writereaddata_Bulletins_Text_NSD_2021_May_NSD_Sanskrit_Sanskrit.pdf
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३.५ सायंकाल आकाशवाणी
Monday, May 3, 2021
केरले 'विजयतरङ्गः'
कोच्ची> केरले विधानसभानिर्वाचने मुख्यमन्त्रिणः पिणरायि विजयस्य व्यक्तिप्रभावेण सि पि एम् नेतृत्वे वामपक्षजनाधिपत्यसख्यः तस्य शासनस्यानुवर्तनं दृढीचकार। १४० स्थानेषु ९९ स्थानानि वामसख्येन प्राप्तानि। मुख्यविपक्षदलं कोण्ग्रस् नेतृत्वे विद्यमानः ऐक्यजनाधिपत्यसख्यः अवशिष्टानि ४१ स्थानानि प्राप। स्वप्रभावं प्रकाशयितुम् भाजपानेतृत्वे विद्यमानेन एन् डि ए सख्येन अत्युत्साहेन कृतः भगीरथप्रयत्नः विफलः जातः। किञ्च हस्तागतं स्थानमेकं विनष्टं जातं च।
तमिल्नाडे डि एम् के सख्यः विजयीभूतः।
चेन्नै> संवत्सरदशकस्यानन्तरं तमिलनाट् राज्ये एं के स्टालिनेन नीयमानस्य डि एम् के दलस्यनेतृत्वे विद्यमानाय सख्याय राज्यशासनं प्रत्यागच्छति। २३४ स्थानेषु १५६ अधिकानि स्थानानि डि एम् के सख्याय लब्धानि। विद्यमानशासनपक्षेण ए ऐ ए डि एम् के सख्येन ७८ स्थानानि प्राप्तानि।
नूतनराजनैतिकदलं रूपीकृत्य १८० अधिकेषु स्थानेषु स्पर्धितवते चलच्चित्राभिनेतुः कमलहासस्य 'मक्कल् नीतिमय्यं' दलाय च शून्यं स्थानमलभत। कमलहासः अपि कोयम्पत्तूर् मण्डले पराजितः।
~ संप्रति वार्ता
केरले 'विजयतरङ्गः'
कोच्ची> केरले विधानसभानिर्वाचने मुख्यमन्त्रिणः पिणरायि विजयस्य व्यक्तिप्रभावेण सि पि एम् नेतृत्वे वामपक्षजनाधिपत्यसख्यः तस्य शासनस्यानुवर्तनं दृढीचकार। १४० स्थानेषु ९९ स्थानानि वामसख्येन प्राप्तानि। मुख्यविपक्षदलं कोण्ग्रस् नेतृत्वे विद्यमानः ऐक्यजनाधिपत्यसख्यः अवशिष्टानि ४१ स्थानानि प्राप। स्वप्रभावं प्रकाशयितुम् भाजपानेतृत्वे विद्यमानेन एन् डि ए सख्येन अत्युत्साहेन कृतः भगीरथप्रयत्नः विफलः जातः। किञ्च हस्तागतं स्थानमेकं विनष्टं जातं च।
तमिल्नाडे डि एम् के सख्यः विजयीभूतः।
चेन्नै> संवत्सरदशकस्यानन्तरं तमिलनाट् राज्ये एं के स्टालिनेन नीयमानस्य डि एम् के दलस्यनेतृत्वे विद्यमानाय सख्याय राज्यशासनं प्रत्यागच्छति। २३४ स्थानेषु १५६ अधिकानि स्थानानि डि एम् के सख्याय लब्धानि। विद्यमानशासनपक्षेण ए ऐ ए डि एम् के सख्येन ७८ स्थानानि प्राप्तानि।
नूतनराजनैतिकदलं रूपीकृत्य १८० अधिकेषु स्थानेषु स्पर्धितवते चलच्चित्राभिनेतुः कमलहासस्य 'मक्कल् नीतिमय्यं' दलाय च शून्यं स्थानमलभत। कमलहासः अपि कोयम्पत्तूर् मण्डले पराजितः।
~ संप्रति वार्ता
🙏 2.5.21 वेदवाणी 🙏
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🌹
प्रातः सुतमपिबो हर्यश्व माध्यंदिनं सवनं केवलं ते।
समृभुभिः पिबस्व रत्नधेभिः सखीँर्याँ इन्द्र चकृषे सुकृत्या॥ ऋग्वेद ४-३५-७॥🙏🌹
जो मनुष्य प्रातःकाल, मध्यकाल और सायंकाल उत्तम कर्म करता है। वह भाग्यशाली होता है। वह विद्वानों का मित्र बन जाता है।🙏🌹
A person who does good work in the morning, midday and evening. He is lucky. He becomes a friend of scholars. (Rig Veda 4–35–7)🙏🌹#vedgsawan🙏🌹
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🌹
प्रातः सुतमपिबो हर्यश्व माध्यंदिनं सवनं केवलं ते।
समृभुभिः पिबस्व रत्नधेभिः सखीँर्याँ इन्द्र चकृषे सुकृत्या॥ ऋग्वेद ४-३५-७॥🙏🌹
