एकबार की बात...
एक इंडियन
एक अफ़ग़ानी
और एक पाकिस्तानी
तीनो जंगल मे घूमने गए...
और
घूमते घूमते शाम हो गई !
अफ़ग़ानी बोला कि रात हो, उससे पहले यहां से निकलते है वरना बाद में रास्ता ढूंढने में परेशानी होगी
तीनो दोस्त निकलते है Exit का रास्ता ढूंढने
और ढूँढते ढूँढते अचानक तेज बारिश आने लगती है
तो इंडियन कहता है - कि आज तो जंगल से बाहर जा पाना मुश्किल है
एक काम करते है, आज रात यहीं जंगल मे आसपास ही कोई मदद ढूँढते है
वो तीनो जब आसपास ही कोई मदद ढूँढते है, तो उन्हें एक घर दिखाई पड़ता है ।
तीनो भागकर उस घर के नजदीक जाते है
उस घर के बाहर एक बाबाजी हुक्का पी रहा होता है
इंडियन उस बाबाजी से कहता है -
हम तीन लोग यहां इस जंगल मे घूमने आए थे और रास्ता भटक गए, इसलिए क्या हम आज रात आपके पास रुक सकते है ? खाने की व्यवस्था हो जाये तो और भी बेहतर हो जाएगा ।
बाबा जी जवाब देता है -
हां ! सोने को तीन खाट(चारपाई) पड़ी है
और खाने को बर्तन में "कड़ी - चावल" रखे है
उन्हें खा कर सो जाओ
बाबा जी की ओर से मदद पाता देख तीनो लोग, इंडियन - अफ़ग़ानी और पाकिस्तानी बड़े खुश होते है और अंदर जाकर "कड़ी - चावल" खा कर तीनो जने एक एक खाट लेकर सो जाते है
कमरे में कोई लाईट या लालटैन नही होती, जिसकी वजह से रोशनी बहुत ही कम होती है कमरे में
40 मिनट बाद बाबाजी हुक्का छोड़कर अंदर आते है, और खाट न.-1 पर सो रहे पाकिस्तानी की पैंट उतारकर अपना L**d उस पाकिस्तानी की गां* में डाल देते है...
पाकिस्तानी दबी दबी आवाज में बोलता है -
अरे बाबाजी ये क्या कर रहे हो ! ये सरासर गलत है
बाबाजी जवाब देता है -
चुप मादरचोद ! कुछ गलत नही है !
भोसड़ीके "कड़ी-चावल" नही खाये क्या ? उसका अहसान कौन अदा करेगा ?
पाकिस्तानी सोचता है -
बात तो सही है, बाबाजी कड़ी-चावल के बदले गां* ही तो मांग रहे है... सह लेता हूँ थोड़ा
बाबाजी उसे दबाकर ठोकता है
और
आधा घन्टा बाद उसे छोड़ देता है....
पाकिस्तानी बाकी दोनो लोगो में से किसी को नही बताता की उसके साथ रात को क्या हुआ था
अगली सुबह तीनो दोस्त बाबाजी के मकान से बाहर निकलकर जंगल का Exit ढूंढने लग जाते है, सुबह से शाम हो जाती है लेकिन Exit नही मिल पाता !
इंडियन बोलता है -
चलो आज भी वापस बाबाजी के ही पास सो जाते है, बाबाजी कितने अच्छे है... कल हमारी कितनी मदद करी थी उन्होंने
अफ़ग़ानी भी इंडियन की बात से सहमत हो जाता है और बाबाजी के मकान में रात गुजारना तय करता है
पाकिस्तानी थोड़ा सा हिचकिचाता है, लेकिन बाकी दोनो की एक ही सहमति होने की कारण वो भी उन दोनों के पीछे पीछे बाबाजी के मकान की तरफ चलने लगता है
तीनो जने वापस बाबाजी के मकान पर पहुंच जाते है
बाबाजी हुक्का पी रहा था
इंडियन बोलता है -
बाबाजी हमे आज भी जंगल से बाहर जाने का रास्ता नही मिला ! आपको अगर आपत्ति ना हो तो क्या हम आज की रात भी आपके मकान में गुजार सकते है ??
