संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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हितोपदेशः - HITOPADESHAH

अनभ्यासे विषं विद्या
अजीर्णे भोजनं विषम्।
विषं सभा दरिद्रस्य
वृद्धस्य तरुणी विषम्।। 23।।

अर्थः:

अध्ययन न करने से विद्या विद्यार्थियों के लिए विष बन जाती है। अजीर्ण के कारण भोजन विष के समान हो जाता है। दरिद्र व्यक्ति के लिए राजसभा विष जैसी होती है। वृद्ध व्यक्ति के लिए युवा पत्नी विष के समान हो जाती है।

MEANING:

Knowledge becomes poisonous to a student who does not study. Food turns poisonous to someone suffering from indigestion. A king's court is poisonous to a poor person. A young wife is poisonous to an old husband.

ॐ नमो भगवते हयास्याय।

#Subhashitam
ओ३म्

२८ संस्कृत वाक्याभ्यासः

पुँल्लिंग      स्त्रीलिंग     नपुंसकलिंग

एकः          एका            एकम्

द्वौ           द्वे              द्वे

त्रयः          तिस्रः          त्रीणि

चत्वारः     चतस्रः        चत्वारि

चार के बाद के अंकों का लिंग परिवर्तन नहीं होता है ।

जैसे

पञ्च
षड्
सप्त
अष्ट
नव
दश

आदि आगे की सभी संख्या कर्ता के रूप में ऐसी ही रहेंगी। लिंग नहीं बदलेगा।

एकः बालकः क्रीडति।
एका बालिका पठति।
एकं फलं पतति।

द्वौ पुरुषौ गच्छतः।
द्वे शिक्षिके हसतः।
द्वे पुष्पे विकसतः।

त्रयः साधवः उपदिशन्ति।
तिस्रः महिलाः अर्चन्ति।
त्रीणि नगराणि सन्ति।

चत्वारः सैनिकाः रक्षन्ति।
चतस्रः देव्यः पश्यन्ति।
चत्वारि पुस्तकानि तत्र सन्ति।

पञ्च नृपाः मिलन्ति।
पञ्च बालिकाः धावन्ति।
पञ्च पत्राणि पतन्ति।

ओ३म्

२९ संस्कृत वाक्याभ्यासः

सः श्यामवर्णीयं परिधानं धारितवान् अस्ति।
= उसने काले रंग के कपड़े पहने हैं

तस्य मुखं तु गौरवर्णीयम् अस्ति।
= उसका मुख तो गोरा है

सः आंग्लभाषां वदति।
= वह अंग्रेजी भाषा बोलता है

अतः सर्वे तस्य व्याख्यानं श्रृण्वन्ति।
= इसलिये सभी उसका व्याख्यान सुनते हैं

सः मध्ये मध्ये संस्कृत स्तोत्राणि, सूत्राणि च वदति।
= वह बीच बीच में संस्कृत स्तोत्र और सूत्र बोलता है

श्रोतारः तानि स्तोत्राणि, सूत्राणि अनुवदन्ति।
= श्रोता उन स्तोत्र और सूत्रों को दोहराते हैं

सः तस्य (तेषाम्) अर्थान् वदति।
= वह उसके (उनके ) अर्थ बोलता है

जनाः अर्थं श्रुत्वा प्रसन्नाः भवन्ति।
= लोग अर्थ सुनकर खुश होते हैं

सः सुमधुरेण सुरेण श्लोकानि गायति।
= वह मधुर सुर में श्लोक गाता है

सुमधुरं रागं श्रुत्वा जनाः इतोपि प्रसन्नाः भवन्ति ।
= सुमधुर राग सुनकर लोग और खुश होते हैं

