◾️भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में नया इतिहास लिखा है।
🔹भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने 30 जुलाई 2023 को एक साथ 7 सैटेलाइट्स को लॉन्च किए हैं।
🔹इनमें 1 स्वदेशी और सिंगापुर के छह सैटेलाइट शामिल हैं।
🔹 इन उपग्रहों को पीएसएली-सी56 रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया
🔹पीएसएलवी-सी56 न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड का मिशन है, जो इसरो की कॉमर्शियल ब्रांच है।
🔹भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने 30 जुलाई 2023 को एक साथ 7 सैटेलाइट्स को लॉन्च किए हैं।
🔹इनमें 1 स्वदेशी और सिंगापुर के छह सैटेलाइट शामिल हैं।
🔹 इन उपग्रहों को पीएसएली-सी56 रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया
🔹पीएसएलवी-सी56 न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड का मिशन है, जो इसरो की कॉमर्शियल ब्रांच है।
◾️ जल्द बनेगा किसान कर्ज राहत आयोग
🔹 2 अगस्त को विधानसभा में लाया जाएगा बिल
🔹 आयोग में अध्यक्ष सहित कुल 5 सदस्य होंगे।
🔹 हाई कोर्ट का रिटायर्ड जज होगा आयोग का अध्यक्ष।
🔹 आयोग के माध्यम से अब बैंक नहीं कर सकेगा किसानों की जमीन की नीलामी।
🔹 आयोग को किसी किसान या क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित कर उसे राहत देने का अधिकार होगा।
🔹 2 अगस्त को विधानसभा में लाया जाएगा बिल
🔹 आयोग में अध्यक्ष सहित कुल 5 सदस्य होंगे।
🔹 हाई कोर्ट का रिटायर्ड जज होगा आयोग का अध्यक्ष।
🔹 आयोग के माध्यम से अब बैंक नहीं कर सकेगा किसानों की जमीन की नीलामी।
🔹 आयोग को किसी किसान या क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित कर उसे राहत देने का अधिकार होगा।
अलवर चित्र शैली
● 📋 आमेर तथा दिल्ली चित्र शैली की मिश्रित रूप में विकसित चित्र शैली है।
● 📋 अलवर चित्र शैली पर सर्वाधिक मुगल चित्र शैली का प्रभाव पड़ा है।
● 📋 अलवर चित्र शैली राजस्थान की एकमात्र ऐसी चित्र शैली है जिसमें मुगल गणिकाओं के भी चित्र बने है।
● 📋 महाराजा बख्तावर सिंह के काल में अलवर चित्र शैली को मौलिक स्वरूप प्राप्त हुआ था।
● 📋 महाराजा विनय सिंह का काल अलवर चित्र शैली का स्वर्ण युग था।
● 📋 राजस्थान में मुगल बादशाहों के चित्र भी केवल अलवर चित्र शैली में बने।
● 📋 आमेर तथा दिल्ली चित्र शैली की मिश्रित रूप में विकसित चित्र शैली है।
● 📋 अलवर चित्र शैली पर सर्वाधिक मुगल चित्र शैली का प्रभाव पड़ा है।
● 📋 अलवर चित्र शैली राजस्थान की एकमात्र ऐसी चित्र शैली है जिसमें मुगल गणिकाओं के भी चित्र बने है।
● 📋 महाराजा बख्तावर सिंह के काल में अलवर चित्र शैली को मौलिक स्वरूप प्राप्त हुआ था।
● 📋 महाराजा विनय सिंह का काल अलवर चित्र शैली का स्वर्ण युग था।
● 📋 राजस्थान में मुगल बादशाहों के चित्र भी केवल अलवर चित्र शैली में बने।
बीकानेर चित्र शैली
● 📋 मारवाड़ की शैली की ही उप शैली के रूप में विकसित बीकानेर चित्र शैली के कलाकारों को उस्ताद कहा जाता है।
