🙏 27.4.21 वेदवाणी 🙏
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🌸
द्वादश द्यून्यदगोह्यस्यातिथ्ये रणन्नृभवः ससन्तः।
सुक्षेत्राकृण्वन्ननयन्त सिन्धून्धन्वातिष्ठन्नोषधीर्निम्नमापः॥ ऋग्वेद ४-३३-७॥🙏🌸
सूर्य से बारह मासों का निर्माण होता है। सूर्य से जलों का निर्माण होता है, जो नदियों में बह कर खाद्यान्न और समृद्धि प्रदान करते हैं। उसी प्रकार जो अज्ञानी अंधकार में सो रहे हैं, उन्हें विद्वान् जन जगाएं और उत्तम शिक्षा प्रदान करके उन्हें समाज की समृद्धि में लगाएं।🙏🌸
Twelve months are formed by the Sun. Water is created by the sun, which flows in the rivers and provides food and prosperity to people. Similarly, scholars should awaken the ignorant people who are sleeping in darkness and provide them with knowledge for the prosperity of the society. (Rig Veda 4-33-7)🙏🌸#vedgsawan🙏🌸
🙏 28.4.21 वेदवाणी 🙏
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🌼
ऋभुर्विभ्वा वाज इन्द्रो नो अच्छेमं यज्ञं रत्नधेयोप यात।
इदा हि वो धिषणा देव्यह्नामधात्पीतिं सं मदा अग्मता वः॥ ऋग्वेद ४-३४-१॥🙏🌼
हे मनुष्य ! जीवन को उत्तम बनाने के लिए तुम्हें ऋभु (ज्ञानवान्), विभ्वा (दूसरों का हित करने वाला), वाज (बलशाली) और इन्द्र (इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने वाला) बनना चाहिए। जिससे तुम्हें जीवन का वास्तविक आनंद प्राप्त होगा।🙏🌼
O Man ! To make life perfect you should be Ribhu (knowledgeable)Vibhava (one who works in the interest of others), Vaja (powerful) and Indra (conqueror of the Indriyan). By which you will get the real bliss of life. (Rig Veda 4–34–1)🙏🌼#vedgsawan🙏🌼
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🌸
द्वादश द्यून्यदगोह्यस्यातिथ्ये रणन्नृभवः ससन्तः।
सुक्षेत्राकृण्वन्ननयन्त सिन्धून्धन्वातिष्ठन्नोषधीर्निम्नमापः॥ ऋग्वेद ४-३३-७॥🙏🌸
सूर्य से बारह मासों का निर्माण होता है। सूर्य से जलों का निर्माण होता है, जो नदियों में बह कर खाद्यान्न और समृद्धि प्रदान करते हैं। उसी प्रकार जो अज्ञानी अंधकार में सो रहे हैं, उन्हें विद्वान् जन जगाएं और उत्तम शिक्षा प्रदान करके उन्हें समाज की समृद्धि में लगाएं।🙏🌸
Twelve months are formed by the Sun. Water is created by the sun, which flows in the rivers and provides food and prosperity to people. Similarly, scholars should awaken the ignorant people who are sleeping in darkness and provide them with knowledge for the prosperity of the society. (Rig Veda 4-33-7)🙏🌸#vedgsawan🙏🌸
🙏 28.4.21 वेदवाणी 🙏
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा🙏🌼
ऋभुर्विभ्वा वाज इन्द्रो नो अच्छेमं यज्ञं रत्नधेयोप यात।
इदा हि वो धिषणा देव्यह्नामधात्पीतिं सं मदा अग्मता वः॥ ऋग्वेद ४-३४-१॥🙏🌼
हे मनुष्य ! जीवन को उत्तम बनाने के लिए तुम्हें ऋभु (ज्ञानवान्), विभ्वा (दूसरों का हित करने वाला), वाज (बलशाली) और इन्द्र (इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने वाला) बनना चाहिए। जिससे तुम्हें जीवन का वास्तविक आनंद प्राप्त होगा।🙏🌼
O Man ! To make life perfect you should be Ribhu (knowledgeable)Vibhava (one who works in the interest of others), Vaja (powerful) and Indra (conqueror of the Indriyan). By which you will get the real bliss of life. (Rig Veda 4–34–1)🙏🌼#vedgsawan🙏🌼
हितोपदेशः - HITOPADESHAH
वर्धनं वाथ सन्मानं
खलानां प्रीतये कुतः।
फलन्त्यमृतसेकेऽपि
न पथ्यानि विषद्रुमाः।। 375/128।।
अर्थः:
धन और सम्मान देकर दुष्ट व्यक्ति को प्रसन्न करने की आवश्यकता क्या है? अमृत से सींचने पर भी विष के पेड़ अच्छे फल नहीं देते।
MEANING:
Why give wealth and honor to a wicked person for their pleasure? Poisonous trees do not bear edible fruits even if they are watered with nectar.
