संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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📙 ऋग्वेद

सूक्त - २५ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०९ , देवता - वरुण

🍃 वेद वातस्य वर्तनिमुरोॠष्वस्य बृहतः वेदा ये अध्यासते। (९)

⚜️ भावार्थ - वरुण विस्तार से संपन्न, दर्शनीय और अधिक गुण वाली वायु का मार्ग जानते हैं। वे आकाश में निवास करने वाले देवों से भी परिचित हैं। (९)

#Rgveda
चाणक्य नीति ⚔️
✒️ त्रयोदश: अध्याय

♦️श्लोक :- १८

एकाक्षरं प्रदातारं यो गुरुं नाभिवन्दते।
श्वानयोनि शतं भुक्त्वा चाण्डालेष्वभिजायते।।१८।।

♦️भावार्थ - जो एक अक्षर 'ओम्' का ज्ञान कराने वाले गुरु को नमन नहीं करता, उनकी चरण वन्दना, आदर सत्कार नहीं करता, वह कुत्ते की सौ योनियों को भोगने के बाद चाण्डालों में पैदा होता है।

#Chanakya
A grammarian and his wife


वैयाकरणवरो मे वरोऽनिशं भाषते वच: किञ्चित् ।

खफछठथेति न जाने हयवरवद् भाषणं तस्य ।।


A lady says: “My husband is a great grammarian and he always keeps on saying “kha pha cha ṭha tha.”  I don’t understand his speech which is like that of a great horse.” 


- Prof. Madhav Deshpande

😆😂😁🤣😆😂😁🤣
#hasya
ओ3म्

152. संस्कृत वाक्य अभ्यासः

अद्य मकरसंक्रांतिः अस्ति।
= आज मकरसंक्रांति है।

समग्रे भारतदेशे अयं पर्व आचरन्ति।
= सारे भारत देश में यह पर्व मनाया जाता है।

तमिलनाडु राज्ये पोंगल इति उच्च्यते।
= तमिलनाडु राज्य में पोंगल कहा जाता है।

बहवः जनाः नद्याम् स्नानं कुर्वन्ति।
= बहुत से लोग नदी में स्नान करते हैं।

अद्य जनाः यज्ञम् कुर्वन्ति।
= आज लोग यज्ञ करते हैं।

यज्ञे तिलस्य आहुतिं ददति।
= यज्ञ में तिल की आहुति देते हैं।

गृहे तिलस्य मोदकानि निर्मान्ति।
= घर में तिल के लड्डू बनाते हैं।

महाराष्ट्रे परस्परं तिलमोदकं दीयते।
= महाराष्ट्र में एकदुसरे को तिल के लड्डू दिए जाते हैं।

ते वदन्ति – तिलमोदकं खाद, मधुरं मधुरं वद..!!
= वे बोलते हैं – तिल के लड्डू खाओ, मीठा मीठा बोलो..!!

गुजराते जनाः वाताटम् डयन्ति।
= गुजरात में लोग पतंग उड़ाते हैं।

सर्वेभ्यः मकरसंक्रान्ति पर्वणः मंगलकामनाः।
= सभी को मकरसंक्रांति पर्व की मंगलकामनाएँ।

ओ3म्

153. संस्कृत वाक्य अभ्यासः

प्रवीणः अद्य नारायणसरोवरं गच्छति।
= आज प्रवीण नारायण सरोवर जा रहा है।

सः परिवार-जनैः सह गच्छति।
= वह परिवार जनों के साथ जा रहा है।

प्रवीणः स्वकीयेन कारयानेन गच्छति।
= वह अपनी कार से जाता है।

मार्गे निर्माणकार्यम् चलति।
= रास्ते में निर्माणकार्य चल रहा है।

अतः सः कारयानं शनैः शनैः चालयति।
= इसलिये वह कार धीमे धीमे चलाता है।

तस्य अनुजा दीक्षा प्रवीणेन सह उपविष्टा अस्ति।
= उसकी छोटी बहन दीक्षा प्रवीण के साथ बैठी है।

दीक्षा मार्गं दृष्ट्वा अवदत्।
= दीक्षा रास्ता देखकर बोली।

पश्यतु भ्रातः ! मार्गः सम्यक् नास्ति।
= देखिये भैया, रास्ता ठीक नहीं है।

इतः आरभ्य तत्र पर्यन्तं मार्गः सम्यक् नास्ति।
= यहाँ से वहाँ तक रास्ता ठीक नहीं है।