ओ३म्

३० संस्कृत वाक्याभ्यासः

नेता के द्वारा सूचनाएं दी गई।
नायकेन सूचनाः दत्ताः।

दादी के द्वारा कहानियाँ कही गई।
पितामह्या कथाः उक्ताः।

युवती के द्वारा स्वप्न देखे गये।
युवत्या स्वप्नाः दृष्टाः।

दुकानदार के द्वारा साड़िया गिनी गई।
आपणिकेन शाटिकाः गणिताः।

हमारे द्वारे कपड़े खरीदे गए।
अस्माभिः वस्त्राणि क्रीतानि।

राम के द्वारा घर देखे गए।
रामेण गृहाणि दृष्टानि।

मेरे द्वारा दूध पिया गया।
मया दुग्धं पीतम्।

दादा के द्वारा रामायण पढ़ी गई।
पितामहेन रामायणं पठितम्।

छात्रों के द्वारा ग्रन्थ पढ़े जाते हैं।
छात्रैः ग्रन्थाः पठिताः।

सीता के द्वारा बर्तन धोये जाते हैं।
सीतया पात्राणि प्रक्षालितानि।

ओ३म्

३१. संस्कृत वाक्याभ्यासः

अलं भोः..!
= बस जी

किमर्थं तस्य परिहासं कुर्वन्ति सर्वे ?
= सब उसका मजाक क्यों उड़ा रहे हैं ?

अलं तस्य परिहासेन।
= उसका मजाक उड़ाना बंद करो

अलं क्रोधेन।
= बस, अब क्रोध मत करो

अलं विवादेन।
= विवाद मत करो

अलं चिन्तया।
= चिन्ता मत करो

अलं कोलाहलेन।
= शोर बस करो, बन्द करो, मत करो।

जब किसी भी क्रिया को होता हुआ बंद कराना है, या ये कहना है कि बस..! बहुत हो गया; तब ‘अलम्’ का प्रयोग करते हैं और क्रियापद की तृतीया बना कर वाक्य बोला करें।

यथा –

अलम् अधिकं शयनेन।

अलं अधिकं भोजनेन।

अलं कुर्दनेन।

अलं हसितेन।

ओ३म्

३२. संस्कृत वाक्याभ्यासः

वयं बालकाः = हम सब बच्चे

यूयं बालकाः = तुम सब बच्चे

एते बालकाः = ये सब बच्चे

ते बालकाः = वे सब बच्चे

सर्वे बालकाः = सारे बच्चे

वयं बालिकाः = हम सब बच्चियाँ

यूयं बालिकाः = तुम सब बच्चियाँ

एते बालिकाः = ये सब बच्चियाँ

ते बालिकाः = वे सब बच्चियाँ

सर्वाः बालिकाः = सारी बच्चियाँ

ओ३म्

३३. संस्कृत वाक्याभ्यासः

रात्रौ तस्य उपनेत्रं भग्नं जातम्।
= रात में उसका चश्मा टूट गया

तस्य पार्श्वदृष्टिः क्षीणा अस्ति।
= उसकी पास की दृष्टि कमजोर है

सः रात्रौ महापुरुषाणां जीवनचरित्रं पठति।
= वह रात में महापुरुषों का जीवनचरित्र पढ़ता है

सः स्वामी श्रद्धानन्दस्य जीवनचरित्रं पठति।
= वह स्वामी श्रद्धानन्द जी का जीवनचरित्र पढ़ता है

उपनेत्रं विना सः कथं जीवनचरित्रं पठेत् ?
= चश्मे के बिना वह जीवनचरित्र कैसे पढ़े ?

यावत् पुस्तकं न पठति….
= जब तक वह पुस्तक नहीं पढ़ता है

तावत् तस्य निद्रा न आगच्छति ।
= तब तक उसे नींद नहीं आती है ।

अतः तस्य पुत्रः जीवनचरित्रं पठति।
= इसलिए उसका बेटा जीवनचरित्र पढ़ता है

पुत्रः उच्चैः पठति।
= बेटा जोर से पढ़ता है

पुत्रः पितरं श्रावयति।
= बेटा पिता को सुनाता है ।

अनन्तरं पिता शयनं करोति।
= बाद में पिता सो जाता है

#vakyabhyas
हसामः l

भार्या – नाथ ! शृणोति वा ? ह्यः अहं वैद्यं प्रति गतवती l
तदा सः उक्तवान् ” भवत्याः विश्रामस्य आवश्यकता अस्ति l स्थानांतरं कर्तुं स्वित्झर्लंड न्यूजीलन्ड वा गच्छेत् इति l
आवां कुत्र गच्छेवः ?

