बालिका कुशलतया दण्ड भ्रामयन्ती अस्ति।
वाक्ये कुत्र दोषः वर्तते।
वाक्ये कुत्र दोषः वर्तते।
Anonymous Quiz
6%
कुशलतया
59%
दण्ड
22%
भ्रामयन्ती
13%
नास्ति दोषः
परह्यस्तनीयः संस्कृताश्रमः
https://youtu.be/y46Xy_E_i4M
सम्पूर्णा शृङ्खला
https://youtube.com/playlist?list=PL6OCpxoxDlOZwPLLcoB8TtdqgxmdSR-7c
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26 September 2022
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
मकरसङ्क्रान्तिः अस्माकं भारतवर्षं पर्वणां देशः अस्ति। वयं बहूनि विविधानि पर्वाणि सर्वेषु ऋतुषु आचरामः। शीतर्तोः प्रमुखपर्व मकरसङ्क्रान्तिः अस्माकं प्रमुखपर्वसु वर्तते। मकरसङ्क्रान्तिः हिन्दूधर्मस्य प्रमुखपर्वसु एकम् अस्ति। =मकर संक्रांति हिन्दू धर्म के…
एवं मन्यते यत् एतेन पत्युः दीर्घायुष्यं भवति।
=ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है।
अस्माकं भारतवर्षस्य विविधक्षेत्रेषु मकरसङ्क्रान्तेः पर्व पृथक्पृथग्विधिना आचर्यते।
=भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।
आन्ध्रप्रदेशे केरले कर्नाटके च इदं सङ्क्रान्तिः कथ्यते।
=आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है ।
तमिलनाडौ च पोंगलपर्वरूपेण आचर्यते।
=और तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है।
पञ्जाबहरियाणाराज्ययोः अस्मिन् काले नव सस्यस्य स्वागतं क्रियते लोहडीति नाम्ना एतत् पर्व आचर्यते।
=पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।
असमराज्ये बिहू रूपेण इदं पर्व सोल्लासं जनाः आचरन्ति।
=असम में बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
सर्वेषु राज्येषु एतन्नाम आचरणविधिः च पृथक्पृथक् भवतः।
= हर प्रांत में इसका नाम और मनाने का तरीका अलग-अलग होता है।
विविधमान्यतानुसारं एतत्पर्वणः व्यञ्जनानि अपि विविधानि भवन्ति।
=अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं।
परन्तु माषद्विदलतण्डुलयोः कृशरः एतत्पर्वणः प्रमुखम् अभिज्ञानं जातम् अस्ति।
=लेकिन दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान बन चुकी है।
विशेषरूपेण गुडाज्याभ्यां सह कृशरखादनस्य महत्त्वं वर्तते।
= विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है।
#vakyabhyas
=ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है।
अस्माकं भारतवर्षस्य विविधक्षेत्रेषु मकरसङ्क्रान्तेः पर्व पृथक्पृथग्विधिना आचर्यते।
=भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।
आन्ध्रप्रदेशे केरले कर्नाटके च इदं सङ्क्रान्तिः कथ्यते।
=आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है ।
तमिलनाडौ च पोंगलपर्वरूपेण आचर्यते।
=और तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है।
पञ्जाबहरियाणाराज्ययोः अस्मिन् काले नव सस्यस्य स्वागतं क्रियते लोहडीति नाम्ना एतत् पर्व आचर्यते।
=पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।
असमराज्ये बिहू रूपेण इदं पर्व सोल्लासं जनाः आचरन्ति।
=असम में बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है।
सर्वेषु राज्येषु एतन्नाम आचरणविधिः च पृथक्पृथक् भवतः।
= हर प्रांत में इसका नाम और मनाने का तरीका अलग-अलग होता है।
विविधमान्यतानुसारं एतत्पर्वणः व्यञ्जनानि अपि विविधानि भवन्ति।
=अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं।
परन्तु माषद्विदलतण्डुलयोः कृशरः एतत्पर्वणः प्रमुखम् अभिज्ञानं जातम् अस्ति।
=लेकिन दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान बन चुकी है।
विशेषरूपेण गुडाज्याभ्यां सह कृशरखादनस्य महत्त्वं वर्तते।
= विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है।
#vakyabhyas
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं
⏳20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰शानच्-पुल्लिङ्गाभ्यासः
🗓 28th सितम्बर 2022, बुधवासरः
कृपया अलार्म लगा लें और विलम्ब से न आयें।
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=a5962d38e0f292a91c
🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब प्लेलिस्ट पर डाली जायेगी
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पत्न्या स्वायै वृन्ताकवर्णस्य शाटिकाम् आनेतुं निर्दिष्टः पतिः।
वस्त्रापणं गमनात् पूर्वं सः शाकापणं गतः वृन्ताकस्य वर्णम् अभिज्ञातुम् ।
परन्तु अधुना.....