जो मनुष्य प्रातःकाल, मध्यकाल और सायंकाल उत्तम कर्म करता है। वह भाग्यशाली होता है। वह विद्वानों का मित्र बन जाता है।🙏🌹
A person who does good work in the morning, midday and evening. He is lucky. He becomes a friend of scholars. (Rig Veda 4–35–7)🙏🌹#vedgsawan🙏🌹
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी दोपहर 01:10 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - 04 मई 2021
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - श्रवण सुबह 08:26 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅ योग - शुक्ल रात्रि 10:22 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅ राहुकाल - शाम 03:50 से शाम 05:28 तक
⛅ सूर्योदय - 06:07
⛅ सूर्यास्त - 19:03
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
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प्रतिदिनं संस्कृतं
*कथापठनशृङ्खला*
केवलं 30 निमेषा:
समय: - 11.30 AM to 12 noon
Google Meet joining info
Video call link: https://meet.google.com/anj-tyfb-aum
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#ramayan
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃 ब्रह्मणा च समागम्य तत्र तस्थौ समाहितः।
तमब्रुवन्सुराः सर्वे समभिष्ट्रय संनताः ॥१७॥
⚜️ भावार्थ - जब विष्णु भगवान ब्रह्मा जी से मिल कर उनके पास बैठे तब देवताओं ने बड़ी नम्रता के साथ उनकी स्तुति की और बोले ॥१७॥
🍃 त्वां नियोक्ष्यामहे विष्णो लोकानां हितकाम्यया।
राज्ञो दशरथस्य त्वमयोध्याधिपतेः प्रभोः ॥१८॥
⚜️ भावार्थ - हम लोग आपसे सब की भलाई के लिये यह प्रार्थना करते हैं कि आप धर्मात्मा, दानी और ऋषि तेजस्वी अयोध्यापति महाराज दशरथ के घर जन्म लें।
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
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।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃 ब्रह्मणा च समागम्य तत्र तस्थौ समाहितः।
तमब्रुवन्सुराः सर्वे समभिष्ट्रय संनताः ॥१७॥
⚜️ भावार्थ - जब विष्णु भगवान ब्रह्मा जी से मिल कर उनके पास बैठे तब देवताओं ने बड़ी नम्रता के साथ उनकी स्तुति की और बोले ॥१७॥
🍃 त्वां नियोक्ष्यामहे विष्णो लोकानां हितकाम्यया।
राज्ञो दशरथस्य त्वमयोध्याधिपतेः प्रभोः ॥१८॥
⚜️ भावार्थ - हम लोग आपसे सब की भलाई के लिये यह प्रार्थना करते हैं कि आप धर्मात्मा, दानी और ऋषि तेजस्वी अयोध्यापति महाराज दशरथ के घर जन्म लें।
#Rgveda
📚 वेदपाठन - आओ वेद पढ़ें
📙 ऋग्वेद
सूक्त - २४ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - १५ , देवता - अग्नि आदि।
🍃 उदुत्तमं वरुण पाशमस्मदवाधमं वि मध्यमं श्रथाय।
अथा वयमादित्य व्रते तवानागसो अदितये स्याम (१५)
⚜️ भावार्थ - हे वरुण ! मेरे सिर में बंधे हुए फंदे को ऊपर से और पैरों में बंधे हुए फंदे को नीचे से खोल दो तथा कमर में बंधे हुए फंदे को बीच में ढीला कर दो। हे अदितिपुत्र वरुण! हम तुम्हारे यज्ञ में सतत संलग्न रहकर पापमुक्त हो जाएंगे। (१५)
👉🏻 🚩सूक्त 24 समाप्त
📚 वेदपाठन - आओ वेद पढ़ें
📙 ऋग्वेद
सूक्त - २४ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - १५ , देवता - अग्नि आदि।
