संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च।
वञ्चनं चाऽपमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत् ॥

🔅मतिमान् अर्थनाशं, मनस्तापं, गृहे दुश्चरितानि च, वञ्चनं च, अपमानं च न प्रकाशयेत्।

बुद्धिमान पुरुष वही है, जो धन के नष्ट हो जाने को, मन की वेदना को, घर में बुरे आचरण को, ठगे जाने को और अपमान को दूसरों पर प्रकट नहीं करता। तात्पर्य यह है कि दूसरों से कहने पर सर्वत्र उपहास के अतिरिक्त कुछ भी प्राप्त नहीं होता है।

#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
एक राजा था,जिसे चित्रकला से बहुत ही प्रेम था।एक बार उसने घोषणा की कि जो कोई भी चित्रकार उसे एक ऐसा चित्र बना कर देगा, जो शांति को दर्शाता हो तो वह उसे मुंहमांगा पुरस्कार देगा।निर्णय वाले दिन एक से बढ़कर एक चित्रकार पुरस्कार जीतने की लालसा से अपने-अपने चित्र…
सभी आश्वस्त थे कि पहले चित्र बनाने वाले चित्रकार को ही पुरस्कार मिलेगा।तभी राजा अपने सिंहासन से उठे और घोषणा की कि दूसरा चित्र बनाने वाले चित्रकार को वह मुंहमांगा पुरस्कार देंगे।हर कोई आश्चर्य में था।
•• सर्वे आश्वस्ता: आसन् यत् प्रथमचित्रकारेण एव पुरस्कार: आप्स्यते।तदा राजा स्वसिंहासनात् उत्थाय घोषणामकरोत् यद् द्वितीयचित्रस्य निर्माणं कुर्वते चित्रकाराय अपेक्षितं पारितोषिकं मया दीयेत।सर्वे आश्चर्यचकिता: आसन्।

पहले चित्रकार से रहा नहीं गया , वह बोला , " लेकिन महाराज उस चित्र में ऐसा क्या है जो आपने उसे पुरस्कार देने का फैसला लिया जबकि हर कोई यही कह रहा है कि मेरा चित्र ही शांति को दर्शाने के लिए सर्वश्रेष्ठ है?
•• प्रथमचित्रकारेण सहनं नाभवत्, स: अवदत् , " परन्तु महाराज! तस्मिन् चित्रे वैशिष्ट्य किमस्ति यत् भवान् तस्मै पुरस्कारं दातुं निर्णयं कृतवान् ,यतोपि अन्ये कथयन्ति यत मम् चित्रमेव शान्तिं दर्शियतुं सर्वश्रेष्ठमस्ति।

"आओ मेरे साथ!" राजा ने पहले चित्रकार को अपने साथ चलने के लिए कहा।दूसरे चित्र के समक्ष पहुंच कर राजा बोले," झरने के बायीं ओर हवा से एक ओर झुके इस वृक्ष को देखो।उसकी डाली पर बने उस घोंसले को देखो।कैसे एक चिड़िया इतनी कोमलता से,इतने शान्त भाव से प्रेमपूर्वक अपने बच्चे को भोजन करा रही है।"
•• मया सह आगच्छतु!" नृप: प्रथमचित्रकारं स्वकीयेन सह चलितुं कथयितवान्।द्वितीयचित्रं निकषा प्राप्य राजा अवदत् ," निर्झरस्य वामत: वायो: एकत: नतं एनं वृक्षं पश्य।तस्यां शाखायां निर्मितं तं नीडं पश्य।कथम् एक: खग: एतावता कोमलतया शान्तभावेन च प्रेमपूर्वकं स्वशिशुं भोजनं करा खादयति।"