पतिः – अन्यं वैद्यं प्रति !

😆😂🤣😆😂

#hasya
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚

🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।

🍃 ता: समेत्य यथान्यायं तस्मिन्सदसि देवताः।
अब्रुवल्लाककर्तारं ब्रह्माणं वचनं महत्।।५।।

⚜️ भावार्थ - इस यज्ञ में यथाक्रम एकत्र हो देवताओं ने सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी से विनय की ॥५॥

🍃 भगवंस्त्वत्प्रसादेन रावणो नाम राक्षसः
सर्वान्नो वाधते वीर्याच्छासितुं तं न शक्नुमः॥६॥

⚜️ भावार्थ - हे भगवन् ! आपकी कृपा से रावण नामक राक्षस, हम सब को बहुत सताता है, और हम उसका कुछ भी नहीं कर सकते॥६॥
📙 ऋग्वेद

सूक्त - २४ , प्रथम मंडल ,
मंत्र - ०९ , देवता - अग्नि आदि।

🍃 शतं ते राजन्भिषजः सहस्रमुर्वी गभीरा सुमतिष्टे अस्तु
बाधस्व दूरे निऋतिं पराचैः कृतं चिदेनः प्र मुमुग्ध्यस्मत्.. (९)

⚜️ भावार्थ - हे राजा वरुण! आपकी ओषधियां सैकड़ों हजारों हैं। आपकी उत्तम बुद्धि विस्तृत और गंभीर हो तुम हमारा अनिष्ट करने वाले पापों को हमसे दूर रखो। हमने जो पाप किए हैं, उन्हें नष्ट कर दो। (९)
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
🚩तिथि - द्वितीया 29 अप्रैल रात्रि 01:34 तक तत्पश्चात तृतीया

दिनांक - 28 अप्रैल 2021
दिन - बुधवार
विक्रम संवत - 2078
शक संवत - 1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - विशाखा शाम 05:13 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग - व्यतिपात शाम 03:51 तक तत्पश्चात वरीयान्
राहुकाल - दोपहर 12:36 से दोपहर 02:13 तक
सूर्योदय - 06:11
सूर्यास्त - 19:01
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
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Sanskrit-0655-0700
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चाणक्य नीति ⚔️
✒️त्रयोदश अध्याय

♦️श्लोक:-०२


गतं शोको न कर्तव्य भविष्यतो नैव चिन्तयेत्।
वर्तमानेन कालेन प्रवर्तन्ते विचक्षणाः।।२।।

♦️भावार्थ -बीती हुई घटना का शोक नहीं करना चाहिए. भविष्य की चिन्ता भी नहीं करनी चाहिए। बुद्धिमान लोग वर्तमान काल के अनुसार कार्य में प्रवृत्त होते हैं।।
Namaste

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ओ३म्

३४. संस्कृत वाक्याभ्यासः

विद्यालयस्य प्रांगणे एका गुहा अस्ति।
= विद्यालय के मैदान में एक गुफा है

विद्यालये मध्यावकाश-समये..
= स्कूल में रिसेस के समय

बालकाः गुहां प्रविशन्ति।
= बच्चे गुफा में घुसते हैं

एकस्मात् द्वारात् अन्तः प्रविशन्ति।
= एक दरवाजे से अंदर घुसते हैं

अन्यस्मात् द्वारात् बहिः आगच्छन्ति।
= दूसरे दरवाजे से बाहर आते हैं

शिक्षिका सर्वान् बालकान् पश्यति।
= शिक्षिका सभी बच्चों को देखती है

एकः बालकः अन्तः न गच्छति।
= एक बच्चा अंदर नहीं जाता है

गुहायाः अन्तः अन्धकारः अस्ति।
= गुफा के अंदर अंधेरा है

सः बालकः अन्धकारात् बिभेति।
= वह बच्चा अंधेरे से डरता है

शिक्षिका तेन सह एकं ज्येष्ठं छात्रं प्रेषयति।
= शिक्षिका उसके साथ एक बच्चे को भेजती है