ॐ नमो भगवते हयाननाय।
#Subhashitam
वर्धनं वाथ सन्मानं
खलानां प्रीतये कुतः।
फलन्त्यमृतसेकेऽपि
न पथ्यानि विषद्रुमाः।। 375/128।।
अर्थः:
धन और सम्मान देकर दुष्ट व्यक्ति को प्रसन्न करने की आवश्यकता क्या है? अमृत से सींचने पर भी विष के पेड़ अच्छे फल नहीं देते।
MEANING:
Why give wealth and honor to a wicked person for their pleasure? Poisonous trees do not bear edible fruits even if they are watered with nectar.
ॐ नमो भगवते हयाननाय।
#Subhashitam
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃ऋषीन्यक्षान्सगन्धर्वानसुरान्ब्राह्मणांस्तथा।
अतिक्रामति दुर्घर्षो वरदानेन मोहितः ॥९।।
⚜️ भावार्थ - क्या ऋषि क्या यक्ष क्या गन्धर्व क्या देवता क्या ब्राह्मण, आपके वरदान के प्रभाव से बह दुर्धर्ष किसी को कुछ भी तो नहीं समझता।
🍃 नैनं सूर्यः प्रतपति पार्श्वे वाति न मागतः ।
चन्दर्भिमाली तं दृष्ट्वा समुद्रोऽपि न कम्पते ।।१०।।
⚜️ भावार्थ - उसे न तो सूर्य ही गर्मी पहुँचा सकते और न वायुदेव ही उसके समीप से जा सकते हैं। उसे देखते ही समुद्र भी अपना लहराना बंद कर शान्त हो जाता है ॥१०॥
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃ऋषीन्यक्षान्सगन्धर्वानसुरान्ब्राह्मणांस्तथा।
अतिक्रामति दुर्घर्षो वरदानेन मोहितः ॥९।।
⚜️ भावार्थ - क्या ऋषि क्या यक्ष क्या गन्धर्व क्या देवता क्या ब्राह्मण, आपके वरदान के प्रभाव से बह दुर्धर्ष किसी को कुछ भी तो नहीं समझता।
🍃 नैनं सूर्यः प्रतपति पार्श्वे वाति न मागतः ।
चन्दर्भिमाली तं दृष्ट्वा समुद्रोऽपि न कम्पते ।।१०।।
⚜️ भावार्थ - उसे न तो सूर्य ही गर्मी पहुँचा सकते और न वायुदेव ही उसके समीप से जा सकते हैं। उसे देखते ही समुद्र भी अपना लहराना बंद कर शान्त हो जाता है ॥१०॥
📙 ऋग्वेद
सूक्त - २४ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ११ , देवता - अग्नि आदि।
🍃 तत्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः।
अहेळमानो वरुणेह बोध्यरुशंस मा न आयुः प्र मोषीः.. (११)
⚜️ भावार्थ - हे वरुण! यजमान हव्य के द्वारा तुमसे जिस आयु की याचना करते हैं, मैं शक्तिशाली स्तोत्र के द्वारा तुम्हारी स्तुति करके उसी परम आयु की याचना करता हूँ। तुम इस विषय में लापरवाही न करके ठीक से ध्यान दो। अगणित लोग तुम्हारी प्रार्थना करते हैं। तुम मुझसे मेरी आयु मत छीनो। (११)
सूक्त - २४ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ११ , देवता - अग्नि आदि।
🍃 तत्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः।
अहेळमानो वरुणेह बोध्यरुशंस मा न आयुः प्र मोषीः.. (११)
⚜️ भावार्थ - हे वरुण! यजमान हव्य के द्वारा तुमसे जिस आयु की याचना करते हैं, मैं शक्तिशाली स्तोत्र के द्वारा तुम्हारी स्तुति करके उसी परम आयु की याचना करता हूँ। तुम इस विषय में लापरवाही न करके ठीक से ध्यान दो। अगणित लोग तुम्हारी प्रार्थना करते हैं। तुम मुझसे मेरी आयु मत छीनो। (११)
Thursday, April 29, 2021
कोविड् वाक्सिनस्य त्रितीयमात्रया आजीवनान्तरोगप्रतिरोधं साध्यम् वा ?