#hasya
वस्त्रापणं गमनात् पूर्वं सः शाकापणं गतः वृन्ताकस्य वर्णम् अभिज्ञातुम् ।
परन्तु अधुना.....
#hasya
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https://www.hindustantimes.com/cities/pune-news/open-day-at-deccan-college-to-view-the-makings-of-an-encyclopaedic-dictionary-of-sanskrit-101663873157538.html
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🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिन्दी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩शक संवत - १९४४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि 12:08 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - 29 सितम्बर 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शरद
⛅ मास - आश्विन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - विशाखा 30 सितम्बर सुबह 05:13 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅ योग - विष्कम्भ रात्रि 12:56 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅ राहु काल - दोपहर 02:00 से 03:30 तक
⛅ सूर्योदय - 06:30
⛅ सूर्यास्त - 06:29
⛅ दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:42 तक
🚩आज की हिन्दी तिथि
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🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
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⛅ दिनांक - 29 सितम्बर 2022
⛅ दिन - गुरुवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
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⛅ नक्षत्र - विशाखा 30 सितम्बर सुबह 05:13 तक तत्पश्चात अनुराधा
⛅ योग - विष्कम्भ रात्रि 12:56 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅ राहु काल - दोपहर 02:00 से 03:30 तक
⛅ सूर्योदय - 06:30
⛅ सूर्यास्त - 06:29
⛅ दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:42 तक
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
https://youtu.be/tk6ajHaRXio
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वार्ता : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का अरुणाचल प्रदेश का दौरा और अन्य ख़बर
DD News 24x7 | #BreakingNews & other #LiveUpdates | News in Hindi
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News…
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🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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#chitram
🍃
~भट्टनारायणः
(वेणीसंहारनाटके कर्णोक्तिः ३/३७)
⚜मैं सूत(जुलाहा) हूँ या सूत का पुत्र या ये,वो,जो कुछ भी हूँ,,किसी कुल या जाति में जन्म देना भाग्य के अधीन हैं,,परंतु मेरा पुरूषार्थ, मेरा पराक्रम मेरा बाहुबल मेरे अधीन हैं ये सब स्वयं मैंने अर्जित किया हैं।
🔅अहं सूतः अस्मि सूतपुत्रो वा अस्मि भवतु नाम अहं कोऽपि अहं कस्मिन् कुले जन्म प्राप्नोमि तत् देवानां हस्ते मम हस्ते तु मम पौरुषं परक्रमम् एवास्ति।
#Subhashitam
सूतो वा सूतपुत्रो वा यो वा को वा भवाम्यहम्!
