संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।

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🍃यावद्वित्तोपार्जनसक्तः
तावन्निजपरिवारो रक्तः।
पश्चाज्जीवति जर्जरदेहे
वार्तां कोऽपि न पृच्छति गेहे


जबतक व्यक्ति धनोपार्जन में समर्थ है,तब तक परिवार में सभी उसके प्रति स्नेह प्रदर्शित करते हैं.परन्तु अशक्त हो जाने पर उसे सामान्य बातचीत में भी नहीं पूछा जाता है।

🔅यावत् पर्यन्तं कश्चन मनुष्यः धनोपार्जने निरतः भवति तावत् तस्य विषये सर्वे परिपृच्छन्ति किन्तु यदा सः निशक्तः भवती तदा तस्य विषये कोऽपि न पश्यति।

#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
११. तुम दोनों ने अवश्य ही अपराध किया है | तुम्हारा इनकार कुछ अर्थ नहीं रखता | = अवश्यमेव अपराद्धं युवाभ्याम् | अनर्थकं युवयोः प्रतिषेध: | १२. विश्वामित्र ने चिरकाल तक तपस्या कि और ब्राह्मणत्व को प्राप्त किया = विश्वामित्र: चिरं तपश्चचार ब्राह्मणत्वं च जगाम…
१. देवापि , शन्तनु और वाल्हीक ये प्रतीक के पुत्र थे |
= देवापि: शन्तनु: वाल्हीकश्च प्रातीका: आसन् |

२. कर्ण और अश्वथामा पाण्डवों के जानी दुश्मन थे |
= कर्ण: अश्वथामा च पाण्डवानां प्राणद्रुहौ दुर्हृदौ आस्ताम् |

३. अच्छा यहि ठहरा कि राम श्याम और में अपना झगडा गुरुजी के सामने रख देंगे |
= इदं तावद् व्यवस्थितं राम: श्यामोsहं च विवादपदं गुरवे निवेदयिष्याम: |

४. तुम ने और तुम्हारे भाई ने परिश्रम से धन कमाया और योग्य व्यक्तियों को दिया |
= त्वं त्वदीयश्च भ्राता परिश्रमेण धनम् आर्जयतं पात्रेषु च प्रत्यपादयतम् |

५. तू और मैं इस कार्य को मिलकर कर सकते हैं , विष्णुमित्र और यज्ञदत्त नहीं |
=त्वमहं च इदं कार्यं सम्भूय कर्तुमर्हाव: विष्णुमित्र: यज्ञदत्तश्च न |

६. न तुझे और न मुझे भविष्यत् का ज्ञान है , क्योंकि हमें आर्षदर्शन प्राप्त नहीं है |
= न त्वमायतिं प्रजानासि न चाहं न हि आवयो: आर्षं दर्शनं समस्ति |

७. न तुम और न ही तुम्हारा भाई जानता है कि स्वाध्याय में प्रमाद हानि करता है |
= न त्वं प्रजानासि न तव भ्राता यद् स्वाध्याये प्रमाद: रेषति |

८. इस समय न राजा और न ही प्रजा प्रसन्न दीखते हैं , कारण कि सभी कर्तव्य से विचलित हो रहें हैं |
= एतर्हि न च राज्ञा न च प्रजया प्रसीद्यते यतो हि सर्वैः कर्तव्याद् विचल्यते |

९. इस दुश्चेष्टित का तुम्हें और उन्हें उत्तर देना होगा |
= त्वं वा ते वा दुश्चेष्टितम् इदम् अनुयोज्या: सन्ति |

१०. बहू और सास की खटपती रहती है , इसलिये घर में शान्ति नहीं |
= वधू: श्वश्रूश्च नित्यं कलहायेते अत: गेहे शान्तिर्न गाहते ।

११. यह बल का काम या तो भीम कर सकता है या अर्जुन ; कोई और नहीं |
= अस्मिन् बलकार्ये भीम: समर्थ: अर्जुनो वा नेतर: |

१२. कहा नहीं जाता कि मैं उन्हें जीतू अथवा वे मुझे जीते |
= न कथ्यते यद् अहं वा तन जयेयं वा ते माम् |

१३. मैं जानता हूँ या ईश्वर जानता है कि मैंने तुम्हे धोखा देने की चेष्टा नहीं की |
= अहं जाने ईश्वरो वा यद् अहं त्वां वञ्चयितुं नाचेष्टे |

१४. देवदत्त ने या उसके साथियों ने कल यह ऊधम मचाया था |
= देवदत्तो वा तत्सहाचरा वा ह्य: इमम् उद्धमम् आचरन् |

१५. भूमि पर पडे हुए उस महानुभाव के शरीर को न कान्ति छोडती है , न प्राण , न तेज और न पराक्रम |
= भूमौ पतितं तस्य महानुभावस्य शरीरं न कान्ति: जहाति न प्राणा: न तेज: न च पराक्रम: |

अनुवाद डॉ. शीतल जी पोकार (आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल, रोजड़, गुजरात)

#vakyabhyas
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।। 

45 निमेषाः
🕛 IST 12:00 PM   
🔰 भाषासाम्यता
🗓 19th अक्टूबर 2022, बुधवासरः

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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(भवतां स्थानीया भाषा कथं संस्कृतेन सम्बद्धा अस्ति इति वदन्तु। )। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

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पञ्जीकरणम्
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - नवमी दोपहर 02:13 तक तत्पश्चात दशमी

⛅️दिनांक - 19 अक्टूबर 2022
⛅️दिन - बुधवार
⛅️शक संवत् - 1944
⛅️अयन - दक्षिणायन
⛅️ऋतु - शरद
⛅️मास - कार्तिक
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - पुष्य सुबह 08:02 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅️योग - साध्य शाम 05:33 तक तत्पश्चात शुभ
⛅️राहु काल - दोपहर 12:24 से 01:51 तक
⛅️सर्योदय - 06:38
⛅️सर्यास्त - 06:11
⛅️दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅️बराह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:48 तक
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