चेन्नै> भारत बयोटेक् संस्थया निर्मितं कोवाक्सिन् इति औषधस्य त्रितीयमात्रया आजीवनान्तरोगप्रतिरोधं भविष्यति वा इति अनुसन्धानां प्रचलति। अस्य भागतया चेन्नै मध्ये सप्तजनाः वाक्सिनः स्वीकृताः। कोवाक्सिन् स्वीकृत्य षण्मासानन्तरं भवति एतैः तृतीयमात्रा स्वीकृता इति आवेद्यते। नवदिल्ली पट्न हैद्राबाद इत्यादि अष्टसु प्रदेशेषु आहत्य १९० जनाः प्रतिरोध-वाक्सिनस्य त्रितीय मात्रां स्वीकरिष्यन्ति। एतस्मिन् गणे १८ तः ५५ वयोमिताः भवन्ति। तान् षण्मासपर्यन्तं निरीक्ष्ये इति अनुसन्धानस्य अधिकारिणा डो. सत्यजित् मोहापत्रया उक्तम्।
~ संप्रति वार्ता
कोविड् वाक्सिनस्य त्रितीयमात्रया आजीवनान्तरोगप्रतिरोधं साध्यम् वा ?
चेन्नै> भारत बयोटेक् संस्थया निर्मितं कोवाक्सिन् इति औषधस्य त्रितीयमात्रया आजीवनान्तरोगप्रतिरोधं भविष्यति वा इति अनुसन्धानां प्रचलति। अस्य भागतया चेन्नै मध्ये सप्तजनाः वाक्सिनः स्वीकृताः। कोवाक्सिन् स्वीकृत्य षण्मासानन्तरं भवति एतैः तृतीयमात्रा स्वीकृता इति आवेद्यते। नवदिल्ली पट्न हैद्राबाद इत्यादि अष्टसु प्रदेशेषु आहत्य १९० जनाः प्रतिरोध-वाक्सिनस्य त्रितीय मात्रां स्वीकरिष्यन्ति। एतस्मिन् गणे १८ तः ५५ वयोमिताः भवन्ति। तान् षण्मासपर्यन्तं निरीक्ष्ये इति अनुसन्धानस्य अधिकारिणा डो. सत्यजित् मोहापत्रया उक्तम्।
~ संप्रति वार्ता
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी शाम 07:09 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - 30 अप्रैल 2021
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - ज्येष्ठा दोपहर 12:08 तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - परिघ सुबह 08:04 तक तत्पश्चात शिव
⛅ राहुकाल - सुबह 10:59 से दोपहर 12:36 तक
⛅ सूर्योदय - 06:09
⛅ सूर्यास्त - 19:02
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी शाम 07:09 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - 30 अप्रैल 2021
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - ज्येष्ठा दोपहर 12:08 तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - परिघ सुबह 08:04 तक तत्पश्चात शिव
⛅ राहुकाल - सुबह 10:59 से दोपहर 12:36 तक
⛅ सूर्योदय - 06:09
⛅ सूर्यास्त - 19:02
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
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Vaarta: News in Sanskrit | 30.4.2021
Sanskrit-0655-0700
३०.०४ आकाशवाणी संस्कृत
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✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️त्रयोदश अध्याय
♦️श्लोक:-०५
यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्।स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्त्वा वसेत्सुखम्।।5।।
♦️भावार्थ --जो व्यक्ति अपने घर के लोगो से बहोत आसक्ति रखता है वह भय और दुःख को पाता है. आसक्ति ही दुःख का मूल है. जिसे सुखी होना है उसे आसक्ति छोडनी पड़ेगी
#Chanakya
✒️त्रयोदश अध्याय
♦️श्लोक:-०५
यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्।स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्त्वा वसेत्सुखम्।।5।।