🍃 उदुत्तमं वरुण पाशमस्मदवाधमं वि मध्यमं श्रथाय।
अथा वयमादित्य व्रते तवानागसो अदितये स्याम (१५)
⚜️ भावार्थ - हे वरुण ! मेरे सिर में बंधे हुए फंदे को ऊपर से और पैरों में बंधे हुए फंदे को नीचे से खोल दो तथा कमर में बंधे हुए फंदे को बीच में ढीला कर दो। हे अदितिपुत्र वरुण! हम तुम्हारे यज्ञ में सतत संलग्न रहकर पापमुक्त हो जाएंगे। (१५)
👉🏻 🚩सूक्त 24 समाप्त
✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️त्रयोदश अध्याय
♦️श्लोक:-०८
धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोअ्पि न विद्वते।
अजागलस्तनस्येव तस्य जन्म निरर्थकम्।।९।।
♦️भावार्थ --जिस व्यक्ति के पास धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों में से एक भी नहीं होता, उसका जन्म बकरे के गले में लटकने वाले स्तनों के समान व्यर्थ और निष्फल है।।
#Chanakya
✒️त्रयोदश अध्याय
♦️श्लोक:-०८
धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोअ्पि न विद्वते।
अजागलस्तनस्येव तस्य जन्म निरर्थकम्।।९।।
♦️भावार्थ --जिस व्यक्ति के पास धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों में से एक भी नहीं होता, उसका जन्म बकरे के गले में लटकने वाले स्तनों के समान व्यर्थ और निष्फल है।।
#Chanakya
हितोपदेशः - HITOPADESHAH
इज्याध्ययनदानानि
तपः सत्यं धृतिः क्षमा।
अलोभ इति मार्गोऽयं
धर्मस्याष्टविधः स्मृतः।। 53/006।।
तत्र पूर्वश्चतुर्वर्गो
दम्भार्थमपि सेव्यते।
उत्तरस्तु चतुर्वर्गो
महात्मन्येव तिष्ठति।। 54/007।।
अर्थः:
यज्ञ करना, वेदों का अध्ययन करना, दान करना, तपस्या करना, सत्य कहना, धैर्य रखना, क्षमा करना और लोभ न करना, ये आठ प्रकार के धर्म के मार्ग हैं। पहले चार धर्म केवल दिखावे के लिए किए जा सकते हैं, जबकि अंतिम चार केवल महात्मा ही वास्तविकता में पालन करते हैं।
MEANING:
Performing yajna, studying Vedas, donating, doing tapasya (penance), speaking truth, maintaining patience, forgiving, and being free from greed are the eight ways of practicing dharma. The first four can be performed even by those who seek merely to show off, while the last four are practiced truly only by virtuous people.
ॐ नमो भगवते हयास्याय।
#Subhashitam
इज्याध्ययनदानानि
तपः सत्यं धृतिः क्षमा।
अलोभ इति मार्गोऽयं
धर्मस्याष्टविधः स्मृतः।। 53/006।।
तत्र पूर्वश्चतुर्वर्गो
दम्भार्थमपि सेव्यते।
उत्तरस्तु चतुर्वर्गो
महात्मन्येव तिष्ठति।। 54/007।।
अर्थः:
यज्ञ करना, वेदों का अध्ययन करना, दान करना, तपस्या करना, सत्य कहना, धैर्य रखना, क्षमा करना और लोभ न करना, ये आठ प्रकार के धर्म के मार्ग हैं। पहले चार धर्म केवल दिखावे के लिए किए जा सकते हैं, जबकि अंतिम चार केवल महात्मा ही वास्तविकता में पालन करते हैं।
MEANING:
Performing yajna, studying Vedas, donating, doing tapasya (penance), speaking truth, maintaining patience, forgiving, and being free from greed are the eight ways of practicing dharma. The first four can be performed even by those who seek merely to show off, while the last four are practiced truly only by virtuous people.