बालकः अधुना निर्भीकः जातः।
= बच्चा अब निर्भीकः हो गया

ओ३म्

३५. संस्कृत वाक्याभ्यासः

सः आयकर-पत्रकं पूरयति।
= वह आयकर रिटर्न भर रहा है

सः मिथ्या न वदति।
= वह झूठ नहीं बोलता है

यावत् धनं तेन अर्जितं।
= जितना धन उसने कमाया

तावदेव सः पत्रके दर्शयति।
= उतना ही वह रिटर्न में दिखा रहा है

कर-प्रदानात् सः न बिभेति।
= टैक्स चुकाने से वह नहीं डरता है

तस्य भार्या अपि कार्यं करोति।
= उसकी पत्नी भी काम करती है

सा अपि आयकर पत्रकं पूरयति।
= वह भी आयकर रिटर्न भरती है

सा अपि करं प्रददाति।
= वह भी कर चुकाती है

ओ३म्

३६. संस्कृत वाक्याभ्यासः

प्रातः आरभ्य प्रयत्नं कुर्वन् अस्मि।
= सुबह से प्रयास कर रहा हूँ

किमपि लिखानि इति मम मनसि नैकवारम् आगतम्।
= कुछ लिखूँ यह मन में कई बार आया

तथापि किमपि न लिखितम्।
= फिर भी कुछ नहीं लिखा

किं कारणम् अस्ति ?
= क्या कारण है ?

आवश्यकानि कार्याणि बाधन्ते।
= आवश्यक काम बाधा पहुँचाते हैं

अधुना सर्वाणि कार्याणि मया समापितानि।
= अभी मैंने सारे काम पूरे किये।

ओ३म्

३७. संस्कृत वाक्याभ्यासः

सारिका शनैः शनैः चलति।
= सारिका धीरे धीरे चलती है

किमर्थम् ?
= क्यों ?

मार्गे सर्वत्र जलम् अस्ति।
= रास्ते में सब जगह पानी है

सर्वम् आर्द्रम् आर्द्रम् अस्ति।
= सब कुछ गीला गीला है

सारिका स्वां शाटिकां रक्षति।
= सारिका अपनी साड़ी बचाती है

मार्गे यानानि वेगेन धावन्ति।
= रास्ते में वाहन तेज दौड़ते हैं

तस्मात् कारणात् जलं डयते।
= उसके कारण से पानी उड़ता है

कतिपय युवकाः ज्ञात्वा वेगेन चालयन्ति।
= कुछ युवक जानबूझ कर तेज चलाते हैं

तेन सर्वेषां वस्त्राणि आर्द्राणि, मलिनानि च भवन्ति।
= उससे सबके कपड़े गीले और मैले हो जाते हैं

वर्षायाः अनन्तरं ध्यानपूर्वकं चलनीयं भवति।
= वर्षा के बाद ध्यान से चलना चाहिये

ओ३म्

३८. संस्कृत वाक्याभ्यासः

नमो मित्रेभ्यः..!!
सुप्रभातं मित्राणि !

अद्य रविवासरः वर्तते ?
आज रविवार है क्या ?

अद्य कः दिवसः ?
आज क्या दिन है ?

रविवासरः।

ह्यः शनिवासरः आसीत्।
कल शनिवार था

ह्यः कः दिवसः आसीत् ?
कल क्या दिन था ?