ओ ….. ततः मार्गः सम्यक् दृश्यते।
= ओ ….. वहाँ से रास्ता ठीक दिख रहा है।

यथा दीक्षा कथयति तथैव प्रवीणः यानं चालयति।
= जैसा दीक्षा कहती है वैसे ही प्रवीण गाड़ी चलाता है।

तस्य अनुजा दीक्षा प्रसन्ना भवति।
= उसकी छोटी बहन दीक्षा खुश होती है।

ओ3म्

154. संस्कृत वाक्य अभ्यासः

पुत्रः – अम्ब, अद्य शिक्षिका गृहकार्यम् अददात्।
= माँ, आज शिक्षिका ने होमवर्क दिया है।

माता- गृहकार्ये शिक्षिका किम् अददात् ?
= गृहकार्य में शिक्षिका ने क्या दिया है ?

पुत्रः – एकं चित्रं रचनीयम् अस्ति।
= एक चित्र बनाना है।

माता- कस्य चित्रं रचनीयम् अस्ति ?
= किसका चित्र बनाना है ?

पुत्रः – उद्यानस्य चित्रम् अम्ब !
= बगीचे का चित्र माँ !

माता- तर्हि रचय।
= तो फिर बनाओ।

पुत्रः – अहम् उद्यानं गत्वा चित्रं निर्मास्यामि।
= मैं बगीचे जाकर चित्र बनाऊँगा।

माता- उद्याने किं किं भवति तद् अहं वदामि।
= बगीचे में क्या क्या होता है वो मैं बोलती हूँ ।

माता- यद् यद् अहं वदामि तद् तद् रचय।
= जो जो मैं बोलती हूँ वो वो तुम बनाओ ।

माता- त्वमपि प्रतिदिनम् उद्यानं गच्छसि एव।
= तुम भी हर रोज बगीचे जाते ही हो।

पुत्रः – अहं तु तत्र क्रीडनार्थम् गच्छामि।
= मैं तो वहाँ खेलने जाता हूँ।

पुत्रः – अद्य अहं ध्यानपूर्वकम् उद्यानं द्रक्ष्यामि।
= आज मैं ध्यान से बगीचे को देखूँगा।

पुत्रः – तदनन्तरं चित्रं रचयिष्यामि।
= उसके बाद चित्र बनाऊँगा।

माता पुत्राय अनुमतिं ददाति।
= माँ पुत्र को अनुमति देती है।

ओ3म्

155. संस्कृत वाक्य अभ्यासः

गतदिने सः बहु उग्ररू जातः।
= कल वह बहुत उग्र हो गया था।

मम कार्यालयम् आगत्य माम् अवदत्।
= मेरी ऑफिस में आकर मुझसे बोला।

सर्वप्रथमं मम कार्यम् कुरु।
= सबसे पहले मेरा काम करो।

त्वं सर्वेषां कार्यम् करोषि।
= तुम सबका काम करते हो।

ममैव कार्यम् न करोषि।
= मेरा ही काम नहीं करते हो।

यावत् मम कार्यम् न भवति…
= जब तक मेरा काम नहीं होता…

तावत् इतः अहं न गमिष्यामि।
= तब तक मैं यहाँ से नहीं जाऊँगा।

कति दिनानि अभवन्….?
= कितने दिन हो गए….?

मम कार्यम् लम्बितम् अस्ति।
= मेरा काम लटका हुआ है।

अहम् अवदम्।
= मैं बोला।

महोदय , भवतः कार्यम् अभवत्।
= महोदय, आपका काम हो गया।

गतदिने एव पत्रं प्रेषितम्।
= कल ही पत्र भेज दिया।

सः सज्जनः त्वरितमेव गृहम् अगच्छत्।
= वह सज्जन तुरंत घर चला गया।

#vakyabhyas
हितोपदेशः - HITOPADESHAH

षड्दोषा पुरुषेणेह
हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध
आलस्यं दीर्घसूत्रता।। 79/032।।

अर्थः:

इस विश्व में कोई भी पुरुष यदि सब प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त करना चाहता है, तो उसे निद्रा, शक्तिहीनता, भय, क्रोध, आलस्य तथा दीर्घसूत्रता इन छः दोषों को छोड़ना चाहिए।

MEANING:

A man who wishes to gain all kinds of power in this world should abandon these six faults: sleep, lethargy, fear, anger, laziness, and procrastination.