ॐ नमो भगवते हयास्याय।
#Subhashitam
अपो देवीरुपह्वये
यत्र गावः पिबन्ति नः ।
सिन्धुभ्यः कर्त्वं हविः ॥
अन्वयः (संस्कृतवाक्यरचनापद्धतिः)
नः गावः यत्र पिबन्ति (तत्र) देवीः अपः उपह्वये । सिन्धुभ्यः हविः कर्त्वम् ।
अन्वयार्थः (प्रतिपदार्थः)
नः - हमारी
गावः - गायें
यत्र - जिस नदी में
पिबन्ति - जल पीतें हैं,
(तत्र - उस नदी में)
देवीः - कान्तिमय
अपः - जल का
उपह्वये - आह्वान करते हैं ।
सिन्धुभ्यः - नदियों को
हविः - नैवेद्य
कर्त्वम् - करना है ।
विवरणः -
प्राचीन वैदिक काल में नदियों और उनके जल को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता था। जिस नदी में गाय पानी पीती थी, उस नदी के जल को पवित्र माना जाता था और नदियों को हवि, नैवेद्य, या भोजन अर्पित करने की प्रथा थी। गायत्री छंद में बद्ध यह ऋक् ऋग्वेद से लिया गया है और प्राचीन काल में जल की पूजा और सम्मान करने के तरीकों को दर्शाता है।
वर्तमान में सरकार ने राज्यभर में मदिरा की दुकानों को खोल दिया है। कई स्थानों पर लोग इन दुकानों की पूजा करके मदिरा का सेवन कर रहे हैं। यह हमारी प्राचीन सनातन संस्कृति के लिए एक बड़ा धक्का है। हमारी संस्कृति में नदी, जल आदि की पूजा की जाती है, लेकिन कलियुग की विडंबना यह है कि जिस मदिरा से मनुष्य की आंतों को नुकसान पहुंचता है, वही मदिरा अब पूजनीय बन गई है।
© Sanjeev GN #Subhashitam
ओ३म्
८७. संस्कृत वाक्याभ्यासः
आपणे अनेके जनाः सन्ति।
= बाजार में अनेक लोग हैं
सर्वे धनत्रयोदशी अर्थं वस्तूनि क्रीणन्ति।
= सभी धनतेरस के लिये वस्तुएँ खरीद रहे हैं।
दीपावली-पर्वणः कृते अपि वस्तूनि क्रीणन्ति।
= दीपावली के लिये भी वस्तुएँ खरीद रहे हैं
गृहसज्जायाः वस्तूनि सन्ति आपणे।
= घर की सजावट की वस्तुएँ हैं बाजार में
अन्यानि वस्तूनि कानि कानि सन्ति ?
= और कौन कौनसी वस्तुएँ हैं ?
कृपया लिखन्तु।
ओ३म्
८८. संस्कृत वाक्याभ्यासः
अश्विनः प्रथमवारं संस्कृतभाषायां वदति।
= अश्विन पहली बार संस्कृत भाषा में बोल रहा है
अतः सः शनैः शनैः वदति।
= इसलिये वह धीरे धीरे बोलता है
मम ……. नाम …. अश्विनः।
अहम् ….. आणंद नगर में …. निवसामि ष्
एवम् उक्त्वा सः विरमति।
= ऐसा कह कर वह रुकता है
परितः पश्यति।
= चारों ओर देखता है
सर्वेषां मुखं पश्यति।
= सबका मुँह देखता है ।
कोपि न हसति।
= कोई नहीं हँसता है
तर्हि सः प्रसन्नः भवति।
= तब वो प्रसन्न होता है
नीलेशः तस्य प्रशंसां करोति।
= नीलेश उसकी प्रशंसा करता है
अश्विनः अद्य संस्कृत-सम्भाषणम् आरब्धवान्।
= अश्विन ने आज संस्कृत में बातचीत शुरू की
भवता / भवत्या कदा आरप्स्यते ?
= आपके द्वारा कब आरम्भ किया जाएगा ?
ओ३म्
८९. संस्कृत वाक्याभ्यासः
अधुना कः कः ध्यानं करोति ?
= इस समय कौन कौन ध्यान कर रहा है ?
अधुना का का ध्यानं करोति ?