फिर राजा ने वहाँ उपस्थित सभी लोगों को समझाया, “शांत होने का अर्थ यह नहीं है कि आप ऐसी स्थिति में हों जहाँ कोई शोर नहीं हो।कोई समस्या नहीं हो,जहाँ कड़ी मेहनत नहीं हो ,जहाँ आपकी परीक्षा नहीं हो।शांत होने का सही अर्थ है कि आप हर तरह की अव्यवस्था, अशांति, अराजकता के बीच हों और फिर भी आप शांत रहें, अपने काम पर केंद्रित रहें,अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहें।
•• तदा नृपो तत्र उपस्थितान् सर्वान् जनान् अवगामयत् , “शान्तभावस्य अर्थ: एष नास्ति यत् भवान् एतादृश्यां स्थित्याम् अस्तु यत्र कश्चन शब्द: नास्तु।काचन समस्या नास्तु,यत्र कठोर: परिश्रमो नास्तु ,यत्र भवत: परीक्षा नास्तु।शान्तभावस्य वास्तविक: अर्थ: अस्ति यत् भवान् प्रत्येकं परिस्थिति, अशांति:, अराजकत्वम् इत्यादीनां मध्ये उपस्थित: अस्तु ।तथापि भवान् शान्तं भवतु, स्वकार्ये केंद्रित: भवतु,स्वलक्ष्यं प्रति अग्रसर: भवतु।

अब सभी समझ चुके थे कि दूसरे चित्र को राजा ने क्यों चुना ?
•• इदानीं सर्वे अवगतवन्त: यत् राजा द्वितीयचित्रं किमर्थं चिनुतवान् ?

मित्रों, हर कोई अपने जीवन में शांति चाहता है। परंतु प्राय: हम ‘शांति’ को कोई बाहरी वस्तु समझ लेते हैं, और उसे दूरस्थ स्थलों में ढूँढते हैं, जबकि शांति पूरी तरह से हमारे मन की भीतरी चेतना है, और सत्य यही है कि सभी दुःख-दर्दों, कष्टों और कठिनाइयों के बीच भी शांत रहना ही वास्तव में शांति है।
•• मित्राणि, सर्वे जना: स्वजीवने शान्तिं वाञ्चछन्ति। परन्तु प्राय: वयं ‘शांतिं’ काञ्चन वाह्यवस्तुम् अवगम्य तं दूरस्थस्थलेषु अन्वेषयाम:, यद्यपि शांति: पूर्णत: अस्माकं मनस: आन्तरिकं चेतना अस्ति तथार सत्यम् इदमेव अस्ति यत् सर्वेषां दुःखाणां च वेदनानां च कष्टाणां च काठिन्यानां च मध्ये अपि शांतभावेन सह जीवनं वस्तुत: शांति: अस्ति।

#vakyabhyas
Live stream scheduled for
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं

20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰कर्मणिप्रयोगाभ्यासः (लट्लकार)
🗓 08 दिसम्बर 2022, गुरुवासरः


कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।
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https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=a5962d38e0f292a91c

🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
कदाचित् आङ्ग्ललोकसभायां कश्चन सभ्यः भाषणं कुर्वन्नन्यां सभ्यामुद्दिश्य इत्थमवदत्, “ यद्यहं भवत्याः पतिरभविष्यम् तदा भवत्यै विषमदास्यम्” । सा सभ्या सपद्येव प्रत्यवदत्, “ महोदय, अथ किम्, यदि भवान् मम पतिरभविष्यत् निस्संशयमहं सहर्षं तद्विषमपास्यम्” इति ।

~ जी एस् एस् मूर्तिः

#hasya
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।। 

45 निमेषाः
🕛 IST 12:00 PM   
🔰 संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓 09 दिसम्बर 2022, शुक्रवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat

सङ्ग्रहः
https://archive.org/details/samlapshala_
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिन्दी तिथि 🚩

🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩शक संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा सुबह 11:34 तक तत्पश्चात द्वितीया

⛅️ दिनांक - 09 दिसम्बर 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - हेमंत
⛅️ मास - पौष
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - मृगशिरा दोपहर 02:59 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅️ योग - शुभ 10 दिसम्बर प्रातः 03:44 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅️ राहु काल - सुबह 11:11 से 12:32 तक
⛅️ सर्योदय - 07:09
⛅️ सर्यास्त - 05:55
⛅️ दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बराह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:16 तक
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत

https://youtu.be/-8HmE_nkH78
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🍃अतिथिर्बालकः पत्नी जननी जनकस्तथा।
पञ्चैते गृहिणः पोष्या इतरे न स्वशक्तितः॥