शनिवासरः।

श्वः सोमवासरः भविष्यति।
कल सोमवार होगा

अद्य अवकाशः वर्तते।
आज अवकाश है
ओ३म्

३९. संस्कृत वाक्याभ्यासः

अद्य अहं गुरुकुले अस्मि।
आज मैं गुरुकुल में हूँ

अत्र कार्यक्रमः वर्तते।
यहाँ पर कार्यक्रम है

वस्त्रवितरणस्य कार्यक्रमः वर्तते।
वस्त्र वितरण का कार्यक्रम है

आचार्य शरच्चन्द्रस्य सत्प्रेरणया..
आचार्य शरच्चन्द्र जी की सत्प्रेरणा से

निर्धनाभ्यः बालिकाभ्यः वस्त्राणि प्रदास्यन्ते।
गरीब बालिकाओं को वस्त्र प्रदान किए जायेंगे

ओ३म्

४०. संस्कृत वाक्याभ्यासः

मम भार्या तस्याः भ्रात्रे रक्षासूत्रं प्रेषयति।
= मेरे पत्नी उसके भाई के लिये राखी भेज रही है

अधुना अहं पत्रालये अस्मि।
= अभी मैं डाकखाने में हूँ

अत्र बहु सम्मर्दः वर्तते।
= यहाँ बहुत भीड़ है

अनेके जनाः रक्षासूत्रं प्रेषयितुम् अत्र आगताः सन्ति।
= बहुत से लोग राखी भेजने के लिये यहाँ आए हैं

ओ३म्

४१. संस्कृत वाक्याभ्यासः

योगेन्द्रः श्रेष्ठः धावकः अस्ति ।
= योगेंद्र अच्छा धावक (एथलीट) है

सः बहु शिप्रं धावति।
= वह बहुत तेज दौड़ता है

सः मृगात् अपि वेगेन धावति।
= वह हिरन से भी तेज दौड़ता है

सः चित्रकात् अपि वेगेन धावति।
= वह चीते से भी तेज दौड़ता है

तस्य अद्य स्वास्थ्यं सम्यक् नास्ति।
= उसका आज स्वास्थ्य ठीक नहीं है

सः धावितुं न शक्नोति।
= वह दौड़ नहीं सकता है

सः धावितुं न शक्ष्यति।
= वह दौड़ नहीं पाएगा

तथापि सः धाविष्यति।
= फिर भी वह दौड़ेगा

सः पदकं प्राप्तुम् इच्छति।
= वह पदक प्राप्त करना चाहता है

ओ३म्

४२. ।। वाद्य सम्बन्धी शब्द ।।

ढोल – पटहः ।

तबला – मुरजः ।

बैंड – वादित्रगणः।

बिगुल – संज्ञाशंखः।

ढिंढोरा – डिण्डिमः।

नगाड़ा – दुन्दुभिः।

तबला – कांस्यतालः।

मृदङ्ग- मृदङ्गः।

बंशी – वेणुः।

बांसुरी – मुरली।

सारंगी – सांरगी।

वीणा – वीणा।

सहनाई – तुर्यम्।

वीणाबाजा – वीणावाद्यम्।

मंजीरा – मञ्जरम्।

हारमोनियम – मनोहारिवाद्यम्।

#vakyabhyas
या नित्या कुलकेलिशोभितवपुर्बोधोदिता जृम्भते
पूर्णाभामृतकुण्डला परपरा मन्त्रात्मिका सिद्धिदा।
मालापुस्तकधारिणीं त्रिनयनां कुन्देन्दुवर्णोज्ज्वलां
नित्यानन्दकुलप्रकाशजननीं वाग्देवतामाश्रये॥


अन्वय: (संस्कृतवाक्यरचनापद्धति)

या कुलकेलिशोभितवपुर्बोधोदिता पूर्णाभा अमृतकुण्डला परपरा मन्त्रात्मिका सिद्धिदा नित्या जृम्भते तां मालापुस्तकधारिणीं त्रिनयनां कुन्देन्दुवर्णोज्ज्वलां नित्यानन्दकुलप्रकाशजननीं वाग्देवतां आश्रये॥

प्रतिपदार्थ:

- या - जो
- कुल - विद्या या ज्ञान के समूह के
- केलि - विनोद से
- शोभित - प्रकाशित हुए
- वपुः - देह में या शरीर में व्याप्त
- र्बोध - ज्ञान से
- उदिता - प्रकाशित हैं
- पूर्णाभा - पूर्णकांतीवाली
- अमृत - अमृत के
- कुण्डला - कुंडल वाली
- पर - श्रेष्ठ देवताओं में
- परा - श्रेष्ठ
- मन्त्र - समस्त मंत्रों की
- आत्मिका - आत्मस्वरूपिणी
- सिद्धिदा - मन्त्राध्यायियों को सिद्धि प्रदान करने वाली
- नित्या - सदैव
- जृम्भते - प्रकाशित होती हैं
- ताम् - उस
- माला - माला और
- पुस्तक - ज्ञानवर्धक पुस्तक को
- धारिणीम् - धारण करने वाली
- त्रिनयनाम् - ज्ञान नाम की तीसरी चक्षुवाली
- कुन्द - मल्लिकापुष्प
- इन्दु - चंद्रमा के
- वर्ण - कांती जैसी
- उज्ज्वलाम् - प्रकाशित
- नित्य - सदैव
- आनन्द - संतोष के
- कुल - समूह के
- प्रकाश - ज्ञान की
- जननीम् - जननी या माता
- वाग्देवताम् - श्रीसरस्वती देवी जी
- आश्रये - आश्रय लेता हूँ

विवरण:

यह श्लोक नागार्जुन नामक सिद्ध द्वारा रचित "सिद्धनागार्जुनतन्त्रं" ग्रंथ का दूसरा श्लोक है। नागार्जुन को प्राचीन संस्कृत कवियों की श्रेणी में रखा जाता है, जिसमें कालिदास जैसे महान कवि शामिल हैं। इन कवियों ने अपने जीवन के बारे में बहुत कम बताया है, लेकिन उनके ग्रंथों के माध्यम से यह अनुमान लगाया जाता है कि नागार्जुन 6वीं से 8वीं शताब्दी के बीच के हैं।

नागार्जुन इस ग्रंथ के बारे में कहते हैं कि इसमें भारतवर्ष के जंगलों में रहने वाले आदिवासियों से संकलित तंत्र शामिल हैं। साथ ही, आयुर्वेद के कुछ जड़ी-बूटियों और पेड़ों का भी वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ संकलित ज्ञान का एक संग्रह है।

श्लोक में कवि ने ज्ञान की देवी सरस्वती की स्तुति की है। वे कहते हैं कि देवी सरस्वती विभिन्न प्रकार के ज्ञान के विनोद से शोभित हैं और इनको प्रसन्न करने का सर्वोत्तम तरीका उनके गुणगान से अधिक ज्ञान का अध्ययन करना है। देवी का शरीर ज्ञान की किरणों से प्रकाशित है, और उनके कानों में झलकते कुंडल अमृतमय हैं। वे सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं और मंत्रों की आत्मस्वरूपिणी हैं, जो मंत्र साधकों को सिद्धि प्रदान करती हैं। तीन नेत्रों वाली, मल्लिका फूल और चंद्रमा की कांति जैसी श्वेत कांति से युक्त, माता सरस्वती का आश्रय कवि ले रहे हैं।

"त्रिनयना" का अर्थ है कि माता सरस्वती के नेत्रों से वेदों के मंत्रों की कांति प्रवाहित होती है। ब्रह्मांड में तीन नेत्र वाले देवता केवल श्रीमन्महारुद्रदेव जी हैं, तो यहाँ सरस्वती को त्रिनयना कहने का अर्थ यह है कि वेदों के तीन-तीन अर्थ होते हैं, जो माता सरस्वती के इन तीन नेत्रों से प्रवाहित होते हैं। इस कारण उन्हें त्रिनयना कहा गया है।

इस श्लोक की रचना "शार्दूलविक्रीडित" छंद में की गई है, जिसमें प्रत्येक पाद में 19 मात्राएँ या अक्षर होते हैं।

ॐ नमो भगवते हयाननाय

© Sanjeev GN #Subhashitam
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