= इस समय कौन कौन ध्यान कर रही है ?
सुदेशः ध्यानं करोति।
सुदेश ध्यान कर रहा है
सुमित्रा ध्यानं करोति।
सुमित्रा ध्यान कर रही है
भवन्तः / भवत्यः अपि लिखन्तु।
= आप भी लिखिये
ओ३म्
९०. संस्कृत वाक्यअभ्यासः
सतीश !!
= ओ सतीश !
जलं प्रवहति ….
= पानी बह रहा है
ओह, सतीशः न श्रृणोति।
= ओह, सतीश नहीं सुन रहा है ।
ओ सतीश ! केवलं गायनं करोषि त्वम्।
= ओ सतीश ! तुम केवल गा रहे हो
मम वार्तां न श्रृणोषि त्वम्।
= तुम मेरी बात नहीं सुन रहे हो
ओ सतीश ! जलं व्यर्थमेव प्रवहति …
= पानी बेकार में बह रहा है
त्वं स्नानम् अल्पं करोषि।
= तुम स्नान कम करते हो
गीतम् अधिकं गायसि …
= गाना अधिक गाते हो
स्नानगृहे एव गायसि।
= स्नानागार में ही गाते हो
अन्यत्र तु तूष्णीम् एव उपविशसि।
= और जगह तो चुप ही बैठते हो
ओ सतीश ! श्रृणु।
= ओ सतीश, सुनो
मम कृते जलं संरक्ष।
= मेरे लिये पानी बचाना
मया अपि स्नानं करणीयम् अस्ति।
= मुझे भी स्नान करना है
अहं स्नानगृहे गीतं न गायामि।
= मैं स्नानागार में गाना नहीं गाता हूँ
ओ३म्
९१. संस्कृत वाक्याभ्यासः
युवकः – अहम् आसम्।
= मैं था ।
युवती – अहम् आसम्।
= मैं थी
युवकः – अहं बालकः आसम्।
= मैं बालक था
युवती – अहं बालिका आसम्।
= मैं बालिका थी
युवकः – अहं छात्रः आसम्।
= मैं छात्र था
युवती – अहं छात्रा आसम्।
= मैं छात्रा थी
युवकः – अहं ध्यानमग्नः आसम्।
= मैं ध्यानमग्न था
युवती – अहं ध्यानमग्ना आसम्।
= मैं ध्यानमग्न थी
ओ३म्
९२. संस्कृत वाक्याभ्यासः
कदा = कब
भवान् = आप (पुंलिङ्ग )
भवती = आप (स्त्रीलिङ्ग)
भवान्/भवती वा कार्यं कदा करिष्यति ?
= आप काम कब करेंगे/करेंगी ?
भवान् वा धनं कदा दास्यति ?
= आप धन कब देंगे ?
भवान्/भवती वा दुग्धं कदा पास्यति ?
= आप दूध कब पियेंगे/पियेंगी ?
एषः कदा स्वस्थः भविष्यति ?
= ये कब स्वस्थ होगा ?
एषा कदा स्वस्था भविष्यति ?
= ये कब स्वस्थ होगी ?
यानं कदा आगमिष्यति ?
= वाहन कब आएगा ?
९३. संस्कृत वाक्याभ्यासः
हसति = हँसता है।
सः हसति = वह हँसता है।
सा हसति = वह हँसती है।
एषः हसति = यह हँसता है।
एषा हसति = यह हँसती है।
कः हसति ? = कौन हँसता है ?
जगदीशः हसति = जगदीश हँसता है।
का हसति ? = कौन हँसती है ?
नित्या हसति = नित्या हँसती है।
सः कदा हसति ? = वह कब हँसता है ?
सः भ्रमणसमये हसति।
= वह घूमते समय हँसता है।
सा कदा हसति ?
= वह कब हँसती है ?
सा सर्वदा हसति।
= वह हमेशा हँसती है।
ओ३म्
९४. संस्कृत वाक्याभ्यासः
लिखति = लिखता है।
सः लिखति = वह लिखता है।
सा लिखति = वह लिखती है।
एषः लिखति = यह लिखता है।
एषा लिखति = यह लिखती है।
कः लिखति ? = कौन लिखता है ?
का लिखति ? = कौन लिखती है ?