देवायत्तं कुले जन्म मदायत्तं तु पौरूषम्
।। ~भट्टनारायणः
(वेणीसंहारनाटके कर्णोक्तिः ३/३७)
⚜मैं सूत(जुलाहा) हूँ या सूत का पुत्र या ये,वो,जो कुछ भी हूँ,,किसी कुल या जाति में जन्म देना भाग्य के अधीन हैं,,परंतु मेरा पुरूषार्थ, मेरा पराक्रम मेरा बाहुबल मेरे अधीन हैं ये सब स्वयं मैंने अर्जित किया हैं।
🔅अहं सूतः अस्मि सूतपुत्रो वा अस्मि भवतु नाम अहं कोऽपि अहं कस्मिन् कुले जन्म प्राप्नोमि तत् देवानां हस्ते मम हस्ते तु मम पौरुषं परक्रमम् एवास्ति।
#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
एवं मन्यते यत् एतेन पत्युः दीर्घायुष्यं भवति। =ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है। अस्माकं भारतवर्षस्य विविधक्षेत्रेषु मकरसङ्क्रान्तेः पर्व पृथक्पृथग्विधिना आचर्यते। =भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से…
इतोपि तिलगुडयोः अपि मकरसङ्क्रान्तौ अपरिमितं महत्त्वम् अस्ति।
=इसके अलावा तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व है।
ज्योतिषः दृष्ट्या एतस्मिन् दिने दिवाकरः धनुराशिं विहाय मकरराशौ प्रविशति तस्य च उत्तरायणगतिः प्रारभते।
=ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है।
सूर्योत्तरायणप्रवेशेन सह स्वागतपर्वरूपेण मकरसङ्क्रान्तेः पर्व आचर्यते।
=सूर्य के उत्तरायण प्रवेश के साथ स्वागत-पर्व के रूप में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
आवर्षे द्वादशराशिषु मेषवृषभमकरकुम्भधन्वित्यादिषु भगवद्भास्करस्य द्वादशसङ्क्रमणाः भवन्ति।
= वर्षभर में बारह राशियों मेष, वृषभ, मकर, कुंभ, धनु इत्यादि में सूर्य के बारह संक्रमण होते हैं
यदा रविः धनुराशितः मकरं प्रति सङ्कमते तदा मकरसङ्क्रान्तिः वर्तते।
= जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है।
सूर्योत्तरायणात् अनन्तरं देवानां ब्रह्मुहुर्तोपासनायाः पूण्यवेला प्रारभते।
= सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्म मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है।
इमां वेलां हि परा-अपराविद्ययोः प्राप्तिकालः उच्यते।
=इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का काल कहा जाता है।
अयं साधनायाः सिद्धिकालोऽपि उक्तोस्ति।
=इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा गया है।
मकरसङ्क्रान्तिः स्नानदानयोः पर्वापि कथ्यते।
=मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है।
अस्मिन् दिने तीर्थस्थलेषु पवित्रनदीषु च स्नानस्य अपरिमितं महत्त्वम् अस्ति।
=इस दिन तीर्थों एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है ।
एतेन सहैव तिलगुडकृशरफलानां राश्यानुसारं दानेन पुण्यलब्धिः वर्तते।
=साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है।
एवमपि मन्यते यत् अस्मिन् दिने कृतदानेन प्रभाकरः देवता मोदते।
=ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।
#vakyabhyas
=इसके अलावा तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व है।
ज्योतिषः दृष्ट्या एतस्मिन् दिने दिवाकरः धनुराशिं विहाय मकरराशौ प्रविशति तस्य च उत्तरायणगतिः प्रारभते।
=ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है।
सूर्योत्तरायणप्रवेशेन सह स्वागतपर्वरूपेण मकरसङ्क्रान्तेः पर्व आचर्यते।
=सूर्य के उत्तरायण प्रवेश के साथ स्वागत-पर्व के रूप में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
आवर्षे द्वादशराशिषु मेषवृषभमकरकुम्भधन्वित्यादिषु भगवद्भास्करस्य द्वादशसङ्क्रमणाः भवन्ति।
= वर्षभर में बारह राशियों मेष, वृषभ, मकर, कुंभ, धनु इत्यादि में सूर्य के बारह संक्रमण होते हैं
यदा रविः धनुराशितः मकरं प्रति सङ्कमते तदा मकरसङ्क्रान्तिः वर्तते।
= जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है।
सूर्योत्तरायणात् अनन्तरं देवानां ब्रह्मुहुर्तोपासनायाः पूण्यवेला प्रारभते।
= सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्म मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है।
इमां वेलां हि परा-अपराविद्ययोः प्राप्तिकालः उच्यते।
=इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का काल कहा जाता है।
अयं साधनायाः सिद्धिकालोऽपि उक्तोस्ति।
=इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा गया है।
मकरसङ्क्रान्तिः स्नानदानयोः पर्वापि कथ्यते।
=मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है।
अस्मिन् दिने तीर्थस्थलेषु पवित्रनदीषु च स्नानस्य अपरिमितं महत्त्वम् अस्ति।
=इस दिन तीर्थों एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है ।
एतेन सहैव तिलगुडकृशरफलानां राश्यानुसारं दानेन पुण्यलब्धिः वर्तते।
=साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है।
एवमपि मन्यते यत् अस्मिन् दिने कृतदानेन प्रभाकरः देवता मोदते।
=ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।
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