♦️भावार्थ --जो व्यक्ति अपने घर के लोगो से बहोत आसक्ति रखता है वह भय और दुःख को पाता है. आसक्ति ही दुःख का मूल है. जिसे सुखी होना है उसे आसक्ति छोडनी पड़ेगी
#Chanakya
हितोपदेशः - HITOPADESHAH
आहारनिद्राभयमैथुनं च
सामान्यमेतत्पशुभिर्नराणाम्।
धर्मो हि तेषामधिको विशेषो
धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः।। 25।।
अर्थः:
खाना, निद्रा करना, भय उत्पन्न करना और मैथुन करना—ये सभी गुण मनुष्यों और पशुओं में समान होते हैं। धर्म ही एक ऐसा विशिष्ट गुण है जो मनुष्यों को पशुओं से अलग करता है। अतः जो व्यक्ति धर्म का पालन नहीं करता, वह पशुओं के समान होता है।
MEANING:
Eating, sleeping, fear, and sexual activity are common to both animals and humans. Dharma is the distinguishing feature that sets humans apart from animals. Thus, a person who does not adhere to Dharma is equivalent to an animal.
ॐ नमो भगवते तुरगास्याय।
#Subhashitam
आहारनिद्राभयमैथुनं च
सामान्यमेतत्पशुभिर्नराणाम्।
धर्मो हि तेषामधिको विशेषो
धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः।। 25।।
अर्थः:
खाना, निद्रा करना, भय उत्पन्न करना और मैथुन करना—ये सभी गुण मनुष्यों और पशुओं में समान होते हैं। धर्म ही एक ऐसा विशिष्ट गुण है जो मनुष्यों को पशुओं से अलग करता है। अतः जो व्यक्ति धर्म का पालन नहीं करता, वह पशुओं के समान होता है।
MEANING:
Eating, sleeping, fear, and sexual activity are common to both animals and humans. Dharma is the distinguishing feature that sets humans apart from animals. Thus, a person who does not adhere to Dharma is equivalent to an animal.
ॐ नमो भगवते तुरगास्याय।
#Subhashitam
ओ३म्
५०. संस्कृत वाक्याभ्यासः
प्रातःकाले पञ्च मील परिमितं चलितवान्।
= सुबह पांच मील जितना चला
अधुना एकत्र उपविश्य विश्रामं करोमि।
= अभी एक जगह बैठ कर विश्राम कर रहा हूँ
अत्र केचन युवकाः धावन्ति।
= यहाँ कुछ युवक दौड़ रहे हैं
काश्चन युवतयः अपि धावन्ति।
= कुछ युवतियाँ भी दौड़ रही हैं
वृद्धाः शनैः शनैः चलन्ति।
= वृद्ध धीरे धीरे चलते हैं
युवकाः क्षिप्रं धावन्ति।
= युवक तेज दौड़ते हैं
केचन बालकाः अपि अत्र सन्ति।
= कुछ बच्चे भी यहाँ हैं
काश्चन बालिकाः अपि अत्र सन्ति।
= कुछ बच्चियाँ भी यहाँ हैं
बालकाः, बालिकाश्च योगासनं कुर्वन्ति।
= बच्चे और बच्चियाँ योगासन कर रहे हैं
ओ३म्
५१. संस्कृत वाक्याभ्यासः
तस्मिन् काले अधर्मः अवर्धत।
= उस समय अधर्म बढ़ गया था (वर्धितम् आसीत्)
तस्मिन् समये अनेके दुराचारिणः आसन्।
= उस समय अनेक दुराचारी थे
धर्मणः रक्षार्थं सः अग्रे आगतः।
= धर्म की रक्षा के लिये वह आगे आया
सः धर्मयुद्धं कर्तुं पार्थं प्रेरितवान्।
= उन्होंने धर्मयुद्ध करने के लिये पार्थ को प्रेरित किया
सर्वे दुराचारिणः युद्धे हताः।
= सभी दुराचारी युद्ध में मारे गए
तस्य नाम श्रीकृष्णः।
अद्य जन्माष्टमी पर्वणः सर्वेभ्यः शुभकामनाः।
ओ३म्
५२. संस्कृत वाक्याभ्यासः
सः वानरः।
सः कः ?