विनयः लिखति = विनय लिखता है।
विनीता लिखति = विनीता लिखती है।
माता लिखति = माँ लिखती है।
पिता लिखति = पिता लिखता है।
छात्रः लिखति = छात्र लिखता है।
छात्रा लिखति =छात्रा लिखती है।
अहं लिखामि = मैं लिखता हूँ / लिखती हूँ ।
ओ३म्
९५. संस्कृत वाक्याभ्यासः
पिबति = पीता है।
सः पिबति = वह पीता है।
सा पिबति = वह पीती है।
एषः पिबति = यह पीता है।
एषा पिबति = यह पीती है।
कः पिबति ? = कौन पीता है ?
लोकेशः पिबति = लोकेश पीता है।
लोकेशः किं पिबति ?
= लोकेश क्या पीता है ?
लोकेशः दुग्धं पिबति।
= लोकेश दूध पीता है।
का पिबति ? = कौन पीती है ?
विभा पिबति = विभा पीती है।
अहम् पिबामि = मैं पीता हूँ / पीती हूँ।
#vakyabhyas
८७. संस्कृत वाक्याभ्यासः
आपणे अनेके जनाः सन्ति।
= बाजार में अनेक लोग हैं
सर्वे धनत्रयोदशी अर्थं वस्तूनि क्रीणन्ति।
= सभी धनतेरस के लिये वस्तुएँ खरीद रहे हैं।
दीपावली-पर्वणः कृते अपि वस्तूनि क्रीणन्ति।
= दीपावली के लिये भी वस्तुएँ खरीद रहे हैं
गृहसज्जायाः वस्तूनि सन्ति आपणे।
= घर की सजावट की वस्तुएँ हैं बाजार में
अन्यानि वस्तूनि कानि कानि सन्ति ?
= और कौन कौनसी वस्तुएँ हैं ?
कृपया लिखन्तु।
ओ३म्
८८. संस्कृत वाक्याभ्यासः
अश्विनः प्रथमवारं संस्कृतभाषायां वदति।
= अश्विन पहली बार संस्कृत भाषा में बोल रहा है
अतः सः शनैः शनैः वदति।
= इसलिये वह धीरे धीरे बोलता है
मम ……. नाम …. अश्विनः।
अहम् ….. आणंद नगर में …. निवसामि ष्
एवम् उक्त्वा सः विरमति।
= ऐसा कह कर वह रुकता है
परितः पश्यति।
= चारों ओर देखता है
सर्वेषां मुखं पश्यति।
= सबका मुँह देखता है ।
कोपि न हसति।
= कोई नहीं हँसता है
तर्हि सः प्रसन्नः भवति।
= तब वो प्रसन्न होता है
नीलेशः तस्य प्रशंसां करोति।
= नीलेश उसकी प्रशंसा करता है
अश्विनः अद्य संस्कृत-सम्भाषणम् आरब्धवान्।
= अश्विन ने आज संस्कृत में बातचीत शुरू की
भवता / भवत्या कदा आरप्स्यते ?
= आपके द्वारा कब आरम्भ किया जाएगा ?
ओ३म्
८९. संस्कृत वाक्याभ्यासः
अधुना कः कः ध्यानं करोति ?
= इस समय कौन कौन ध्यान कर रहा है ?
अधुना का का ध्यानं करोति ?
= इस समय कौन कौन ध्यान कर रही है ?
सुदेशः ध्यानं करोति।
सुदेश ध्यान कर रहा है
सुमित्रा ध्यानं करोति।
सुमित्रा ध्यान कर रही है
भवन्तः / भवत्यः अपि लिखन्तु।
= आप भी लिखिये
ओ३म्
९०. संस्कृत वाक्यअभ्यासः
सतीश !!
= ओ सतीश !
जलं प्रवहति ….
