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भारत ऐतिहासिक तौर पर फलस्तीन के साथ रहा है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मोदी फलस्तीन का दौरा कर चुके हैं। मगर हालिया युद्ध संकट में युद्ध विराम के लिए भारत ने अभी तक कुछ नहीं किया है। उम्मीद करते है कि भारत आगामी दिनों में फलस्तीन के मासूमों और बेगुनाहों के नरसंहार को रोकने के लिए कुछ करेगा। आगामी दिनों में हम फलस्तीनी संघर्ष की किताबें हिंदी और उर्दू में भी छपवायेंगे जो भारतीय लोगों के लिए बेहद सहायक होंगी।
भारत में फलस्तीन के राजदूत अदनान अबू अल हैजा के साथ TV 6 के चीफ एडिटर पुष्परंजन का ये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू (हिंदी डबिंग के साथ) बेहद अहम है।
पूरी वीडियो आप यहाँ देख सकते हैं: https://youtu.be/VC0sNjlxFio
भारत में फलस्तीन के राजदूत अदनान अबू अल हैजा के साथ TV 6 के चीफ एडिटर पुष्परंजन का ये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू (हिंदी डबिंग के साथ) बेहद अहम है।
पूरी वीडियो आप यहाँ देख सकते हैं: https://youtu.be/VC0sNjlxFio
मैंने गुनाहों में डूबे लोगों को रातों में रोते देखा है और नेकी करने वालों को दूसरों पर हंसते देखा है किसका किरदार अच्छा और किसका बुरा यह सिर्फ अल्लाह जानता है। क्योंकि इंसान सिर्फ अच्छे इंसान से मोहब्बत करता है, जबकि अल्लाह अल्लाह बुरे इंसान को भी अकेला नहीं छोड़ता।
जम्मू कश्मीर के रहने वाले शिल्पकार गुलाम नबी डार को मिला पद्मश्री पुरूस्कार।
लकड़ी की नक्काशी में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित श्रीनगर के 72 वर्षीय मास्टर शिल्पकार गुलाम नबी डार का मानना है कि पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करने के लिए सरकारी मान्यता और समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है। छह दशकों से अधिक समय तक अपनी कला के प्रति उनके अटूट समर्पण ने उन्हें कई प्रशंसाएं दिलाईं, जिसकी परिणति देश के 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित इस राष्ट्रीय मान्यता के रूप में हुई।
लकड़ी की नक्काशी में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित श्रीनगर के 72 वर्षीय मास्टर शिल्पकार गुलाम नबी डार का मानना है कि पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करने के लिए सरकारी मान्यता और समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है। छह दशकों से अधिक समय तक अपनी कला के प्रति उनके अटूट समर्पण ने उन्हें कई प्रशंसाएं दिलाईं, जिसकी परिणति देश के 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित इस राष्ट्रीय मान्यता के रूप में हुई।
15 शाबान यौम ए विलादत मुबारक
शेर ए रज़ा
शेर ए ताजुश्शरिया
अमीर ए अहले सुन्नत
कायद ए अहले सुन्नत
सुलतान
अता ए ताजुश्शरिया
मज़हर ए ताजुश्शरिया
जानशीन ए हुज़ूर ताजुश्शरिया
ज़ीनत ए मसनद ए हुज़ूर ताजुश्शरिया
हमशाबिह ए हुज़ूर ताजुश्शरिया
क़ाज़ी उल कुज़्ज़त फिल हिंद
वली इब्न वली
सखी इब्न सखी
पाइकारे ज़ोहद ओ इत्तेक़ा
दलीले हक के सदाकत
साहिब ए फ़ज़ल ओ अता
वारिस ए उलूम ए ताजुश्शरिया
हुजूर अच्छे मियां
अमीन उल उम्मत
बुरहान ए मिल्लत
पीर ए तरीकत
रहबर ए राहे शरीयत
मांबा ए सखावत
क़ासिम ए फ़ैज़ ए रज़ा
गुल ए गुलज़ार ए रजवियत
अबुल हुसाम
हज़रत उल उल्लम
मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा खान कादरी रज़वी नूरी बरकती साहब क़िबला मद्दाज़िलहुँ नूरानी
शेर ए रज़ा
शेर ए ताजुश्शरिया
अमीर ए अहले सुन्नत
कायद ए अहले सुन्नत
सुलतान
अता ए ताजुश्शरिया
मज़हर ए ताजुश्शरिया
जानशीन ए हुज़ूर ताजुश्शरिया
ज़ीनत ए मसनद ए हुज़ूर ताजुश्शरिया
हमशाबिह ए हुज़ूर ताजुश्शरिया
क़ाज़ी उल कुज़्ज़त फिल हिंद
वली इब्न वली
सखी इब्न सखी
पाइकारे ज़ोहद ओ इत्तेक़ा
दलीले हक के सदाकत
साहिब ए फ़ज़ल ओ अता
वारिस ए उलूम ए ताजुश्शरिया
हुजूर अच्छे मियां
अमीन उल उम्मत
बुरहान ए मिल्लत
पीर ए तरीकत
रहबर ए राहे शरीयत
मांबा ए सखावत
क़ासिम ए फ़ैज़ ए रज़ा
गुल ए गुलज़ार ए रजवियत
अबुल हुसाम
हज़रत उल उल्लम
मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा खान कादरी रज़वी नूरी बरकती साहब क़िबला मद्दाज़िलहुँ नूरानी