बाबाजी क्यूं मना करने वाला था 😂😂😂
उसने कहाँ -
हां कोई समस्या नही ! "कड़ी-चावल" बने हुए है... वो खा कर, कल वाली खाट पर ही सो जाना
तीनो जने मकान में दाखिल होने के बाद कड़ी-चावल खा लेते है और खटिया की तरह कदम बढ़ाते है...
पाकिस्तानी को रात का किस्सा अच्छे से याद था
वो बोला कि, कल वो खाट न.-1 पर सोया था
लेकिन आज वो खाट न.-2 पर सोयेगा
इंडियन और अफ़ग़ानी मान जाते है और तीनों एक एक खाट लेकर सो जाते है
आधे घण्टे बाद बाबाजी हुक्का पीकर अंदर आता है और सोचता है कि कल खाट न.-1 वाले को अच्छे से बजाया था, आज खाट न.-2 वाले को लपेटता हूँ
जैसे ही बाबाजी खाट न.-2 वाले कि पैंट उतारकर अपना लं* उसकी गां* में घुसेड़ता है
पाकिस्तानी फिर से दबी दबी आवाज में कहता है -
अरे बाबाजी ये क्या कर रहे हो ? ये गलत है... पाप है ये करना !
बाबाजी जवाब देता है -
चुप मादरचोद ! कुछ गलत नही है कोई पाप नही है !
भोसड़ीके "कड़ी-चावल" नही खाये क्या ? उसका अहसान कौन अदा करेगा ?
पाकिस्तानी फिर से बाबाजी के "कड़ी-चावल के अहसान तले दबकर उस रात भी अपनी गां* मरवा बैठता है
अगले दिन सुबह से ही जोरदार बारिश हो रही होती है, और तीनों(इंडियन - अफ़ग़ानी और पाकिस्तानी) के पास जंगल की ओर निकलने का कोई उपाय नही होता
अफ़ग़ानी कहता है कि आज भी शायद बाबाजी के पास ही रुकना पड़ेगा, क्योंकि बारिश थमने का नाम ही नही ले रही ! बारिश रुके तभी रास्ता ढूंढने में आसानी होगी
इंडियन कहता है कि बारिश रुकती है तो निकलेंगे वरना आज की रात भी बाबाजी के मकान मे ही गुजारनी पड़ेगी
पाकिस्तानी कहता है -
बारिश रुके या ना रुके, मैं तो जाऊंगा यहां से 😂
ये कहते हुए पाकिस्तानी अपना बैग पैक करके जैसे ही मकान के बाहर पैर रखता है, उतने में संयोग से उसी समय मकान के पास आकाशीय बिजली गिरती है
पाकिस्तानी बिजली से डर के मारे वापस बाबाजी के मकान में आ जाता है
एक इंडियन
एक अफ़ग़ानी
और एक पाकिस्तानी
तीनो जंगल मे घूमने गए...
और
घूमते घूमते शाम हो गई !
अफ़ग़ानी बोला कि रात हो, उससे पहले यहां से निकलते है वरना बाद में रास्ता ढूंढने में परेशानी होगी
तीनो दोस्त निकलते है Exit का रास्ता ढूंढने
और ढूँढते ढूँढते अचानक तेज बारिश आने लगती है
तो इंडियन कहता है - कि आज तो जंगल से बाहर जा पाना मुश्किल है
एक काम करते है, आज रात यहीं जंगल मे आसपास ही कोई मदद ढूँढते है
वो तीनो जब आसपास ही कोई मदद ढूँढते है, तो उन्हें एक घर दिखाई पड़ता है ।
तीनो भागकर उस घर के नजदीक जाते है
उस घर के बाहर एक बाबाजी हुक्का पी रहा होता है
इंडियन उस बाबाजी से कहता है -
हम तीन लोग यहां इस जंगल मे घूमने आए थे और रास्ता भटक गए, इसलिए क्या हम आज रात आपके पास रुक सकते है ? खाने की व्यवस्था हो जाये तो और भी बेहतर हो जाएगा ।
बाबा जी जवाब देता है -
हां ! सोने को तीन खाट(चारपाई) पड़ी है
और खाने को बर्तन में "कड़ी - चावल" रखे है
उन्हें खा कर सो जाओ
बाबा जी की ओर से मदद पाता देख तीनो लोग, इंडियन - अफ़ग़ानी और पाकिस्तानी बड़े खुश होते है और अंदर जाकर "कड़ी - चावल" खा कर तीनो जने एक एक खाट लेकर सो जाते है
कमरे में कोई लाईट या लालटैन नही होती, जिसकी वजह से रोशनी बहुत ही कम होती है कमरे में
40 मिनट बाद बाबाजी हुक्का छोड़कर अंदर आते है, और खाट न.-1 पर सो रहे पाकिस्तानी की पैंट उतारकर अपना L**d उस पाकिस्तानी की गां* में डाल देते है...