ॐ नमो भगवते हयाननाय।

#Subhashitam
Forwarded from kathaaH कथाः
Namaste

Vishaya: - *Vishesha Varga:*
*Parichaya: - Visheshya Visheshabhava:*

Dinaanka: *13th May 2021*

Samaya: -
3:00 - 5:00 pm *(UAE)*
4:30 - 6:30 pm *(IST)*

Join Zoom Meeting
https://us02web.zoom.us/j/83811109792?pwd=OGYwK3RSd1lwRm9GdzEyN2hUbjdLUT09

Meeting ID: 838 1110 9792
Passcode: 263015

*Note: This link is only for Parichay patralaya students.*

Dhanyawada:
Thursday, May 13, 2021

 राष्टस्य भूरिजनपदेभ्यः षट् तः अष्टसप्ताहपर्यन्तं पिधानम् आवश्यकम्।

यदि नवदिल्ली उद्घाट्यते चेत् दुरन्तस्य आघातः द्विगुणीभविष्यति। 

कोविड् तीव्रव्यापनं - कर्णाटकेषु आगामिनि चतुर्दशदिनानि यावत् सम्पूर्णं पिधानं     प्रख्यापितम्।

लेखिका- रमा टि. के.

  नवदिल्ली> राष्ट्रे यत्र यत्र  जिनपदेषु कोविड्  अतिव्यापनम् अभवत् तत्र तत्र षष्ठतः आरभ्य अष्टसप्ताहपर्यन्तं  सम्पूर्णपिधानम् आवश्यकम् इति Indian council of medical research इत्यस्य अधिपेन डो. बलरामभार्गवेण उक्तम्। अनया रीत्या एव रोगव्यापनं प्रतिरोद्धुं शक्यते इति तेन उक्तम्। रोगव्यापन क्रमः प्रतिशतं दश  (१०% ) इत्यतः अधिकं चेत् नियन्त्रणानि अनुवर्तनीयानि। व्यापनं ५ -१० % इति न्यूनं भविष्यति चेत् उद्घाटनं करणीयम् इति तेन अभिप्रेतम्। इदानीं राष्ट्रस्य ७१८ जनपदेषु ७५ % जनपदेषु  रोगपरीक्षामानः १०% तः अधिकं वर्तते।

~ संप्रति वार्ता
*रघुवंशम् - प्रथमसर्गः* Weekly from 9:30pm to 10:15pm on Monday, Tuesday, Thursday, Friday (IST)

https://meet.google.com/jgf-emkq-yfa?hs=224
🙏 13.5.21 वेदवाणी 🙏
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🏵️

*मम द्विता राष्ट्रं क्षत्रियस्य विश्वायोर्विश्वे अमृता यथा नः।*
*क्रतुं सचन्ते वरुणस्य देवा राजामि कृष्टेरुपमस्य वव्रेः॥ ऋग्वेद ४-४२-१॥*🙏🏵️

अनन्त परमात्मा इस ब्रह्मांड का स्वामी है और मैं अमरण आत्मा इस शरीर की स्वामी हूं। मुझे क्षत्रिय बनकर इस राष्ट्र और शरीर को शक्तिशाली और ज्ञानपूर्ण बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। मैं अपने जीवन में श्रमशील बनूं।🙏🏵️

The eternal God is the lord of this universe; I am the immortal soul, the lord of the body. I should try to make this nation and body powerful and enlightened by becoming a Kshatriya. I should be laborious in my life. (Rig Veda 4 -42-1)🙏🏵️ #vedgsawan 🙏🏵️
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
🚩तिथि - तृतीया पूर्ण रात्रि तक

दिनांक - 14 मई 2021
दिन - शुक्रवार
शक संवत - 1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - मॄगशिरा पूर्ण रात्रि तक
योग - सुकर्मा 15 मई रात्रि 01:47 तक तत्पश्चात धृति
राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:35 तक
सूर्योदय - 06:02
सूर्यास्त - 19:07
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
Sanskrit-0655-0700
१४.५ आकाशवाणी संस्कृत
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