वानरः वृक्षस्य उपरि अस्ति।
वानरः कुत्र अस्ति ?
वानरः कूर्दते।
वानरः किं करोति ?
वृक्षे दश वानराः सन्ति।
वृक्षे कति वानराः सन्ति ?
एकः वानरः लघुः अस्ति।
एकः वानरः कीदृशः अस्ति ?
सः लघुः अस्ति अतः न कूर्दते।
सः किमर्थं न कूर्दति ?
सर्वे वानराः वृक्षात् वृक्षम् उत्प्लवन्ति।
= सभी बन्दर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदते हैं
ओ३म्
५३. संस्कृत वाक्याभ्यासः
अद्य तस्य पुण्यतिथिः अस्ति।
= आज उनकी पुण्यतिथि है
तस्य नाम आलिमचन्द लछवानी आसीत्।
= उनका नाम आलिमचन्द लछवानी था
सः निधनात् पूर्वं नगरे एकां विशालां धर्म शालां निर्मितवान्।
= उन्होंने मृत्यु से पहले नगर में एक बड़ी धर्मशाला बनवाई
धर्मशालायाम् अनेके यात्रिणः निवसन्ति।
= धर्मशाला में अनेक यात्री रहते हैं
अद्य तत्र यज्ञः आसीत्।
= आज वहाँ यज्ञ था
आलिमचंदस्य पुत्राः यज्ञं कृतवन्तः।
= आलिमचन्द के बेटों ने यज्ञ किया
सर्वाः वधूः अपि यज्ञं कृतवत्यः।
= सभी बहुओं ने भी यज्ञ किया
निर्धनेभ्यः बालकेभ्यः पुस्तकानि दत्तवन्तः।
= निर्धन बच्चों को पुस्तकें दीं
सर्वे जनाः मिलित्वा भोजनं कृतवन्तः।
= सबने मिलकर खाना खाया
आलिमचन्दः दानवीरः आसीत्।
= आलिमचन्द दानवीर थे
तथैव तस्य परिवारजनाः अपि दानवीराः सन्ति।
= उसी प्रकार उनके परिवार जन भी दानवीर हैं
ओ३म्
५४. संस्कृत वाक्याभ्यासः
यः शिक्षां यच्छति सः शिक्षकः।
= जो शिक्षा देता है वह शिक्षक है
यः पाठयति सः शिक्षकः।
= जो पढ़ाता है वह शिक्षक है
यः सदाचारी अस्ति सः शिक्षकः।
= जो सदाचारी है वह शिक्षक है
छात्रारू शिक्षकस्य अनुसरणं कुर्वन्ति।
= छात्र शिक्षक का अनुसरण करते हैं
यदा शिक्षकः सम्यक् ज्ञानं ददाति।
= जब शिक्षक सही ज्ञान देता है
तदा छात्राः प्रसन्नाः भवन्ति।
= तब छात्र खुश होते हैं
छात्राः शिक्षकाय आदरं ददति।
= छात्र शिक्षक को आदर देते हैं
विद्वान् सदाचारी शिक्षकः श्रेष्ठः भवति।
= विद्वान् सदाचारी शिक्षक श्रेष्ठ होता है
सर्वेभ्यः शिक्षक-दिनस्य शुभकामनाः।
ओ३म्
५५. संस्कृत वाक्याभ्यासः
पुनः पुनः
आम् , पुनः पुनः।
कुरु अभ्यासं पुनः पुनः।
प्रातः संस्कृत अभ्यासम्।
सायं अपि कुरु वार्तालापम्।
यदा यदा करोषि सम्वादम्।
श्रृणु श्रावय च केवलं संस्कृतम्।
बार बार…..