● 📋 राजस्थान में बीकानेर एकमात्र ऐसी चित्र शैली है जिसमें चित्रकारों ने चित्र के साथ अपने नाम भी लिखे है।
● 📋 महाराजा अनूप सिंह के काल में बीकानेर चित्र शैली का सर्वाधिक विकास हुआ है।
● 📋 बीकानेर चित्र शैली में भी दरबार, शिकार तथा वन-उपवन के चित्र बने हुए है।
● 📋 बीकानेर चित्र शैली में धार्मिक ग्रन्थों के कथानकों पर भी महाराजा करणी सिंह के काल में सर्वाधिक चित्र बने।
● 📋 मारवाड़ की शैली की ही उप शैली के रूप में विकसित बीकानेर चित्र शैली के कलाकारों को उस्ताद कहा जाता है।
● 📋 राजस्थान में बीकानेर एकमात्र ऐसी चित्र शैली है जिसमें चित्रकारों ने चित्र के साथ अपने नाम भी लिखे है।
● 📋 महाराजा अनूप सिंह के काल में बीकानेर चित्र शैली का सर्वाधिक विकास हुआ है।
● 📋 बीकानेर चित्र शैली में भी दरबार, शिकार तथा वन-उपवन के चित्र बने हुए है।
● 📋 बीकानेर चित्र शैली में धार्मिक ग्रन्थों के कथानकों पर भी महाराजा करणी सिंह के काल में सर्वाधिक चित्र बने।
नाथद्वारा चित्र शैली
● 📋 1672 में महाराणा राजसिंह के द्वारा राजसमन्द के नाथद्वारा में श्रीनाथ जी के मन्दिर की स्थापना के साथ ही नाथद्वारा शैली का विकास हुआ जिसे वल्लभ चित्र शैली के नाम से भी जाना जाता है।
● 📋 नाथद्वारा शैली मे मेवाड़ की वीरता, किशनगढ़ का श्रृंगार तथा ब्रज के प्रेम भी समन्वित अभिव्यक्ति हुई है।
● 📋 नाथद्वारा चित्र शैली में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के सर्वाधिक चित्र बने है।
● 📋 1672 में महाराणा राजसिंह के द्वारा राजसमन्द के नाथद्वारा में श्रीनाथ जी के मन्दिर की स्थापना के साथ ही नाथद्वारा शैली का विकास हुआ जिसे वल्लभ चित्र शैली के नाम से भी जाना जाता है।
● 📋 नाथद्वारा शैली मे मेवाड़ की वीरता, किशनगढ़ का श्रृंगार तथा ब्रज के प्रेम भी समन्वित अभिव्यक्ति हुई है।
● 📋 नाथद्वारा चित्र शैली में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के सर्वाधिक चित्र बने है।
बूॅंदी चित्र शैली
● 📋 हाड़ौती की सबसे प्राचीन चित्र शैली है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली में सर्वाधिक पशु-पक्षी एवं पेड़ों के चित्र बने है।
● 📋 पशु-पक्षियों को सर्वाधिक महत्व इसी चित्र शैली में दिया गया है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली में सर्वाधिक धार्मिक कथानकों पर चित्र बने है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली में सर्वाधिक चम्पा के वृक्षों का चित्रांकित किया गया है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली में लाल पीले एवं हरे रंगों को महत्व दिया गया है।
● 📋 राव सुर्जन सिंह हाड़ा के काल में बूॅंदी चित्र शैली का सर्वाधिक विकास हुआ।
● 📋 महाराव उम्मेद सिंह के काल में बना चित्रशाला इस शैली का सबसे श्रेष्ठ उदाहरण है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली से ही कोटा चित्र शैली का उद्धभव हुआ है।
● 📋 हाड़ौती की सबसे प्राचीन चित्र शैली है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली में सर्वाधिक पशु-पक्षी एवं पेड़ों के चित्र बने है।