= पानी बह रहा है
ओह, सतीशः न श्रृणोति।
= ओह, सतीश नहीं सुन रहा है ।
ओ सतीश ! केवलं गायनं करोषि त्वम्।
= ओ सतीश ! तुम केवल गा रहे हो
मम वार्तां न श्रृणोषि त्वम्।
= तुम मेरी बात नहीं सुन रहे हो
ओ सतीश ! जलं व्यर्थमेव प्रवहति …
= पानी बेकार में बह रहा है
त्वं स्नानम् अल्पं करोषि।
= तुम स्नान कम करते हो
गीतम् अधिकं गायसि …
= गाना अधिक गाते हो
स्नानगृहे एव गायसि।
= स्नानागार में ही गाते हो
अन्यत्र तु तूष्णीम् एव उपविशसि।
= और जगह तो चुप ही बैठते हो
ओ सतीश ! श्रृणु।
= ओ सतीश, सुनो
मम कृते जलं संरक्ष।
= मेरे लिये पानी बचाना
मया अपि स्नानं करणीयम् अस्ति।
= मुझे भी स्नान करना है
अहं स्नानगृहे गीतं न गायामि।
= मैं स्नानागार में गाना नहीं गाता हूँ
ओ३म्
९१. संस्कृत वाक्याभ्यासः
युवकः – अहम् आसम्।
= मैं था ।
युवती – अहम् आसम्।
= मैं थी
युवकः – अहं बालकः आसम्।
= मैं बालक था
युवती – अहं बालिका आसम्।
= मैं बालिका थी
युवकः – अहं छात्रः आसम्।
= मैं छात्र था
युवती – अहं छात्रा आसम्।
= मैं छात्रा थी
युवकः – अहं ध्यानमग्नः आसम्।
= मैं ध्यानमग्न था
युवती – अहं ध्यानमग्ना आसम्।
= मैं ध्यानमग्न थी
ओ३म्
९२. संस्कृत वाक्याभ्यासः
कदा = कब
भवान् = आप (पुंलिङ्ग )
भवती = आप (स्त्रीलिङ्ग)
भवान्/भवती वा कार्यं कदा करिष्यति ?
= आप काम कब करेंगे/करेंगी ?
भवान् वा धनं कदा दास्यति ?
= आप धन कब देंगे ?
भवान्/भवती वा दुग्धं कदा पास्यति ?
= आप दूध कब पियेंगे/पियेंगी ?
एषः कदा स्वस्थः भविष्यति ?
= ये कब स्वस्थ होगा ?
एषा कदा स्वस्था भविष्यति ?
= ये कब स्वस्थ होगी ?
यानं कदा आगमिष्यति ?
= वाहन कब आएगा ?
९३. संस्कृत वाक्याभ्यासः
हसति = हँसता है।
सः हसति = वह हँसता है।
सा हसति = वह हँसती है।
एषः हसति = यह हँसता है।
एषा हसति = यह हँसती है।
कः हसति ? = कौन हँसता है ?
जगदीशः हसति = जगदीश हँसता है।
का हसति ? = कौन हँसती है ?
नित्या हसति = नित्या हँसती है।
सः कदा हसति ? = वह कब हँसता है ?
सः भ्रमणसमये हसति।
= वह घूमते समय हँसता है।
सा कदा हसति ?
= वह कब हँसती है ?
सा सर्वदा हसति।
= वह हमेशा हँसती है।
ओ३म्
९४. संस्कृत वाक्याभ्यासः
लिखति = लिखता है।
सः लिखति = वह लिखता है।
सा लिखति = वह लिखती है।
एषः लिखति = यह लिखता है।
एषा लिखति = यह लिखती है।
कः लिखति ? = कौन लिखता है ?
का लिखति ? = कौन लिखती है ?
विनयः लिखति = विनय लिखता है।
विनीता लिखति = विनीता लिखती है।
माता लिखति = माँ लिखती है।
पिता लिखति = पिता लिखता है।
छात्रः लिखति = छात्र लिखता है।
छात्रा लिखति =छात्रा लिखती है।
अहं लिखामि = मैं लिखता हूँ / लिखती हूँ ।
ओ३म्
९५. संस्कृत वाक्याभ्यासः
पिबति = पीता है।
सः पिबति = वह पीता है।
सा पिबति = वह पीती है।
एषः पिबति = यह पीता है।
एषा पिबति = यह पीती है।
कः पिबति ? = कौन पीता है ?
लोकेशः पिबति = लोकेश पीता है।
लोकेशः किं पिबति ?
= लोकेश क्या पीता है ?
लोकेशः दुग्धं पिबति।
= लोकेश दूध पीता है।
का पिबति ? = कौन पीती है ?
विभा पिबति = विभा पीती है।
अहम् पिबामि = मैं पीता हूँ / पीती हूँ।
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