हाँ , बार बार…..
करिये अभ्यास बार बार
प्रातः संस्कृत का अभ्यास
सायं भी संस्कृत वार्तालाप
जब जब करें सम्वाद
सुनें सुनाएँ केवल संस्कृतम्
ओ२म्
५६. संस्कृत वाक्याभ्यासः
इसरो इत्युक्ते भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्थानम्।
= इसरो अर्थात् भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्थान
एतस्मिन् संस्थाने अनेके वैज्ञानिकाः कार्यं कुर्वन्ति।
= इस संस्थान में अनेक वैज्ञानिक काम करते हैं
वैज्ञानिकाः सर्वदा नूतनम् अनुसन्धानं कुर्वन्ति।
= वैज्ञानिक हमेशा नया अनुसन्धान करते हैं
गतदिने एकम् उपग्रहं प्रक्षेपितवन्तः।
= कल एक उपग्रह छोड़ा
तद् उपगृहं वातावरणस्य अध्ययनं करिष्यति।
= वह उपग्रह वातावरण का अध्ययन करेगा
झंझावातस्य वा अतिवृष्टेः विषये तद् सूचनाः दास्यति।
= तूफान या अतिवृष्टि के सम्बन्ध में सूचना देगा
सर्वेषां वैज्ञानिकानां प्रयत्नः सफलः भविष्यति।
= सभी वैज्ञानिकों का प्रयत्न सफल होगा
वयं सर्वेषां वैज्ञानिकानां धन्यवादं मन्यामहे।
= हम सभी वैज्ञानिकों का धन्यवाद मानते हैं
#vakyabhyas
५०. संस्कृत वाक्याभ्यासः
प्रातःकाले पञ्च मील परिमितं चलितवान्।
= सुबह पांच मील जितना चला
अधुना एकत्र उपविश्य विश्रामं करोमि।
= अभी एक जगह बैठ कर विश्राम कर रहा हूँ
अत्र केचन युवकाः धावन्ति।
= यहाँ कुछ युवक दौड़ रहे हैं
काश्चन युवतयः अपि धावन्ति।
= कुछ युवतियाँ भी दौड़ रही हैं
वृद्धाः शनैः शनैः चलन्ति।
= वृद्ध धीरे धीरे चलते हैं
युवकाः क्षिप्रं धावन्ति।
= युवक तेज दौड़ते हैं
केचन बालकाः अपि अत्र सन्ति।
= कुछ बच्चे भी यहाँ हैं
काश्चन बालिकाः अपि अत्र सन्ति।
= कुछ बच्चियाँ भी यहाँ हैं
बालकाः, बालिकाश्च योगासनं कुर्वन्ति।
= बच्चे और बच्चियाँ योगासन कर रहे हैं
ओ३म्
५१. संस्कृत वाक्याभ्यासः
तस्मिन् काले अधर्मः अवर्धत।
= उस समय अधर्म बढ़ गया था (वर्धितम् आसीत्)
तस्मिन् समये अनेके दुराचारिणः आसन्।
= उस समय अनेक दुराचारी थे
धर्मणः रक्षार्थं सः अग्रे आगतः।
= धर्म की रक्षा के लिये वह आगे आया
सः धर्मयुद्धं कर्तुं पार्थं प्रेरितवान्।
= उन्होंने धर्मयुद्ध करने के लिये पार्थ को प्रेरित किया
सर्वे दुराचारिणः युद्धे हताः।
= सभी दुराचारी युद्ध में मारे गए
तस्य नाम श्रीकृष्णः।
अद्य जन्माष्टमी पर्वणः सर्वेभ्यः शुभकामनाः।
ओ३म्
५२. संस्कृत वाक्याभ्यासः
सः वानरः।
सः कः ?