🔅गृहिणः अतिथिः, बालकः पत्नी, जननी तथा जनकः एते पञ्च पोष्याः (सन्ति), इतरे च स्व-शक्तत: (पोष्याः सन्ति)।

गृहस्थ पुरुषों को अतिथि, बालक, पत्नी, माता तथा पिता–इन पाँचों का पालन-पोषण तो अवश्य ही करना चाहिए और दूसरों का अपनी शक्ति के अनुसार पालन-पोषण करना चाहिए। तात्पर्य यह है कि उपर्युक्त पाँच का पालन-पोषण करने में किसी भी गृहस्थ को प्रमाद नहीं करना चाहिए।

#Subhashitam
_______ कार्येण एव त्वं श्रान्तः असि।
Anonymous Quiz
21%
ईषत्
38%
ईषदेन
29%
ईषता
12%
ईषद्
हमारे देश में हरेक साल लगभग 500 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है, परन्तु उत्पादन के बाद फसल भंडारण किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन जाती है।
•• अस्माकं देशे प्रत्येकं वर्षे अनुमानतः पञ्चशतलक्षमीट्रिकटनपरिमितस्य आलुकस्य उत्पादनं भवति,परन्तु उत्पादनात् अनन्तरं सस्यभण्डारणं कृषकाणां कृते महती समस्या निर्मिता भवति।

कुशलतापूर्वक भंडारण की तकनीक को अपनाकर ही किसान लम्बे समय तक इस फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।
•• कुशलतापूर्वकं भण्डारणस्य तकनीकीं स्वीकृत्य एव कृषकाः चिरकालं यावत् एतत् सस्यं सुरक्षितं स्थापयितुं शक्नुवन्ति।

कृषि टेक्नोलॉजी के इस विडियो में किसान आलू को कुशलता से संग्रहीत करने के तकनीक के बारे में जान पायेंगे।
•• "आलूकानां संग्रहणं सम्यग्विधिना कथं कुर्वीत?" कृषि-तकनीकस्य अस्मिन् चलचित्रे कृषका: एनां संग्रहविधिं ज्ञातुं शक्नुवन्ति।

खेती से जुड़ी ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारियों के लिए लिंक पर क्लीक कर देहात किसान ऐप डाउनलोड करें।
•• क्षेत्रसम्बन्धी एवमेव ज्ञानवर्धकविषयार्थं अन्तर्जालस्थानकस्य नुदनं कृत्वा किसान एप इति अवारोपयतु।

किसी भी प्रकार की अन्य सहायता या सलाह के लिए अब हमारे कृषि विशेषज्ञों से सीधा व्हाट्स एप के जरिए जुड़िए।
•• कस्यचनापि प्रकारस्य अन्यसाहाय्यार्थम् उत परामर्शार्थम् इदानीम् अस्माकं कृषिविशेषज्ञै: सह व्हाट्स एप इति माध्यमेन सम्पर्कं करोतु।

जुड़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लीक करें ।
•• सम्पर्कं कर्तुम् अध: प्रदत्तस्य अन्तर्जालस्थानकं नुदतु।


जोड़ों के दर्द को दूर करने में ही अगरु बेहद उपयोगी है।
•• शरीरस्य सन्धिवेदनां दूरीकर्तुं अगरुः अत्यन्तोपयोगकरः।

ऐसे में इसके पत्तों को पीसकर उसका लेप तैयार करें।
•• एवम् एतेषां पत्राणि पेषणं कृत्वा लेपनं सज्जीकरोतु।

ऐसा करने से न केवल गठिया की समस्या दूर होती है बल्कि जोड़ों में सूजन, लकवा आदि की समस्या में से भी लाभ मिलता है।
•• एवं क्रियते चेत् सन्धिपीडा लुप्ता भवेत्। शोधः पक्षघातरोगः च सदृशेभ्यो रोगेभ्य: मुक्तिमपि सुलभम्।

~उमेशगुप्ता

#vakyabhyas