संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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श्रीमद्भगवद्गीता
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
श्रीमद्भगवद्गीता - सप्तमोऽध्यायः
#gita
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🍃न विना परवादेन रमते दुर्जनो जन:।
काक: सर्वरसान् भुङ्क्ते विनामलं न तृप्यति
।।"

🔆 दुष्टजनः अन्यजनानां दोषवाचनम् अकृत्वा न तुष्टः भवति कदापि यथा एव काकः यद्यपि सर्वविधं भोजनं खादति तथापि दुर्गन्धयुक्तभोजने अगत्वा न संतोषमनुभवति।

अन्य लोगों की निंदा किए बिना दुष्ट व्यक्तियों को आनंद नहीं आता । जैसे कौवा सभी रसों का भोग अवश्य करता है परंतु गंदगी के बिना उसे तृप्ति नहीं मिलती ।

#Subhashitam
भवति मे आदरः न भवति तदा भवतः किं भवति।
वाक्ये प्रथमः "भवति" इति शब्दः कीदृशः।
Anonymous Quiz
15%
क्रियापदम्
38%
सम्बोधनम्
38%
विभक्तिरूपम्
8%
अव्ययः
क्या आपको याद है कि आपने आखिरी बार कब कोई चिट्ठी लिखी थी? नहीं न।शायद याद होगी भी नहीं।
•• किं भवतः स्मृत्यामस्ति वा यत् भवान् अन्तिमवारम् एकं पत्रं कदा लिखितवान् आसीत् ? नैव नु ? सम्भवतः तत्स्मरणे नागतम् ।

अब चिट्ठी,पत्री या डाकिया घर पर नहीं आता।
•• इदानीं लेखनपत्रं पत्रवाहक: वा गृहं न आयाति।

लोग चिट्ठी-पत्री के महत्त्व को भूलने लगे हैं और बदलने लगे हैं वो मुहावरे जो चिट्ठी,पत्री के सम्बन्ध में ही गढ़े गए थे।
•• लोका: लेखनपत्रस्य महत्त्वं विस्मर्तुमारभन्ते तथा तादृशा: एव लोकोक्तय: परिवर्तितुमारभन्त, या: लेखनपत्रेण सम्बन्धिता: रचिता: आसन् ।

रंग-बिरंगे लिफाफे अलग-अलग पत्रों की श्रेणी को दर्शाते थे।
•• विविधवर्णपिहितपत्राणि पृथक्-पृथक् महत्त्वानि बोधयन्ति स्म।

गुलाबी लिफाफे को देखकर लोग सहज ही उस पत्र के महत्व को समझ जाते थे, लेकिन आज के इन्टरनेट और मोबाइल के युग में लोग चिट्ठी, पत्री लिखने जैसे वाहियात काम को दूर से नमस्कार करते हैं।
•• पाटलपिहितपत्रमवलोक्य जनाः सहजमेव तस्य लेखनपत्रस्य महत्त्वमवगच्छन्ति स्म, परमद्य अन्तर्जालस्य चलद्दूरभाषस्य युगे पत्रादिलेखनमिव अवकरकार्यं दूरात् नमस्कुर्वन्ति।

हर हाथ में मोबाइल ने जिस सन्देश भेजने वाली भाषा 'हिंगलिश' को जन्म दे दिया है वह शायद ही सभी लोगों को समझ में आये।
•• प्रत्येकं हस्ते या चलदूरवाणी सन्देशवाहिका रूपेण हिङ्गलिश्भाषायै जननमददात् तां सर्वैः ज्ञातुं न शक्येत।

अब तो डाकिये सिर्फ पत्रिकाओं या 'सूचना के अधिकार' वाले लिफाफे लेकर आते हैं, जिसे पढ़ने से शायद ही पाने वाले को ख़ुशी होती हो।
•• अधुना तु पत्रवाहकाः केवलं पत्रिकाः उत सूचनाधिकाराणां पिहितपत्राणि एव सम्प्राप्नुवन्ति। येषां पठनात् कदाचिद् हि आदातृभि: प्रसन्नत्वं प्रलभ्यते।

चिट्ठी लिखने वालों की भावनाओं को चिट्ठी पढ़नेवाला ही समझ सकता है।
•• लेखनपत्रलेखकानां भावनाः पत्रवाचको हि अवगन्तुं शक्नोति।