वानरः वृक्षस्य उपरि अस्ति।
वानरः कुत्र अस्ति ?
वानरः कूर्दते।
वानरः किं करोति ?
वृक्षे दश वानराः सन्ति।
वृक्षे कति वानराः सन्ति ?
एकः वानरः लघुः अस्ति।
एकः वानरः कीदृशः अस्ति ?
सः लघुः अस्ति अतः न कूर्दते।
सः किमर्थं न कूर्दति ?
सर्वे वानराः वृक्षात् वृक्षम् उत्प्लवन्ति।
= सभी बन्दर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदते हैं
ओ३म्
५३. संस्कृत वाक्याभ्यासः
अद्य तस्य पुण्यतिथिः अस्ति।
= आज उनकी पुण्यतिथि है
तस्य नाम आलिमचन्द लछवानी आसीत्।
= उनका नाम आलिमचन्द लछवानी था
सः निधनात् पूर्वं नगरे एकां विशालां धर्म शालां निर्मितवान्।
= उन्होंने मृत्यु से पहले नगर में एक बड़ी धर्मशाला बनवाई
धर्मशालायाम् अनेके यात्रिणः निवसन्ति।
= धर्मशाला में अनेक यात्री रहते हैं
अद्य तत्र यज्ञः आसीत्।
= आज वहाँ यज्ञ था
आलिमचंदस्य पुत्राः यज्ञं कृतवन्तः।
= आलिमचन्द के बेटों ने यज्ञ किया
सर्वाः वधूः अपि यज्ञं कृतवत्यः।
= सभी बहुओं ने भी यज्ञ किया
निर्धनेभ्यः बालकेभ्यः पुस्तकानि दत्तवन्तः।
= निर्धन बच्चों को पुस्तकें दीं
सर्वे जनाः मिलित्वा भोजनं कृतवन्तः।
= सबने मिलकर खाना खाया
आलिमचन्दः दानवीरः आसीत्।
= आलिमचन्द दानवीर थे
तथैव तस्य परिवारजनाः अपि दानवीराः सन्ति।
= उसी प्रकार उनके परिवार जन भी दानवीर हैं
ओ३म्
५४. संस्कृत वाक्याभ्यासः
यः शिक्षां यच्छति सः शिक्षकः।
= जो शिक्षा देता है वह शिक्षक है
यः पाठयति सः शिक्षकः।
= जो पढ़ाता है वह शिक्षक है
यः सदाचारी अस्ति सः शिक्षकः।
= जो सदाचारी है वह शिक्षक है
छात्रारू शिक्षकस्य अनुसरणं कुर्वन्ति।
= छात्र शिक्षक का अनुसरण करते हैं
यदा शिक्षकः सम्यक् ज्ञानं ददाति।
= जब शिक्षक सही ज्ञान देता है
तदा छात्राः प्रसन्नाः भवन्ति।
= तब छात्र खुश होते हैं
छात्राः शिक्षकाय आदरं ददति।
= छात्र शिक्षक को आदर देते हैं
विद्वान् सदाचारी शिक्षकः श्रेष्ठः भवति।
= विद्वान् सदाचारी शिक्षक श्रेष्ठ होता है
सर्वेभ्यः शिक्षक-दिनस्य शुभकामनाः।
ओ३म्
५५. संस्कृत वाक्याभ्यासः
पुनः पुनः
आम् , पुनः पुनः।
कुरु अभ्यासं पुनः पुनः।
प्रातः संस्कृत अभ्यासम्।
सायं अपि कुरु वार्तालापम्।
यदा यदा करोषि सम्वादम्।
श्रृणु श्रावय च केवलं संस्कृतम्।
बार बार…..
हाँ , बार बार…..