पाकिस्तानी दबी दबी आवाज में बोलता है -
अरे बाबाजी ये क्या कर रहे हो ! ये सरासर गलत है
बाबाजी जवाब देता है -
चुप मादरचोद ! कुछ गलत नही है !
भोसड़ीके "कड़ी-चावल" नही खाये क्या ? उसका अहसान कौन अदा करेगा ?
पाकिस्तानी सोचता है -
बात तो सही है, बाबाजी कड़ी-चावल के बदले गां* ही तो मांग रहे है... सह लेता हूँ थोड़ा
बाबाजी उसे दबाकर ठोकता है
और
आधा घन्टा बाद उसे छोड़ देता है....
पाकिस्तानी बाकी दोनो लोगो में से किसी को नही बताता की उसके साथ रात को क्या हुआ था
अगली सुबह तीनो दोस्त बाबाजी के मकान से बाहर निकलकर जंगल का Exit ढूंढने लग जाते है, सुबह से शाम हो जाती है लेकिन Exit नही मिल पाता !
इंडियन बोलता है -
चलो आज भी वापस बाबाजी के ही पास सो जाते है, बाबाजी कितने अच्छे है... कल हमारी कितनी मदद करी थी उन्होंने
अफ़ग़ानी भी इंडियन की बात से सहमत हो जाता है और बाबाजी के मकान में रात गुजारना तय करता है
पाकिस्तानी थोड़ा सा हिचकिचाता है, लेकिन बाकी दोनो की एक ही सहमति होने की कारण वो भी उन दोनों के पीछे पीछे बाबाजी के मकान की तरफ चलने लगता है
तीनो जने वापस बाबाजी के मकान पर पहुंच जाते है
बाबाजी हुक्का पी रहा था
इंडियन बोलता है -
बाबाजी हमे आज भी जंगल से बाहर जाने का रास्ता नही मिला ! आपको अगर आपत्ति ना हो तो क्या हम आज की रात भी आपके मकान में गुजार सकते है ??
बाबाजी क्यूं मना करने वाला था 😂😂😂
उसने कहाँ -
हां कोई समस्या नही ! "कड़ी-चावल" बने हुए है... वो खा कर, कल वाली खाट पर ही सो जाना
तीनो जने मकान में दाखिल होने के बाद कड़ी-चावल खा लेते है और खटिया की तरह कदम बढ़ाते है...
पाकिस्तानी को रात का किस्सा अच्छे से याद था
वो बोला कि, कल वो खाट न.-1 पर सोया था
लेकिन आज वो खाट न.-2 पर सोयेगा
इंडियन और अफ़ग़ानी मान जाते है और तीनों एक एक खाट लेकर सो जाते है
आधे घण्टे बाद बाबाजी हुक्का पीकर अंदर आता है और सोचता है कि कल खाट न.-1 वाले को अच्छे से बजाया था, आज खाट न.-2 वाले को लपेटता हूँ
जैसे ही बाबाजी खाट न.-2 वाले कि पैंट उतारकर अपना लं* उसकी गां* में घुसेड़ता है
पाकिस्तानी फिर से दबी दबी आवाज में कहता है -
अरे बाबाजी ये क्या कर रहे हो ? ये गलत है... पाप है ये करना !
बाबाजी जवाब देता है -
चुप मादरचोद ! कुछ गलत नही है कोई पाप नही है !
भोसड़ीके "कड़ी-चावल" नही खाये क्या ? उसका अहसान कौन अदा करेगा ?