● 📋 पशु-पक्षियों को सर्वाधिक महत्व इसी चित्र शैली में दिया गया है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली में सर्वाधिक धार्मिक कथानकों पर चित्र बने है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली में सर्वाधिक चम्पा के वृक्षों का चित्रांकित किया गया है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली में लाल पीले एवं हरे रंगों को महत्व दिया गया है।
● 📋 राव सुर्जन सिंह हाड़ा के काल में बूॅंदी चित्र शैली का सर्वाधिक विकास हुआ।
● 📋 महाराव उम्मेद सिंह के काल में बना चित्रशाला इस शैली का सबसे श्रेष्ठ उदाहरण है।
● 📋 बूॅंदी चित्र शैली से ही कोटा चित्र शैली का उद्धभव हुआ है।
● जहांगीरी महल – पुष्कर (अजमेर)
● गोपाल महल – डीग (भरतपुर)
● कदमी महल – आमेर दुर्ग में (इसमें आमेर के शासकों का राजतिलक होता था)
● रेशमा महल – सीकर
● सिलीसेढ़ महल – अलवर
● जूना महल – डूंगरपुर
● लालगढ़ पैलेस – बीकानेर (महाराजा गंगा सिंह द्वारा अपने पिता लालसिंह की स्मृति में लाल पत्थरों से निर्मित)
● एक थम्बिया महल – डूंगरपुर
● मान महल – पुष्कर
● पंच महला महल – बैराठ (जयपुर)
● अकबरी महल – आमेर
● जल महल – मानसरोवर झील (जयपुर)
● महाराणा प्रताप के महल – चावण्ड (उदयपुर)
● मिरांगढ़ महल – कुड़की (पाली)
● एक थम्बा महल / प्रहरी मीनार – जोधपुर
● अबली मिणी का महल – कोटा
● गोपाल महल – डीग (भरतपुर)
● कदमी महल – आमेर दुर्ग में (इसमें आमेर के शासकों का राजतिलक होता था)
● रेशमा महल – सीकर
● सिलीसेढ़ महल – अलवर
● जूना महल – डूंगरपुर
● लालगढ़ पैलेस – बीकानेर (महाराजा गंगा सिंह द्वारा अपने पिता लालसिंह की स्मृति में लाल पत्थरों से निर्मित)
● एक थम्बिया महल – डूंगरपुर
● मान महल – पुष्कर
● पंच महला महल – बैराठ (जयपुर)
● अकबरी महल – आमेर
● जल महल – मानसरोवर झील (जयपुर)
● महाराणा प्रताप के महल – चावण्ड (उदयपुर)
● मिरांगढ़ महल – कुड़की (पाली)
● एक थम्बा महल / प्रहरी मीनार – जोधपुर
● अबली मिणी का महल – कोटा
अजमेर की पुष्कर झील पर कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर) में मेला लगता है।
कालिदास ने ‘अभिज्ञान शकुंतला’ की रचना भी इसी झील के किनारे की थी।
इस झील को सर्वप्रथम पुष्करणा ब्राह्मणों द्वारा खोदी जाने के कारण इसका नाम पुष्कर झील पड़ा।
1809 ई में मराठा सरदारों ने इसका पुन:र्निर्माण करवाया था।
यह राजस्थान की सबसे पवित्र व सर्वाधिक प्रदूषित झील मानी जाती है।
पुष्कर झील में 1997-98 में कनाडा के सहयोग से ही सफाई की गई थी।
इस झील के किनारे 400 मंदिर है इसलिए इसे ‘मंदिरों की नगरी’ भी कहते हैं।
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कालिदास ने ‘अभिज्ञान शकुंतला’ की रचना भी इसी झील के किनारे की थी।
इस झील को सर्वप्रथम पुष्करणा ब्राह्मणों द्वारा खोदी जाने के कारण इसका नाम पुष्कर झील पड़ा।
1809 ई में मराठा सरदारों ने इसका पुन:र्निर्माण करवाया था।