चिठ्ठी -पत्री के महत्व को समझते हुए हिंदी सिनेमा के कई गीतकारों ने अच्छे अच्छे गीतों की रचना की।
•• लेखनपत्रस्य महत्त्वम् अवगच्छन्त: हिन्दीचलच्चित्रस्य अनेके गायनरचनाकारा: उत्तमानि-उत्तमानि गीतानि रचितवन्त:।

चिट्ठी,पत्री के साथ जो मनोभाव, भावना, आवेग जुड़े होते हैं वह इलेक्ट्रोनिक सन्देश में कहाँ मिल सकता है।
•• लेखनपत्रेण सह य: मनोभाव: भावना आवेग: वा संयुक्त: भवति स वैद्युतकसन्देशे कुत्र प्राप्येत?

चिट्ठी, पत्री की लिखावट को देखकर उस व्यक्ति की मनोदशा का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता था।
•• लेखनपत्रस्य हस्तलेखनं दृष्टवा तस्य जनस्य मनोवेग: सहजतया एव अनुमन्यते स्म।

पर आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास वक़्त कहाँ जो कागज के चंद टुकड़ों पर अपने दिल का हाल खोल कर रख सके।
•• परमद्यत्वे व्यस्तपूर्णजीवनकाले लोकानां पार्श्वे समय: कुत्र य: कागदस्य किञ्चिदपृष्ठेषु स्वहृदयस्य व्यथाम् उद्घाट्य ज्ञापयितुं शक्नुयात्।

वह दिन दूर नहीं जब आने वाली पीढ़ी चिट्ठी, पत्री को हैरत से देखा करेगी कि पहले ज़माने के लोग कागज के टुकड़ों पर सन्देश भेजा करते थे।
••तदद्दिनं दूरं न ,यदा आगामिन: वंशजा: लेखनपत्राणि आश्चर्यरूपेण सदा द्रक्ष्यन्ति यत् पूर्वस्मिन् युगे लोका: कर्गदपृष्ठेषु सन्देशान् प्रेषयन्ति स्म।

आज के दौर में अपनी किस्मत खुद ही लिखनी पड़ती है।यह कोई चिट्ठी नहीं है जो दूसरों से लिखवा लिया जायेगा।
•• आधुनिककाले अस्माकं भाग्यं स्वयमेव लेखनीयम्। इदं पत्रं न, यत् अपरेभ्यः लेखयितुं शक्यते।

#vakyabhyas
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं

20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰कर्मणि लोट्लकाराभ्यासः
🗓 १३ दिसम्बर २०२२, मङ्गलवासरः


कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
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Live stream scheduled for
अमरसिंहः वयस्येन सह कदाचन देवालयं गतः । सर्वे पादुके अवतार्य देवालयं प्रविशन्ति खलु । पादस्यूतपादुकाधारी अमरसिंहस्तु पद्भ्यां पादस्यूतौ (socks) च अवतार्य देवालयं प्रविष्टः । पादस्यूतयोः एकः कृष्णवर्णः अपरः रक्तवर्णश्च आस्ताम् । वयस्यः तौ दृष्ट्वा अमरसिंहमपृच्छत्, “मित्र, किमिदम्? एकः पादस्यूतः कृष्णवर्णः अन्यः रक्तवर्णश्च भवतः ?” अमरसिंहः उत्तरमदात्, “ सखे, न जाने कथमित्थमभूदिति । मम गृहेऽपि सदृशौ पादस्यूतौ स्तः ययोः एकः रक्तः अन्यः कृष्णश्च” ।

~ जी एस् एस् मूर्तिः

#hasya
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
🚩तिथि - षष्ठी रात्रि 11:42 तक तत्पश्चात सप्तमी

दिनांक - 14 दिसम्बर 2022
दिन - बुधवार
शक संवत् - 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - पौष
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - मघा 15 दिसम्बर प्रातः 05:16 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - विष्कम्भ पूर्णरात्रि तक
राहु काल - दोपहर 12:34 से 01:55 तक
सूर्योदय - 07:12
सूर्यास्त - 05:56
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:19 तक
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत

https://m.youtube.com/watch?v=nYW70EgtrFM