पाकिस्तानी फिर से बाबाजी के "कड़ी-चावल के अहसान तले दबकर उस रात भी अपनी गां* मरवा बैठता है
अगले दिन सुबह से ही जोरदार बारिश हो रही होती है, और तीनों(इंडियन - अफ़ग़ानी और पाकिस्तानी) के पास जंगल की ओर निकलने का कोई उपाय नही होता
अफ़ग़ानी कहता है कि आज भी शायद बाबाजी के पास ही रुकना पड़ेगा, क्योंकि बारिश थमने का नाम ही नही ले रही ! बारिश रुके तभी रास्ता ढूंढने में आसानी होगी
इंडियन कहता है कि बारिश रुकती है तो निकलेंगे वरना आज की रात भी बाबाजी के मकान मे ही गुजारनी पड़ेगी
पाकिस्तानी कहता है -
बारिश रुके या ना रुके, मैं तो जाऊंगा यहां से 😂
ये कहते हुए पाकिस्तानी अपना बैग पैक करके जैसे ही मकान के बाहर पैर रखता है, उतने में संयोग से उसी समय मकान के पास आकाशीय बिजली गिरती है
पाकिस्तानी बिजली से डर के मारे वापस बाबाजी के मकान में आ जाता है
इंडियन उसे कहता है, चल ये बैग वापस कमरे में रखदे
और खाना खा ले ! बाबाजी ने आज भी स्वादिष्ट "कड़ी-चावल" बनाये है
पाकिस्तानी मरता क्या न करता !
"कड़ी-चावल" खाने के बाद सोने के लिए जैसे ही खाट के नजदीक पहुंचता है, वो इंडियन और अफ़ग़ानी से कहता है कि आज की रात वो खाट न.-3 पर सोयेगा
अब भला इंडियन और अफ़ग़ानी को क्या दिक्कत थी, उन्होंने खाट न.-3 पाकिस्तानी के लिए छोड़ दी
तीनो सो गए...
बाबाजी अबकी बार 1 घण्टे बाद हुक्का पीकर कमरे में आये, और सोचने लगे कि खाट न.-1 और खाट न.-2 वाले का तो नम्बर ले लिया
कल शायद ये तीनो चले भी जायेंगे
इसलिए आज इस आखिरी खाट न.-3 वाले को भी बजा ही लेता हूँ
बाबाजी खाट न.-3 वाले कि जैसे ही पैंट उतारकर अपना लं* उसकी गां* में डालता है
पाकिस्तानी इसबार बर्दाश्त नही कर पाता
और
जोर से चिल्लाकर कहता है...
अरे बहन के लंड बाबा !
अकेले मैने ही थोड़े "कड़ी-चावल" खाये है
मेरी ही गांड के पीछे क्यूं पड़ा है 3 रात से
😂😂😂😂😂🆘🆘😛😛😛😛😛
#चुटकुले का Title था "कड़ी चावल"
और इसी Title में इसका स्वाद छिपा था 😝
और खाना खा ले ! बाबाजी ने आज भी स्वादिष्ट "कड़ी-चावल" बनाये है
पाकिस्तानी मरता क्या न करता !
"कड़ी-चावल" खाने के बाद सोने के लिए जैसे ही खाट के नजदीक पहुंचता है, वो इंडियन और अफ़ग़ानी से कहता है कि आज की रात वो खाट न.-3 पर सोयेगा
अब भला इंडियन और अफ़ग़ानी को क्या दिक्कत थी, उन्होंने खाट न.-3 पाकिस्तानी के लिए छोड़ दी
तीनो सो गए...
बाबाजी अबकी बार 1 घण्टे बाद हुक्का पीकर कमरे में आये, और सोचने लगे कि खाट न.-1 और खाट न.-2 वाले का तो नम्बर ले लिया
कल शायद ये तीनो चले भी जायेंगे
इसलिए आज इस आखिरी खाट न.-3 वाले को भी बजा ही लेता हूँ
बाबाजी खाट न.-3 वाले कि जैसे ही पैंट उतारकर अपना लं* उसकी गां* में डालता है
पाकिस्तानी इसबार बर्दाश्त नही कर पाता
और
जोर से चिल्लाकर कहता है...
अरे बहन के लंड बाबा !
अकेले मैने ही थोड़े "कड़ी-चावल" खाये है
मेरी ही गांड के पीछे क्यूं पड़ा है 3 रात से
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जो भी भक्त इनकी चरण में
आकर बम बम भोले गाते हैं
बाबा महादेव स्वयं उनके दुख मिटाते हैं..!!
🕉 HAR HAR MAHADEV 🕉
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बाबा महादेव स्वयं उनके दुख मिटाते हैं..!!
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BOOKIE WITH ➥ IND ✔️❤️
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