यह राजस्थान की सबसे पवित्र व सर्वाधिक प्रदूषित झील मानी जाती है।
पुष्कर झील में 1997-98 में कनाडा के सहयोग से ही सफाई की गई थी।
इस झील के किनारे 400 मंदिर है इसलिए इसे ‘मंदिरों की नगरी’ भी कहते हैं।
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शिवी जनपद
राजधानी: - मध्यमिका (वर्तमान नाम नगरी)
वर्तमान क्षेत्र: - चित्तौड़गढ़ और उदयपुर जिला
राजस्थान का पहला उत्खनन स्थल
डी.आर. भंडारकर द्वारा खुदाई।
अर्जुनायण जनपद
वर्तमान अलवर और भरतपुर जिला।
वे शुंग काल के दौरान राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरे थे।
मालव जनपद
वर्तमान जयपुर और टोंक जिला।
राजधानी: - नगर (टोंक)
उनका उल्लेख पतंजलि के महाभाष्य में मिलता है
शूरसेन (ब्रजमंडल)
राजधानी: - मथुरा
वर्तमान: - अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली।
यौधेय
वर्तमान हनुमानगढ़ और गंगानगर जिला।
कुषाण शक्ति ने उन्हें रोक दिया था।
इनका उल्लेख पाणिनी के अष्टाध्यायी और गणपति में मिलता है।
बैराठ (विराटनगर)
यह मत्स्य महाजनपद की राजधानी थी।
यह मौर्य साम्राज्य का एक हिस्सा था।
1837 में, अशोक के शिलालेख की खोज बीजक-की-पहाड़ी से कैप्टन बुर्ज ने की थी।
बौद्ध स्तूप स्थलों के साक्ष्य मिले थे।
634 ईस्वी में हुआंग त्सांग ने बैराठ का दौरा किया।
खुदाई से मूर्तियां, सिक्के, मिट्टी के बर्तन, मुहरें और धातु की वस्तुएं मिलीं।
इसकी खुदाई दया राम साहनी ने 1936 में की थी।
713 ईस्वी के मान सरोवर शिलालेख के अनुसार।
मान मौर्य बैराठ के शासक थे। इस शिलालेख में 4 शासकों के नाम का भी उल्लेख है। महेश्वर, भोज, भीम और मान।
राजधानी: - मध्यमिका (वर्तमान नाम नगरी)
वर्तमान क्षेत्र: - चित्तौड़गढ़ और उदयपुर जिला
राजस्थान का पहला उत्खनन स्थल
डी.आर. भंडारकर द्वारा खुदाई।
अर्जुनायण जनपद
वर्तमान अलवर और भरतपुर जिला।
वे शुंग काल के दौरान राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरे थे।
मालव जनपद
वर्तमान जयपुर और टोंक जिला।
राजधानी: - नगर (टोंक)
उनका उल्लेख पतंजलि के महाभाष्य में मिलता है
शूरसेन (ब्रजमंडल)
राजधानी: - मथुरा
वर्तमान: - अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली।
यौधेय
वर्तमान हनुमानगढ़ और गंगानगर जिला।
कुषाण शक्ति ने उन्हें रोक दिया था।
इनका उल्लेख पाणिनी के अष्टाध्यायी और गणपति में मिलता है।
बैराठ (विराटनगर)
यह मत्स्य महाजनपद की राजधानी थी।
यह मौर्य साम्राज्य का एक हिस्सा था।
1837 में, अशोक के शिलालेख की खोज बीजक-की-पहाड़ी से कैप्टन बुर्ज ने की थी।
बौद्ध स्तूप स्थलों के साक्ष्य मिले थे।
634 ईस्वी में हुआंग त्सांग ने बैराठ का दौरा किया।
खुदाई से मूर्तियां, सिक्के, मिट्टी के बर्तन, मुहरें और धातु की वस्तुएं मिलीं।
इसकी खुदाई दया राम साहनी ने 1936 में की थी।
713 ईस्वी के मान सरोवर शिलालेख के अनुसार।
मान मौर्य बैराठ के शासक थे। इस शिलालेख में 4 शासकों के नाम का भी उल्लेख है। महेश्वर, भोज, भीम और मान।
☀️चोंप-नाक का आभूषण
☀️चुंप-दांत का आभूषण
☀️चाप-माही की सहायक नदी
