प्रतिरोद्धुं शक्यते इति तेन उक्तम्। रोगव्यापन क्रमः प्रतिशतं दश  (१०% ) इत्यतः अधिकं चेत् नियन्त्रणानि अनुवर्तनीयानि। व्यापनं ५ -१० % इति न्यूनं भविष्यति चेत् उद्घाटनं करणीयम् इति तेन अभिप्रेतम्। इदानीं राष्ट्रस्य ७१८ जनपदेषु ७५ % जनपदेषु  रोगपरीक्षामानः १०% तः अधिकं वर्तते।

~ संप्रति वार्ता
*रघुवंशम् - प्रथमसर्गः* Weekly from 9:30pm to 10:15pm on Monday, Tuesday, Thursday, Friday (IST)

https://meet.google.com/jgf-emkq-yfa?hs=224
🙏 13.5.21 वेदवाणी 🙏
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🏵️

*मम द्विता राष्ट्रं क्षत्रियस्य विश्वायोर्विश्वे अमृता यथा नः।*
*क्रतुं सचन्ते वरुणस्य देवा राजामि कृष्टेरुपमस्य वव्रेः॥ ऋग्वेद ४-४२-१॥*🙏🏵️

अनन्त परमात्मा इस ब्रह्मांड का स्वामी है और मैं अमरण आत्मा इस शरीर की स्वामी हूं। मुझे क्षत्रिय बनकर इस राष्ट्र और शरीर को शक्तिशाली और ज्ञानपूर्ण बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। मैं अपने जीवन में श्रमशील बनूं।🙏🏵️

The eternal God is the lord of this universe; I am the immortal soul, the lord of the body. I should try to make this nation and body powerful and enlightened by becoming a Kshatriya. I should be laborious in my life. (Rig Veda 4 -42-1)🙏🏵️ #vedgsawan 🙏🏵️
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
🚩तिथि - तृतीया पूर्ण रात्रि तक

दिनांक - 14 मई 2021
दिन - शुक्रवार
शक संवत - 1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - मॄगशिरा पूर्ण रात्रि तक
योग - सुकर्मा 15 मई रात्रि 01:47 तक तत्पश्चात धृति
राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:35 तक
सूर्योदय - 06:02
सूर्यास्त - 19:07
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
Sanskrit-0655-0700
१४.५ आकाशवाणी संस्कृत
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
परशुरामकथा आसीत् पुरा गाधिनामकराजा | तस्य पुत्री सत्यवती | सा भृगुवंशजातस्य ऋचीकमहर्षेः पत्नी | एकदा सा आश्रममागतं भृगुमहर्षिं अर्चयित्वा स्वस्यै तथा स्वमात्रै च सन्तानप्राप्त्यर्थं फलद्वयं प्राप्तवती | परन्तु दैववशात् मातापुत्र्योः मध्ये फलविनिमयः अभवत्…
VID-20210514-WA0005.mp4
6.7 MB
एकतश्चतुरो वेदान्
          एकतस्सशरं धनुः ।
उभयोर्हि समर्थोस्मि
          शास्त्रादपि शरादपि ॥


अर्थः
"एक हाथ से चारों वेदों को धारण करता हूँ और दूसरे हाथ से बाण युक्त धनुष को पकड़े हुए हूँ। दोनों कलाओं शास्त्रार्थ में और युद्ध में मैं सक्षम हूँ।"

"श्रीपरशुरामजयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ।"

Meaning:

"I hold the four Vedas in one hand and bear a bow and arrow in the other. I am skilled in both streams of art — whether through scientific logical debate or in warfare."

"Hearty wishes to all on the holy occasion of Shri Parashurama Jayanti."

© Sanjeev GN  #Subhashitam
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚

🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। षोडशः सर्गः ।।

🍃 उत्सादयति लोकां स्त्रीन्स्त्रय श्चाप्यपकर्पति।
तस्मात्तस्य वधो दृष्टो मानुपेभ्यः परन्तप॥७॥

⚜️ भावार्थ - इस समय यह तीनों लोकों को उजाड़ता है और स्त्रियों को पकड़ कर ले जाता है, अतःएव वह मनुष्य के हाथ से ही मर सकता है। ॥७॥

🍃इत्येतद्वचनं श्रुत्वा सुराणां विष्णुरात्मवान्।
पितरं रोचयामास तदा दशरथं नृपम् ॥८॥

⚜️ भावार्थ - देवताओं की इन बातों को सुनकर भगवान् विष्णु ने महाराज दशरथ को अपना पिता बनाना पसंद किया ॥८॥

#ramayan
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - १० , देवता - वरुण

🍃 नि षसाद धृतव्रतो वरुणः पस्त्याउ स्वा साम्राज्याय सुक्रतुः। (१०)

⚜️ भावार्थ - व्रत धारण करने वाले एवं उत्तम कर्म करने वाले वरुण दैवी प्रजाओं पर साम्राज्य करने के लिए आकर बैठे थे। (१०)

#Rgveda