करिये अभ्यास बार बार
प्रातः संस्कृत का अभ्यास
सायं भी संस्कृत वार्तालाप
जब जब करें सम्वाद
सुनें सुनाएँ केवल संस्कृतम्
ओ२म्
५६. संस्कृत वाक्याभ्यासः
इसरो इत्युक्ते भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्थानम्।
= इसरो अर्थात् भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्थान
एतस्मिन् संस्थाने अनेके वैज्ञानिकाः कार्यं कुर्वन्ति।
= इस संस्थान में अनेक वैज्ञानिक काम करते हैं
वैज्ञानिकाः सर्वदा नूतनम् अनुसन्धानं कुर्वन्ति।
= वैज्ञानिक हमेशा नया अनुसन्धान करते हैं
गतदिने एकम् उपग्रहं प्रक्षेपितवन्तः।
= कल एक उपग्रह छोड़ा
तद् उपगृहं वातावरणस्य अध्ययनं करिष्यति।
= वह उपग्रह वातावरण का अध्ययन करेगा
झंझावातस्य वा अतिवृष्टेः विषये तद् सूचनाः दास्यति।
= तूफान या अतिवृष्टि के सम्बन्ध में सूचना देगा
सर्वेषां वैज्ञानिकानां प्रयत्नः सफलः भविष्यति।
= सभी वैज्ञानिकों का प्रयत्न सफल होगा
वयं सर्वेषां वैज्ञानिकानां धन्यवादं मन्यामहे।
= हम सभी वैज्ञानिकों का धन्यवाद मानते हैं
#vakyabhyas
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🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम 04:41 तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - 01 मई 2021
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मूल सुबह 10:16 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅ योग - सिद्ध 02 मई रात्रि 01:48 तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - सुबह 09:22 से सुबह 10:59 तक
⛅ सूर्योदय - 06:09
⛅ सूर्यास्त - 19:02
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम 04:41 तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅ दिनांक - 01 मई 2021
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⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - वैशाख
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मूल सुबह 10:16 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
⛅ योग - सिद्ध 02 मई रात्रि 01:48 तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - सुबह 09:22 से सुबह 10:59 तक
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⛅ सूर्यास्त - 19:02
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
Friday, April 30, 2021
भारताय साहाय्यहस्तं प्रसार्य लोकराष्ट्राणि।
नवदिल्ली> कोविड् महामार्यााः तृतीयतरङ्गं प्रतिरोद्धुं भारताय चत्वारिंशत्परं राष्ट्राणि साहाय्यं वाग्दानमकुर्वन्। विविधेभ्यः राष्ट्रेभ्यः ५५० प्राणवायोः उद्पादनोपकरणानि ४००० कोण्सेन्ट्रेटर् उपकरणानि, १०,००० प्राणवायुसम्भरण्यः च प्रतीक्षन्ते इति भारतस्य विदेशकार्यकार्यदर्शिना हर्षवर्धन श्रृङ्गलेन प्रोक्तम्।
अमेरिक्का, रूस्, ब्रिट्टनं, फ्रान्स्, जर्मनी, जापानं, गल्फ राष्ट्राणि, भारतस्य प्रातिवेशिकराष्ट्राणि च भारतसेवायै सन्नद्धानि भवन्ति।
~ संप्रति वार्ता
भारताय साहाय्यहस्तं प्रसार्य लोकराष्ट्राणि।
नवदिल्ली> कोविड् महामार्यााः तृतीयतरङ्गं प्रतिरोद्धुं भारताय चत्वारिंशत्परं राष्ट्राणि साहाय्यं वाग्दानमकुर्वन्। विविधेभ्यः राष्ट्रेभ्यः ५५० प्राणवायोः उद्पादनोपकरणानि ४००० कोण्सेन्ट्रेटर् उपकरणानि, १०,००० प्राणवायुसम्भरण्यः च प्रतीक्षन्ते इति भारतस्य विदेशकार्यकार्यदर्शिना हर्षवर्धन श्रृङ्गलेन प्रोक्तम्।
अमेरिक्का, रूस्, ब्रिट्टनं, फ्रान्स्, जर्मनी, जापानं, गल्फ राष्ट्राणि, भारतस्य प्रातिवेशिकराष्ट्राणि च भारतसेवायै सन्नद्धानि भवन्ति।
~ संप्रति वार्ता
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