☀️चोपुली-पैर का आभूषण
☀️चोबाली -राजस्थान के लोकगीतों का संस्मरण
☀️चायल-गोगाजी के मुस्लिम पुजारी
☀️चिरायु-कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त कब्र नाम
☀️चिरमी-नव वधु का मायके की याद में गाया गया गीत
नोट-RTDC का चिरमी होटल "चूरू "में है।
☀️चिरजा-लोकदेवियो की स्तुति
☀️चाकण बांध -बूंदी
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☀️चुंप-दांत का आभूषण
☀️चाप-माही की सहायक नदी
☀️चोपुली-पैर का आभूषण
☀️चोबाली -राजस्थान के लोकगीतों का संस्मरण
☀️चायल-गोगाजी के मुस्लिम पुजारी
☀️चिरायु-कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त कब्र नाम
☀️चिरमी-नव वधु का मायके की याद में गाया गया गीत
नोट-RTDC का चिरमी होटल "चूरू "में है।
☀️चिरजा-लोकदेवियो की स्तुति
☀️चाकण बांध -बूंदी
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गणेशजी के प्रमुख मंदिर 🔰(राजस्थान के)
▪️तरिनेत्र गणेश - रणथम्भौर दुर्ग नृत्य गणेश - अलवर
▪️बाजणा गणेश - सिरोही मूरला गणेश - डूंगरपुर
▪️खड गणेश - खेड (बाडमेर)
▪️खडे गणेश - कोटा
▪️खोडा गणेश - किशनगढ़ (अजमेर)
▪️काक गणेश - जैसलमेर मोती डूंगरी गणेश - जयपुर
▪️हरम्ब गणेश - जूनागढ़ दुर्ग - सिंह पर सवार
▪️बोहरा गणेश - उदयपुर
▪️गढ़ गणेश - जयपुर
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▪️तरिनेत्र गणेश - रणथम्भौर दुर्ग नृत्य गणेश - अलवर
▪️बाजणा गणेश - सिरोही मूरला गणेश - डूंगरपुर
▪️खड गणेश - खेड (बाडमेर)
▪️खडे गणेश - कोटा
▪️खोडा गणेश - किशनगढ़ (अजमेर)
▪️काक गणेश - जैसलमेर मोती डूंगरी गणेश - जयपुर
▪️हरम्ब गणेश - जूनागढ़ दुर्ग - सिंह पर सवार
▪️बोहरा गणेश - उदयपुर
▪️गढ़ गणेश - जयपुर
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⬛️ राजस्थान के मूल्य सांख्यिकी के महत्वपूर्ण तथ्य
🔷 आधार वर्ष
▪️थोक मूल्य सूचकांक: 1999-2000
▪️कृषि उत्पादन सूचकांक: 2005-06- 2007-08
▪️औद्योगिक उत्पादन सूचकांक:- 2011-12
🟦 उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
4 होते है
🔹 CPI for Industrial labor (Industrial workers):- 2016 (September 2020 से) पहले 2001 था
🔹 CPI for (Agriculture Labour):- 1986-87
🔹 CPI for (rural labour) - 1986- 87
🔹 CPI संयुक्त/सामान्य(R+U)- 2012
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🔷 आधार वर्ष
▪️थोक मूल्य सूचकांक: 1999-2000
▪️कृषि उत्पादन सूचकांक: 2005-06- 2007-08
▪️औद्योगिक उत्पादन सूचकांक:- 2011-12
🟦 उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
4 होते है
🔹 CPI for Industrial labor (Industrial workers):- 2016 (September 2020 से) पहले 2001 था
🔹 CPI for (Agriculture Labour):- 1986-87
🔹 CPI for (rural labour) - 1986- 87
🔹 CPI संयुक्त/सामान्य(R+U)- 2012
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गणित_परिणाम_वरिष्ठ_अध्यापक_2022.pdf
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गणित परिणाम वरिष्ठ अध्यापक 2022.pdf